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Ajay awasthi sarvesh की पुस्तकें

कलम के आसूँ

कलम के आसूँ

इस पुस्तक की कविताओं के रुप में मैनें अपनी वेदना कम करने की कोशिश की है वेदना से मेरा तात्पर्य केवल प्रणय वेदना से नही है हाँ ये सत्य हो सकता है कि अधिकतर कवितायें प्रणय पर आधारित हैं पर कई कविताऍं लौकिक प्रश्न के रुप मे भी हैं जो प्रश्न मुझे सदा स

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कलम के आसूँ

कलम के आसूँ

इस पुस्तक की कविताओं के रुप में मैनें अपनी वेदना कम करने की कोशिश की है वेदना से मेरा तात्पर्य केवल प्रणय वेदना से नही है हाँ ये सत्य हो सकता है कि अधिकतर कवितायें प्रणय पर आधारित हैं पर कई कविताऍं लौकिक प्रश्न के रुप मे भी हैं जो प्रश्न मुझे सदा स

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Ajay awasthi sarvesh के लेख

भारत की जय गान

14 दिसम्बर 2021
3
2

<p>यह जगत समर्पित हो जाये</p> <p>नव युग का नव निर्माण करे</p> <p>नव नभ पर उदित भाष्कर हो</p> <p>नव च

कोई छुटा था पहले भी

14 दिसम्बर 2021
3
2

<p>मैने जो भी गीत लिखा है </p> <p>उसकी पीडा सत्य नही है </p> <p>तड़पन तो सबके अंदर है</p> <

अवशेष शेष रह जायेंगे

14 दिसम्बर 2021
3
2

<p>अवशेष शेष रह जायेंगे </p> <p>इस युग का बोध कराने को</p> <p>सभ्यता समर्पित होगी फिर</p> <p>गौ

जो ख्वाब सजे थे आंखो मे

14 दिसम्बर 2021
3
2

<div>जो ख्व़ाब सजे थे आंखो मे</div><div>वो ख्व़ाब अचानक टूट गये</div><div>थी रात अँधेरी काली पर&nbsp

जगत में ये क्यो बारम्बार

14 दिसम्बर 2021
3
2

<div>प्रकृति को घेर रहा है काल</div><div>गगन में घोर घटा का जाल </div><div>धरा में दहक रहे अंगा

मैने पश्चिम को पूरब से

14 दिसम्बर 2021
2
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<div>मैने पश्चिम को पूरब से</div><div>आ आकर मिलते देखा है </div><div>घिरे भयानक अन्धकार में&nbs

संदेह

13 दिसम्बर 2021
3
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<div>सब कुछ था पास हमारे पर </div><div>कुछ तो सूना सूना पन था</div><div>हम तभी अचानक डूब गये</d

सृजन सृजित हो गीत सँजो ले

13 दिसम्बर 2021
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<div>कलरव से गूंजे विश्व गगन</div><div>नीड़ों से निकाले ध्वनि मधुरम </div><div>जगती में हो बस सृ

क्यो भ्रमित कर रहा पतन पतन

13 दिसम्बर 2021
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<div>जुगनु कहता जब शाम हुई </div><div>चांदनी रात मेरा फल है </div><div>मेढ़क बैठा जब कुआं ब

भारत की व्यथा

13 दिसम्बर 2021
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<div>मै सृजन हेतु तब तत्पर था</div><div>पतन लिये जब स्वर्णिम युग था</div><div>देता है इतिहास गवाही</

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