एक सामाजिक व मनोरंजक किस्म का व्यंग्यात्मक लहजे में आपके सामने पेश होने जा रही है यह छोटी सी कहानी "बाबू चंदन "। जो चंदन की जिंदगी की किस्सों के सााथ-साथ उस मोड़ पर पहुँँचती है, जहाँ एक पल के लिए चंदन ठगा सा रह जाता है जिसकी अभी नयी-नवेली शादी हुई है। लेकिन कहते हैं ना किस्मत का पहिया हमेशा घूमता है, तो आगे क्या होता है? यह जानने के लिए पूरा पढ़े "बाबू चंदन"।