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अतीत कि परछाई

2 सितम्बर 2024

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रिबिका :- फॉर्मेलिटी नही हैं मैं सच में आपकी इज्ज़त करती हूँ | रिबिका गुस्से में कहती हैं | 

मंजीत :- मंजीत रिबिका को कंधो से पकड़ कर चेयर बिठा देता हैं और फिर कहता हैं ठीक हैं मेरी माँ अब बैठ जा और अब बता कि तेरे हाथ में कैसे लगी खून निकल रह हैं इतना खून निकल रहा हैं | और मेरी बात का बुरा मत मन कर कितनी बार तुझे कहा हैं |  अगर तुम वो सब न करती तो तुम भी आज यहीं पर हमारे जैसे प्रोफेसर होती | हम लोग क्लास ही मेट हैं | तुम ने अपने 4 साल बर्बाद किये इसलिए तुम आज इतनी पीछे हो | 

रिबिका :- सच में मंजीत क्या मैंने अपने चार साल बर्बाद किये हैं \ क्या तुम को भी यहीं लगता हैं कि मेरी ही गलती हैं | मैंने प्यार किया था उसे | क्या तुम लोग नही जानते थे उस को | खुद से ज्यादा उस पर भरोसा था मुझे | अँधा प्यार किया था उसे इसलिए शायद धोखा आसानी से दे दिया उस ने | क्या गलती थी मेरी कि मैंने ...... तभी केबिन के दूर पर किसी ने अपनी दस्तक दी | मंजीत एक दम से खड़ा हो गया और अपनी चेयर पर बैठ कर आने के लिए कहा | तभी अंदर एक कर्मचारी आया और बोला साहब ये आपने बॉक्स मंगवाया था | 

मंजीत :- यहाँ रख दो और अब तुम जयो | कर्मचारी ने बॉक्स रखा और चला गया | मंजीत फिर से रिबिका के पास आ गया और उसके पास राखी चेयर पर बैठ गया और बोला क्या जिंदगी हैं हुमारी तुम से सब के सामने मिल भी नही सकते हैं | हम सब तुम को इतना प्यार करते हैं पर अफ़सोस तुम पर प्यार लुटा भी नही सकते क्युकी तुम ने क्स्स्म जो दे राखी हैं | मजबूर हैं हम लोग | अब बतायो ये सब कैसे हुआ | 

रिबिका ने साडी बात मंजीत को बता दी और फिर लास्ट में बोली आज बहुत बड़ी गलती हो मैंने उस के सामने नही करना था वही कर बैठी अब समझ नही आ रहा कि ये सब ठीक कैसे करू | 

इधर नेहा प्रीत को कहती हैं तुम दोबारा रिपीट करो कि क्या कहा तुमने |

प्रीत :- सॉरी यार अगर तूम को बुरा लगा हैं | पर मैंने तो बस यूँ ही कह दिया कि तुम्हारी बहन को प्रोब्लम्स लेने का शोंक हैं क्या जो ये सब उस के साथ होता रहता हैं या प्रोब्लम्स को तुम्हारी बहन पसंद हैं जो उस का पीछा ही नही छोडती | इससे पहले कि नेहा कुछ तभी बेल हो जाती हैं टीचर क्लास में आ जाते हैं और सब को सीधा बैठने के लिए कहते हैं | 

मंजीत :- इधर ऑफिस में मंजीत रिबिका के हाथ ओअर ड्रेसिंग कर राह था और कह रहा था बहुत प्यार अक्रती हो न तुम नेहा से | तभी तो उन गुंडों से भीड़ गयी | पर कैसे बचा पायोगी अपने बेस्ट दुश्मन से उसे | 

रिबिका :- बचाना तो पड़ेगा न मंजीत | अपने लिए किस कि जान तो नही न ले सकती पहले ही बहुत कर्ज हैं मुझ पर | 

मंजीत :- अगर उसे सब कुछ पता चल गया तो | अगर उसे पता चल गया कि तुम्हारे साथ क्यों हुया ये सब और किस कि वजह से हुआ तो क्या करोगी रिबू | मंजीत पट्टी कि आखिरी लट बंधते हुए कहा | 

रिबिका :- नही नही मंजीत ऐसा नही हो सकता | उसे पता नही चलना चाहिए कि मेरे साथ क्या हुआ हैं ? वर्ना वो खुद को मेरी जगह पर रख लेगी | और यहीं पर मुश्किल हो जाएगी न | चल मैं जाती हूँ पेपर कि बेल हो चुकी हैं | इतना कह कर रिबिका चली जाती है और मंजीत उसकी तरफ देखता ही रह जाता हैं और खुद से ही कहता हैं | 

मंजीत :- मिसाल कायम कर रही लडकियों के लिए चाहे कुछ भी हो जाये चाहे मर्द किसी भी रंग में रूप और किसी भी तरीके से कलयु न डराए पर औरत तब तक नही हारती जब तक वो खुद नही हार जाती | पिछले 3 सालो से तुम यही कर रही हो और मुझे पता हैं अंत तक हार नही मानोगी तुम | 

रिबिका क्लास में आ जाती हैं कि तभी एक लड़का जो कि रिबिका के साथ हमेशा कड़वा व्यवहार करता था | रिबिका और उस लडके कि बहुत ज्यादा आपस में लडकी थी | तभी वो लड़का बोलता हैं | 

लड़का :- अरे रिबिका इतनी जडली आने कि क्या जरूरत थी अभी तो बहुत टाइम हैं | 

रिबिका :- ओह्ह सच मुझे तो पता ही नही था कि मैं इतनी जल्दी आ गयी हूँ वरना लेट आती | देखो न कितनी जल्दी आ गयी हूँ कि तुम को पेपर भी नही अभी तक वर्ना तुम तो पेपर भी कर लेते न क्युकी तुम को चीटिंग का एक्सपीरियंस हैं न राघव |

राघव उस लडके का नाम :- यूँ शट अप रिबिका | राघव गुस्से में हाथ कि चुटकी बजाते हुए रिबिका कि तरफ देखता हुआ गुस्से में कहता हैं |  

रिबिका :- नो राघव यू शट अप | मैंने कितनी बार कहा हैं कि मेरे मुह मत लगा करो | पर शायद तुम को सुनता कम हैं | 

राघव :- सुनेगा भी कैसे जब तुम जैसी लडकी आँखों के सामने आ जाती हैं तो ऐसा लगता हैं कि कोई वायरस आ गया हूँ और जल्दी जल्दी से खुद ढकने लग जाते हैं कि पता नही लगता कि कोई क्या कह कर चला गया | इतना सुन कर सबा हसने लग जाते हैं और रिबिका को भी गुस्सा आ जाता हैं | 

रिबिका :- चलो इसी बहाने से से ही सही तुम डरते तो हो मुझ से | रिबिका भी इतर कर कहती हैं जिस वजह से सब और हसने लग जाते हैं और राघव को गुस्सा आ जाता हैं और वो बोलता हैं | 

राघव :- शुक्र मान्यो कि तुम्हारे घ्ज्र में कोई और तुम्हारे जैसा नही हैं तुम्हारी बहन तो बहुत ही ज्यादा स्वीट हैं | इतनी प्यारी और ब्यूटीफुल हैं कि तभी रिबिका को गुस्सा आ जाता हैं और वो कहती हैं | 

रिबिका :- माइंड योर लैंग्वेज राघव | इतना सुन कर सब रिबिका कि तरफ देखने लग जाते हैं जैसे कि ये दोनों बहने तो लडती र्रेहती हैं फिर रिबिका उस के लिए स्टैंड क्यों ले रही हैं | 

राघव :- तुम को अपनी बहन के लिए बुरा लग रहा हैं क्या ? पर क्यों ? राघव ने भी हेरान होते हुए कहा | 

रिबिका ने भी बात को पलट कर कहा अगर मेरी बहन के बारे कुछ बोलना हैंतो बाहर जा क्र बोलो क्युकि मैं उस का नाम भी नही सुनना चाहती | नो प्लीज excuse me इतना कह कह कर रिबिका अपने डेस्क पर बैठ गयी और राघव उस कि तरफ देखता रहा | 

राघव :- राघव अपने साथ बैठे लडके को कहता हैं हैं तो ये दोनों खून कि बहने पर एक दुसरे के खून कि प्यासी हैं | पता नही क्यों एक दुसरे से इतनी नफरत करती हैं जबकि नेहा ठीक हैं बस ये ज़हर उगलती हैं | तभी फिर से कहता हैं कि टाइम पास नही हो रहा क्यों न एक बार फिर से इस को झुन्ज्लाया जाये इसे | क्यों सच बुरा लगा तुम को | क्युकी तुम्हारे सामने कोई सच बोल नही न पाता हैं | 

रिबिका :- पूरा सच बोलने कि किसी कि औकात हैं भी नही | क्युकी सच बोलने के लिए कुछ चाहिए होता हैं जो तुम्हारे पास नही हैं | योर badluck . रिबिका मुह को घुमती हुयी कहती हैं | 

राघव :- औकात तो मैं तुम्हारी भी जनता हूँ कि तुम्हरे घर वाले तुम को मुह भी नही लगते | यहाँ तक कि तुम्हारा खाना भी नही बनाते | 

रिबिका :- हाँ सुना तो मैंने भी कुछ ऐसा ही हैं कि तुम्हारी माँ झाड़ू लगती हैं और तुम्हारा बाप नही हैं शायद | एक रईसजादा हैं जिस को तुम्हारा नाजायज बाप कहते हैं | कहते कि कोई भी तुम को बस्ती में मुह नही लगता क्युकी तुम किसी भी गलती का परिणाम हो | रिबिका के बोलने के ढंग से सारी क्लास एक दुसरे लकी तरफ देख कर बाते लारने लग जाती हैं और राघव कि तरफ देखने लग जाती हैं इस बात पर राघव को गुसा आ जाता हैं और वो गुस्से में रिबिका को चिल्लता हुआ उस के पस्स जा कर रिबिका को थपड अमरने वाला था कि तभी रिबिका ने हाथ पकड़ लिया और बोली ये गलती मत करना राघव | तुम मेरी औकात सामने ला रहे थे तो मैंने तुम्हारी औकात सामने रख दी तो क्या गलत किया मैंने \ बोलो | आयेंदा मेरे मुह मत लगना वरना हषर बुरा होगा जो तुम, ने सोचा भी न हो | मेरे रस्ते में आने कि गलती मत करना वरना कुचले जायोगे \ इतना कह कर रिबिका राघव का हाथ झटक देती हैं अत्भी क्लास में टीचर आ जाता हैं और सब को शीट्स दे रहा होता अहिं कि तभी वो राघव को कहता हैं अपनी सीट पर बैठो यहाँ पर क्यों खड़े हो | 

सर :- राघव क्या मछली बाज़ार लगा रखा था यहाँ पर तुम दोनों ने | 

राघव :- नही सर मछली नही बल्कि घमंड का बाज़ार लगा हुआ था यहाँ और अब वो बाज़ार मुझे गिरना हैं \ राघव रिबिका कि तरफ देख कर कह रहा था और रिबिका भी राघव  कि आँखों में आँखे डाल कर गुस्से से देख रही थी | 

इस बार रिबिका कोई रिप्लाई नही करती बल्कि सीट पर चुप चाप बैठी रहती हैं और सर सब को पेपर शीट डिस्ट्रीब्यूट कर देते हैं और सबा अपना पेपर करने लग जाते हैं | अक्रिब एक घंटे के बाद नजाने रिबिका क्यों इधर उधर देखेनाल्ग जाती हैं जिस वजह से प्रोफेसर इरिटेट हो जाता हैं और हैं रिबिका तुम इधर उधर क्या देख रही | टाइम खत्म होने वाला हैं अपना पेप्पर खत्म करो बेटा | 

राघव :- रिबिका कुछ नही बोलती पर राघव बूल पड़ता है और कहता हैं कि सर जी शायद दोबारा फल होने का इरादा होगा इसका | 

रिबिका :- इस बात रीका सर को कहती हैं सर मुझ्जे एक सवाल पूछना हैं | 

सर :- नही पेपर के बिच आप कोई भी सवाल नही पुच्छ सकते | क्या तुम ये भूल गयी हो | 

रिबिका :- प्लीज सर एक बार बस एक बार पूछने दो प्लीज | 

राघव :- सर बता दीजिये बेचारी पास ही हो जाएगी हम में से कोई भी हाई अथॉरिटी को नही बतायेगा | इतना सुन कर सर कहते हैं हाँ बोलो \

रिबीका :- सर ये कुत्ते भोकते क्यों हैं इतना ? 

सर :- तुम्हारा आज पोल साइंस का पेपर हैं फिर ये बेतुके सवाल क्यों पूछ रही हो  | सर ने गुस्से में कहा | 

रिबिका :- सर पेपर तो बोल साइंस का ही हैं पर पता नही क्यों मन में ये सवाल आया कि कुत्तो को भोखने कि आदत क्यों होती हैं जबकि ये वजह कुछ भी नही होती | 

सर :- तुम ये बात किस को कह रही हो | गुसे में बोले |

रिबिका :- बस कीजिये न सर अब मैंने जीस को कहा हैं वो तो समझ ही गया हैं क्यों उस का नाम ले कर उस को फेमस करना हैं भला |

सर :- अपना पेपर खत्म करो | बात को टालते हुए कहते हैं | 

रिबिका  :- हो चूका हैं सर | 

सर :- दो घंटे रहते हैं अभी | इतनी जल्दी कैसे हो गया तुम्हारा पेपर | सारा तो किया हैं न |

रिबिका :- हांजी सर सारा पेपर हो चूका हैं \ चाहे तो आप चेक कर सकते हैं |

सर :- ठीक हैं तो पेपर दो और जयो तुम |

रिबिका :- सर रूल्स के खिलाफ हैं ये और मैं ऐसा नही करुँगी \

सर :- तुम्हारे हाथ में आलरेडी बहुत चोट लगी हुयी है | तुम जयो | और तुम कब से इन रूल्स में मानने लग गयी | भूल गयी हो क्या इन रूल्स  और नियमो कि वजह से तो तुम .... इससे आगे कि सर कुछ बोलता कि तभी रिबिका उठ जाती उअर कहती हैं कण्ट्रोल सर | मेरी पर्सनल लिओफे डिस्कस करने का आप को कोई हक़ नही हैं | 

सर :- तो फिर पेपर दो और जयो मैं खुद सम्भाल लूँगा | 

रिबिका ;- पका सर कोई प्रोब्लम तो नही होगी न \

सर:- मैंने कहा न मैं संभल लूँगा | इतना सुनने के बाद रिबिका ने ने पेपर सर को पकड़ा दिया और बाहर जाने ही लगी थी कि तभी सर ने कहा मंजीत के ऑफिस में जयो मैं वहीँ आता हूँ कुछ बात करनी हैं हमे तुम से | 

राघव :- रिबिका चली जाती हैं तो राघव गुसे में कहता हैं 2 साल फ़ैल हुयी हैं फिर अब तो 1 घंटे में पेपर कर ही लेगी न | ये बात सर सुन लेते हैनौर कहते हैं \

सर :- वो 2 साल फ़ैल नही हुयी बल्कि उस ने उस सब्जेक्ट के में टोपर रही जिस के बारे में हम तो क्या हमारे माँ बाप भी नही सोचते हैं | इसलिए उसने 2 साल ख़राब नही किये बल्कि 2 साल कमाए हैं और वो भी कि तभी सर को कोई फोन आ जाता हैं और वो फोन पर बात करने लग जाते हैं कि तभी राघव सोच मे पढ़ जाता है कि अगर रिबिका ने फ़ैल नही हुयी तो टोपर किस सब्जेक्ट में रही हैं | राघव सिर्फ सर कि तरफ देख रहा था कि ये क्या बात कहीं हैनं  सर ने जो समझ नही आ रही और इधर नेहा इस फिकर में थी कि प्रीत ने ऐसा क्यों कहा ? क्या प्रीत को सब कुछ पता हैं > क्या प्रीत मुझे बतायेगा कि क्या हुआ था रिबिका कि जिंदगी में इन 5 सालो में | जानने के पढ़ते रहिये आपकी अपनी कहानी रिवेंज द सेक्रेट ऑफ़ लव   

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मीनू द्विवेदी वैदेही

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कहानी बहुत प्रवाह पूर्ण 👌👌 आप मेरी कहानी प्रतिउतर और प्यार का प्रतिशोध पर अपनी समीक्षा और लाइक जरूर करें 🙏🙏🙏

9 सितम्बर 2024

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रचनाएँ
दो दिल रहे तड़प
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ये कहानी हैं राघव और रिबिका की जो दोनों ही अपनी अलग अलग दुनिया से हैं | राघव जहाँ पर ढेर सारे दोस्त बनता हैं वही पर रिबिका को दोश्ती से दर लगता हैं | एक दूसरे से नफरत नफरत करते करते कब प्यार हो गया इस बारे में दोनों को पता ही नहीं लगा पर एहसास हो चूका था की दोनों ही अब एक दूसरे के बिना नहीं रह सकते | राघव अपनी फीलिंग्स को एक्सेप्ट कर चूका था पर रिबिका ये एक्सेप्ट नहीं करना चाहती थी वो समझती थी की जो उस के साथ पहले हुआ हैं मोहब्बत के नाम पर कहीं वो फिर से न हो जाये | एक दूसरे की मोहब्बत समझते हुए भी दोनों में दूरिया थी || जब तक रिबिका को इस बात का एहसास हुआ की राघव उससे सच्ची मोह्हबत करता हैं तभी किसी ने राघव की वो सच्चाई रिबिका को बताई जो राघव ने रिबिका से से छुपाई हुयी थी | सच्चाई सूनने के बाद रिबिका को ऐसा लगा की शयद वो फिर धोखा ही खायेगी और इसलिए वो शादी से मंडप से उठ कर भाग जाती हैं || आखिर राघव और रिबिका एक हो पाएंगे | जहाँ पर रिबिका अपने पहले से बदला ले रही हैं क्या वहीँ वो अपने दूसरे प्यार को एक और मौका देगी | रिबिका अंगारो भरी ज़िंदगी में राघव फूल बरसा पायेगा क्या ? जान ने के लिए प्लीज पड़े मेरी कहानी दो दिल रहे तड़प
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रिबिका की पहली झलक

29 अगस्त 2024
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रिबिका, जो कि एक आम परिवार से हैं, जो कि अपनी फैमिली की शायद लाडली हैं। रिबिका और सुनेहा दोनों सिस्टर्स हैं और एक दूसरे की जान भी। दोनों बहनों में बहुत प्यार है और दोनों एक दूसरे के लिए लड़ती हैं, पर

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नेहा का हैरान होना

29 अगस्त 2024
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रिबिका के बारे में नेहा नही जानती थी | लेकिन शायद वो लडके जानते थे जो रिबिका को चोर आँखों से डरते हुए देख रहे थे | रिक्शा वाला भी ख़ुशी से देख रहा था और बोल रहा था कि आज तो इस कि खेर नही |  लडके :- दी

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अतीत कि परछाई

2 सितम्बर 2024
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रिबिका :- फॉर्मेलिटी नही हैं मैं सच में आपकी इज्ज़त करती हूँ | रिबिका गुस्से में कहती हैं |  मंजीत :- मंजीत रिबिका को कंधो से पकड़ कर चेयर बिठा देता हैं और फिर कहता हैं ठीक हैं मेरी माँ अब बैठ जा और अब

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अतीत की गलतिया

2 सितम्बर 2024
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पर राघव के दिमाग में सिर्फ एक ही बात घूम रही थी और वो थी कि आखिर रिबिका का सच क्या हैं ? वो एक नाकामयाब होकर भी सफल हैं कैसे | सर जिस तरह से बोल रहे थे उस से तो यहीं लगता हैं कि सर जानते हैं कि रिबिका

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प्रागेन्सी का सच

2 सितम्बर 2024
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मनोज को ऐसे रोते हुए देख कर रिबिका कि आँखों में आंसू आ जाते हैं और वो मनोज कि तरफ अजीब तरीके से देखने लग जाती हैं जैसे कि ये कह रही हो कि अब क्या फायदा तुम्हरे रोने का मेरे साथ तो जो होना था वो हो गया

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प्रागेन्सी का सच

2 सितम्बर 2024
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मनोज को ऐसे रोते हुए देख कर रिबिका कि आँखों में आंसू आ जाते हैं और वो मनोज कि तरफ अजीब तरीके से देखने लग जाती हैं जैसे कि ये कह रही हो कि अब क्या फायदा तुम्हरे रोने का मेरे साथ तो जो होना था वो हो गया

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