आज कल अलियाभट्ट के मान्यवर के विज्ञापन पर कुछ लोग प्रतिक्रिया दे रहे और लगा कि मुझे भी इस पर क्लीयर लिखना चाहिए |
बात है आलिया के मान्यवर के विज्ञापन की जिसको लेकर भारतीय जनता पार्टी की ट्रोल आर्मी उनको लगातार ट्रोल कर रही है यही बात अगर 12वी फेल दीदी जिनको कुछ न करने और भी z श्रेणी सुरक्षा मिली है तो यकीन मानिए यही टीम इस शब्द को जायज ठहरा रही होती |
खैर ये राजनिति है इससे मुझे क्या मैं आती हूं विश्लेषण में |
मुझे ये नही समझ आ रहा गलत क्या कहा आलिया ने
कन्या का मान होना गलत है क्या ?
देखिए इतिहास और संस्कृति में जरूरी नही कुछ बात हर युग के लिए एक सी रहें दोनों में बदलाव होते रहते हैं | मेरे शब्द पर ध्यान दीजिएगा कुछ बात हर युग मे |
कन्यादान हमारी संस्कृति में गौदान के बाद सबसे बड़ा दान माना जाता है पर क्या आज के समय मे एक कन्या को दान कर देना सही शब्द है या कन्या का मान बढ़ाकर उसको विदा करना सही शब्द है
एकांत में बैठकर सोचिएगा | जवाब सामने होगा |
कन्यामान अर्थात कन्या का सम्मान करना उसको ये ना एहसास दिलाना की वो दान में दी जा रही है | और फिर इससे रस्म में कोई असर तो पड़ नही रहा फिर क्यों ये कथाकथित हिन्दू जिनको दूसरे धर्म मे ज्यादा रुचि रहती है|
सोच साफ है ये चाहते ही नही कन्या का मान बढ़े ये सिर्फ कन्या को दान के रूप में देखना चाहते हैं
मुझे पता है मैंने ऐसा लेख लिखा है जो 90% लोगों को खराब लगेगा पर एक बार आत्म मन से मेरी लिखी बातें समझियेगा यकीन मानिए आज नही कल आपको यही सही लगेगा |
🙏
अपना विश्लेषण अवश्य करें