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9 फरवरी 2024

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अजीब सी धुन बजा रखी है जिंदगी ने मेरे कानोंमें,
कहाँ मिलता है चैन पत्थर के इन मकानों में।

बहुत कोशिश करते हैं जो खुद का वजूद बनाने की
हो जाते हैं दूर अपनों से नजर आते हैं बेगानों में।

हस्ती नहीं रहती दुनिया में इक लबे दौर तक,
आखिर में जगह मिलती है उन्हें कहीं दूर श्मशानों में।

न कर गम कि कोई तेरा नहीं,
खुश रहने की राह है मस्ती के तरानों में

जान ले कि दुनिया साथ नहीं देती,
कोई दम नहीं होता इन लोगों के अफसानों में।

क्यों रहता है निराश अपनी ही कमजोरी से
झोंक दे सब ताकत अपनी करने को फतह मैदानों

खुद को कर दे खुदा के हवाले ऐ इंसान
कि असर होता है आरती और आजाना में,

करना है बसर तो किसी की खिदमत में कर
वर्ना क्या फर्क है तुझमें और शैतानों में।

करना है तो कर गुंजर कुछ किसी और की खातिर
बन जाएं अलग पहचान तेरी इन इंसानों में
बन जाए अलग पहचान तरी इन इसानो में

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9 फरवरी 2024
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अजीब सी धुन बजा रखी है जिंदगी ने मेरे कानोंमें,कहाँ मिलता है चैन पत्थर के इन मकानों में।बहुत कोशिश करते हैं जो खुद का वजूद बनाने कीहो जाते हैं दूर अपनों से नजर आते हैं बेगानों में।हस्ती नहीं रहती दुनि

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9 फरवरी 2024
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मायूस चेहरे पर, मुस्कान ले आती हैं।यादें भी कमाल हैं।फिर जिंदा कर जाती हैंबस चाहिए इन्हें, फुर्सत के दो पलयादें भी कमाल हैं।दौड़ी चली आती हैं।कभी खुशियाँ, तो कभी ग़म याद दिलाती हैंयादें भी कमाल हैं।आं

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9 फरवरी 2024
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किन किन निगाहों से,दो चार होना पड़ता हैऔरत को ताउम्र ही,अखबार होना पड़ता हैकभी मां, कभी बहन,कभी पत्नी बेटीएक चेहरे में कितने ही,किरदार होना पड़ता हैऔर अपने हिस्से में,थोड़ा सा सुकून पाने कोएक औरत को प

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9 फरवरी 2024
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नहीं कहुंगा आसान है जिंदगीसब्र कर मगर एक इम्तेहान है जिंदगी,कहानी तू ने लिखनी है अपनीये तो केवल भारी पन्नो कीएक खाली किताब है जिंदगी,सब तो तेरी कहानी के चुनिंदा किरदार है।नए नए अध्याय को लिखते वक़तपुर

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9 फरवरी 2024
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कोई तुमसे पूछेकोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं, तुम कह देना कोई ख़ास नहीं,एक दोस्त है पक्का कच्चा सा, एक झूठ है आधा सच्चा सा,ज़ज़्बात से ढका एक पदाॅ है , एक बहाना कोई अच्छा सा,जीवन का ऐसा साथी है जो, पास हो

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आंखें

10 अप्रैल 2024
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नशीली आंखो से वो जब हमें देखते हैं, हम घबरा के अपनी ऑंखें झुका लेते हैं, कैसे मिलाए हम उन आँखों से आँखें, सुना है व

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वो पुराने दिन, वो सुहाने दिन

16 अप्रैल 2024
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वो पुराने दिन, वो सुहाने दिन जब टीवी घर आया, तो लोग किताबें पढ़ना भूल गए । जब कार दरवाजे पर आई, तो चलना भूल गए । हाथ में मोबाइल आते ही चिट्ठी लिखना भूल गए । जब घर में ac आया, तो ठंडी हवा के लिए पे

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