नई दिल्ली: बाबा रामदेव एक ऐसा नाम जो कि किसी परिचय का मोहताज नहीं, करोड़ो अनुयायी हज़ारों करोड़ का धंधा और दुनियाभर में शोहरत। बाबा वैसे तो आए दिन सुर्खियों में बने रहते हैं लेकिन इस बार बाबा रामदेव ने ओलंपिक पदक विजेता सुशील कुमार को बीजिंग ओलंपिक में हराने वाले पहलवान आंद्रे स्टेडनिक को अखाड़े में दो-दो हाथ करने की चुनौती दी थी। रामदेव और आंद्रे के बीच कुश्ती का यह मुकाबला प्रो-रेसलिंग लीग में मुंबई महारथी और पंजाब रॉयल्स के बीच बुधवार को होने वाले दूसरे सेमीफाइनल के दौरान हुआ। योग गुरू बाबा रामदेव ने बुधवार को हुए कुश्ती के प्रदर्शन मुकाबले में 2008 ओलिंपिक खेल ों के रजत पदक विजेता पहलवान आंद्रे स्टेडनिक को पराजित किया।
ओलंपिक विजेता को 12-0 से हराया बाबा रामदेव ने
बाबा रामदेव और आंद्रे के बीच हुआ यह मुकाबला मज़ाक बनकर रह गया क्योंकि आंद्रे ने अंक हासिल करने की एक भी कोशिश नहीं की। बाबा की कंपनी पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड वर्तमान में जारी प्रो-रेसलिंग लीग के दूसरे संस्करण की प्रमुख प्रायोजक है, इसके चलते बाबा रामदेव को आसानी से जीत हासिल कर लेने दी गई। बाबा रामदेव ने यह मुकाबला 12-0 से जीता।
प्रो-रेसलिंग लीग में मुंबई महारथी और पंजाब रॉयल्स के बीच दूसरे सेमीफाइनल के दौरान यह प्रदर्शन मुकाबला आयोजित किया गया। स्टेडनिक ने 2008 ओलिंपिक खेलों में भारत के सुशील कुमार को पराजित किया था। स्टेडनिक के फाइनल में पहुंचने की वजह से सुशील को रैपरेज राउंड में लड़ने का मौका मिला था जिसके बाद उन्होंने कांस्य पदक जीता था।
सौजन्य ईएसपीएन
इस मुकाबले से पहले बाबा रामदेव ने कहा था, 'मैं स्टेमिना बढ़ाने के लिए रोज एक्सरसाइज करता हूं और जब भी मुझे समय मिलता है तो मैं कुश्ती के दांव-पेच सीखने के लिए अखाड़ा चला जाता हूं।' उन्होंने कहा, 'मैं नेशनल लेवल के पहलवानों के साथ लड़ चुका हूं। लेकिन एक दिग्गज अंतरराष्ट्रीय रेसलर के खिलाफ खेलना एक्साइटिंग होगा। वहीं इस चुनौती के बारे में सुनकर आंद्रे काफी हैरान थे।
2008 में स्टेडनिक ने ओलिंपिक खेलों में भारत के सुशील कुमार को पराजित किया था। स्टेडनिक के फाइनल में पहुंचने की वजह से सुशील को रैपरेज राउंड में लड़ने का मौका मिला था जिसके बाद उन्होंने कांस्य पदक जीता था।
बाबा पहले भी लड़ चुके हैं कुश्ती
बाबा रामदेव इससे पहले भी अखाड़े में उतर चुके हैं। हरिद्वार में पतंजलि योगपीठ की ओर से नेशनल कबड्डी और कुश्ती चैंपियनशिप का आयोजन हुआ था। इस दौरान वहां सुशील कुमार और उनके गुरू सतपाल भी मौजूद थे। तब सुशील और सतपाल ने रामदेव को कुश्ती में हाथ आजमाने के लिए बुलाया। थोड़ी झिझक के बाद बाबा इसके लिए तैयार हो गए थे। जब वे रिंग में कूदे तो एक मंझे हुए पहलवान की तरह नजर आए थे।