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मैने पश्चिम को पूरब से

14 दिसम्बर 2021

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मैने पश्चिम को पूरब से
आ आकर मिलते देखा है 
घिरे भयानक अन्धकार में 
दीपक को जलते देखा है 
चीटी को दाना ले लेकर
पर्वत पर चढ़ते देखा है 
तूफानी मंजर मे तिनका
तूफा से लड़ते देखा है 
तम की काली निशा बीच भी
अँधियारा छटते देखा है
 जंगल मे सीधे पेड़ो की 
लकडी को कटते देखा है 
हाँथो में कुछ खिची लकीरों को 
मिथ्या होते देखा है 
धर्म राज को खुद 
अधर्म के साथ खडे होते देखा है 
गोमुख से निकली गंगा को भी
मैल होते देखा है
मैने पश्चिम को पूरब से
आ आकर मिलते देखा है 

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Jyoti

Jyoti

👌

16 दिसम्बर 2021

27
रचनाएँ
कलम के आसूँ
5.0
इस पुस्तक की कविताओं के रुप में मैनें अपनी वेदना कम करने की कोशिश की है वेदना से मेरा तात्पर्य केवल प्रणय वेदना से नही है हाँ ये सत्य हो सकता है कि अधिकतर कवितायें प्रणय पर आधारित हैं पर कई कविताऍं लौकिक प्रश्न के रुप मे भी हैं जो प्रश्न मुझे सदा से आन्दोलित करते आयें है परन्तु उत्तर अभी तक नही मिल सका और उन प्रश्नो ने कविता का रुप ले लिया हाँ ये भी हो सकता है कि मेरे अंदर अनुभव की कमी हो इसलिये ये प्रश्न उठ रहे है पर जब वेदनाओं की गहराई का किसी मनुष्य से संगम होता है तब सिर्फ कवि और कविता का जन्म होता है तथा कवि के सुख दुख की अन्तिम संगिनी कलम बन जाती है तथा वेदना कविता उपन्यास कहानी या महाकाव्य आदि का रुप ले लेती है इस पुस्तक मे अपनी ऐसी ही कविताओ को संग्रहीत करने का प्रयास किया है ये सब बता कर मै कतई ये साबित नही करना चाहता कि मैने बहुत अच्छा लिखा , मैने तो सिर्फ अपनी डगमगाती भावनाओं को कविता के अंदर समेटने की कोशिश मात्र कि है हमें आशा है की आप सभी लोग इन कविताओं को पढ कर निष्पक्ष समीक्षा देंगें जिससे हम आप सभी लोगों की आकांक्षाओ मे खरा उतरने की कोशिश करते रहेंगे 🌹🌹🌹धन्यवाद 🌹🌹🌹 🙏🙏🙏
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भाव कैसा भी हो गीत गाता रहा

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हकीकत

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विरह के गीत गायेंगें

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फिर भी अपनी ये पावन कहानी रहे

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कैसे गायें सुप्त व्यथायें

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सब कुछ तो कहा नहीं जाता

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खुद मोड लिया अपने मन को

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अन्तर को मेरे दहती है

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तपन किसको दिखाओगे

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घूँट जीवन का घुट घुट पिये जा रहे

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दीप

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कल्पना

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क्यो भ्रमित कर रहा पतन पतन

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सृजन सृजित हो गीत सँजो ले

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संदेह

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मैने पश्चिम को पूरब से

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<div>मैने पश्चिम को पूरब से</div><div>आ आकर मिलते देखा है </div><div>घिरे भयानक अन्धकार में&nbs

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जगत में ये क्यो बारम्बार

14 दिसम्बर 2021
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<div>प्रकृति को घेर रहा है काल</div><div>गगन में घोर घटा का जाल </div><div>धरा में दहक रहे अंगा

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जो ख्वाब सजे थे आंखो मे

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अवशेष शेष रह जायेंगे

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कोई छुटा था पहले भी

14 दिसम्बर 2021
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भारत की जय गान

14 दिसम्बर 2021
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