आत्म निर्भर स्त्री आप सबके हिसाब से वो स्त्री जो अपना काम खुद से करे उसको बोलते होंगे पर अपना काम तो मज़बूरी में भी लोग कर लेते हैं जब कोई ऑप्शन नही होता है ?
इस लेख में मैं यही बताने जा रही हूं की आत्म निर्भर स्त्री कैसी होनी चाहिए और लेख के अंत में मैं अपनी परिभाषा दूंगी |
अगर आपको 1% भी लगे मैं लेख के साथ न्याय कर पायी तो अपना आशीर्वाद प्यार दिखाते हुए बस लेख को शेयर कर दें |
दोस्तों हिन्द की स्त्री कैसी होनी चाहिए इस पर मैं कविता मैंम की चार पंक्तियों से आपको लेख के साथ जोड़ना चाहूंगी
वर्तमान जैसे तैसे कटता सभी का किंतु ,
व्यापक भविष्य की कहानी होनी चाहिए |
मर कर एक रोज जाना सभी को पड़ेगा ,
मरने के बाद भी निशानी होनी चाहिए |
अश्रुओं के धार के समक्ष घुटने न टेके
हिन्द वाली बेटी स्वाभिमानी होनी चाहिए |
वक्त आ पड़े तो वैरियो का वक्ष चीर डाले ,
लक्ष्मी बाई जैसी मर्दानी होनी चाहिए ||
लेख में मैं आत्मनिर्भरता कैसे आती है और इतिहास वर्तमान के कुछ साक्ष्यों के साथ इसको जोड़ने की कोशिश करूँगी ☺️
●दोस्तों लक्ष्मीबाई की वीरता आप सबने सुनी होगी गर्व भी महसूस किया होगा पर क्या आपने उन परिस्थितियों का सोचा होगा की ऐसा क्या हुआ था की एक छोटा बच्चा किसी को पीठ में बांध कर उसकी डोर दाँत ने दबा कर हाथों में कंगन की जगह हथियार लेकर रणभूमि में उतरना पड़ा ?
इसका कारण था स्वाभिमान
तो ये मेरा पहला पॉइंट है आत्मनिर्भर स्त्री होने का
और अभी आप अपनी दैनिक डायरी निकालिये और लिख लीजिये
आत्मनिर्भरता तभी आएगी जब आप स्वाभिमानी होंगे | नही तो बस दूसरे के काम को अपना बताकर आत्मनिर्भर बनने का काम तो तेज़ी से चल ही रहा है |
उस समय जब सारे राजा अपने राज्य सौंप दे रहे थे तब झांसी की एक महिला आत्मनिर्भर बनी और अगर अपने गद्दारी न करते तो आत्मनिर्भर होने का फायदा 1857 में ही मिल जाता |
●दुराचार का प्रतिकार
सहेलियों आप तब तक आत्म निर्भर नही बन सकती हैं जब तक आप अपने ऊपर हो रहे जुर्म के खिलाफ आवाज नही उठाएंगे ये कायरता आपको कभी आत्मनिर्भर नही बनने देती फिर सामने वाले के इशारे पर नाचने पर विवश रहते हैं और आपसे बेहतर ज़िंदगी एक तवायफ की हो जाती है क्योकि वो अपनो खुशी / पैसे के मोह से दूसरे के इशारे पर काम करती है पर आप अबला बन कर |
दुष्यन्त कुमार की पंक्ति तो सबके सीने में बस जानी लेफ्ट या राइट आप तय कर लीजिये
हो गयी है पीर पर्वत सी पिघलनी चाहिए ,
इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए |
मेरे सीने में नही तो तेरे सीने में सही ,
हो कहीं भी आग लेकिन आग जलनी चाहिए |
और अगर ऐसा नही करेंगे तो आपके अंदर एक जयचंद जरूर पैदा हो जाएगा जो आपके पता होते हुए भी की ये गलत है उस बात को मानने और दूसरों को सही बताने को विवश कर देगा | इस कर्म के लिए शिक्षा की जरूरत नही होती ये आपकी समझ होती है |
●आत्म निर्भर बनने के लिए आपके अंदर विवेक अवश्य होना चाहिये निर्णय लेना उसपर अमल करना अगर आप सीख गए तो दुनिया की कोई ताकत आपको आत्मनिर्भर बनने से नही रोक सकती |
● आत्मसम्मान एक ऐसा भावुक गुण है जिस पर ठेस लगने से दो ही काम होते हैं या तो आप आत्महत्या करते हैं या आप उस व्यक्ति को त्याग देते हैं और जैसे ही आप ने दूसरों को त्याग कर खुद उसके द्वारा होने वाले काम को खुद से करना शुरू किया उसी दिन से आपकी आत्मनिर्भरता की इबादत लिखनी शुरू हो जाती है |
दूसरों को सद्ज्ञान देना भी और ऐसे आदर्श स्थापित करना भी आत्मनिर्भरता की शुरुआत है जो पहले कभी नही किये गए हो और ऐसे कर्म युग युग तक याद रहते हैं , मधुर जी की चार पंक्तियाँ मेरी इस बात की गवाह हैं
भारतीय नारी का चरित्र देखियेगा मित्र ,
उन्नत जो कर देश का ललाट देती है |
झांसी वाली रानी ने जो शौर्य दिखलाते हुए ,
रणभूमि शत्रु के शवों से पाट देती है |
जिस पत्नी के मोह में भटके वो खुद ,
खोल बुद्धि के कपाट देती है |
रत्ना दिखाती है राह तुलसी को ,
और हाणि रानी अपना ही शीश काट देती है |
● अपनो को छोड़ने के जगह श्रेष्ठ बनाना ही मेरे हिसाब से आत्मनिर्भर स्त्री की एक विशेषता होती है और इसके दो सबसे बडे उदाहरण मैं देती हूं
पहला ऊंट को देखकर उसको सही से न बुला पाने वाले और जिस डाल पर बैठे उसी को काटने वाले मूर्ख कालिदास को महाकवि कालिदास बनाने वाली महारानी विद्योत्तमा |
दूसरा पत्नी के मोह में पागल एक प्रेमी को सत्मार्ग और स्वयं का बोध कराने वाली रत्ना , जिसके चलते आज घर घर में भारत का सबसे बड़ा ग्रंथ है जी सही समझे तुलसीदास को गोस्वामी तुलसी दास बनाने वाली रत्नाबाई भी मेरे हिसाब से सच्ची आत्मनिर्भर स्त्री थीं | वरना आजकल तो पति जरा सा भी आपके विरोध में हो जाए तो सबसे पहले बिस्तर से दूर फिर कमरे से दूर फिर तलाक की अर्जी का प्रचलन हो गया है और बोला जाता है आत्मनिर्भरता स्त्री हूं स्वाभिमानी स्त्री हूं अरे मूर्ख स्त्री हो तुम इसको सिर्फ स्वार्थी स्त्री ही बोलेंगे |
तो आप खुद ब खुद समझ गयी होंगी सिर्फ अपनी खाना पीना धोना और सो जाना ही आत्मनिर्भरता नही होती ये तो कोई भी कर लेगा आत्मनिर्भरता वो होती है जो विषम परिस्थितियों में सबको साथ लेकर खुद नेतृत्व करते हुए सही गलत का बोध करते और कराते हुए एक ऐसा उदहारण पेश कर देना जिसको युगों युगों तक आदर्श माना जाए कुछ याद की।हुई पंक्तियों से लेख को विराम दूँगी इस।आशा के साथ इस लेख को आशीर्वाद और प्यार मिलेगा |
पानी पानी हुआ प्रेम अब उलझ प्रेम पटरानी से ,
सारा विश्व करे तुलना बलिदानी हाणि रानी से |
थर थर कांप गया दुश्मन झांसी वाली मर्दानी से,
यहां पापी भी पावन होता गंगा के निर्मल पानी से |
याद रखियेगा और वादा करिये
अश्रुओं के धार के समक्ष घुटने न टेके
हिन्द वाली बेटी स्वाभिमानी होनी चाहिए |
मुझे ऐसी ही स्त्री चाहिए वर्तमान और भविष्य में 😊
अबला का सबला बनना ही असली आत्मनिर्भरता है - वणिका दुबे
🙏