हुआ वही।बड़े होने से पहले जो ख्वाब देखा आज भी वही है।माँ की ममता पापा के पैसे ने बचपन से बड़ा किया।गुरु की मेहनत स्कूल कालेज की जगह ने ज्ञान दिया।समाज की ठोकरों परस्थितियों से जीने का सहारा मिला।दो वक्त की रोटी के लिए ज्ञान परदेशी का हुनर बना।हुनर से कमाए चंद सिक्के, खुद की परवरिश के लिए।आँचल तले स्तन