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आत्मनिर्भर आखिर स्त्री कैसे रह पाए

24 नवम्बर 2021

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very good didi ☺️☺️

25 नवम्बर 2021

30
रचनाएँ
नारी जीवन का सफर
5.0
नारी जीवन के सफर जहा उसके जीवन में उतार चढाव अच्छा बुरा घटित होता है मान अपमान प्यार दुलार के अलग अलग रंग को जीते हुए नारी का जीवन व्यतीत होता है
1

पर्दे के पीछे

16 अक्टूबर 2021
12
5
3

पर्दे में रहने का चलन जब से आया<div>औरत की आजादी को इसने ग्रहण लगाया</div><div>पर्दे के

2

खुद को तुम कम ना समझो

26 अक्टूबर 2021
16
10
7

खुद को तुम कम ना समझो<div>बेतुकी बातों में ना उलझो</div><div>खुद पर कर लो तुम अभिमान</div><div>नारी

3

सच्ची आजादी??

26 अक्टूबर 2021
4
4
1

जिंदगी को अपने ढंग से जीने को है बंधन<div>खुलकर जीने घूमने को आजाद नही </div><div>बंदिशों में झ

4

नारी है तू

26 अक्टूबर 2021
5
2
1

एक नारी है तू<div><br></div><div>बेटी मां बहन बहु पत्नी सखी </div><div>कितने रूप में आई तू</div

5

निशब्द नहीं हू मै

27 अक्टूबर 2021
3
3
0

चुप रहना मेरी मर्जी है<div>मजबूरी नहीं</div><div>क्योकि</div><div>मै नही चाहती</div><div>रिश्ता में

6

दो तरह की नारी

28 अक्टूबर 2021
6
3
3

नारी होती है दो तरह की<div>एक जिसमे होती है नादानी</div><div>दूसरी होती है सयानी</div><d

7

नारी तुमसा नहीं कोई

28 अक्टूबर 2021
1
1
0

तुम बिखर ना कभी पाओ<div>जो बिखर गया वजूद</div><div>एक बार फिर निखर जाओ</div><div>हौसला तुम में है अभ

8

आज की नारी से प्रेम

30 अक्टूबर 2021
4
1
1

आसान नहीं दिमाग वाली नारी से करना प्रेम<div>क्योंकि उसे ना रास आए बाते जी हुजूरी की</div><div>वो झुक

9

नई दुल्हन का स्वागत

30 अक्टूबर 2021
2
1
0

द्वार खड़े लेकर पूजा की थाल<div>तेरे आने से हो खुशियों की बरसात</div><div>फूल बिछाए राह में तेरी</di

10

अनूठा है ये नारी का अंदाज

31 अक्टूबर 2021
3
0
0

एक अनूठा है ये नारी का<div>अंदाज</div><div>चोटी बनाने में नारी के</div><div>छुपा है राज</div><div><b

11

समुंद्र की लहरों सा नारी का मन

5 नवम्बर 2021
6
4
2

समुंद्र की लहरों सा<div><div>नारी का मन</div><div>इन लहरों सा </div><div>नारी का जीवन</div><div

12

ये औरते ऐसी क्यों है

7 नवम्बर 2021
5
1
0

<div align="left"><p dir="ltr">ये औरते ऐसी क्यों है<br> क्यों होती ये अजीब<br> या अधूरा काम करना <br

13

मै कौन हूं मै हूं कहा

11 नवम्बर 2021
14
6
10

<div><span style="font-size: 16px;">मै कौन हूं </span></div><div><span style="font-size: 16px;"

14

बेटी की विदाई

11 नवम्बर 2021
3
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2

<div align="left"><p dir="ltr">कन्यादान हुआ अब विदाई की बारी<br> हंसी खुशी रस्में निभाई अब जुदाई की

15

कैसा जमाना बेरहम है

12 नवम्बर 2021
4
3
2

<div align="left"><p dir="ltr">लूट रही आज भी नारी की अस्मत<br> कैसा जमाना बेरहम है<br> बेटी बहू बहन

16

क्या दिल नहीं रहता कोई मलाल

13 नवम्बर 2021
11
5
7

<div align="left"><p dir="ltr">क्या फायदा आक्रोश<br> करते रहने का<br> जब मैं जज्बा ही <br> ना हो कुछ

17

ना बेटी को समझो बोझ

16 नवम्बर 2021
6
3
1

<p>वो चंचल मनचली तितलियों सी हुआ करती थी<br> <br> भाई सखियो को सताए करती थी<br> <br> आज उनसे मुलाकात

18

बड़ी अदाकारा होती है लड़कियां

20 नवम्बर 2021
8
4
4

<div><span style="font-size: 16px;">तन्हाई में भी मुस्कुराती है ,</span></div><div><span style="font

19

इंसानियत हुई शर्मसार

21 नवम्बर 2021
9
4
2

<p>बुरा सपना बनकर</p> <p>वो लम्हा था आया</p> <p>ताउम्र का जख्म था पाया</p> <p>एक मासूम कली को</p> <p

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नहीं आसान एक औरत सा करना प्यार

22 नवम्बर 2021
4
4
3

<p>नहीं आसान एक औरत सा करना प्यार<br> जब उसके दिल को कोई भाता है<br> वो उसके दिल में बस जाता है<br>

21

क्यों सिर्फ लड़कियों के लिए जाल है

24 नवम्बर 2021
8
5
5

<p>कैसा ये मंज़र सारा है <br> ऐसा क्यों आस पास <br> नज़ारा है<br> <br> क्यों दुनिया ऐसी सारी है<br>

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आत्मनिर्भर आखिर स्त्री कैसे रह पाए

24 नवम्बर 2021
4
3
1

<div align="left"><p dir="ltr">आत्मनिर्भर आखिर स्त्री कैसे रह पाए<br> जब अपने ही सदा से उसे छलते आए<

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ना कोई प्रमाण दूंगी

25 नवम्बर 2021
9
9
6

<div align="left"><p dir="ltr">मै नहीं सीता <br> चरित्र है पवित्र<br> ना कोई प्रमाण दूंगी<br> ना अग्

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इतना आसान नहीं  अपना वजूद खोना

27 नवम्बर 2021
5
3
3

<div><span style="font-size: 16px;">एक नवजात शिशु जन्म लेकर</span></div><div><span style="font-size:

25

ओस की बूदों सी बेटियां

29 नवम्बर 2021
0
1
0

<div><div><span style="font-size: 16px;">ओस की बूंदों से ये बेटियां</span></div><div><span style="fo

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जीवन का रंग सफेद

30 नवम्बर 2021
6
5
3

<p>जाने क्यों ये रीत बनाई<br> विधवा जीवन में एक औरत को<br> मिले सिर्फ रुसवाई<br> ईश्वर ने रंग बनाए अ

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औरत का मन

2 दिसम्बर 2021
9
5
6

<p>मोम सा औरत का मन<br> <br> सिर्फ उसके लिए जो<br> <br> उसके मन को भाए<br> <br> जो दिल औरत का<br> <b

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क्या होगा इस कहानी का अंजाम

13 दिसम्बर 2021
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<div align="left"><p dir="ltr">एक चंचल तितली<br> वो मासूम कली<br> खिलने से पहले ही<br> मुरझाने की सज

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प्राचीन भारत की नारी

1 जनवरी 2022
1
0
0

हम प्राचीन भारत की नारी हौसलों से भरे हम उड़ान अपना आसमान खुद पाए नही किसी के हम मोहताज ना शिकायत न ही है थकान पूरे करे अपनों और अपने भी अरमान ना करना नारी तुम अपमान नारी से ही तो चलता ये जहां पुरुष को जन्म देकर काबिल बनाती कर सकता फिर ही अपने पुरुष होने का अभिमान प्राचीन भारत की हम नारी हमसे भी है भारत की शान

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वो ऐसा कैसे कर सकती है

10 फरवरी 2022
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5
4

क्यों कहते है वो ऐसा कैसे कर सकती है किसी चले जाने के बाद भी वो है जिंदा तो जीवन में आगे बढ़ क्यों भी फिर जी सकती है जो गम के बादल छंट जाए उसे साथी कोई मिल जाए तो क्यों उसे नहीं अपना सकती क्यों दकि

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