मैने जो भी गीत लिखा है
उसकी पीडा सत्य नही है
तड़पन तो सबके अंदर है
तड़पन जग मे सत्य नही है
प्रेम हुआ था कभी किसी को
प्रेम जगत में सत्य नहीं है
पृश्नो का जो हल निकला है
उसका उत्तर सत्य नही है
इस जग मे जो भी शाश्वत है
शाश्वत जग मे सत्य नहीं है
बनी प्रेम की परिभाषा जो
परिभाषा भी सत्य नहीं है
मिलते है जो लोग जगत में
संग में रहना सत्य नही है
कोई छूटा था पहले भी
अब भी छूटा सत्य यही है