कैसी हो रश्मि! मार्च में पड़ने वाले अपनी देवरानी के बच्चे के बर्थडे पर आनंदी उसके घर आयी थी.
ठीक हूँ दीदी, आप कैसी हैं!
मैं भी ठीक हूँ, रागिनी आ गयी है.
आने ही वाली है, फोन आया था उसका.
गाँव से आकर बड़े शहर के अलग-अलग हिस्सों में रहने वालीं तीन संपन्न बहुओं में रागिनी सबसे छोटी थी.
शाम को केक कटने के बाद किचेन में तीनों की गपशप शुरू हो गयी, उधर उनके तीनों पति दुसरे कमरे में बैठकर ठहाके लगाने लगे.
गाँव जा रही हो रश्मि इस गर्मी की छुट्टी में, आनंदी ने पूछा!
इस बार तो मैं नहीं जा पाऊँगी दीदी. पिछली बार राहुल की तबियत कितनी ख़राब हो गयी थी और कई बार कहने के बाद पापा हॉस्पिटल ले गए थे.
और तुम रागिनी!
कहाँ दीदी, इस बार इनके ऑफिस वालों ने छुट्टी ही नहीं दी है, जल्दी से रागिनी ने भी बोला.
बढ़िया है, मुझे लगा मैं ही नहीं जा रही हूँ. वैसे भी, गाँव में गर्मी की छुट्टी एक बोझ बन जाती है. कुछ सामान मँगाओ तो आलस करके पापा लाएंगे जरूर, लेकिन कई दिन बाद.
हाँ यह तो है, आनंदी की देवरानियों ने भी उसकी हाँ में हाँ मिलाई और तीनों मिलकर गाँव की असुविधा की बड़े मन से चर्चा करने लगीं.
गपशप के दौरान तीनों का हाथ किचेन में तेजी से चल रहा था.
मिक्सी देना रश्मि, चटनी के बिना इन भाइयों को खाना हज़म नहीं होता है.
मिक्सी तो पिछले हफ्ते से ख़राब है दीदी. इनको कई दिनों से बोल-बोल कर थक चुकी हूँ और यह टालमटोल कर जाते हैं. यही हाल तब हुआ था, जब पिछले महीने आयरन ख़राब हुआ था.
ये आदत तो इनकी भी ख़राब है, रागिनी ने अपने पति की पोल खोलनी शुरू की. ऑफिस जाते वक्त रोज अलग भुजिया टिफिन में चाहिए, लेकिन सब्ज़ी लाने को कह दो, तो यह चिढ जाते हैं. ज्यादा बोलो तो नौकरी में आ रहे प्रेसर को मुझे समझाने लगते हैं.
मेरे पति परमेश्वर तो सबसे बढ़कर हैं. घर पर बेशक पड़े रहे, लेकिन कोई काम बोल दो तो काटने को दौड़ पड़ते हैं. बच्चे का एक टीका बचा हुआ है, चिल्ला-चिल्ला कर थक चुकी हूँ और वह आज कल, आज कल कह कर टालते रहते हैं. मुझे समझ नहीं आता कि घर का काम ये लोग नहीं करेंगे तो कौन करेगा?
इनसे अच्छे तो फिर गाँव पर पापा ही हैं...
थोड़ी देर के लिए, उनके बीच ख़ामोशी छा गयी, किन्तु पढ़ी लिखी बहुओं ने आँखों ही आँखों में जाने क्या इशारा किया और मुस्कुरा उठीं.
कुछ दिन बाद तीनों बहुओं के पति, समर वेकेशन में उनको गाँव पहुंचाकर वापस आ गए.
एक दिन रश्मि के पति ने उसको गाँव पर फोन करके पूछा, रश्मि! वह 'चटनी' कैसे बनाती हो....
अच्छा... !! मिक्सी बनवा ली आपने... !!
यह बात रश्मि ने जल्दी से अपनी जेठानी और देवरानी को बताया तो तीनों ठहाका मारकर हंस पड़ीं. आखिर, तीन बहुओं ने अपने पतियों का आलस जो दूर कर दिया था, वह भी इतने सीधे रास्ते से!
- मिथिलेश 'अनभिज्ञ'
Teen Bahuein, hindi short story by Mithilesh Anbhigya
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