You want to make a Website?
You already own a website, but having a lot of issues, related?
Price Confusion?
Social Media, Blogging, CMS, Static Website Confusion, then this article is for you in Hindi, by Mithilesh.
वेबसाइट क्यों? (वृहत्तर विजिटिंग कार्ड): शुरूआती स्तर पर वेबसाइट को आप एक तरह का विजिटिंग कार्ड मान सकते हैं, जो आपकी अनुपस्थिति में भी आपका या आपके पेशे का वृहद परिचय सामने वाले व्यक्ति को देगा. जब आप किसी से मिलते हैं और उसको अपना विजिटिंग कार्ड देते हैं, तो उसमें आपके बारे में आपका फोन न., मेल और पता होता हैं. यदि उसी कार्ड में आपकी वेबसाइट लिखी हैं तो सम्बंधित व्यक्ति आपके बारे में काफी कुछ जान कर आपसे अवश्य भी प्रभावित हो जायेगा. अपनी वेबसाइट के बारे में आप सामने वाले व्यक्ति को फोन द्वारा एक शब्द में बता सकते हैं.
ब्लॉग/ फेसबुक/ ट्विटर एवं वेबसाइट में भिन्नता: सबसे बड़ी भिन्नता इसके प्रोटोकॉल को लेकर है. निश्चित रूप से यह सभी माध्यम बड़े ही उपयोगी हैं, किन्तु सभी के लिए इनकी उपलब्धता समान होने के कारण, आपकी विशिष्टता कायम नहीं रह पाती है. इसके अतिरिक्त आप इन सभी को अपने विजिटिंग कार्ड पर छापने में कठिनाई महसूस करेंगे. मार्केटिंग की दृष्टि से भी यह बहुत उपयुक्त नहीं है, क्योंकि इन माध्यमों पर (विशेषकर सोशल मीडिया पर) ट्रैफिक बहुत जल्दी आता है और आकर चला भी जाता हैं. बल्कि कई लोग सोशल प्लेटफॉर्म का ट्रैफिक मोड़कर अपनी वेबसाइट पर लाते हैं, जो एक समझदारी भरा निर्णय है. सोशल मीडिया को आप यदि कोई मार्केटप्लेस (सड़क) मान लें, तो वेबसाइट उस मार्केटप्लेस में स्थित आपकी दूकान है, और सामान तो तभी बिकेगा जब ग्राहक आपकी दूकान में आएगा. यदि ऑडिएंस को ग्राहक मान लें तो वेबसाइट आपकी दूकान है, जहाँ ग्राहक आपके सामान देखकर खरीदने को प्रेरित होगा, जबकि बाहर कन्फ़्यूजिंग-स्टेज होती है. इसके अतिरिक्त ब्लॉग या फ्री प्लेटफॉर्म्स में आपको बहुत ही सीमित डिज़ाइन की सुविधा मिलती है, जो निश्चय ही एक आकर्षक एवं इंटरैक्टिव वेबसाइट से बहुत पीछे होती है. परन्तु यदि आप पैसे खर्च नहीं करना चाहते हैं अथवा आप को बहुत ज्यादे प्रचार-प्रसार की आवश्यकता नहीं है, तो बिलकुल शुरूआती स्टेज के लिए ब्लॉग या फ्री प्लेटफॉर्म भी एक अच्छा माध्यम होता है.
डायनामिक, स्टेटिक, सीएमएस (वेबसाइट के प्रकार): स्टेटिक वेबसाइट, एचटीएमएल की साधारण कोडिंग से बनाया जाता है, जिसमें परिवर्तन करना आम-जनमानस के लिए मुश्किल होता है, क्योंकि इसे कोडिंग, डिजायनिंग, एफटीपी की कई प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है, जो कि किसी जानकार के लिए ही मुफीद होता है. डायनामिक वेबसाइट यदि कस्टमाइज़्ड (पीएचपी/ एएसपी/ डॉटनेट में) बनी है तो शुरू में काम अच्छा ही चलता है, लेकिन यदि सर्विस देने वाली कंपनी पुरानी और मजबूत नहीं है तो दिक्कत आनी तय है. छोटी कंपनियों अथवा फ्रीलांसरों से कस्टमाइज़्ड डायनामिक वेबसाइट बनवाना अंततः नुक्सान का सौदा साबित होता है, छोटी-छोटी दिक्कतें बहुत इरिटेट करती हैं और आपका काफी समय एवं धन खर्च होता है, फिर भी कमियां रह ही जाती हैं. इसके अलावा यदि आप कंपनी या डेवलपर बीच में या बाद में भी चेंज करते हैं तो आपका पिछला सारा काम बर्बाद ही समझो, क्योंकि हर एक डेवलपर का अपना काम करने का तरीका होता है, जोकि निश्चित रूप से स्टैण्डर्ड नहीं होता है. इसके अतिरिक्त आप यदि सीएमएस (कंटेंट मैनेजमेंट सिस्टम) के साथ जाते हैं तो आपको खर्च, सुविधाएं और ग्लोबल स्टैण्डर्ड साथ में मिलते हैं, और ऊपर स्टेटिक या कस्टमाइज़्ड डायनामिक वेबसाइट की समस्याएं हल हो जाती हैं. यही नहीं, आपको इनके लिए तमाम सपोर्ट बहुत ही आसानी से उपलब्ध हो जाता है. वर्डप्रेस, जुमला, द्रुपल इत्यादि पॉपुलर सीएमएस की श्रेणी में आते हैं.
गूगल, एसईओ, एडवर्ड्स, प्रमोशन: मेरे प्रोफेशनल कैरियर के दौरान जिस एक शब्द के बारे में सबसे कन्फ़्यूजिंग क़्वैरी आयी है, वह गूगल सर्च और अपनी वेबसाइट के प्रमोशन को लेकर है. साधारण सर्च इंजिन ऑप्टिमाइजेशन, आप वेबसाइट बनाते समय, कंटेंट भरते समय भी कर सकते हैं, जिसमें टाइटल सही करना, कंटेंट, इमेज की सही जगह प्लेसिंग होती है, वहीं यदि आप गूगल सर्च में टॉप पर दिखना चाहते हैं या आपको किसी ने सपना दिखाया है, तो आपको सावधान हो जाना चाहिए. यह एक उलझाऊ फिल्ड है, खासकर वेबसाइट की शुरुआत करने वालों के लिए. कीवर्ड, डेंसिटी, लिंक-बिल्डिंग का बहुत ही फ्राड कारोबार मार्किट में उपलब्ध है, जिस से कस्टमर बहुत ही दुखी हैं. इसके लिए आपको निश्चय ही बड़े लेवल पर प्लानिंग और खर्च दोनों करना पड़ता है. इससे बेहतर यदि आप गूगल के पेड-एडवरटाइजिंग (एडवर्ड्स) की ओर जाते हैं तो यह कम खर्च में आपको बेहतर परिणाम दे सकता है. मेरे कई ग्राहक फेसबुक पर भी अपने प्रोडक्ट की अनपेड और पेड दोनों माध्यमों से मार्केटिंग कराकर काफी खुश हुए हैं.
पैसे का खर्च और साधारण हिसाब-किताब: वेबसाइट के सन्दर्भ में मार्किट में यह सबसे गन्दा और भ्रम पैदा करने वाला क्षेत्र बन गया है. वेबसाइट बनवाने की इच्छा रखने वाले ग्राहक के मन में निन्यानवे रूपये से लेकर लाखों रूपये का फिगर दिमाग में बना हुआ है और वह इनके बीच अंतर समझ पाने में अधिकांश बार विफल हो जाता है. इसके लिए आपको स्टेप-बाय-स्टेप बताने का प्रयास कर रहा हूँ-
डोमेन-रजिस्ट्रेशन: इसके कई प्रकार के एक्सटेन्सन मौजूद हैं. डॉट कॉम, डॉट इन, डॉट नेट ... इत्यादि. साधारण रूप में इसकी कीमत पांच - छः सौ के आस पास होती है. कई कंपनियां अपने डोमेन बेचने के लिए तमाम ऑफर भी देती हैं, जो निन्यानवे रूपये तक का होता है (इस डोमेन के टीवी पर प्रचार को लेकर भी कई ग्राहक कीमत के मामले में कन्फ्यूज हो जाते हैं, जबकि यह शुरूआती स्टेज है). हालाँकि सस्ता डोमेन देने पर इसमें कई बार उस कंपनी का प्रतिबन्ध भी होता है और अगली साल रिन्यूवल पर वह आपसे काफी ज्यादा पैसा चार्ज कर लेती हैं. बिगरॉक, गोडैडी इत्यादि कंपनियां इस क्षेत्र में कार्य कर रही हैं.
वेब होस्टिंग/ स्पेस: इसमें भी डोमेन की तरह ही कन्फ्यूज स्टेज है, परन्तु साधारण वेबसाइट के लिए आपको दो हजार रूपये सालाना में बढ़िया शेयर्ड होस्टिंग मिल जाएगी, जिसमें आपको बढ़िया सपोर्ट, बैंडविड्थ और अच्छा भला मेल सर्वर मिल जायेगा. हालाँकि इससे सस्ती भी होस्टिंग देने का दावा करती हैं कंपनियां, लेकिन फिर आपको उनके पीछे दौड़ना पड़ेगा. स्टैण्डर्ड प्राइस की बात करें तो याहू.कॉम की डोमेन-होस्टिंग ३,५०० और बिगरॉक.इन की ३,००० रूपये सालाना है (१ वेबसाइट, शेयर्ड होस्टिंग). तमाम ऑफर इसमें भी समय-समय पर आते रहते हैं.
वेब डिज़ाइनर, डेवलपर को हायर करना: यदि आप रेडीमेड वेबसाइट-बिल्डर की तरफ नहीं जाते हैं तो आपको किसी कंपनी या फ्रीलांसर को हायर करना पड़ेगा. यहाँ आप जरूर देखें कि वह कंपनी अथवा फ्रीलांसर कम से कम चार-पांच सालों से इंडस्ट्री में काम कर रहा है कि नहीं. चेक करने का बढ़िया तरीका उसके द्वारा किये गए काम होते हैं. उसके कुछेक क्लायन्टों से बात करने में आप हिचकिचाएं नहीं. और यहाँ ध्यान रहे कि आप 'सीएमएस' को ही प्रिफर करें. जहाँ तक कीमत की बात है, साधारण वेबसाइट के लिए यह पांच हज़ार से लेकर पचास हज़ार तक हो सकता है. आप वेब डिज़ाइनर का काम, परफेक्शन, उसकी नॉलेज, सपोर्ट की व्यवस्था और पिछले काम का स्तर देखकर उसकी कीमत और दी जा रही सुविधाओं के बारे में कम्पेयर करें. कोशिश करें कि एक से अधिक वेब डिजायनरों को अपने पैमाने पर रखें, इससे आप फीचर-वाइज तुलना कर पाएंगे. हाँ! किसी अन्य व्यवसाय की भांति वेब डिजायनर का व्यवहार-अध्ययन भी भविष्य में आपको काफी सहूलियत दे सकता है.
-मिथिलेश, उत्तम नगर, नई दिल्ली.
किसी प्रकार की असुविधा होने पर, मुझे किसी भी समय संपर्क करें. मेरा फोन न. 9990089080 है: और मेरी मेल है: mithilesh2020@gmail.com
Blogging, CMS, Website, Promotion, Price and Support Article in Hindi by Mithilesh, havingh 7+ years experience in Website Designing, Development and SEO, SMO and Brand Promotion.