नई दिल्ली: संसद, कानून और जनता... आज देश के हर शख्स को झकझोर रहा है 'नाबालिग' दुष्कर्मियों का मामला। दुष्कर्म की ज्यादातर घटनाएं तथाकथित 'नाबालिगों' द्वारा किए जा रहे हैं, मानो ऐसा इसलिए हो रहा हो क्योंकि उन्हें यकीन है कि कानून उन्हें सजा नहीं देगा और गलत करने के लिए भारतीय कानून ने खुद उन्हें छूट दे दी हो।
कानून बनाने को तैयार नहीं संसद
दिल्ली गैंगरेप की घटना को लेकर पिछले कई दिनों से देश में विरोध प्रदर्शनों का दौर फिर से देखने को मिल रहा है हालांकि कानून ने अपने हाथ बंधे होने का हवाला देकर नाबालिग दोषी की रिहाई पर रोक की याचिका खारिज कर दी। दूसरी ओर, संसद इस मामले में कानून बनाने को भी तैयार नहीं है। दरअसल, सांसदों के पास अपने ही मामले इतने हैं कि उन्हें इस बारे में चिंता करने की फुरसत ही नहीं है।
सख्त कड़े कानून बनाने की जरूरत
वहीं, आज ही दिल्ली से सटे रोहतक में आए एक फैसले ने एक बार फिर से नाबालिग दुष्कर्मी को लेकर हमारी चिंताएं बढ़ा दी हैं। हमें सोचने को मजबूर कर दिया है कि क्या ऐसे दुष्कर्मियों के लिए अतिशीघ्र सख्त कानून बनाने की जरूरत नहीं है?
रोहतक गैंगरेप में भी एक नाबालिग
बता दें कि रोहतक में दिल्ली गैंगरेप जैसी ही बर्बरता की शिकार हुई नेपाली युवती के मामले में 9 आरोपियों में से कोर्ट ने आज 7 दोषियों को फांसी की सजा सुना दी है। झकझोर देने वाला सच यह है कि इस घटना के आरोपियों में भी एक नाबालिग है जबकि एक आरोपी पहले ही आत्महत्या कर चुका है।
शव की पहचान कर पाना भी था मुश्किल
इसी साल फरवरी में नेपाली युवती के साथ दरिंदगी कर उसकी हत्या कर दी गई थी जिसमें 4 फरवरी को बहुअकबपुर गांव में एक खेत से युवती का मृत शरीर बरामद किया गया था। शरीर के ऊपरी हिस्से को जानवरों ने इस कदर नोच खाया था कि शव की पहचान तक मुश्किल थी।
निजी अंगों में डाल दिया था पत्थर
पोस्टमार्टम की रिपोर्ट से खुलासा हुआ था कि गैंग के बाद निर्भया कांड की तरह इस मामले में भी युवती के निजी अंगों में पत्थर सहित अन्य कई चीजें अंदर डाल दी गई थीं। युवती की बच्चीदानी में काॅन्डम मिले थे।
सबने मिलकर दिखाई थी बर्बरता
इस नीच कर्म को अंजाम देने वाले दोषियों ने बताया था कि एक ने उसकी बांह मरोड़ रखी थी, दूसरे ने उसके पैरों को खींचा हुआ था, तीसरे ने उसके निजी अंग में नुकीला पत्थर डाला और चैथे ने उसमें ब्लेड डाल दिया।
आज न जागे तो हो जाएगी देर
कहना होगा कि वक्त रहते यदि हमारे कानून में ऐसे दोषियों के लिए उचित सजा के प्रावधान नहीं किए गए तो वह दिन दूर नहीं, जब ऐसे कुकर्म करने वालों में से सबसे ज्यादा लोग नाबालिग होंगे।