इंडिया संवाद ब्यूरो
भोपाल: उसके हाथों में चाय की केतली है, लेकिन आंखों में प्रतिद्वंद्वियों के छक्के छुड़ाने का सपना। 28 साल की वह युवती देखने में आपको बेबस और बदहाल दिख सकती है, लेकिन है नहीं। मुफलिसी में जीवन गुजारने को मजबूर अंतरराष्ट्रीय स्तर की कराटे खिलाड़ी बंदना सूर्यवंशी भोपाल में चाय की दुकान चला रही हैं।
अंतरराष्ट्रीय कराटे मुकाबले में सिल्वर और राष्ट्रीय स्तर के मुकाबले में गोल्ड जीतकर देश का नाम आगे ले जाने वाली बंदना कहती हैं, "आर्थिक स्थिति ठीक न होने की वजह से विगत तीन वर्षों से चाय बेच रही हूं। हालांकि कराटे के साथ मेरा रिश्ता कमजोर नहीं हुआ है। हर रोज चाय बेचने के साथ-साथ छात्रों को कराटे भी सिखाती हूं।"
हालांकि, इसके लिए उनसे कोई फीस नहीं मांगती। गरीब लेकिन कराटे सीखने को लेकर गंभीर छात्र को निःशुल्क प्रशिक्षण देकर भी सुकून महसूस करती हूं क्योंकि उनकी आर्थिक स्थिति को भली-भांति महसूस कर सकती हूं।