खुलासा: आनंदी बेन को विश्राम देकर अमित शाह को सौंपी जा सकती है गुजरात की कमान!
नई दिल्ली: हार्दिक पटेल के पाटीदार आंदोलन का ज्वार, उस पर पंचायत चुनाव में कांग्रेस की बड़ी जीत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गढ़ गुजरात में बीजेपी को अब तक की सबसे कमजोर स्थिति में खड़ा कर दिया है। यही वजह है कि गुजरात में लगातार कमजोर होती जा रही संघ और पार्टी के बड़े नेता सीएम आनंदी बेन को विश्राम देने का मन बना रहे हैं। अमित शाह को मिल सकती है कमान साल 2017 में गुजरात में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। कहा जा रहा है कि मोदी गुजरात में अपनी साख बचाने के लिए आनंदी बेन की जगह किसी मजबूत नेता को मुख्यमंत्री की बागडोर देना चाहते हैं। सूत्रों के मुताबिक, संघ के कुछ बड़े नेता चाहते हैं कि बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को गुजरात का सीएम बनाया जाए जिससे पार्टी कांग्रेस और हार्दिक पटेल का भलीभांति मुकाबला कर सके। दिल्ली में कौन होगा शाह का विकल्प वहीं, मोदी कैंप का मानना है कि अमित शाह के गुजरात जाने से राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी की कमान कमजोर होगी। हाल-फिलहाल 11, अशोका रोड पर स्थित पार्टी के मुख्य दफ्तर पर शाह जितना मजबूत कोई दूसरा विकल्प नजर भी नहीं आता। मोदी की भांति एकछत्र राज्य नहीं कर पाईं बेन गौरतलब है कि गुजरात की मौजूदा सीएम आनंदी बेन पटेल पिछले दो सालों में अपने मंत्रिमंडल को इकट्ठा लेकर नहीं चल पाईं। यही नहीं, मोदी की तरह बेन ने राज्य में दूसरी पंक्ति के नेतृत्व को उभारने की कोशिश तक नहीं की। यह भी कहा जा सकता है कि गुजरात में आनंदी बेन मोदी की तरह एकछत्र राज्य नहीं कर पाईं। यहां न तो वह नौकरशाह को साथ लेकर चल पाईं और न ही अपने सहयोगियों को। कहना होगा कि पार्टी और नेतृत्व दोनों ही स्तर पर आनंदी बेन कसौटी पर खरी नहीं उतर पाईं। पंचायत चुनाव में कांग्रेस ने मारी बाजी गौरतलब है कि गुजरात पंचायत चुनाव में पटेल-पाटीदार आरक्षण आंदोलन का असर शहरों में भले ही दिखाई न दिया हो और राज्य की बीजेपी सरकार ने सभी 6 महानगरपालिकाओं में जीत हासिल कर ली हो, लेकिन जिला पंचायत चुनाव में कांग्रेस को जबरदस्त रूप से फायदा हुआ और बीजेपी के मुकाबले कांग्रेस ने बाजी मार ली। क्या कहते हैं आंकड़े बता दें कि गुजरात निकाय चुनाव 2015 में 31 जिलों की पंचायतों में कांग्रेस ने 21 सीटों पर जीत दर्ज की है जबकि पिछली बार बीजेपी की झोली में 30 जिला पंचायतें आई थीं। आंकड़ों पर नजर डालें तो पाएंगे कि इस बार पंचायत चुनाव में भाजपा को 6 और कांग्रेस को 21 सीटें मिलीं जबकि नगरपालिका में भाजपा के हिस्से 40 और कांग्रेस के हिस्से 6 सीटें आईं। वहीं, तहसील पंचायत में 73 सीटें भाजपा की झोली में गिरीं जबकि कांग्रेस को 132 सीटें मिलीं। चुनाव पर थी सबकी निगाहें इस चुनाव को मुख्यमंत्री आनंदी बेन पटेल के लिए चैलेंज के रूप में देखा गया था, क्योंकि चुनाव पटेल आरक्षण आंदोलन के बाद हुआ था। नरेंद्र मोदी की जगह आनंदीबेन पटेल के मुख्यमंत्री बनने के बाद का भी यह पहला बड़ा चुनाव था इसलिए इस पर सबकी नजरें टिकी थीं। वहीं, बीजेपी के खिलाफ पटेल समुदाय की नाराजगी की वजह से कांग्रेस को निकायों में वापसी की उम्मीद थी और उसे उसका फायदा मिला भी। यानी कहा जा सकता है कि आनंदी बेन ने मोदी और पार्टी के हितैषियों को वाकई निराश किया है जिसका भुगतान उन्हें जल्द करना पड़ सकता है।