नई दिल्ली: दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने ‘वोट के बदले रिश्वत लेने के लिए प्रोत्साहित करने’ के आरोप पर चुनाव आयोग के नोटिस का जो जवाब दिया उसे उन्होनें ट्विटर पर सार्वजनिक करते हुए कहा कि इस पर जनता में बहस ज़रूर होनी चाहिए। केजरीवाल ने चुनाव आयोग को लिखे पत्र में खुद पर लगे आरोपों को निराधार बताते हुए कहा है कि वह रिश्वतखोरी खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने पत्र में लिखा, ”चुनाव आयोग ने आदेश पारित किया है कि मैं लोगों को रिश्वत लेने के लिए भड़का रहा हूं। मुझे समझ नहीं आता कि मैं क्या गलत बोल रहा हूं। अगर मैं कहता कि जो पैसे दे, उसी को वोट देना, तब रिश्वतखोरी होती। मैं तो बिल्कुल उल्टा बोल रहा हूं कि जो पैसे दे उसको वोट मत दो। मेरे इस बयान से तो रिश्वतखोरी बंद होगी। जब पैसे देने वाली पार्टियों को भी लगेगा कि लोग पैसा ले भी लेते हैं और वोट नहीं देते तो वे पैसा बांटना बंद कर देंगी।”
केजरीवाल ने अपने पत्र में लिखा कि, ”मेरे इस बयान से मैं चुनावों में रिश्वतखोरी बदं करने की कोशिश कर रहा हूं। मुझे तो चुनाव आयोग को अपना ब्रांड एम्बेसडर बना लेना चाहिए। देखिए दो सालों में पार्टियां पैसा बांटना बंद न कर दे तों!”
दिल्ली के सीएम केजरीवाल ने चुनाव में पैसे के चलन को रोकने की चुनाव आयोग की कोशिशों को नाकाम बताते हुए कहा कि ”सभी कोशिशों के बावजूद, चुनाव में पैसे का चलन रुकने की बजाय बढ़ा है। चुनाव आयोग कुछ नहीं कर पाता। यदि मेरे बयान को चुनाव आयोग अपना ले और इसका खूब प्रचार कर तो मैं आपको यकीन दिलाता हूं दो साल में पार्टियां पैसा बांटना बंद कर देंगी।”
चुनाव आयोग ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को गोवा की एक चुनावी सभा में पैसे लेने संबंधी बयान देने को लेकर फटकार लगाई थी। आयोग ने कहा था कि यदि वह आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन जारी रखते हैं तो उनके और उनकी आम आदमी पार्टी (आप) के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी जिसमें आप की मान्यता को निलंबित करना या वापस लेना भी शामिल होगा।