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प्रागेन्सी का सच

2 सितम्बर 2024

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मनोज को ऐसे रोते हुए देख कर रिबिका कि आँखों में आंसू आ जाते हैं और वो मनोज कि तरफ अजीब तरीके से देखने लग जाती हैं जैसे कि ये कह रही हो कि अब क्या फायदा तुम्हरे रोने का मेरे साथ तो जो होना था वो हो गया | मनोज और रिबिका को देख कर मंजीत और राजवीर भी इमोशनल हो गये | 

मनोज ;- तुम से नफरत के चकर में मैं ये भूल ही गया कि मैं जो कर रहा हूँ वो गलत हैं | मैं भगवान् कसम मुझे ये नही पता था कि वो भी उस रात मोजूद था पर अगर मैं तुम को बता देता तो शायद वो सब न होता जो तुम्हरे साथ हुआ | मुझे लगा कि तुम्हारा सिर झुक जायेगा पर मैं क्या जनता था कि मैं चिंगारी को आग बना दूंगा | मुझे माफ़ कर दे | 

रिबिका :- गम इस बात का नही था मनोज कि तुम ने मुझे नही बताया | क्युकी मै नही जानती थी कि तुम मुझ से इतनी नफरत करते हो कि मुझे इस कदर देखना चाहते थे पर कसूर तो इस बात का हैं कि मैं एक ऐसे इन्सान से प्यार किया जिस ने मुझे प्यार ही अपने बाप के लिए किया | चिंगारी को आग तो बना दिया अब जवालामुखी न बनाना मुझे | इतना कह कर रिबिका जाने लगती हैं कि तभी

मनोज :- मनोज घुटनों के बल बैठ जाता हैं और कहता हैं बर्थडे तो सिर्फ एक बहाना हैं हम सब तो तुम से मिलना चाहते हैं | हमारे ग्रुप कि जान कहीं खो गयी हैं उस जान को लाने के लिए सब ने मुझे कहा हैं | प्लीज हां कर दो आने के लिए | 

रिबिका :- जी भर के इन्सुल्ट करने वाला इन्सान मुझे क्यों invite कर रहा हैं | आखिर क्या हैं तुम्हारे मन में | 

मनोज :- एक गलती सुधारना चाहता हूँ इसलिए प्लीज आ जयो कल शाम को 7 बजे मेरे घर में हम सब कि  get to together हैं | 

रिबिका :- रेबिका राजवीर और मंजीत कि तरफ देखने लग जाती हैं तो वो दोनों हाँ में सिर हिला देते हैं   शायद ये कह रहे हो कि तुम हाँ कर दो हम संभल लेंगे | रिबिका मनोज कि तरफ देख कर कहती हैं ठीक हैं मैं आ जयुंगी पर एक बात याद रखना आग को आग ही रहने दें जवाला मत बनाना वरना तुम लोग बच नही पयोगे | इतना कह कर रिबिका जाने लगती हैं तभी वो कहती हैं ग्रुप कि जान नही रही बल्कि वो लाश आ रही हैं जिस पर तुम लोगो ने सिर रख कर रोये नही थे | इतना सुन कर तीनो दोस्त बहुत ही भावुक सवर में कहते हैं रिबू.... पर रिबिका कुछ नही सुनती और चुप चाप वहां से चली जाती हैं | जैसे रिबिका जाती हैं तो राघव भी रिबिका के पीछे जाने लगता हैं पर रिबिका पीछे नही देखती |

राघव :- ऐसा क्या हुआ हैं इस कि लाइफ में जो इतना दर्द हैं इस कि आँखों में इतनी नफरत हैं खुद को लेकर | जवाला पहले खुद दुःख देती हैं फिर वो दुसरो को जलती हैं ये बात रिबिका को समझनी होगी | राघव ये सोचता हुआ क्लास रूम में आता हैं और चुप चाप बैठ जाता हैं कि तभी वो देखना हैं कि क्लास कि टोपर बैठी पड रही होती हैं कि तभी राघव भी उस के पास चला जाता हैं कि मुझे भी इकोनॉमिक्स पढ़ा दो मैं कुछ समझ जायूँगा | 

श्रुति :- हांजी जरुर | ये नोट्स ले लीजिये आप को सब समझ आ जायेगा | 

राघव :- राघव नोट्स लेकर पढने लग जाता हैं और श्रुति अपना पढने लग जाती हैं | करीब 30 या 45 मिनट बाद राघव शरुति को कहता हैं मैं ये नोट्स ले जायु फोटो कॉपी करवा कर मैं तुम को देदुन्गा | ये तो बहुत आसान हैं यार | बहुत अच्छे नोट्स बनाये हैं तू ने | 

शरुति :- मैंने ? अरे नही  नही ये मैंने बनाये | ये तो मुझे रिबिका दीदी ने दिये हैं | 

राघव :- क्या ? रिबिका ने ? अगर ये नोट्स उस के होते तो वो फ़ैल क्यों होती | 

श्रुति :- आप को किसने कहा कि वो फ़ैल हुए थे | वो टोपर रह चुकी हैं रिकॉर्ड हैं उसका| 8th से लेकर बी.कॉम के 2nd इयर तक वो वोप टोपर रही हैं | लास्ट इयर के तो उन्होंने 2 साल तक पेपर ही नही दिए | ज्यादा तो नही पता पर कहता हैं कुछ हुआ था उन के साथ कि उन के दादा दादी के साथ जिस वजह से ज्यादा प्रोब्लम हो गयी | दीदी 8 महीने तक हॉस्पिटल में रही हैं और सुनने में आया हैं कि शायद कोमा में चली गयी थी इतना सदमा लगा था कि रिकवर होने में बहुत टाइम लगा और जब कॉलेज आई तो उनके जो पेपर उन सबको आग लगा दी इन्फक्ट उन कि किताबो को भी आग लगा दी गयी थी | कॉलेज में कोई भी ऐसा नही था जिस ने रिबिका को कसूर वार न कहा हो | 

यहाँ तक कि  ने इतना तक कह दिया था कि अपना केस जीत कर आयो फिर एडमिशन दूंगा तब तक घर बैठो | रिबिका के दोस्तों ने भी उस का साथ छोड़ दिया था | 

राघव को ये सुन नाजने क्यों इतना गुस्सा आ रहा था | कोण था श्रुति वो जिसने ये सब किया | राघव ने श्रुति से पूछा | 

श्रुति :- इतना तो नही जानते पर हाँ था इनकी क्लास का ही कोई | शायद मनोज नाम था उस का | 

राघव :- क्या ? मनोज ? ऐसे कैसे हो सकता हैं | 

श्रुति :- क्यों आप जानते हो क्या मनोज को | 

राघव :- नही ! नहीं मैं नही जनता | बस वैसे ही निकल गया मुह से | चलो मैं चलता हूँ फोटो कॉपी करा कर मैं तुम को ये नोटस वापिस कर दूंगा | 

श्रुति :- नहीं कोई बात नही आप रख लो मेरे पास और हैं | मैं उस से कर लुंगी इतन कह कर श्रुति चली जाती हैं और राघव वहीँ पर बैठा रहता हैं | 

राघव खुद से ही :- आखिर ऐसा क्या हुआ जिस वजह से ये हालत हुयी और रिबिका कोमा में थी इस बात का तो किसी को भी नही पता शायद | शयद नेहा को भी नही पता हैं कि क्या हुआ था \ मुझे उससे बात करनी होगी क्युकी कुछ गलत ह्या हैं या होने व्लाल हैं | इस बार मैं रिबिका को कुछ नही होने दूंगा |

इधर पपेर के के बाद नेहा प्रीत को रोकती हैं और कहती हैं | 

नेहा :- हाय प्रीत ! मुझे तुम से कुछ पूछना था इफ यू डोंट माइंड| 

प्रीत :- नही कोई प्रोबेल्म नही हैं पूछो | 

नेहा :- वो तुम ने अंदर कहा कि तुम्हारी बहन कोई प्रोब्लम लेने का कोई शोंक हैं क्या उसका क्या मतलब था | 

प्रीत :- कुछ नही वो तो बस यूँ ही प्रीत ने आँखे चुराते हुए कहा | 

नेहा :- कुछ तो हैं प्रीत जो तुम जानते हो पर मुझे नही बता रहे | प्लीज हेल्प me यार | मुझे जानना हैं कि क्या हुआ था मेरे बहन के साथ कि वो इतना बदल गयी | 

प्रीत :- वो एक विलेन हैंमैं बस इतना जनता हूँ | प्रीत जल्दी जल्दी बोल पढता हैं |

नेहा :- तुम को सच नही बताना तो मत बतायो पर प्लीज झूठ मत बोलो | 

प्रीत :- नेहा तुम गुस्सा मत करो | मुझे जितना पता हैं मैं उतना तुम को बताऊंगा | तुम्हारी बहन 2 साल फ़ैल नही हुयी बल्कि वो कॉलेज ही नही आई एक साल तो और दुसरे साल उन को कॉलेज से निकल दिया गया था | सहय्द वो कोमा में थी और इसी बिच तुम्हारी बहन प्रेगेंट भी हुयी थी | कैसे हुयी ये नही पता बस इस ही वजह से रिबिका से रिबिका दीदी हो गयी | 

नेहा :- अरे वाह ये बड़ी अच्छी बात पता चली हैं अब उन को ताना मार सकूंगी और निचा भी दिखा सकूंगी | नेहा ने नकली ख़ुशी के साथ कहा |

प्रीत :- क्या तुम को श्रम नही आती ऐसा बोलते हुए | इसके बाद प्रीत ने कुछ ऐसा कह दिया कि नेहा कि आँखे खुली कि खुली रह गयी और वो रोने लग गयी | 

नेहा जहाँ पर बैठी रो रही रही वहीँ पर राघव आ जाता हैं और आते ही कहता हैं क्या बात हैं आज तो मेरी साली साहिबा रो रही हैं | राघव कि ये बात सुन कर नेहा राघव कि तरफ देखने लग जाती हैं तो राघव देखता हैं कि नेहा सच  में रो रही होती हैं और कहती हैं आज में मजाक के मूड में नही हूँ यार | प्लीज चले जयो यहाँ से | 

राघव :- क्या हुआ हैं ? क्यों इतनी उदास हो तुम आज | क्या तुम नही जानती कि हम लोग रोज यहाँ पर क्यों मिलते हैं | आज मुझे तुम को कुछ ऐसा बताना हैं जो सुन कर तुम एक दम शॉकिंग हो जयोगी | 

नेहा :- शॉकिंग तो मैं पहले ही हूँ | आज ऐसी बात पता चल गयी कि शयद मैं जानना नही चाहती थी | 

राघव :- ऐसा क्या पता लग गया तुम को आज तो इतनी उदास हो तो नेहा राघव को बताने लग जाती हैं और कहती प्रीत ने बताया मुझे : 

नेहा :- मैंने जानबुझ कर प्रीत से कहा कि मुझे दीदी को निचा दिखाने का मौका मिल गया | तो उस  ने आगे से कहा \ मुझे तो लगा था कि तुम को अपनी बहन से प्यार हैं इसलिए जानना चाहती हो कि वो आखिर ऐसी क्यों रहती हैं पर मुझे क्या पता कि तुम उस को निचा दिखाना चाहती हो | पर तुम को शर्म ही नही हैं | किस बात के लिए उसे निचा दिखायोगी उन को कि उन्होंने इस उम्र में वो जगह बनाई हैं लोगो के मन में जो कि भगवान् से कम नही हैं | निचा दिखाना चाहती हो जो तुम उस को | जो लोगो कि भलाई के लिए खुद सूली पर चढ़ गयी जो लोगो तुम उसे निचा दिखाना चाहती हो | जो हसना मुस्कुराना भूल गयी अपने सपने भूल गयी तुम उनको निचा दिखना चाहती हो | जिन्होंने सेहर कि गंदगी साफ़ कर दी और एक गंदगी का ढेर बन गयी जिन को तुम जैसे लोग निचा दिखाना चाहते हैं जो ये तक भूल गयी हैं कि निचे बैठे लोगो को भी आँखे झुका कर ही बात करनी पडती | अरे आज मंदिर में जाने से पहले कोई लडकी औरत बूढी या बच्ची डरते नही हैं | जो आदमियों का डेरा हुआ करता था वो आज पूजा करने के लायक ही बना  हैं वो उस कि वजह से बना हैं जिसे तुम निचा दिखाना चाहती हो | 

अरे बेवकूफ लोगो दीदी कि क्या हालत कर दी थी उन लोगो ने | टाँगे तक तोड़ दी थी और फिर रेप किया बेचारी कोमा में चली गयी इतना बुरा हाल किया उन लोगो ने आज भी याद हैं मुझे जब दीदी चिल्ला रही पर कोई बचाने के लिए आगे नही जा पा रहा था | कितना दर्द होता हैं औरत को जब उन से कोई रेप करता हैं पर यहाँ पर दीदी को अनगिनत लोगो ......  उअर तुम जैसे लोग बात करते हैं निचा दिखाने कि | छी.... इतना कह कर प्रीत चला गया और तब मैं यहीं पर ओअथ्र बन कर बैठी और कुछ नही कर सकती सिवाए रोने के मैं | इतना सुन कर राघव भी कि आँखों में आसू आ गये | 

राघव :- मुझे भी कुछ ऐसा ही पता लगा हैं आज | इतना कहते हुए राघव ने नेहा को मनोज वाली साडी बाते और राजवीर और मंजीत से सुनी सारी बाते नेहा को बता दी और श्रुति कि भी बाते बताई कि कैसे रिबिका को इस कॉलेज से निकाला गया था और किस शर्त पर दोबारा कॉलेज में एडमिशन मिली हैं | ये सुन कर नेहा को भौअत गुसा आ जाता हैं और वो कहती | 

नेहा :- राघव मैं उन लोगो को छोडूंगी नही चाहे कुछ हो जाये | आज मैं घर जा कर सब पता कर लुंगी | और दीदी को बताना ही होगा | 

राघव :- जल्दबाजी मत करना | कुछ वक़्त और लगेगा फिर हम को पता लग जायेगा | आज तुम्हारी बहन पार्टी में भी जाएगी और मैं भी वही पर ही जायूँगा अपना भेस बदल कर | 

नेहा :- तुम को जो करना हैं वो करो और जो मुझे करना हैं वो मैं करुँगी | 

राघव :- ठीक हैं मैं तुम को रोकूंगा नही पर मुझे आज का दिन दे दो फिर कल तुम जो मर्जी करना मैं तुम को कुछ नही कहूँगा | प्लीज |

नेहा :- नेहा ने हाँ में सिर हिलाया | और फिर उठ खड़ी हुयी और बोली | मैं चालू अब घर के लिए लेट हो जयुंगी इतना कह आकर राघव भी साथ उठ गया और बोला मुझे भी चलना हैं उअर आज तो डबल काम हैं रेंट पर दूसरा रूम भी ढूंडना है | दोनों साथ में बाहर गये तो देखा कि रिबिका खड़ी थी | दीदी आप गये नही अभ तक |

रिबिका :- चली गयी थी फिर बुकस लेने के लिए वापिस ई तो माँ का फोन आ गया कि नेहा को भी साथ लेते आना | 

राघव :- चलो मैं ड्राप कर देता हूँ तुम लोगो | मेरी बाइक पर | मैं भी उसी साइड ही जायूँगा मैंने रूम देखें हैं तुम को पता ही हैं नेहा | 

नेहा :- हाँ पता हैं !!!!! ठीक हैं ले आयो वैसे भी अब ऑटोरिक्शा ढूंडयेगे | 

रिबिका :- कोई जरूरत नही हैं हम रिक्शा से चले जायेंगे | मैंने रिक्शा रोक कर ही राखी हैं | 

राघव :- राघव नेहा कि तरफ देख कर कहता हैं इशारो में तेरी बहन मेरे हार प्लान पर पानी फेर देती हैं | ठीक हैं मैं बाइक ले आयु फिर साथ ही निकलते हैं तुम लोग तब तक मैं बैठी रिक्शा में फिर मैं अआता हूँ | इतना कह आकर रघ अंदर चला जाता हौं और | 

रिबिका :- रिबिका नेहा को रिकशा मे बिठा देती हैं और कहती हैं खुद भी बैठते हुए कि पूरी दुनिया में तुम को यहीं मिला य्हजिसे तुम को दोस्त बनना था इस बात पर नेह अकोई रियेक्ट नही किया तभी राघव भी ज्ल्गी से आ कर रिक्शा में बैठ जाता हैं और कहता हैं मेरी बाइक खराब हो गयी अब तुम लोग मुझे छोड़ दो | ये सुन रिबिका के फेस का expression ही change हो गया और बोली खुद का रिक्शा करो और जयो | 

नेहा :- बैठा रहने दो दीदी आप को क्या कहता हैं ? चलो भईया आप | नेहा ये बदले हुए रंग रिबिका को को कुछ अच्छे नही लग रहे थे | नेहा एक साइड थी और रिबिका बिच में थी और राघव भी साइड में था | दोनो के बिच मैं रिबिक थी । और इस बात पर रीबिका को बहुत गुस्सा आ रहा था कि तभी अचांनक रिबिका का ध्यान राघव के हाथ पर गया और वो एक दम हेरान हो कर नेहा और राघव कि तर्फ देख ने लग गयी ।  

रैना की अन्य किताबें

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रचनाएँ
दो दिल रहे तड़प
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ये कहानी हैं राघव और रिबिका की जो दोनों ही अपनी अलग अलग दुनिया से हैं | राघव जहाँ पर ढेर सारे दोस्त बनता हैं वही पर रिबिका को दोश्ती से दर लगता हैं | एक दूसरे से नफरत नफरत करते करते कब प्यार हो गया इस बारे में दोनों को पता ही नहीं लगा पर एहसास हो चूका था की दोनों ही अब एक दूसरे के बिना नहीं रह सकते | राघव अपनी फीलिंग्स को एक्सेप्ट कर चूका था पर रिबिका ये एक्सेप्ट नहीं करना चाहती थी वो समझती थी की जो उस के साथ पहले हुआ हैं मोहब्बत के नाम पर कहीं वो फिर से न हो जाये | एक दूसरे की मोहब्बत समझते हुए भी दोनों में दूरिया थी || जब तक रिबिका को इस बात का एहसास हुआ की राघव उससे सच्ची मोह्हबत करता हैं तभी किसी ने राघव की वो सच्चाई रिबिका को बताई जो राघव ने रिबिका से से छुपाई हुयी थी | सच्चाई सूनने के बाद रिबिका को ऐसा लगा की शयद वो फिर धोखा ही खायेगी और इसलिए वो शादी से मंडप से उठ कर भाग जाती हैं || आखिर राघव और रिबिका एक हो पाएंगे | जहाँ पर रिबिका अपने पहले से बदला ले रही हैं क्या वहीँ वो अपने दूसरे प्यार को एक और मौका देगी | रिबिका अंगारो भरी ज़िंदगी में राघव फूल बरसा पायेगा क्या ? जान ने के लिए प्लीज पड़े मेरी कहानी दो दिल रहे तड़प
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रिबिका की पहली झलक

29 अगस्त 2024
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नेहा का हैरान होना

29 अगस्त 2024
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रिबिका के बारे में नेहा नही जानती थी | लेकिन शायद वो लडके जानते थे जो रिबिका को चोर आँखों से डरते हुए देख रहे थे | रिक्शा वाला भी ख़ुशी से देख रहा था और बोल रहा था कि आज तो इस कि खेर नही |  लडके :- दी

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अतीत कि परछाई

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रिबिका :- फॉर्मेलिटी नही हैं मैं सच में आपकी इज्ज़त करती हूँ | रिबिका गुस्से में कहती हैं |  मंजीत :- मंजीत रिबिका को कंधो से पकड़ कर चेयर बिठा देता हैं और फिर कहता हैं ठीक हैं मेरी माँ अब बैठ जा और अब

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अतीत की गलतिया

2 सितम्बर 2024
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पर राघव के दिमाग में सिर्फ एक ही बात घूम रही थी और वो थी कि आखिर रिबिका का सच क्या हैं ? वो एक नाकामयाब होकर भी सफल हैं कैसे | सर जिस तरह से बोल रहे थे उस से तो यहीं लगता हैं कि सर जानते हैं कि रिबिका

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प्रागेन्सी का सच

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