संजय दत्त तो जेल से 1 महीने पहले रिहा हो गए अब बस्तर के इस सच को भी जान लीजिये
इंडिया संवाद ब्यूरो नई दिल्ली : अभिनेता संजय दत्त 27 फरवरी को पुणे की यरावडा जेल से रिहा हो रहे हैं। सरकार उन्हें एक महीने पहले ही रिहा कर रही है क्योंकि सरकार का मानना उनका व्यवहार अच्छा रहा है। यही नही संजय दत्त सजा के बीच-बीच में जेल से छुट्टी मनाते रहे हैं। .. तो क्या देश में अमीरों और गरीबों के बीच न्याय को भी बाँट दिया गया है। बस्तर की सच्चाई यही है कि यहाँ मौजूद तीन जेल हैं जिनकी क्षमता काफी कम है लेकिन कैदी कहीं ज्यादा। NGO की रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि बस्तर की तीन जेलों जगदलपुर सेन्ट्रल जेल, दंतेवाड़ा डिस्ट्रिक्ट जेल, और कांकेर में बंद कैदियों का प्रतिशत 260 फीसदी है। जेलों के आंकड़े साफ़ बताते हैं कि 90 फीसदी से ज्यादा अंडरट्रायल अपने अपने अंडरट्रायल के दौरान 5 साल तक जेल में बंद रहे। यहाँ हर कैदी 5 साल जेल में तो गुजारते ही हैं भले उन पर आरोप सही हो या नही। इस आंकड़े को देने वाले NGO की माने तो आदिवासी इलाके में ज्यादातर आदिवासी जेलों में सिर्फ इसलिए बंद हैं क्योंकि उनके पास जमानत के लिए पैसे नही है। आदिवासियों पर क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम आसानी से लागू हो जाता है उन्हें आसानी से गिरफ्तार किया जाता है लेकिन उनकी रिहाई नही हो पाती। NGO का कहना है कि ज्यादातर मामलों में निर्दोष गांववालों को गिरफ्तार किया जाता है।
क्योंकि जगदलपुर लीगल ऐड ग्रुप की रिपोर्ट के अनुसार छत्तीसगढ़ के बस्तर आदिवासी इलाके में आदिवासियों के साथ जो कानून काम करता है उसकी सच्चाई यही है कि 96 प्रतिशत गिरफ्तार किये गए आदिवासी अदालत से आरोप मुक्त कर दिए जाते हैं लेकिन वो रिहा इसलिए नही हो पाते हैं क्योंकि उनके पास जमानत के लिए पैसे नही होते हैं। 19 साल के भीमा काद्ती पर 12 आरोपों की फेहरिश्त थी। 4 साल तक मामला चला लेकिन अदालत को उसके खिलाफ कुछ नही मिला अंततः अदालत ने उसे रिहा कर दिया लेकिन अपनी रिहाई तक वह जिंदा न रह सका, क्योंकि मेडिकल इलाज़ की कमी से उसकी मौत हो गई।
90 फीसदी से ज्यादा अंडरट्रायल 5 साल तक जेल में