खुद को आधुनिकता और टैलेंट विकसित करने का ठेकेदार मान चुके अति आधुनिक स्कूलों में से एक रेयान इंटरनेशनल स्कूल में 6 साल के एक बच्चे की मौत का मामला सामने आने के बाद दिल्ली के स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा को लेकर दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने साफ़ कहा कि वह एक एमसीडी स्कूल में और फिर एक नामी-गिरामी प्राइवेट स्कूल में मासूम बच्चों की मौत से सहमे हुए हैं और बच्चों की सुरक्षा को लेकर बेहद चिंतित हैं. इससे सम्बंधित बैठक में फैसला लिया गया कि सभी सरकारी, एमसीडी और प्राइवेट स्कूलों को निर्देश दिया जाएगा कि वे अपने स्कूल कैंपस और बिल्डिंग का मुआयना करके देखें कि वहां कोई ऐसी खतरनाक जगह या कारण तो नहीं हैं जिससे किसी हादसे की आंशका हो! अगर ऐसा है तो उसे ठीक कराएं. इसके साथ-साथ सभी स्कूलों को एक सेल्फ डेक्लेरेशन देना होगा कि उनके स्कूल कैंपस सुरक्षित हैं. साफ़ है कि दिल्ली सरकार भी प्रथम दृष्टया रेयान इंटरनेशनल स्कूल में जो बड़ी लापरवाही की घटना हुई है, उसमें स्कूल-प्रशासन का दोष मानती है. सरकारी स्तर पर यह एक अच्छा संकेत है कि दिल्ली में, अलग-अलग जोन के लिए डीएम, एसडीएम, शिक्षा विभाग, पीडब्ल्यूडी, दिल्ली जल बोर्ड, फायर डिपार्टमेंट, दिल्ली नगर निगम के अधिकारियों की ज्वाइंट टास्क फोर्स जाने की घोषणा हुई है, जो अपने-अपने जोन के सभी स्कूलों का सुरक्षा की दृष्टि से मुआयना करेगी. जो शुरूआती संकेत मिले हैं, उसके अनुसार इस पहल से अगले करीब एक महीने में तकरीबन 3,500 स्कूल बिल्डिंग्स का मुआयना कराया जाएगा, जिसके तहत ये टास्क फोर्स स्कूलों में जाकर ये देखेगी कि उनका दिया हुआ डेक्लेरेशन सही है या नहीं? अगर कोई स्कूल गलत सूचनाएं देगा तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की बात कही जा रही है.
हालाँकि, पिछले दिनों दिल्ली के एक बड़े प्राइवेट स्कूल में जिस तरह से एक बच्चा टंकी में गिर गया और उसके बाद पूरे मामले पर स्कूल-प्रशासन ने जबरदस्त ढंग से लीपापोती की, उसने तथाकथित आधुनिक और अड्वान्स स्कूलों की पोल झटके में खोल दी है. दुनिया में ऐसा कोई व्यक्ति या संस्थान नहीं, जिससे कभी कोई गलती न हुई हो, लेकिन राष्ट्र के भविष्य-निर्माण की जिम्मेदारी संभाले ऐसे आधुनिक स्कूल इन गलतियों पर जिस गैर-जिम्मेदारी से रवैया अख्तियार कर रहे हैं, उसने न केवल पीड़ित अभिभावकों को, बल्कि पूरे राष्ट्र को गहरी व्यथा से भर दिया है. इसी सन्दर्भ में, दिल्ली के रेयान इंटरनेशनल स्कूल में पहली कक्षा के छात्र दिव्यांश की मौत के मामले में पुलिस ने स्कूल की प्रिंसिपल और एक टीचर समेत कुल पांच लोगों को लापरवाही बरतने का आरोप लगाकर गिरफ्तार जरूर किया, लेकिन गिरफ्तारी के कुछ ही देर बाद उन्हें जमानत भी मिल गई. चूँकि, इस पूरे मामले पर जनदबाव बन रहा था, इसलिए प्रिंसिपल की गिरफ़्तारी की औपचारिकता पुलिस को निभानी ही थी, लेकिन इस मामले में न्याय हो सकेगा, इस बात में बड़ा प्रश्नचिन्ह है! गौरतलब है कि दिल्ली के वसंत कुंज स्थित रेयान इंटरनेशनल स्कूल वसंत कुंज में 6 साल के दिव्यांश की मौत की पानी के टैंक में डूबने से मौत हो गई थी. पोस्टमार्टम की अंतरिम रिपोर्ट में डॉक्टरों ने मौत की वजह फेफड़ों में पानी भरना बताया था, साथ ही साथ डॉक्टरों ने यह भी कहा कि टैंक में गिरने के बाद दिव्यांश ने बाहर आने के लिए काफी संघर्ष किया और आखिर में उसने हिम्मत और दम दोनों तोड़ दिया. इस मामले में शुरुआत से ही स्कूल प्रशासन पूरी तरह शक के घेरे में था. सीएफएसएल टीम ने भी स्कूल और घटनास्थल का मुआयना किया था, जबकि स्कूल प्रशासन ने अपने बचाव में दिव्यांश की क्लास डायरी का हवाला देते हुए, बड़ी ही बेशर्मी से उसे ही दोषी ठहरा दिया! डायरी में उसकी अनुशासनहीनता को लेकर दर्ज नोटिंग के जरिए स्कूल प्रशासन को रत्ती भर भी यह अहसास नहीं हुआ कि वह अपना बचाव करने के चक्कर में, इंसानियत को ही शर्मसार कर रहा है! साफ़ है कि बड़े-बड़े स्कूल बनाकर, मोटी फीस के सहारे अपनी जेबें भर रहे, रेयान इंटरनेशनल जैसे कॉर्पोरेट स्कूल बच्चों की सुरक्षा और अपनी जिम्मेदारी को पूरी तरह न केवल भूल चुके हैं, बल्कि बच्चों की जान लेने की हद तक उनकी लापरवाही का स्तर पहुँच चूका है!
बच्चे के माँ-बाप टेलीविजन पर चीख-चीख कर कह रहे हैं कि उनके बच्चे को किसी भी प्रकार की समस्या नहीं थी और न ही स्कूल प्रशासन ने इस सम्बन्ध में उन्हें कभी कम्युनिकेट ही किया था! वह अन्य बच्चों की तरह ही सामान्य बच्चा था, लेकिन स्कूल की लापरवाही ने अपने दोष टालने के लिए बच्चे को ही अपराधी घोषित कर दिया. साफ़ है कि इस प्रकार का रवैया न आज के लिए और न ही भविष्य के लिए हितकर है, क्योंकि बात सिर्फ एक अपराध की नहीं है, बल्कि भविष्य में ऐसे ही और अपराधों के लिए रास्ता खुला रखने को लेकर है, जिसे सरकार और न्यायपालिका को सख्ती से बंद करना ही होगा! अन्यथा, राष्ट्र का भविष्य अपने शैशवावस्था में ही खतरे में पड़ जायेगा! यह बेहद दुखद बात है कि पहले इस तरह की लापरवाही के आरोप सरकारी स्कूल्स पर लगाये जाते थे, किन्तु शिक्षा को लाभकारी व्यवसाय में बदल चुके प्राइवेट स्कूल अपने परिसर में सुरक्षा के स्तर को लेकर इस हद तक लापरवाही बरत रहे हैं कि कोई अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल भेजने से ही डर जाए! ऐसा भी नहीं है कि सिर्फ परिसर से ही बच्चों को खतरा हो, बल्कि उनके साथ कई बार ऐसी घटनाएं भी हो जाती हैं, जिसमें उनका मानसिक और शारीरिक शोषण तक की बातें सामने आ जाती हैं! इसके साथ-साथ, हालिया दिनों में भारी दबाव में बच्चों का मानसिक संतुलन डिस्टर्ब हो जाना भी एक बड़े रिस्क के रूप में सामने आया है. जाहिर है, कई स्तरों पर कार्य किये जाने की आवश्यकता है, किन्तु सबसे बड़ी अनिवार्यता इस बात की है कि रेयान इंटरनेशनल जैसे स्कूलों की प्रिंसिपल और प्रशासन का ऐसी किसी घटना के पहले और बाद का रवैया सुधारा जाय! इससे कम से कम अभिभावकों के ज़ख्म पर नमक तो नहीं लगेगा!
- मिथिलेश कुमार सिंह, नई दिल्ली.
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