इंडिया संवाद ब्यूरो
लखनऊ : यूपी के लोकायुक्त के पद पर वीरेंद्र सिंह की नियुक्ति का फैसला सर्वोच्च न्यायालय ने रोक दिया है। जिसके चलते कल 20 दिसंबर को आयोजित किया जाने वाला शपथ ग्रहण समारोह अब टल गया है। सूत्रों के मुताबिक मुख्य जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने वीरेंद्र सिंह के नाम पर ऐतराज़ जताते हुए उन्हें कैबिनेट मंत्री शिवपाल सिंह यादव का रिश्तेदार बताते हुए सुप्रीम कोर्ट को चिट्ठी भेजी थी।
4 जनवरी को होगी सुनवाई
यूपी के मुख्य जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की इस चिट्ठी के बाद सुप्रीम कोर्ट ने रविवार को वीरेंद्र सिंह को दिलाये जाने वाले शपथ ग्रहण समारोह पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने शनिवार को हुई सुनवाई में शपथ ग्रहण को टालते हुए इस केस की सुनवाई की अगली तारीख चार जनवरी मुक़र्रर की है.
अनुच्छेद 142 का इस्तेमाल पहली बार
इससे पहले बीते बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में नए लोकायुक्त की नियुक्ति की थी. सुप्रीम कोर्ट ने वीरेंद्र सिंह को यूपी का लोकायुक्त नियुक्त किया था. कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला लेते हुए लोकायुक्त की नियुक्ति के लिए अनुच्छेद 142 का इस्तेमाल किया. यह पहली बार था जब सर्वोच्च न्यायालय ने किसी राज्य का लोकायुक्त नियुक्त किया. लोकायुक्त की नियुक्ति न होने से नाराज सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री, राज्यपाल और इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को जमकर फटकार भी लगाई थी.
इलाहाबाद के चीफ जस्टिस ने जताया था ऐतराज
सुप्रीम कोर्ट द्वारा यूपी के लोकायुक्त की नियुक्ति के बाद इलाहाबाद हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने यूपी के राज्यपाल और सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस को चिट्ठी लिखकर अपनी सहमति के बिना रिटायर्ड जस्टिस वीरेंद्र सिंह को यूपी का लोकायुक्त नियुक्त किए जाने पर ऐतराज जताया था.