'वेलेंटाइन डे' के नाम से किस जवां दिल में गुदगुदी नहीं होती होगी. अब तो यह बाकायदा एक मल्टीनेशनल स्टाइल में सेल्स-वीक की तरह मनाया जाने लगा है. जी हाँ! 'सेल्स-वीक' के नाम से आप कन्फ्यूज नहीं होइए, क्योंकि तमाम बड़ी कंपनियां प्रेम के नाम पर कारोबार का बड़ा सुनहरा जाल बिछाए हुए हैं. वेलेंटाइन डे से लगभग एक सप्ताह पहले, हर एक दिन युवा दिलों को धड़काती हुए उनकी जेब को बहुराष्ट्रीय कंपनियां बखूबी टटोलती हैं. रोज डे, प्रपोस डे, चॉकलेट डे, टेड्डी डे, प्रॉमिज डे, क़िस डे और हग डे के बाद वैलेंटाइन डे तक हज़ारों करोड़ का कारोबार होता है, जिसमें आप ध्यान से देखें तो यह वगैर किसी उत्पादकता के अधिकतम मुनाफे का कारोबार है, जिसमें खुली लूट ही होती है! खैर, यह अवसर प्रेमी-प्रेमिकाओं का दिल दुखाने का नहीं है, इसलिए इस कारोबार को यहीं रोकते हैं और इसके दुसरे हिस्से की ओर बढ़ते हैं. ठीक वेलेंटाइन-वीक के ही समय, लव-जिहाद का विवादित मुद्दा एक बार फिर गर्माता नजर आ रहा है. गुजरात में सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म वॉट्सऐप पर एक एसएमएस वायरल हो गया है, जिसमें मुस्लिम लड़कों को दूसरे धर्म की लड़कियों से शादी करने के लिए उकसाया जा रहा है. इतना ही नहीं, इसके बदले में उन्हें अच्छी खासी रकम देने का वादा भी किया गया है. 'स्टूडेंट्स ऑफ मुसलिम यूथ फोरम' की तरफ से भेजे जा रहे इस मैसेज में मुसलिम लड़कों से दूसरे मजहब की लड़कियों को प्यार में फंसाने और उनसे शादी करने के लिए उकसाने की कोशिश की जा रही है. बड़े चैनल जी-न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, मुस्लिम लड़कों को भेजे जा रहे इस एसएमएस में अलग-अलग मजहब की लड़कियों से शादी करने की एवज में रकम भी तय कर दी गई है. मैसेज में लिखा है, 'अगर कोई मुसलिम लड़का हिन्दू ब्राह्मण लड़की से शादी करता है तो उसे 5 लाख रुपये दिए जाएंगे. इसी तरह अगर कोई सिख पंजाबी लड़की से निकाह करता है तो उसे 7 लाख रुपये का इनाम दिया जाएगा.'
इतना ही नहीं, बल्कि मैसेज में आगे लिखा है, 'अगर लड़की क्षत्रिय समुदाय की है तो 4.5 लाख रुपये कैश दिए जाएंगे, गुजराती ब्राह्मण लड़की है तो 6 लाख रुपये, पंजाबी हिन्दू है तो 6 लाख रुपये, क्रिश्चियन रोमन कैथोलिक है तो 4 लाख रुपये, क्रिश्चियन प्रोटेस्टैंट है तो 3 लाख रुपये, जैन समुदाय से है तो 3 लाख रुपये और अगर गुजराती कच्छ लड़की है तो 3 लाख रुपये कैश दिए जाएंगे.' जाहिर है कि वैलेंटाइन डे के मौके का फायदा बखूबी उठाया जा रहा है, ताकि धार्मिक उन्माद तो फैले ही, इसके साथ-साथ लड़कियों का शोषण भी किया जा सके! वायरल हुए इस एसएमएस में चार पते दिए गए हैं. अगर कोई मुस्लिम लड़का किसी और मजहब की लड़की से शादी करने में सफल होता है, तो वो उन पतों पर जाकर अपने इनाम की राशि ले सकता है. मैसेज में 11 मोबाइल नंबर भी लिखे हुए हैं. हालाँकि, इस मेसेज पर पुलिस हरकत में है और वडोदरा पुलिस ने लोगों से कहा है कि वो इस तरह के मैसेज पर ध्यान न दें और अगर कोई उन्हें ऐसे मैसेज भेजता है तो तुरंत प्रशासन को इसकी जानकारी दें. पुलिस ने मामले की जांच भी शुरू कर दी है. हालाँकि, कहानी के इस दुसरे पहलु की ओर भी ध्यान देना बेहद आवश्यक है, विशेषकर लड़कियों को! क्योंकि, अब तक लव-जिहाद को एक अफवाह ही बताया जा रहा था, किन्तु अब यह एक संगठित रूप ले चुका है, जिसमें दुसरे धर्म की लड़कियों को तरह-तरह से शोषित करने के उपाय खोजे जा रहे हैं. कहा तो यहाँ तक जा रहा है कि कई बार मुस्लिम लड़के हिन्दू या ईसाई बनकर लड़कियों को ठगने की कोशिश में लगे रहते हैं, इसलिए बेहद आवश्यक है कि लडकियां इस मामले में बेहद सजग रहे तो अपने घरवालों को भी इस मामले में साथ रखें! ऐसा भी नहीं है कि सिर्फ कारोबार और लव-जिहाद ही इस वेलेंटाइन प्रेम के रूप हैं, बल्कि एकतरफा प्यार भी इससे उत्पन्न एक अन्य विकृति है, जो बेहद घातक है. कुछ लोग, इस दिवस और सप्ताह को 'जबरदस्ती - सप्ताह' मनाने पर तुले रहते हैं. जी हाँ! लड़कियों के चेहरों पर तेज़ाब-वर्षा, अपने फ्रेंड-सर्कल द्वारा ही अपहरण और बलात्कार की घटना इत्यादि इसी वैलेंटाइन दिवस और सप्ताहों से उत्पन्न सब-प्रोडक्ट हैं. जाहिर तौर पर इसकी व्याख्या की अधिक आवश्यकता नहीं है, बल्कि इसकी शिनाख्त और सावधानी की अनिवार्यता इसमें अहम है.
यहाँ सीधा प्रश्न उठता है कि फिर 'प्रेम' करना हमें छोड़ देना चाहिए क्या? क्या बहुराष्ट्रीय कंपनियों की लूट, लव-जिहाद, एकतरफा प्यार इत्यादि से भयभीत होकर हमें प्रेम पर विश्वास करना त्याग देना चाहिए? जी नहीं! निश्चित रूप से नहीं, किन्तु हमें आपको यह समझना होगा कि प्रेम कोई अलग वस्तु या भाव होने के बजाय हमारे कर्तव्य से जुड़ा भाव ही है! आखिर हम अपने माँ-बाप से इसीलिए तो सबसे ज्यादा प्रेम करते हैं, क्योंकि उन्होंने हमारे प्रति कर्तव्यों को सर्वाधिक जिम्मेदारी से निभाया होता है. कल्पना कीजिये और कल्पना ही नहीं, बल्कि यह एक तथ्य भी है कि अगर किसी के माँ-बाप झगड़ालू या शराबी होते हैं और उन्होंने अपने बच्चे के प्रति कर्तव्यों को ठीक से नहीं निभाया होता है तो उनसे उनके बच्चों का लगाव निश्चित रूप से कम हो जाता है! हालाँकि, इस मामले में कई अलग व्याख्या हो सकती है, किन्तु तुलना करने पर आप समझ जायेंगे कि 'प्रेम' और 'कर्त्तव्य' एक दुसरे के साथ बंधे हुए हैं. हालाँकि, यह समझना कठिन नहीं है कि कई मुक्त विचारों के तर्कवादी आकर्षण, शरीर की आवश्यकता इत्यादि का तर्क पेश करेंगे, लेकिन वह अपनी तेज आवाज में इस प्रश्न का उत्तर नहीं दे पाएंगे कि 'कर्त्तव्य' इन विषयों को रोकता नहीं है, बल्कि उन्हें जिम्मेदारी पूर्वक निभाने का रास्ता खोलता है. वगैर जिम्मेदारी से कर्त्तव्य को पूरा किये वगैर किसी चीज को हासिल करने की सोचना विकृति है, जिसका फायदा गलत लोग बखूबी उठाते हैं. हालाँकि, समाज काफी तेजी से आगे बढ़ रहा है, किन्तु अगर इसमें सावधानी, सुरक्षा और कर्त्तव्य का भाव बनाये रखा जाय तो वेलेंटाइन डे की सार्थकता सिद्ध हो सकती है, अन्यथा एक डे या एक सप्ताह तो क्या पूरा जीवन आप बिता लें, आप असंतुष्ट और विक्षिप्त ही रहने वाले हैं! यकीन न हो तो अपने आस पास 'केस-स्टडी' अवश्य कीजिये... मगर ऊपर-ऊपर नहीं, जरा गहराई से! इस गिफ्ट की ऊपरी चमकीली परत को उतार कर सावधानी से देखिये कि उसमें कहीं ईंट-पत्थर तो नहीं! अगर उसमें कोई कीमती तोहफा भी है तो उसके पीछे छुपा हुआ 'लव जिहाद' तो नहीं! और अगर सच में आपको उसमें सच्चाई नज़र आती है तो फिर घरवालों और दुनिया से क्या छिपाना, खुलकर सबको विश्वास में लें और कहें 'हैप्पी वैलेंटाइन'! और अगर उसमें खोट है तो रास्ता बदलें और जिम्मेदारी से कर्त्तव्य-पथ को कहें 'हैप्पी वैलेंटाइन'!
- मिथिलेश कुमार सिंह, नई दिल्ली.
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