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नजर लागी रे

13 अक्टूबर 2019

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नजर लागी राजा (व्यंग्य)


"नजर नवाज नजारा ना बदल जाए कहीं

जरा सी बात है ,मुँह से ना निकल जाए कहीं "

जी हाँ बात जरा सी थी मगर बहुत सुर्खियां बटोर लायी है ।रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने राफेल पर नींबू की नजर क्या उतारी ,सोशल मीडिया में एक से एक तमाशे शुरू हो गए।राजनाथ सिंह को लोगों ने मजाक में कहा कि बिन डीजल को रिप्लेस कर सकते हैं अपनी भेषभूषा से।आलोचना तो कम हुई मगर मीम्स की बाढ़ आ गयी ।तब लोगों को पता चला कि भारतीय ट्रक वाले कितने रोमांटिक बन्दे होते हैं और उन वाहनों को पेंट करने वाले कितने क्रिएटिव।अब अगर ट्रक पर लिखी बातों को राफेल पर लिख दिया जायेगा तो कल्पना करें कितनी लुभावनी तस्वीर होगी राफेल की । जैसे कि-

"मालिक की मेहनत, ड्राइवर का पसीना

रोड पर चलती है ,बनकर के हसीना "

राफेल पर लिखा होगा

राफेल को खरीदा है,बनेगा ये देश का नगीना

अभिनंदन उड़ायेगा तो आयेगा पाक को पसीना "

फिर लिखा होगा ,हॉर्न ,,ओके ,प्लीज ,

अगली सर्जिकल स्ट्राइक में पाकिस्तान के आतंकी कैंप में मारे जाने के बाद इमरान खान नियाजी यूनाइटेड नैशन्स में ये मुद्दा उठाएंगे कि राफेल ने दहशतगर्दों को मारने से पहले ना तो हार्न दिया,ना आने से पहले ओके करके इंट्री ली और प्लीज कहने के बाद भी आंकवादियों के कैम्प नष्ट कर डाले अब भारत को समझाएं प्लीज ।

अगली तहरीर राफेल पर होगी कि

"जगह मिलने पर पास दिया जाएगा "

ये सबसे कंफ्यूजिंग बात है कि वो जगह पाक अधिकृत कश्मीर है या अक्साई चिन,, क्योंकि राफेल को अगर काम दिखाने की जगह मिल गयी तो वो इन दोनों जगहों को हिंदुस्तान के पास ला सकता है।

भारतीय ट्रकों के बोनट पर अक्सर लिखा होता है

"ड्राइवर की जिंदगी में लाखों इल्जाम होते हैं

निगाहें साफ़ होती हैं ,फिर भी बदनाम होते हैं "

राफेल के इंजन पर एक तहरीर लिखने का सुझाव ये भी आया है

"आतंकी शिविरों पर हजार किलो का बम गिराना बड़ा काम होता है

आतंकियों को घर में घुसकर जो मारेगा ,उसका भी बड़ा नाम होता है "

एक बेहद शायरमिजाज टैक्टर ट्राली वाले ने राफेल के लिये चंदा देने की और अपने टेम्पो की शायरी के बारे में लिखा है

"चलती है गाड़ी तो उड़ती है धूल

हसीनों के बालों में खिलते हैं फूल "

उसने सुझाव दिया है कि राफेल के पिछले हिस्से पर लिखा जाये कि

"उड़ेगा जो राफेल तो तो आतंकियों को मिलेगी हूल

इस पुष्पक विमान पर ,बहस है बेमानी और फिजूल"


राफेल पर क्या लिखा जाए इस पर एक आशिक मिजाज अपने टेम्पो वाले भाई क्यों पीछे रहते ,उन्होंने अपने टेम्पो पर लिख रखा था -

"आपके लवली पिंक होंठ आपकी ब्यूटी है

और उनको निहारते रहना हमारी ड्यूटी है "

टेम्पो वाले भाई साहब ने राफेल के लिये रूपये और शायरी सुरक्षित कर दिया है जो वो भेजेंगे

"फ्रांस का फैशन अब हिंदुस्तान की ब्यूटी है

"चुन चुन के मारेगा राफेल ये उसकी ड्यूटी है "

बात यहीं तक होती तो गनीमत थी ,सबसे ज्यादा आपत्ति तो बालाकोट वाले हजरात को है जो राफेल पर "फिर मिलेंगे" लिखे जाने से खासे आहत हैं क्योंकि बिना राफेल के दो सर्जिकल स्ट्राइक हो चुके हैं अब वैज्ञानिक सोच वाले मुल्क पाकिस्तान की फर्स्ट लेडी बुशरा बीवी नियाजी के पास दो ही ऑफिसियल जिन्न थे जिससे बकौल पहला उन्होंने हिंदुस्तान की पहली सर्जिकल स्ट्राइक को होने ही नहीं दिया दूसरी सर्जिकल स्ट्राइक उन्होंने अपने दूसरे जिन्न से बालाकोट में पेड़ों पर करवा दी थी ,वाह रे बेगम के जिन्न।ये वैसा ही है जैसे कि 1971 की जंग में पाकिस्तान का रेडियो खबरें प्रसारित करता था कि भारत की वायुसेना जो बम गिराती है ,उसे फरिश्ते जमीन पर पहुँचने से पहले ही लपक लेते हैं और उन बमों को दरिया -ए-रावी में फेंक देते हैं ,पाकिस्तान फरिश्तों से चला है और जिन्नों की कारगुजारियों से महफूज होने की कोशिश कर रहा है ।दो ही जिन्न ,दोनों सर्जिकल स्ट्राइक में दोनों जिन्न फना हो गए और उस पर तुर्रा ये कि राफेल पर लिखेंगे ,,,फिर मिलेंगे ,,,रब खैर करे ।

इधर दिल्ली सब्ज़ी मंडी में घोड़ा गाड़ी वाले एक मस्तमौला बन्दे ने कहा कि "नींबू तो ठीक है ,हरा मिर्चा क्यों नहीं ,नजर बराबर उतरती,बिक्री भी बढ़ती "।

एक सबसे ज्यादा लोकप्रिय इबारत ट्रक वालों ने वापस ले ली है कि -

"बुरी नजर वाले तेरा मुँह काला "

ऐसा इसलिये वापस ले लिया गया है कि बकौल फेयरनेस क्रीम की अब भारत में उन्होंने सब कुछ गोरा गोरा कर दिया है ।

इस सब बतकही से परेशान एक पचास साल के लाडले लड़के के मन में एक सवाल कुलबुला रहा है कि "जब भारत में इतने अच्छे मिक्सर ग्राइंडर हैं तो शिकंजी बनाने के लिये नींबू को राफेल के टायर के नीचे रखने की जरूरत क्या थी "

सवाल बहुत मार्के का है ,वल्लाह इस सवाल पूछने वाले को नजर का टीका लगाने के लिये मैं काजल ढूंढ़ ने जा रहा हूँ और इस सवाल पर मेरे मुंह से इस लाडले के लिये बस यही दुआ निकल रही है

"खुदा आपको नजरे बद से बचाये

कहीं दुश्मनों की नजर ना लग जाये "

😊,समाप्त ,,,कृते,,,दिलीप कुमार


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अबकी बार,तीन सौ पार,(व्यंग्य)"नहीं निगाह में मंजिल तो जुस्तजू ही सही नहीं विसाल मयस्सर तो आरजू ही सही "जी नहीं ये किसी हारे या हताश राजनैतिक पार्टी के कार्यकर्ता की पीड़ा या उन्माद नहीं है।बल्कि हाल के दिनों में तीन सौ शब्द काफी चर्चा में रहा।एक राजनैतिक दल ने तीन सौ की ह

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"ये कैसे हुआ" (व्यंग्य)फ़ांका मस्ती ही हम गरीबों की विमल देखभाल करती हैएक सर्कस लगा है भारत में जिसमें कुर्सी कमाल करती है "।उस्ताद शायर सुरेंद्र विमल ने जब ये पंक्तियां कहीं थी तब उन्होंने शायद ये अंदाज़ा लगा लिया था कि इस देश की जनता की साथी उसकी फांकाकशी ही रहने वाली है ।वी द पीपुल तो हमें जनता जन

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8 दिसम्बर 2019
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पापा नहीं मानेंगे (व्यंग्य)"खुदा करे इन हसीनों के अब्बा हमें माफ़ कर दें, हमारे वास्ते या खुदा , मैदान साफ़ कर दें ,"एक उस्ताद शायर की ये मानीखेज पंक्तियां बरसों बरस तक आशिकों के जुबानों पर दुआ बनकर आती रहीं थीं ,गोया ये बद्दुआ ही थी ।इन मरदूद आशिकों को ये इल्म नही

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14 दिसम्बर 2019
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कागज़ नहीं दिखाएंगे

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26 जनवरी 2020
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"खिचड़ी बनाम बिरयानी "(व्यंग्य)"मालिन का है दोष नहीं ,ये दोष है सौदागर का जो भाव पूछता गजरे का और देता दाम महावर का" ऐसा ही कुछ आजकल के धरना प्रदर्शनों का है जो किसी अन्य वजहों की वजह चर्चा में आ जाते हैं बजाय उसके जो वजह उन्होंने चुनी है ।धरना ,वैचारिक मतभेदों को लेकर है

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अंकल कम्युनलिज़्म

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3- नीचे का खुदादोनों सिपाहियों की ड्यूटी थी ,वो दोनों स्नाइपर थे और वो दोनों दुश्मनों के निशाने पर भी थे ।आबिद और इकबाल।वैसे इकबाल हिन्दू था और नाम था इकबाल सिंह ,जबकि आबिद का नाम आबिद पटेल था ।इकबाल को सब इकबाल कहकर ही बुलाते थे ताकि लोगों को लगे के वो मुसलमान है क्योंकि वो शक्ल सूरत और रव

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10 मार्च 2020
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वर्क फ्रॉम होम ,(व्यंग्य)आये दिन अख़बारों में इश्तहार आते रहते हैं कि घर से काम करो ,घण्टों के हिसाब से कमाओ,डॉलर,पौंड में भुगतान प्राप्त करो।जिसे देखो फेसबुक,व्हाट्सअप पर भुगतान का स्क्रीनशॉट डाल रहा है कि इतना कमाया,उतना माल अंदर किया ।महीने भर की नौकरी पर एक दिन वेतन पाने वाला फार्मूला अब आदिम लगन

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" मेहँदी लगा कर रखना" (व्यंग्य )"मैं इसे शोहरत कहूँ,या अपनी रुस्वाई कहूँ,मुझसे पहले उस गली में ,मेरे अफसाने गये" अपनी तारीफ सुनने से वंचित और और अति व्यस्त रहने वाली नये वाले लिटरैचर विधा की मशहूर भौजी ने खाली बैठे बैठे उकताकर अपनी पुरानी ,विधाबदलू ननदी को फोन लगाया ,भौजी का फोन देखकर ननद रॉनी

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