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अब आगे क्या

11 अगस्त 2019

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"अब आगे क्या "(व्यंग्य)


तड़ाक,तड़ाक,तड़ाक ,ये थप्पड़ नहीं एक आवाज है जो कहीं कहीं सुनायी पड़ रहा है। जैैसे

हवा भी होती है पर दिखती नहीं है।पिछले हफ्ते देश में पहले तो तीन तलाक पर ये तड़ाक का साया पड़ा और अब जम्मू कश्मीर में ,370,35-A, और स्पेशल स्टेटस को हटा लिया गया।ये हटी तो भी तीन का ही जिक्र था और हटने के बाद भी सिर्फ तीन परिवारों का जिक्र जेरे बहस है ।दो सोमवार, रात के आठ बजे और भाइयों और बहनों को उद्बोधन लोगों में किसी सस्पेंस फिल्म की तरह सनसनी पैदा करता है कि अब आगे क्या ।वैसे "अब आगे क्या "का सवाल ना सिर्फ देश की जनता के मन में है ,बल्कि छदम धर्मनिरपेक्षता और राजनीति के ठेकेदार बने रहे लोग परेशान हैं कि अब क्या होगा ,उन्हें कुछ सूझ ही नहीं रहा है कि क्या करें ,खुलकर विरोध करें तो देश की जनता नाराज होती है और खुलकर विरोध ना करें तो उनकी वो स्पेशल स्टेटस भी जाती रहती है ,जिनके बल पर मुद्दतों से राज रजा है ।बड़ा धर्मसंकट है ,


"कैद ये है कि बज़्म में हो होंठ सिले

हुक्म ये है कि हर बात जुबानी कहिये "


इंसानियत,जम्हूरियत,कश्मीरियत की दुहाई के नाम पर अपनी सियासत चमकाने वालों की रबड़ी,मलाई,चाशनी पर तड़ाक,तड़ाक,तड़ाक हो गया

अचानक।अवाम जिनका साथ पहले ही छोड़ गयी थी ,अब ट्वीटर से भी महरूम हैं ।ना ट्वीट,ना री ट्वीट

ऊपर से स्यापे पर सहानभूति का मलहम रखने वाला भी कोई नहीं।ये भूल गए थे कि अवाम से हुक्काम होती है,हुक्काम से अवाम नहीं ।

"कुर्सी पे जो आ गया,वो हो गया खुदा

किसको सुनायें, दर्दे गम अवाम के "

अवाम की किसी ने ना सुनी,बस अवाम को झुण्ड समझ लिया था ,अब समय बदल गया और समीकरण भी।

भारत में भी कुछ लोग परेशान हैं कि अब उनकी आवाज़ों को महत्व नहीं दिया जा रहा है ।पिछली बार जेएनयू में देश विरोधी नारे लगाने वाले इस बार डर डर के नारे लगा रहे हैं ,मीडिया के कैमरों ने बड़ी परेशानी खड़ी कर दी है ।वैसे भी पिछली बार इससे पैदा हुए युवा तुर्क ना तो नेता बन पाए और ना ही लोकप्रिय चेहरा ।क्या करें बेचारे जंतर मंतर पर भी भीड़ जुड़ नहीं पायी।पोस्ट ट्रूथ वाले मीडिया मुग़ल अपने अवार्ड में मस्त हैं और उनकी एक सीनियर साथी अपनी बेरोजगारी से त्रस्त हैं इसे ही कहते हैं

"माया मिली ना राम "।शुक्र है पोस्ट ट्रुथ इतना पावरफुल होता है कि भले आपको रूपये ना मिले मगर डॉलर का जुगाड़ तो हो ही जाता है।

यही "अब आगे क्या "का रोना इमरान खान नियाजी साहब भी पाकिस्तान की पार्लियामेंट में रो रहे हैं कि हिंदुस्तान ने उनके साथ अचानक बेवफाई कर दी।मामला ए मर्ज दुनिया की नजर में आया तो हुक्कामों को हकीमों ने बताया कि बेवफाई का तो कोई मसला ही नहीं है क्योंकि वफ़ा का कोई मुआयदा तो हिंदुस्तान ने पाकिस्तान से किया ही नहीं था ।नियाजी साहब ने फरमाया कि कश्मीर हर पाकिस्तानी का इश्क़ है ,हिन्दुस्तान में पैदा होने वाले हर बच्चे को बाल जीवन घुट्टी पिलायी जाती है और पाकिस्तान के हर बच्चे को ये घुट्टी पिलायी जाती है कि

"कश्मीर बनेगा पाकिस्तान "।कोई पाकिस्तानी जब ये बात कहता है तो लोग उसे "जोक आफ द ईयर "कहते हैं।उस पर तुर्र्रा ये है कि उनकी पार्लियामेंट में भी ऐसा नारा लग रहा है ,दुनिया सोचती है कि पाकिस्तान की पार्लियामेंट को कॉमेडी सर्कस का खिताब दें या कुछ और।नियाजी ने फरमाया कि कश्मीर से लोगों की भावनाएं जुडी हुई हैं और चचा ट्रम्प पाकिस्तानियों के इश्क के मर्ज का इलाज करें वरना जंग हो जायेगी।

चचा ट्रम्प मुस्कराये और बोले

"मरीजे इश्क पर लानत खुदा की

मर्ज बढ़ता गया ,ज्यों-ज्यों दवा की "

नियाजी ने शेरवानी का आँचल फैला दिया ,क्योंकि मेटल डिटेक्टर ने भीख का कटोरा पकड़ लिया था सो वो अंदर कटोरा नहीं ले जा सके।चचा ट्रम्प ने सौ डॉलर का नोट नियाजी की झोली में डाल दिया और कहा -

"जाओ ,इससे बम -बारूद नहीं,बल्कि टमाटर खरीद लेना ,जिसकी इस वक्त पाकिस्तान को बहुत जरूरत है "।

नियाजी की आँख भर गयी और बोले "ये दिल कश्मीर और डॉलर मांगे मोर"।

चचा ट्रम्प ने हँसते हुए कहा "हकीकत का सामना करो और भावनाओं को समझो "।

नियाजी पाकिस्तान लौट आये ,जंग के लिए तकरीरें कर रहे हैं कि बहादुर कौमें भूखे पेट लड़ेंगी ।एक मशहूर पाकिस्तानी शायर ने सुपर प्राइम मिनिस्टर हाफ़िज़ सईद और कार्यवाहक वजीरे आजम को पाकिस्तानी की भुखमरी के सबब एक सवाल कुछ यूँ भेजा है

"बहुत सुनी है मैंने तुम्हारी तकरीर मौलाना

मगर बदली नहीं है अब तक मेरी तकदीर मौलाना

तुम्हारे पापों ने है मुल्क का बेड़ा गर्क किया

सूना है,शी जिनपिंग है तुम्हारा पीर मौलाना"

नियाजी साहब ने जिनपिंग फ़ूफ़ाजान को ये चिट्ठी भेज दी है और कुछ युआन मांगे है ,साथ में ये भी पूछा है कि "अब आगे क्या "?☺️

समाप्त।

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मन का रावण (व्यंग्य)हा, तुम्हारी मृदुल इच्छाहाय मेरी कटु अनिच्छा था बहुत माँगा ना तुमने ,किंतु वह भी दे ना पाया ।था मैंने तुम्हे रुलाया ,,ये एक तसल्ली भरा सन्देश है उन लोगों की तरफ से जिन्होंने इस बार मन के रावण को पुष्पित -पल्लवित नहीं होने दिया ।इस बार का दशहरा बहुत फीका फीका रहा।,फेसबुक के कॉलेज

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मेला ऑन ठेला ,(व्यंग्य)"सारी बीच नारी है ,या नारी बीच सारीसारी की ही नारी है,या नारी ही की सारी"जी नहीं ये किसी अलंकार को पता लगाने की दुविधा नहीं है ,बल्कि ये नजीर और नजरनवाज नजारा फिलहाल लिटरेरी मेले का है ।मेले में ठेला है ,ये ठेले पर मेला है ।बकौल शायर "नजर नवाज नजार

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तो क्यों धन संचय (व्यंग्य)हाल ही में एक ट्वीट ने काफी सुर्खियां बटोरी ,"पूत कपूत तो क्यों धन संचयपूत सपूत तो क्यों धन संचय"जिसमें अमिताभ बच्चन साहब ने सन्तान के लिये धन एकत्र ना करने का स दिया उपदेश दिया है लोगों ने इस वाक्य को आई ओपनर की संज्ञा दी है ।लोग बाग़ ये अनुमान लगा रहे हैं कि प्रयाग में जन्

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24 नवम्बर 2019
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अबकी बार,तीन सौ पार,(व्यंग्य)"नहीं निगाह में मंजिल तो जुस्तजू ही सही नहीं विसाल मयस्सर तो आरजू ही सही "जी नहीं ये किसी हारे या हताश राजनैतिक पार्टी के कार्यकर्ता की पीड़ा या उन्माद नहीं है।बल्कि हाल के दिनों में तीन सौ शब्द काफी चर्चा में रहा।एक राजनैतिक दल ने तीन सौ की ह

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ये कैसे हुआ

30 नवम्बर 2019
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"ये कैसे हुआ" (व्यंग्य)फ़ांका मस्ती ही हम गरीबों की विमल देखभाल करती हैएक सर्कस लगा है भारत में जिसमें कुर्सी कमाल करती है "।उस्ताद शायर सुरेंद्र विमल ने जब ये पंक्तियां कहीं थी तब उन्होंने शायद ये अंदाज़ा लगा लिया था कि इस देश की जनता की साथी उसकी फांकाकशी ही रहने वाली है ।वी द पीपुल तो हमें जनता जन

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पापा नहीं मानेंगे

8 दिसम्बर 2019
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पापा नहीं मानेंगे (व्यंग्य)"खुदा करे इन हसीनों के अब्बा हमें माफ़ कर दें, हमारे वास्ते या खुदा , मैदान साफ़ कर दें ,"एक उस्ताद शायर की ये मानीखेज पंक्तियां बरसों बरस तक आशिकों के जुबानों पर दुआ बनकर आती रहीं थीं ,गोया ये बद्दुआ ही थी ।इन मरदूद आशिकों को ये इल्म नही

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कौआ कान ले गया

14 दिसम्बर 2019
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"कौआ कान ले गया "(व्यंग्य)"हुजूर ,आरिजो रुख्सार क्या तमाम बदनमेरी सुनो तो मुजस्सिम गुलाब हो जाए ,गलत कहूँ तो मेरी आकबत बिगड़ती है जो सच कहूँ तो खुदी बेनकाब हो जाए"इधर सताए हुए कुछ लोगों के जख्मों पर फाहे क्या रखे गए उधर धर्म को अफीम मानने वाले लोगों ने लोगों को राजधर्म याद

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आपको क्या तकलीफ है

21 दिसम्बर 2019
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"आपको क्या तकलीफ है " (व्यंग्य)रिपोर्टर कैमरामैन को लेकर रिपोर्टिंग करने निकला।वो कुछ डिफरेंट दिखाना चाहता था डिफरेंट एंगल से ।उसे सबसे पहले एक बच्चा मिला ।रिपोर्टर ,बच्चे से-"बेटा आपका इस कानून के बारे में क्या कहना है"?बच्चा हँसते हुये-"अच्छा है,अंकल इस ठण्ड में सुबह सुबह उठकर स्कूल नहीं जाना पड़ता

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डर दा मामला है

29 दिसम्बर 2019
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डर दा मामला है (व्यंग्य)"सबसे विकट आत्मविश्वास मूर्खता का होता है ,हमें एक उम्र से मालूम है --हरिशंकर परसाई"।फिल्मों की "द फैक्ट्री "चलाने वाले निर्देशक राम गोपाल वर्मा महोदय ने डर के लेकर दिलचस्प प्रयोग किये।वो अपनी किसी फेम फिल्म में डर फेम शाहरुख़ खान को तो नहीं ला पाये ,लेकिन डर को लेकर उन्होंने

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लोग सड़क पर

5 जनवरी 2020
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"लोग सड़क पर " ( व्यंग्य)"नानक नन्हे बने रहो, जैसे नन्ही दूबबड़े बड़े बही जात हैं दूब खूब की खूब "श्री गुरुनानक देव जी की ये बात मनुष्यता को आइना दिखाने के लिये बहुत महत्वपूर्ण है।ननकाना साहब में जिस तरह गुरूद्वारे को घेर कर सिख श्रद्धालुओं पर पत्थर बाज़ी की गयी और एक कमज़र्फ ने धमकी दी कि वो ये करेगा,

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मेरा वो मतलब नहीं था

11 जनवरी 2020
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"मेरा वो मतलब नहीं था " (व्यंग्य)"जामे जितनी बुद्धि है,तितनो देत बतायवाको बुरा ना मानिए,और कहाँ से लाय"देश में धरना -प्रदर्शन से विचलित ,और अपनी उदासीन टीआरपी से खिन्न फिल्म इंडस्ट्री के कुछ अति उत्साही लोगों ने सोचा कि तीन घण्टे की फिल्म में तो वे देश को आमूलचूल बदल ही द

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कागज़ नहीं दिखाएंगे

19 जनवरी 2020
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"कागज़ नहीं दिखाएंगे "(व्यंग्य)"युग के युवा,मत देख दाएंऔर बाएं और पीछे ,झाँक मत बगलेंन अपनी आँख कर नीचे,अगर कुछ देखना है देख अपने वे वृषभ कंधे,जिन्हें देता निमंत्रणसामने तेरे पड़ा, युग का जुआ "युग का जुआ युवाओं को अपने कंधों पर लेने की हुंकार देने वाले कविवर हरिवंश राय बच्चन अपने अध्यापन के दिनों में

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26 जनवरी 2020
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"खिचड़ी बनाम बिरयानी "(व्यंग्य)"मालिन का है दोष नहीं ,ये दोष है सौदागर का जो भाव पूछता गजरे का और देता दाम महावर का" ऐसा ही कुछ आजकल के धरना प्रदर्शनों का है जो किसी अन्य वजहों की वजह चर्चा में आ जाते हैं बजाय उसके जो वजह उन्होंने चुनी है ।धरना ,वैचारिक मतभेदों को लेकर है

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अंकल कम्युनलिज़्म

10 फरवरी 2020
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अंकल कम्यूनलिज्म (व्यंग्य)"वो सादगी कुछ भी ना करे तो अदा ही लगे वो भोलापन है कि बेबाकी भी हया ही लगेअजीब शख्स है नाराज हो के हँसता है मैं चाहता हूँ कि वो खफा हो तो खफा ही लगे"पोस्ट ट्रुथ के बाद ये फिलहॉल एक नया फैंसी शब्द है जो अपने को डिफेंड करते हुए बाकी सभी के ज्ञान को सतही और छिछला साबित करता है

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ब्लैक स्वान इवेंट

22 फरवरी 2020
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ब्लैक स्वान इवेंट (व्यंग्य)"तुलसी बुरा ना मानिएजौ गंवार कहि जाय जैसे घर का नरदहाभला बुरा बहि जाय "फ़िलहाल देश की आम सहनशील जनता आजकल एक दूसरे को समझाते हुये यही कहती है कि जो बहुत बोल रहे हैं ,बोलते ही जा रहे हैं ,लगातार बोलते रहने से उन्हें ये इल्हाम हो रहा है कि जब सुनें

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कर्फ्यू

27 फरवरी 2020
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कर्फ्यू,(लघुकथा)शहर में कर्फ्यू लगा था।मिसेज शुक्ला काफी परेशान थीं ।बच्ची का ऑपरेशन हुआ था ओठों का।वो कुछ भी खा-पी नहीं पा रही थी ।सिर्फ चिम्मच या स्ट्रॉ से कुछ पी पाती थी खाने का तो कुछ सवाल ही नहीं पैदा होता था।सुबह

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नीचे का खुदा

3 मार्च 2020
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3- नीचे का खुदादोनों सिपाहियों की ड्यूटी थी ,वो दोनों स्नाइपर थे और वो दोनों दुश्मनों के निशाने पर भी थे ।आबिद और इकबाल।वैसे इकबाल हिन्दू था और नाम था इकबाल सिंह ,जबकि आबिद का नाम आबिद पटेल था ।इकबाल को सब इकबाल कहकर ही बुलाते थे ताकि लोगों को लगे के वो मुसलमान है क्योंकि वो शक्ल सूरत और रव

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वर्क फ्रॉम होम

10 मार्च 2020
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वर्क फ्रॉम होम ,(व्यंग्य)आये दिन अख़बारों में इश्तहार आते रहते हैं कि घर से काम करो ,घण्टों के हिसाब से कमाओ,डॉलर,पौंड में भुगतान प्राप्त करो।जिसे देखो फेसबुक,व्हाट्सअप पर भुगतान का स्क्रीनशॉट डाल रहा है कि इतना कमाया,उतना माल अंदर किया ।महीने भर की नौकरी पर एक दिन वेतन पाने वाला फार्मूला अब आदिम लगन

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घर बैठे बैठे

21 मार्च 2020
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"घर बैठे -बैठे"(व्यंग्य)"पुल बोये से शौक से उग आयी दीवारकैसी ये जलवायु है हे मेरे करतार"दुनिया को जीत लेने की रफ्तार में ,चीन ने ये क्या कर डाला ,जलवायु ने सरहद की बंदिशों को धता बताते हुए सबको घुटनों पर ला दिया है ।इस स्वास्थ्य के खतरे ने भस्मासुर की भांति सबको लपेटा और

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मेहँदी लगा कर रखना

4 अप्रैल 2020
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" मेहँदी लगा कर रखना" (व्यंग्य )"मैं इसे शोहरत कहूँ,या अपनी रुस्वाई कहूँ,मुझसे पहले उस गली में ,मेरे अफसाने गये" अपनी तारीफ सुनने से वंचित और और अति व्यस्त रहने वाली नये वाले लिटरैचर विधा की मशहूर भौजी ने खाली बैठे बैठे उकताकर अपनी पुरानी ,विधाबदलू ननदी को फोन लगाया ,भौजी का फोन देखकर ननद रॉनी

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पंडी आन द वे

25 अप्रैल 2020
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पंडी आन द वे (व्यंग्य) जिस प्रकार नदियों के तट पर पंडों के बिना आपको मोक्ष की प्राप्ति नहीं हो सकती, गंगा मैया आपका आचमन और सूर्य देव आपका अर्ध्य स्वीकार नहीं कर सकते जब तक उसमें किसी पण्डे का दिशा निर्देश ना टैग हो, उसी प्रकार साहित्य में पुस्तक मेलों में कोई काम संहित्यिक पंडों और पण्डियों के बिना

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वादा तेरा वादा

10 मई 2020
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“वादा तेरा वादा” “परनिंदा जे रस ले करिहैं निसच्य ही चमगादुर बनिहैं” अर्थात जो दूसरों की निंदा करेगा वो अगले जन्म में चमगादड़ बनेगा।परनिंदा का अपना सुख है ,ये विटामिन है ,प्रोटीन डाइट है और साहित्यकार के लिये तो प्राण वायु है ।परनिंदा एक परमसत्य पर चलने वाला मार्ग है और मुफ्त का यश इसके लक्ष्य हैं।चत

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चाँद और रोटियां

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चाँद और रोटियां (व्यंग्य)प्रगतिशीलता के पुरोधा,परम्पराओं को ध्वस्त करने वाले कवि करुण कालखंडी जी देश में मजदूरों के पलायन से बहुत दुखी थे ,उन्होंने लाक डाउन के पहले दिन से बहुत मर्माहत करने वाली तस्वीरें और करुणा से ओत प्रोत कविताएं लिखी थीं ।वो सरकार पर बरसते ही रहे थे क

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