"हाइकु" कलम चलीसुंदर अलंकार दिव्य सृजन।।-1मन मुग्धताधन्य हुई नगरीकवि कल्पना।।-2सार्थक चित्रकलम में धार हैसुंदर शिल्प।।-3कवि कविताशब्द छंद पावनहिंदी दिवस।।-4लेख आलेखकलम चितचोरमान सम्मान।।-5महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी
पावन पर्व करवा चौथ पर आप सभी को हार्दिक बधाई,चाँद ने दर्शन दिया, नमन"हाइकु"शुभ सिंदूरसाजन मगरूरनैनो का नूर।।-1टीका लिलारसिंदूर व सुहागबिंदिया चटकार।।-2नैन काजलसिंदूर व साजनकरवा चौथ।।-3होठ की लालीसुंदर घरवालीआयी दीवाली।।-4धानी चूनरओढ़ सखी हूनरसजा सिंदूर।।-5महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी
“हाइकु” सजी बाजर राखी रक्षा त्यौहार रंग बिरंगी॥-1 रंग अनेक कच्चे पतले धागेराखी वन्धन॥-2 पावनी राखी रिश्ता ऋतु बैसाखी सुंदर पल॥-3 ओस छाई रीवर्षा ऋतु आई रीझूलती नारी॥-4 विहग उड़ेपग सिहर पड़ेडरती नारी॥ -5 आ रे बसंततूँ ही दिग-दिगंतसुंदर नारी॥-6 महतम मिश्र, गौतम गोरखपुरी
“हाइकु”कुछ तो बोलो अपनी मन बातकैसी है रात॥सुबह देखो अब आँखें भी खोलो चींखती रात॥ जागते रहोकरवट बदलो ये काली रात॥ टपके बूंद छत छाया वजूद भीगती रात॥ दिल बेचैन फिर आएगी रैन जागती रात.. महातम मिश्र , गौतम गोरखपुरी
“हाइकु”आज की गर्मी चलन बेरहमीजल की कमी॥-१ झुकी डाल है क्यों फल बीमार है जी अनार है॥-२ नर निर्वाह नव रोग निपाह रोके प्रवाह॥-३ कृत्रिम छालमत रगड़ गाल हो जा निहाल॥-४ ये केला आम खजूर व बादाम है? रोग धाम ॥-५महातम मिश्र गौतम गोरखपुरी
“हाइकु”मन मयूरी है सुंदर खजूरी करें हुज़ूरी॥-१ ओस छाई हैठंडी ऋतु आई हैक्या रजाई है॥-२ विहग उड़े सिहर पग पड़े क्या धूप चढ़े॥-३ आ रे बसंत तूँ ही दिग दिगंत कर सुखंत॥-४ नाच री आली भरी फूलों से डाली तूँ मतवाली॥-५ महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी
“हाइकु”ठंडी की रात दूल्हे संग बारात सुंदर स्वाद॥-१ गाजा बाजा है मधुर शहनाई प्रीत पराई॥-२ फूटे पटाखे मोहक फुलझड़ी नयन चढ़ी॥-३ मेंहदी रची पीले हो गए हाथ सजना साथ॥-४ सूना आँगन यादों की बरसात शुभ प्रभात॥-५ महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी
“हाइकु”उड़ते खग विश्वास अडिग है उठे न पग॥-१ अंधी दौड़ है त्रिभंगी ढ़लान है क्या पहाड़ है॥-२ चिड़िया गाएडाली डाली शोर है चित चोर हैं॥-३ सुंदर मैना चाँदनी संग रैना रात रानी है॥-४ हँसी सहेली गृह निशा अकेली बुझो पहेली॥-५ महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी
“हाइकु” मन बीमार ठंडी गर्मी बरसात बहे बयार॥ कापें बदन क्यो रूठे हो सजनघर आँगन॥ पसरा बैर दिन में रात खैर सुलाए जैर॥ पीने का शौक सबब क्या जीने कामुरछा मौज॥ बंद ढक्कन भरी कड़वी दवाखुले तो जाने॥ महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी
“हाइकु”कल की बात आस विश्वास घातये मुलाक़ात॥-१ दिखा तमाशामन की अभिलाषा कड़वी भाषा॥-२ दुर्बल काया मनषा मन माया दुख सवाया॥-३ मान सम्मान शुभ साँझ बिहान विहंगा गान॥-४ अपने गांव शीतल नीम छांव सुंदर ठांव॥-5 महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी
“हाइकु”शुभ प्रभात मंगले मंगलम पधारो प्रभु॥-१सुस्वागतमश्री सवा शुभ-लाभ रक्षे रक्षित:॥-२ संस्कारयतिदर्शन अभिलाषी स्वागतेक्षु॥-३विधि विधान मंगलाचरणमयज्ञोपवीत॥-४ यज्ञ पूरणविनयावनतस्य सर्वे सुखम ॥-५ महातम मिश्र ‘गौतम’ गोरखपुरी
“हाइकु”कुछ भी कहो बन अपना रहोहँसते फिरो॥-१ प्रेम से रहो संस्कार कहते हैंउदार बनो॥-२ जीवन जी लो सुंदर बचपन भूल न पाता ॥-३ दिव्य दर्शनमूरत बोलती है पढ़ो तो जानो॥-४ ऋषि प्रसादमेवा मिश्री मेवात सर्व हिताय-५ महातम मिश्र ‘गौतम’ गोरखपुरी
“हाइकु” कोई तो आए मेरी प्यास बुझाए सूखे अधर॥-1 डोलता मन मचलता फागुन कोरी चुनर॥-2 परदेश में मेरे बालम सखी बैरन रेल॥-3 फागुन होली लाली धानी रंगीलीघूँघट खोली॥-4 रंग बरसे पिया घर आँगन आओ होरी में॥-5 महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी
“हाइकु” साफ़ वर्तन पौष्टिक आहार है स्वाद सुगंध॥-1 घर में घर खड़कते वर्तन टूटती शाख॥-2 हाथ कटोरा चंदा मामा दूर के रूठा निवाला॥-3 चावल ऐठा उबल गया पानी बर्तन छोटा॥-4 बहती हवा खुली हैं खिड़कियाँ बदली ऋतु॥-5 महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी
“हाइकू” जागो रे जागो सबेरा तो हुआ है लाली जगी है॥-1 कलरव है परिंदों की डालियाँ निशा सोई है॥-2 अलसाई है बिस्तर पे सुबह रात जगी है॥-3 महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी
“हाइकू”नव रजनी नव रूप धारिणी जै नव चंडी॥-1भक्त अर्चनाकुशलम साधना जै जगदंबा॥-२ पाठ आरती महिमा सुभारतीजै नव दुर्गा॥-३ क्षमा दायिनी शुभदा कात्यायनीजै कृपालिनी॥-४ जग तारिणी महिषासुर हंती विंध्यवाशिनी॥-५ महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी
शिक्षा शिक्षा है बेहतर है शिक्षा ले तो लो शिक्षा॥-1 शिक्षित घर खुशियों का आँगन हरें हैं बाग॥-2 नौ मन भार पढ़ाये बचपन झूकी कमर॥-3 खेलेने तो दो अपनी गलियों में नौनिहाल हैं॥-4 ये भविष्य हैं उछलता कूदता हर्षित देश॥-5 बेटी हमारी खुशिहाली घर क