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अतीत की गलतिया

2 सितम्बर 2024

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पर राघव के दिमाग में सिर्फ एक ही बात घूम रही थी और वो थी कि आखिर रिबिका का सच क्या हैं ? वो एक नाकामयाब होकर भी सफल हैं कैसे | सर जिस तरह से बोल रहे थे उस से तो यहीं लगता हैं कि सर जानते हैं कि रिबिका कोण हैं | लगता तो यही हैं कि हम को सर से अपनी दोस्ती बढ़ानी तभी पता चल पायेगा कि आखिर ये सब माजरा क्या हैं ? यहीं बाते नेहा के भी दिमाग में चल रही थी | दोनों दोस्त एक ही तरह सोच रहे थे | इधर रिबिका मंजीत के ऑफिस में आ जाती हैं और बहुत गुस्से में होती हैं | 

मंजीत :- मंजीत ऑफिस में ही होता हैं और वो रिबिका को देख कर समझ जाता हैं  कि कुछ तो गड़बड़ हुयी हैं जिस वजह से ये इतने गुस्से में तो वो रिबिका को पानी देता हैं और कहता हैं क्या हुआ ? क्यों इतने गुस्से में हो तुम ? किसी ने कुछ कह दिया हैं क्या ? 

रिबिका :- राजबीर ने | पागल हो चूका चूका हैं वो | उसे तो रिटायर हो जाना चाहिए | कहाँ पर क्या बोलना हैं उस को इस बारे में कुछ भी नही पता हैं | ये समझता कि अगर नेहा को पता चल गया तो |

मंजीत :- ऐसा क्या कह दिया उस ने ? मंजीत ने हेरान हो कर पूछा |

रिबिका :- कहने वाला था उससे पहले ही मैंने उसे रोक दिया वरना भगवान जाने कि क्या ही कहता वो | 

मंजीत :- तुम हर बार नेहा के बारे में नही सोच सकती | नेहा को खुद से दूर रखने के लिए तुम ये भूल रही हो कि तं ने अपनी इमेज क्या बना ली हैं | ठीक अहिं अपनी बहन को सेफ रखो पर खुद भी सेफ रहो | एक बचाना तो इसका मतलब ये नही हैं कि दुसरे को मार दो | तुम चाहे इस बात का बुरा ही मनो पर यहीं सच हैं कि नेहा को बचाने में इतनी मगन हो चुकी हो कि खुद को हार तरह से मिटता चुकी हो | तुम वो रिबिका रही ही नही हो जो 5 साल पहले थी | 

रिबिका :- रिबिका हेरानी से और चोंकते हुए मंजीत कि तरफ देखते हुए बोली क्या तुम नही जानते कि वो रिबिका तो तभी मर गयी थी जब उस ने धोखा दिया था | जिससे मैंने इतना ..... तभी पेपर खत्म होने कि आवाज आई और राजबीर ऑफिस में आ गया  | लो आ गये आप के दोस्त रिबिका ने आँखे साफ़ करते हुए गुस्सा में कहा | 

राजवीर मंजीत कि तरफ देख कर इशारो में कहता हैं कि किस पर गुसा हैं तो मंजीत भी ऊँगली कर के इशारा कर के कहता हैं तुम पर | तो राजवीर कहता हिन् रिबिका हैं को क्या हुआ जान बहुत गुस्से में हो | 

रिबिका :- क्यों तुम को नही पता कि मैं क्यों गुस्से में हूँ | कहीं भी कुछ भी बोलने लग जाते हो इतना भी नही जानते कि नेहा को पता लग सकता हैं | 

राजवीर :- लेकिन जान अभी राजवीर इतना ही कहा था कि केबिन का दरवाजा खटखटाया तो रिबिका चीरे से उठ कर थोडा पीछे हो तो मजीत ने कहा अंदर आ जायो | जैसे ही दरवाजा खुला तो राघव अंदर आया |

राघव :- सर पेपर में शयद मैं अपना नाम लिखना भूल गया वहीँ लिखने आया था | 

राजवीर :- रोल नंबर बता दो मैं खुद ही लिख दूंगा तुम्हारा नाम | 

राघव :- ठीक हैं सर इतना कह कर राघव जाने लगता हैं कि वो केहता हैं सर आप रिबिका के बारे में कुछ कह रहे थे कि वो फ़ैल नही हुयी तो सर क्या हुआ था ? मैं जानना चाहता हूँ थोडा सा कि आखिर उस ने पेपर क्यों नही दिए या पीछे क्यों हैं ? क्या आप बता सकते हैं उस के बारे में | इतना सुन कर मंजीत और राजवीर दोनों एक दुसरे कि तरफ देखने लगते हैं कि तभी रिबिका पीछे से बोल पड़ती हैं |

रिबिका :- क्या जानना चाहते हैं आप राघव जी मैं ही आप को बता देती हूँ | रिबिका ने बहुत ही प्यार से कहा लेकिन राघव उस कि बात सुन कर एक दम कच्चा सा हो गया और बोला | 

राघव :- मैं जहाँ भी जाता हन्तुम वही पर टपक पढ़ती हो || इतन अकेह कर राघव जल्दी से चला जाता हैं और मंजीत और राजवीर दोनों ही हसने लग जाते हैं | 

रिबिका :- सीरियसली राजवीर | तुम्हे नही लगता कि तुमको चुप रहना चाहिए | आखिर क्या साबित करना चाहते हो |

राजवीर :- मैं तुम्हारे बारे में उल्टा सीधा नही सुन सकता इसलिए बोल पड़ता हूँ | और तुम किन नियमो कि बात कर रही हो | अब भी मानती हो उन नियमो को जिनकी वजह से तुम्हारी आज ये हालत हैं | क्या तुम नही जानती कि क्या छिना हैं इन नियमो ने तुम से | 

रिबिका :- धीरे बोलो राजवीर कोई सुन लेगा |

राजवीर :- तो सुन ले \ जो सुनेगा उसे तुम्हारी सचाई ही पता चलेगी और कुछ नही | और रही बात नेहा कि तो कब तक खुद उससे छुपयोगी | एक न एक दिन तो बताना ही पड़ेगा कि तुम्हरे साथ क्या हुआ था और वजह कोण थी |

रिबिका :- जब तक मैं जिन्दा हूँ नेहा को इन सब से दूर ही रखूंगी क्युकी मैं अपने अतीत का साया उस पर नही पड़ने दूंगी और  अगर उसे पता लगना होगा तो वो मेरा आखिरी दिन होगा | ये बात जान लो | और राघव उस के बहुत ही करीब हैं तो प्लीज कोई भी गलती मत करना | मैं नही चाहती कि ऐसा कुछ भी हो जो मेरे लिए मुश्किल हो |

राजवीर :- मैं झूठ नही बोल सकता \ अगर कोई तुम्हारे बारे में गलत बोलेगा तो मैं जवाब दूंगा चाहे वो कोई भी चाहे वो नेहा ही हो | जान समझो बात को | जैसी इमेज तुम ने बनाई है न तुम्हरे लिए लोसफुल हो सकती हैं | 

रिबिका :- किस झूठ कि बात कर आरहे  हो राजवीर | क्या तुम ने पहले कभी झूठ नही बोला | दोगली सोच वाला तुम जैसा इन्सान मेरी बहन कि जान नही ले सकता | मैंने ऐसा कोई हक़ दिया ही नही तुम को || और वैसे किस चीज़ का हक़ जता रहे जो तुम मुझ पर | जब मुझे तुम लोगो कि जरूरत थी तब कोई नही बोला था तुम में से | याद हैं कि मैं याद दिलायु | रिबिका रोटी हुयी कहती हैं बदचलन कहा गया था मुझे !!! आंसू पोछती हुयी कहती हैं वेश्या कहा था मुझे याद हैं न किसने कहा था मुझे | तब मुझे तुम सब कि बहुत ज्यादा जरूरत थी जब तुम लोगो ने मुझे देखा भी नही था | तो कोण सा हक़ जता रहे हो | मुझे पता हिन् तुम सब मुझे घमंडी कहते हो पर ये घमंड नही बल्कि मेरा गुस्सा हैं | 

मंजीत :- मजबूर थे हम ये सब कहने के लिए | इस बात का हम को भी अफ़सोस हैं रिबू | आज तक उस बात के लिए हम सब खुद को माफ़ नही कर पाए | तुम्हारा गुसा जायज हैं और हम कोई excuse भी नही देंगे क्युकी तब हम कंजोर पढ़ गये थे |

रिबिका :- तुम्हरी ल्फे थी तो तुम्हारा फेसला था पर प्लीज हाथ जोड़ कर तुम आगे यहीं कहती हु कि अगर मुझे जान कहते हो समझते हो तो इसी कि कसम प्लीज किसी को कुछ मत बताना और मेरी बहन को इन सब से दूर रखना प्लीज | रिबिका रोते हुए कहती है  और तभी राजवीर उसे गले लगा लेता हैं और कहता है |

राजवीर :- रोना बंद कर जान | मानता हूँ उस वक़्त मैं कमजोर पढ़ गया सेल्फिश बन गया पर तुझ से वादा  हैं कि तुम्हरे मुश्किल मोड़ में मैं तुम्हरे साथ खड़ा रहूँगा वादा हैं | बस तू चुप कर जा | तुम चाहती हो तो हम कुछ नही बोलेंगे और न ही तेरे लिए कसी के आगे कमजोर पड़ेंगे | 

रिबिका ;- मैं ये नही कहती कि मुझे आप लोगो कि जरूरत नही पड़ेगी पर इस बात का प्राउड हैं मुझे कि मैंने अकेली ने अपनी लडाई लड़ी और आगे भी लडती रहूंगी पर किसी से साथ कि उम्मीद नही करुँगी | 

मंजीत :- ठीक हैं मान ली तुम्हारी बात पर एक शर्त पर \ अगर तुम मानोगी तो हम भी मन जायेंगे | मंजीत ने राजवीर कि तरफ इशारा करते हुए कहा | 

रिबिका :- कैसी शर्त ?

राजवीर :- राजवीर रिबिका और मंजीत ने चीरे पर बौथ्ते हुए राजवीर ने कहा तुम को हमारे साथ पार्टी में जाना होगा | 

रिबिका :- क्सिकी पार्टी हैं ?

राजवीर :- हमारे ही दोस्त कि हैं और हमारे ही ग्रुप का दोस्त हैं जिसके यहाँ पार्टी हैं |

रिबिका :- किस दोस्त कि ? 

मंजीत :- अपने मनोज की | 

तभी बाहर से राघव चला जाता हैनौर उस ने सारी बाते सुन ली होती हैं |

रिबिका :- मेरा मनोज नही हैं वो तुम लोगो का हैं और उस कि पार्टी में तो मैं कभी भी न जायु | वो दुसरो कि पार्टी में नही टिकने देता तो खुद कि पार्टी में तो हाल ही क्या करेगा वो | नही मैं नही आ रही | 

मंजीत :- ऐसा क्यों बोल रही हैं | उस ने खुद कहा हैं हम को तुम को इनविटे करने को | उस का बर्थडे हैं यार | 

रिबिका :- ये पार्टी वार्टी मुझे पसंद नही हैं | तुम लोग जानते हो |

राजवीर :- कब से रिबू ? जहाँ तक मैं जनता हूँ कि तुम दोनों पार्टी कि जान हुआ करते थे |

रिबिका :- राजवीर के एक दम ऐसा कहने से रिबिका कहती हैं हुआ करते थे वीर | पर अब सिर्फ एक दुसरे कि जान के दुशमन हैं हम लोग | और वैसे भी वो भी वहां पर आएगा ?

मंजीत :- तो उस कि वजह से तुम कहीं आना जाना बंद कर दोगी क्या ? वो तुम्हारा पास्ट रिबू |

रिबिका :- पर प्रेजेंट भी उस के साथ ही हैं चाहे तो वो दुश्मनी के साथ ही क्यों न हो | और वैसे भी मैं उस कि शक्ल तक नही देखना चाहती | खुद को कण्ट्रोल नही कर पयुंगी मैं |

राजवीर :- इतना कह कर रिबिका जाने लगती हैं कि तभी राजवीर उसे रोक लेता हैं हाथ पकड़ कर और कहता हैं एक बार मनोज के बारे में में सोच | 

रिबिका :- सेल्फिश हो चुकी हूँ वीर मैं | अब दुसरो के बारे में नही सोचती | तभी अचानक से दरवजा खुल जाता हैं और मंजीत और राजवीर कहदे हो जाते हैं | 

मंजीत :- अरे भाई तू यहाँ ? अचानक कैसे ? लगता हैं सूरज आज उलटी दिशा से निकला हैं | सरप्राइज दे दिया मनोज तुम ने तो आकर |

रिबिका मनोज का नाम सुन कर हेरान हो गयी पर उस ने अभी मनोज को नही देखा था क्यों मनोज कि तरफ रिबिका कि पीठ थी | 

मनोज :- ना बही सूरज उलटी दिशा से नही निकला बल्कि मैं उलटी दिह्स में आ गया हूँ | |वो अच्तुआली मुझे रिबिका से मिलना था | कहाँ होगी वो इस वक़्त | कहीं घर तो नही चली गयी | invite करने आया था \

राजवीर :- पर वो तो हम ने ..... 

मनोज :- हाँ जनता हूँ कि तुम लोगो में उसे invite किया होगा पर मैं उसे भी बहुत आचे से जनता हूँ उस ने मना कर दिया होगा ये कह कर कि वो तो मेरा मनोज नही हैं वो तुम लोगो का हैं और उस कि पार्टी में तो मैं कभी भी न जायु | वो दुसरो कि पार्टी में नही टिकने देता तो खुद कि पार्टी में तो हाल ही क्या करेगा वो | नही मैं नही आ रही | क शब् का भी अंतर नही पाया मनोज ने | भाई बहुत टाइम नफरत कि हैं तो ईतना तो जनता ही हूँ कि वो क्या कहेगी | 

रिबिका :- काफी अच्छे से जानते हैं आप रिबिका को | रिबिका ने मुस्कुराते हुए बोला \

मनोज :- हाँ जी दोस्ती ही ऎसी हैं वैसे आप कोण मैंने आप को पहचाना नही | 

मंजीत :- मनोज ये .... तभी रिबिका बोली कोई न मंजीत अपना इंट्रो तो मैं खुद ही दे दूंगी इतना कहते हुए रिबिका मनोज कि तरफ मुड़ी और मनोज ने जब देखा तो एक दम से हेरान हो गया और बोला \ 

मनोज :- ओह्ह माय गॉड रिबिका कितने टाइम बाद देखा हैं तुझे इतना कहते हुए मनोज ने रिबिका गले लगा लिया | और बोला बहुत दिनों बाद तुम को देखा हैं |

रिबिका :- नही मनोज 3 सालो बाद देखा हैं | 

मनोज :- बुली नही हो न हना | मनोज ने पीछे होते हुए कहा | 

रिबिका ;- कुछ चीजों को याद रखना अच्छा लगता हैं | 

मनोज :- अतीत को भुला देना ही ठीक हैं | 

रिबिका :- गलतिय अतीत को भूलने नही देती | खेर छोड़ो | कितने बूढ़े हो रहे हो इस बार | 

मनोज :- तुम आयोगी न | 

रिबिका :- वो भी आएगा न | रिबिका ने आँखे चुराते हुए कहा | 

मनोज :- नही !!! इतना बोलने पर सब मनोज कि तरफ देखने लग जाते हैं | मैंने उसे नही बुलाया | मनोज रिबिका का हाथ पकड़ कर कहता हैं मैं चाहे जितना मर्जी बेकार इन्सान हूँ तुम्हरी सोच मुझे पसंद नही पर ये भी जनता हूँ कि ये सारा रायता मेरी वजह से हुआ और उस वजह से तुम ने कितना कुछ देख लिया | किसी और दुःख का अब मैं कारन नही बनना चाहता | मनोज ने पछताते हुए कहा | अगर उस रात मैं सब कुछ तुम को बता देता तो ये सब न होता | इतना कहते ही मनोज रोने लग जाता हैं ........  

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रचनाएँ
दो दिल रहे तड़प
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ये कहानी हैं राघव और रिबिका की जो दोनों ही अपनी अलग अलग दुनिया से हैं | राघव जहाँ पर ढेर सारे दोस्त बनता हैं वही पर रिबिका को दोश्ती से दर लगता हैं | एक दूसरे से नफरत नफरत करते करते कब प्यार हो गया इस बारे में दोनों को पता ही नहीं लगा पर एहसास हो चूका था की दोनों ही अब एक दूसरे के बिना नहीं रह सकते | राघव अपनी फीलिंग्स को एक्सेप्ट कर चूका था पर रिबिका ये एक्सेप्ट नहीं करना चाहती थी वो समझती थी की जो उस के साथ पहले हुआ हैं मोहब्बत के नाम पर कहीं वो फिर से न हो जाये | एक दूसरे की मोहब्बत समझते हुए भी दोनों में दूरिया थी || जब तक रिबिका को इस बात का एहसास हुआ की राघव उससे सच्ची मोह्हबत करता हैं तभी किसी ने राघव की वो सच्चाई रिबिका को बताई जो राघव ने रिबिका से से छुपाई हुयी थी | सच्चाई सूनने के बाद रिबिका को ऐसा लगा की शयद वो फिर धोखा ही खायेगी और इसलिए वो शादी से मंडप से उठ कर भाग जाती हैं || आखिर राघव और रिबिका एक हो पाएंगे | जहाँ पर रिबिका अपने पहले से बदला ले रही हैं क्या वहीँ वो अपने दूसरे प्यार को एक और मौका देगी | रिबिका अंगारो भरी ज़िंदगी में राघव फूल बरसा पायेगा क्या ? जान ने के लिए प्लीज पड़े मेरी कहानी दो दिल रहे तड़प
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रिबिका की पहली झलक

29 अगस्त 2024
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रिबिका, जो कि एक आम परिवार से हैं, जो कि अपनी फैमिली की शायद लाडली हैं। रिबिका और सुनेहा दोनों सिस्टर्स हैं और एक दूसरे की जान भी। दोनों बहनों में बहुत प्यार है और दोनों एक दूसरे के लिए लड़ती हैं, पर

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नेहा का हैरान होना

29 अगस्त 2024
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रिबिका के बारे में नेहा नही जानती थी | लेकिन शायद वो लडके जानते थे जो रिबिका को चोर आँखों से डरते हुए देख रहे थे | रिक्शा वाला भी ख़ुशी से देख रहा था और बोल रहा था कि आज तो इस कि खेर नही |  लडके :- दी

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अतीत कि परछाई

2 सितम्बर 2024
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रिबिका :- फॉर्मेलिटी नही हैं मैं सच में आपकी इज्ज़त करती हूँ | रिबिका गुस्से में कहती हैं |  मंजीत :- मंजीत रिबिका को कंधो से पकड़ कर चेयर बिठा देता हैं और फिर कहता हैं ठीक हैं मेरी माँ अब बैठ जा और अब

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अतीत की गलतिया

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प्रागेन्सी का सच

2 सितम्बर 2024
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मनोज को ऐसे रोते हुए देख कर रिबिका कि आँखों में आंसू आ जाते हैं और वो मनोज कि तरफ अजीब तरीके से देखने लग जाती हैं जैसे कि ये कह रही हो कि अब क्या फायदा तुम्हरे रोने का मेरे साथ तो जो होना था वो हो गया

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प्रागेन्सी का सच

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