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मुस्कान

7 मार्च 2023

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ग़ज़ल (२)

अपने ओंठो पे मुस्कान रहने दो।
थोड़ी अपनी पहचान रहने दो।।

कोई तुमसे नाराज़ ना होने पाए। 
दिल में सबका मकान रहने दो।।

मत छीनो किसी से बचपन तुम।
उसके सर पर आसमान रहने दो।।

बिक गए कई और बिकने बाकी हैं।
अरे! तुम तो अपना ईमान रहने दो।।

ज़मीर जिंदा तो ही सांसें बाकी हैं।
खुद को बस एक इंसान रहने दो।।

मुकम्मल नहीं है जिंदगी "चंदन"।
अरे! कुछ तो इम्तिहान रहने दो।।

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