कहां से शुरू हुआ मालदा विवाद, कौन से बयान रहे इस विवाद की वजह, आइए जानें...
नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश से चले भड़काऊ बयान के आग लगे तीर ने देशभर में हिंसक तूफान ला दिया है। मालदा में भड़की नफरत की आग शांत होने का नाम ही नहीं ले रही। आग की ये लपटें पश्चिम बंगाल से होते हुए अब बिहार के पूर्णिया तक पहुंच चुकी है। गुरुवार को पूर्णिया में भी हिंसक झड़प के तौर पर इसका असर देखने को मिला। देशभर में हिंसा का जो खेल आज चल रहा है, उस पर नेतागण अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने में लगे हैं। हालांकि पीछे मुड़कर देखें तो इन सब के लिए जिम्मेदार अक्सर विवादित बयानों की वजह से चर्चा में रहने वाले यूपी के केंद्रीय मंत्री व सपा नेता आजम खां के जहर लगे तीर नजर आएंगे। 29 नवंबर को दिए गए उनके बयान की वजह और इसके बाद के बयानों पर आइए, डालते हैं एक नजर... मालदा और पूर्णिया में विरोध और हिंसक झड़प गौरतलब है कि हिंदू महासभा के नेता कमलेश तिवारी द्वारा पैगंबर मोहम्मद के बारे में की गई कथित आपत्तिजनक टिप्पणी के विरोध में पश्चिम बंगाल के मालदा जिले के बाद अब बिहार के पूर्णिया में हिंसा भड़क उठी है। कमलेश तिवारी ने एक महीने पहले यह टिप्पणी की थी जिसके खिलाफ गुस्सा जताने के लिए हजारों मुसलमानों ने गुरुवार को पूर्णिया में और रविवार को मालदा के शुजापुर इलाके में विरोध रैली निकाली। भीड़ ने रविवार को मालदा के कालियाचक पुलिस स्टेशन में जमकर तोड़फोड़ की और गोलियां चलाई थीं। इसी तर्ज पर गुरुवार को पूर्णिया के एक पुलिस थाने में भी तोड़फोड़ की घटना सामने आई। पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ की थी टिप्पणी ‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, हिंदू महासभा के अध्यक्ष कमलेश तिवारी ने एक प्रेस नोट जारी कर पैगंबर मोहम्मद को दुनिया का पहला समलैंगिक बताया था। तिवारी का यह बयान आजम खां के आरएसएस के लिए दिए गए विवादित बयान के जवाब में दिया गया था। आजम खान की आपत्तिजनक टिप्पणी यह मामला तब शुरू हुआ, जब उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री आजम खान ने 29 नवंबर को कथित तौर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बारे में आपत्तिजनक टिप्पणी कर दी थी। उन्होंने समलैंगिकता पर वित्त मंत्री के अरुण जेटली के बयान को गलत ठहराते हुए कहा था- आरएसएस वाले तो कहेंगे ही, क्योंकि वे खुद ऐसे ही हैं तभी तो शादी नहीं करते। आजम ने कहा था, "समलैंगिकता पर संसद को सख्त राय बनानी चाहिए। संसद सक्षम है इसमें। सबसे बड़ी अदालत तो हमारी संसद है। हम क्यों उनका यह मतलब समझें? जरूरी थोड़े है कि सारे लोग उन्हीं के विचारधारा के हों? आरएसएस वाले होते ही ऐसे हैं। आरएसएस पर तो शुरू से इल्जाम ही ऐसे हैं, इसीलिए वे शादी नहीं करते।" वित्त मंत्री अरुण जेटली का बयान बता दें कि वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इससे पहले ‘गे राइट्स’ के सपोर्ट में कहा था कि धारा 377 पर सुप्रीम कोर्ट को फिर से विचार करना चाहिए। जेटली ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट को गे रिलेशन्स ( समलैंगिता रिश्तों) पर दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले को नहीं बदलना चाहिए था। होमोसेक्शुअलिटी पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला दुनिया भर में लिए जा रहे कानूनी फैसलों से मेल नहीं खाता है। सुप्रीम कोर्ट को गे राइट्स ( समलैंगिक अधिकारों) पर अपने 2013 के फैसले पर दोबारा विचार करना चाहिए। जेटली के मुताबिक दुनिया में लोग अलग-अलग सेक्शुअल ऑरिएंटेशन्स को अपना रहे हैं। ऐसे समय में किसी को सेक्शुअल रिलेशंस के आधार पर जेल भेजना बहुत पुरानी बात लगती है। जेटली ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला 50 साल पहले आता तो ठीक था, लेकिन अब दुनिया बदल रही है।