देश-गौरव की खातिर खुशियाँ लुटाउँगा - Poem before world cup semi final India Australia, Hindi Kavita
25 मार्च 2015
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लिखना तो बहुत चाहता हूँ,
पर आज नहीं!
आज भारत की जीत की दुआ करूँगा
फ़रियाद करूँगा
यूं तो रहता हूँ दूर हर 'टोटके' से
पर आज नहीं!
आज रात भर टूटते तारे को देखूँगा
आँखें बंद करके बुद-बुदाऊँगा
नापसंद करता हूँ इन कमाऊं क्रिकेटरों को
पर आज नहीं!
आज इन्हें असली 'सैनिक' सोचूंगा
बल्ले से बारूद निकलते देखूँगा
भ्रष्ट होते खेल से नफरत करने लगा था
पर आज नहीं!
आज आईपीएल, सट्टेबाजी भूल जाऊंगा
इनकी जीत पर इतराऊंगा
यूं तस्वीरों को 'लड्डू' खिलाता नहीं मैं
पर आज नहीं!
देश-गौरव की खातिर खुशियाँ लुटाउँगा
नारे लगाउँगा
- मिथिलेश 'अनभिज्ञ'
(वर्ल्ड-कप सेमीफाइनल से पहले)
मिथिलेश जी,
कोई रचना पढ़ते-पढ़ते होंठों पर अनायास मुस्कान तैर जाए, तो ये भी मान लिया जाए कि आनंद आ गया, और आपकी इस रचना ने ये कर दिखाया...अति सुन्दर !
अनेक शुभकामनायें !
एक हिंदी लेखक, पत्रकार और वेबसाइट उद्यमी के रूप में पिछले 8 सालों से कार्यरत...
देश भर की पत्र-पत्रिकाओं में लगभग रोज ही किसी न किसी मुद्दे पर लेखों का प्रकाशन. और जानकारी के लिए मेरे ब्लॉग पर जाएँ: http://editorial.mithilesh2020.com