"अब आगे क्या "(व्यंग्य)
तड़ाक,तड़ाक,तड़ाक ,ये थप्पड़ नहीं एक आवाज है जो कहीं कहीं सुनायी पड़ रहा है। जैैसे
हवा भी होती है पर दिखती नहीं है।पिछले हफ्ते देश में पहले तो तीन तलाक पर ये तड़ाक का साया पड़ा और अब जम्मू कश्मीर में ,370,35-A, और स्पेशल स्टेटस को हटा लिया गया।ये हटी तो भी तीन का ही जिक्र था और हटने के बाद भी सिर्फ तीन परिवारों का जिक्र जेरे बहस है ।दो सोमवार, रात के आठ बजे और भाइयों और बहनों को उद्बोधन लोगों में किसी सस्पेंस फिल्म की तरह सनसनी पैदा करता है कि अब आगे क्या ।वैसे "अब आगे क्या "का सवाल ना सिर्फ देश की जनता के मन में है ,बल्कि छदम धर्मनिरपेक्षता और राजनीति के ठेकेदार बने रहे लोग परेशान हैं कि अब क्या होगा ,उन्हें कुछ सूझ ही नहीं रहा है कि क्या करें ,खुलकर विरोध करें तो देश की जनता नाराज होती है और खुलकर विरोध ना करें तो उनकी वो स्पेशल स्टेटस भी जाती रहती है ,जिनके बल पर मुद्दतों से राज रजा है ।बड़ा धर्मसंकट है ,
"कैद ये है कि बज़्म में हो होंठ सिले
हुक्म ये है कि हर बात जुबानी कहिये "
इंसानियत,जम्हूरियत,कश्मीरियत की दुहाई के नाम पर अपनी सियासत चमकाने वालों की रबड़ी,मलाई,चाशनी पर तड़ाक,तड़ाक,तड़ाक हो गया
अचानक।अवाम जिनका साथ पहले ही छोड़ गयी थी ,अब ट्वीटर से भी महरूम हैं ।ना ट्वीट,ना री ट्वीट
ऊपर से स्यापे पर सहानभूति का मलहम रखने वाला भी कोई नहीं।ये भूल गए थे कि अवाम से हुक्काम होती है,हुक्काम से अवाम नहीं ।
"कुर्सी पे जो आ गया,वो हो गया खुदा
किसको सुनायें, दर्दे गम अवाम के "
अवाम की किसी ने ना सुनी,बस अवाम को झुण्ड समझ लिया था ,अब समय बदल गया और समीकरण भी।
भारत में भी कुछ लोग परेशान हैं कि अब उनकी आवाज़ों को महत्व नहीं दिया जा रहा है ।पिछली बार जेएनयू में देश विरोधी नारे लगाने वाले इस बार डर डर के नारे लगा रहे हैं ,मीडिया के कैमरों ने बड़ी परेशानी खड़ी कर दी है ।वैसे भी पिछली बार इससे पैदा हुए युवा तुर्क ना तो नेता बन पाए और ना ही लोकप्रिय चेहरा ।क्या करें बेचारे जंतर मंतर पर भी भीड़ जुड़ नहीं पायी।पोस्ट ट्रूथ वाले मीडिया मुग़ल अपने अवार्ड में मस्त हैं और उनकी एक सीनियर साथी अपनी बेरोजगारी से त्रस्त हैं इसे ही कहते हैं
"माया मिली ना राम "।शुक्र है पोस्ट ट्रुथ इतना पावरफुल होता है कि भले आपको रूपये ना मिले मगर डॉलर का जुगाड़ तो हो ही जाता है।
यही "अब आगे क्या "का रोना इमरान खान नियाजी साहब भी पाकिस्तान की पार्लियामेंट में रो रहे हैं कि हिंदुस्तान ने उनके साथ अचानक बेवफाई कर दी।मामला ए मर्ज दुनिया की नजर में आया तो हुक्कामों को हकीमों ने बताया कि बेवफाई का तो कोई मसला ही नहीं है क्योंकि वफ़ा का कोई मुआयदा तो हिंदुस्तान ने पाकिस्तान से किया ही नहीं था ।नियाजी साहब ने फरमाया कि कश्मीर हर पाकिस्तानी का इश्क़ है ,हिन्दुस्तान में पैदा होने वाले हर बच्चे को बाल जीवन घुट्टी पिलायी जाती है और पाकिस्तान के हर बच्चे को ये घुट्टी पिलायी जाती है कि
"कश्मीर बनेगा पाकिस्तान "।कोई पाकिस्तानी जब ये बात कहता है तो लोग उसे "जोक आफ द ईयर "कहते हैं।उस पर तुर्र्रा ये है कि उनकी पार्लियामेंट में भी ऐसा नारा लग रहा है ,दुनिया सोचती है कि पाकिस्तान की पार्लियामेंट को कॉमेडी सर्कस का खिताब दें या कुछ और।नियाजी ने फरमाया कि कश्मीर से लोगों की भावनाएं जुडी हुई हैं और चचा ट्रम्प पाकिस्तानियों के इश्क के मर्ज का इलाज करें वरना जंग हो जायेगी।
चचा ट्रम्प मुस्कराये और बोले
"मरीजे इश्क पर लानत खुदा की
मर्ज बढ़ता गया ,ज्यों-ज्यों दवा की "
नियाजी ने शेरवानी का आँचल फैला दिया ,क्योंकि मेटल डिटेक्टर ने भीख का कटोरा पकड़ लिया था सो वो अंदर कटोरा नहीं ले जा सके।चचा ट्रम्प ने सौ डॉलर का नोट नियाजी की झोली में डाल दिया और कहा -
"जाओ ,इससे बम -बारूद नहीं,बल्कि टमाटर खरीद लेना ,जिसकी इस वक्त पाकिस्तान को बहुत जरूरत है "।
नियाजी की आँख भर गयी और बोले "ये दिल कश्मीर और डॉलर मांगे मोर"।
चचा ट्रम्प ने हँसते हुए कहा "हकीकत का सामना करो और भावनाओं को समझो "।
नियाजी पाकिस्तान लौट आये ,जंग के लिए तकरीरें कर रहे हैं कि बहादुर कौमें भूखे पेट लड़ेंगी ।एक मशहूर पाकिस्तानी शायर ने सुपर प्राइम मिनिस्टर हाफ़िज़ सईद और कार्यवाहक वजीरे आजम को पाकिस्तानी की भुखमरी के सबब एक सवाल कुछ यूँ भेजा है
"बहुत सुनी है मैंने तुम्हारी तकरीर मौलाना
मगर बदली नहीं है अब तक मेरी तकदीर मौलाना
तुम्हारे पापों ने है मुल्क का बेड़ा गर्क किया
सूना है,शी जिनपिंग है तुम्हारा पीर मौलाना"
नियाजी साहब ने जिनपिंग फ़ूफ़ाजान को ये चिट्ठी भेज दी है और कुछ युआन मांगे है ,साथ में ये भी पूछा है कि "अब आगे क्या "?☺️
समाप्त।