जैशे मुहम्मद का ब्लू प्रिंट बेनकाब : MI-35 लड़ाकू हेलीकाप्टर के बेड़े को ध्वस्त करने के साथ साथ आतंकवादी फौजी परिवारों को बनाना चाहते थे बंधक
दिल्ली : पठानकोट एयरबेस पर आतंकी हमले में जहाँ देश को जवानो की दिलेरी देखने को मिली वही ख़ुफ़िया एजेंसियों की चूक भी सामने दिखी है. लेकिन 7 कुर्बानियों के बाद देश के जवानो ने पाकिस्तान के आतंकवादी संगठन जैशे मोहमद का तबाही वाला वो ब्लू प्रिंट बेकार कर दिया जिसमे कई परिवारों को बंधक बनाने से लेकर MI -35 हेलीकाप्टर के बेड़े बर्बाद करने का इरादा था. सरकार के उच्चपदस्थ सूत्रों के मुताबिक आतंकवादी एयरबेस में दो गुटों में बंट गए थे जिसमे से एक गुट DSC मेस की तरफ बढ़ा और दूसरा गुट आवासीय एवं स्कूल परिसर की और निकल पड़ा. सूत्रों के मुताबिक जान के साथ माल पर हमला करने के मकसद से घुसे आतंकवादी डीएससी मेस से कुछ दूर एयरक्राफ्ट हेंगर की और बढ़ना चाहते थे लेकिन वायुसेना के गरुड़ कमांडो फ़ोर्स ने उन्हें बीच रास्ते में मौत के घाट उतार दिया. सूत्रों के मुताबिक इन आतंकवादियों को एयरबेस में घुसने से बचाया जा सकता था अगर पंजाब पुलिस थोड़ी चुस्ती से काम करती. पंजाब पुलिस की देरी से खड़ा हुआ क्राइसिस सबसे अहम गलती पंजाब की स्थानीय पुलिस से हुई जिसने आतंकवादियों की मौजूदगी के सबूत मिलने के बाद भी समय पर अलर्ट नही किया. सूत्रों के मुताबिक 31 दिसंबर को जब आतंकवादियों ने गुरदासपुर के एसपी की गाडी लूटी थी तब स्थानीय पुलिस के अफसर दो-तीन घंटे तक वारदात के तस्दीक ही करते रहे. अब केन्द्रीय ग्रह सचिव ने इस देरी के लिए पंजाब के मुख्य सचिव से रिपोर्ट मांगी है. दरअसल इस देरी के चलते एसपी की गाडी से चारों पाकिस्तानी आतंकवादी पठानकोट के एयर बेस तक पहुँच चुके थे. हमले के कई घंटे पहले से एयरबेस के जंगल में छिपे थे आतंकी 2 जनवरी के तड़के 3 बजे गोलीबारी शुरू करनेवाले फिदायीन आतंकवादी 1 जनवरी को ही पठानकोट के एयरबेस में घुस चुके थे. सूत्रों के मुताबिक एयरबेस से जुड़े नाले में लोहे की जाली काटकर आतंकवादी कैंपस में घुसे थे और पास के एक बेहद घने जंगल में जा छुपे. मोबाइल टावर की ट्रैकिंग से एजेंसियों को पता लगा की आतंकवादी 1 जनवरी की शाम जंगल में थे जहाँ से उन्होंने पाकिस्तान फोन भी किया था. 1 जनवरी को शाम 3:30 बजे आतंकवादियों के हाथों इस्तेमाल मोबाइल फ़ोन की लोकेशन एयरबेस के जंगल में मिल रही थी. फाइटर प्लेन, विदेशी ट्रेनी और 3000 परिवारों को बचाना था लक्ष्य सूत्रों के मुताबिक पठानकोट एयरबेस में कई देशों के पायलट और वायुकर्मी ट्रेनिंग ले रहे थे और पुरे परिसर में 3000 भारतीय वायु सेना के परिवारवालों के घर थे. रात ही में राष्ट्रिय सुरक्षा गॉर्ड के कमांडो ने विदेशी ट्रेनी और 3000 परिवारों को मजबूत कवच जैसी सुरक्षा दी जबकि एयरफोर्स के गरुड़ कमांडो ने जंगल से कुछ दूर विमान हेंगर को घेर लिया. इस हेंगर में मिग 21 लड़ाकू विमान के अलावा महंगे MI 35 हेलीकाप्टर पार्क थे. आतंकवादियों ने पहला हमला 2 जनवरी की सुबह 3.05 पर DSC मेस पर बोला. दरअसल DSC मेस पर कब्ज़ा ज़माने के बाद चार आतंकवादी उस हेंगर की तरफ बढ़ना चाहते थे जहाँ MI 35 हेलीकाप्टर पार्क थे. महंगे लड़ाकू MI -35 हेलीकाप्टर और मिग विमान ध्वस्त करना मकसद DSC की मेस पर कब्ज़े के बाद आतंकवादी मेस की दीवार फांदकर हेंगर की तरफ बढ़ना चाहते थे लेकिन इसी बीच उनपर जवाबी फायरिंग हुई. DSC के सुरक्षकर्मियों के अलावा एयरफोर्स के गरुड़ कमांडो ने भीषण मुठभेड़ में उन्हें मार गिराया. सूत्रों के मुताबिक आतंकवादियों ने ग्रेनेड लॉन्चर का इस्तेमाल किया पर जिस हेंगर में विमान खड़े थे वो उनकी पहुँच से काफी दूर था. सुबह होने तक दो आतंकवादी मारे जा चुके थे जबकि बाकी दो को गरुड़ कमांडो ने दोपहर तक मार गिराया था. लेकिन असली ख़तरा अभी तक नही टला था. परिवार वालों को बंधक बनाना चाहते थे आतंकवादी एयरबेस परिसर में कुल 6 आतंकवादी घुसे थे जिसमे दो आतंकवादी रेजिडेंशियल इलाके की तरफ चले गए और चार DSC मेस की तरफ. ऐसा कहा जा रहा है की 2 आतंकवादी वायुसेना कर्मियों के परिवार वालों को बंधक बनाना चाहते थे. हालाँकि जिस ईमारत में वो घुसे वो पहले से ही खाली करा ली गयी थी. बादमे उसी दो मंज़िला भवन को ध्वस्त करके राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड ने दोनों आतंकवादियों को मार गिराया. बहरहाल मौके से जो सबूत मिले हैं उसे मालूम होता है की छहों आतंकवादी पाकिस्तान के पंजाब सूबे के थे और प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन जैशे मुहम्मद से जुड़े थे.हालांकि उनकी सही शिनाख्त डीएनए टेस्ट और जीपीएस डेटा की जांच के बाद ही तय होगी.