पूर्व आर्मी जनरल पनाग का सवाल : दिल्ली में क्यों बनी 'ओपरेशन पठानकोट' की रणनीति ?
नई दिल्ली : पठानकोट हमले को लेकर एजेंसियों और आतंकियों से लड़ने की रणनीति की खुलकर आलोचना की जा रही है। इसको लेकर पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल एच. एस पनाग जो कि उत्तरी आर्मी के कमांडर रह चुके है, का कहना है कि इस आतंकी हमले के पीछे बड़ी रणनीति चूक हुई। उन्होंने अपने पूर्व सहकर्मी मेजर जनरल प्रद्योत के. मालिक को एक ई-मेल लिखा जिसमे उन्होंने कई ऐसी बातों का ज़िक्र किया जो हमले को रोक सकती थी। पनाग का यह पत्र हमले को रोकने के लिए बड़ी रणनीतिक चूक की और इशारा करता हैं। पनाग का कहना है कि पठानकोट पर हुए हमले के बाद भारत न सिर्फ दुनिया बल्कि आइएस के सामने हंसी का पात्र बन गया। लेफ्टिनेंट पनाग ने जनरल प्रद्योत को लिखे ई-मेल में कहा है कि पुलिस अधीक्षक के अपहरण के बाद से ही यह सूचना थी कि आतंकी वायुसेना ठिकाने को निशाना बना सकते थे। इसके बावजूद 24 घंटों में इन आतंकियों को पकड़ा नहीं जा सका, न ही वायुसेना के ठिकाने की सुरक्षा इतनी पुख्ता की गई, जिससे पंछी भी पर नहीं मार सके। उन्होंने सवाल किया, ऑपरेशन की रणनीति दिल्ली में क्यों बनी? पठानकोट में मौजूद सेना की 29वीं डिविजन के जीओसी को क्यों नहीं ऑपरेशन की कमान सौंपी गई। स्थानीय लोगों की मदद क्यों नहीं ली गई, जो संदिग्धों की सटीक जानकारी दे सकते थे। पनाग ने कहा, अगर आतंकियों के होने की सूचना मिलने के बाद एयरबेस में गश्त बढ़ाई जाती, तो यह नौबत ही नहीं आती। पनाग ने अपने ई मेल में कहा है कि सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल इस हमले को रोक सकते थे। सुरक्षा एजेंसियों की सूचना के बावजूद अजित डोभाल ने दिल्ली से मंगाई NSG टीम पर ज्यादा भरोसा किया। जबकि पठानकोट में सेना की टुकडियां मौजूद थी लेकिन उनका इस्तेमाल नही किया गया।