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लोहा टू लोहा

25 अगस्त 2019

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लोहा टू लोहा (व्यंग्य )



आजकल देश में मोटा भाई कहने का चलन बहुत बढ़ गया है।माना जाता है कि बंधुत्व और दोस्ती का ये रिश्ता लोहे की मानिंद सॉलिड है। पहले ये शब्द भैया कहा जाता था ,लेकिन जब से अमर सिंह ने अमिताभ बच्च्न को भैया कहने के बाद हुए अपने हादसे का दर्द बयान किया तब से लोग भैया के बजाय मोटा भाई ही कहना ज्यादा मुफीद समझते हैं ।गुजरात के विश्व बंधुत्व की चली ये बयार देश की आबो हवा को काफी हद तक हानिकारक तत्वों से मुक्त कर रही है।आम तौर पर मृदु भाषी,शांत और मसाले रहित शाकाहारी भोजन करने वाले गुजराती जब कुछ करते हैं तब बहुत दूर तक सोच करते हैं ।गांधी जी ने भी जब किया तब बहुत बाकमाल किया और दुनिया भर के हिस्से अपने अपने भाग्य पर अफ़सोस करते हैं कि काश हमारे पास एक गांधी होता ।देश में लोग मजाक में कहते हैं कि गुजरातियों को चैलेंज नहीं करना चाहिए ,उनके शब्द नहीं कृति बोलती है ।सरदार पटेल से लेकर आज तक के दो मोटा भाई को देख लें।इधर एक और गुजरती अम्बानी की कम्पनी में पाकिस्तान के तारन हार सऊदी अरब ने इतना बड़ा निवेश कर दिया है कि अकेले उतनी रकम दुनिया की 39 देशों की अर्थव्यस्था पर भारी पड़ गयी।जैसे भारत में कृषि आय जो जीडीपी की दुगुनी होती जा रही है।कर विशेषज्ञ और ट्रेड पंडित हैरान हैं कि दिन रात खेत में काम करने वाला किसान फटेहाल है ,और एक बीघे से अमूमन सात सौ रूपये ही साल के कमा पाता है ,लेकिन पार्ट टाइम खेती करने वाले लोग अपने लॉन ,और बालकनी से लाखों कमा लेते हैं।हाल ही में मीडिया में इस बात की खबरें शाया हुईं कि एक बेहद कद्दावर शख्स ने अपने बालकनी में गोभी से आमदनी करोड़ों रूपये कमाए हैं जबकि अपने मुख्य हाई प्रोफाइल व्यवसाय से लाखों रूपये ही कमाए हैं।ये किसानी का आकर्षण है ही ऐसा लोग कूद पड़ते हैं ,जैसे अमिताभ कूद पड़े ,बेचारे जेल जाते जाते बचे थे ,आजकल अपने खेतों का ही चावल खाते हैं और ट्रेक्टर की फोटो भी पोस्ट की थी,जी सही समझा आपने वो ट्रेक्टर उनकी रिश्तेदार की की कम्पनी का था वो भी बेटी की साइड से ।इधर पाकिस्तान की हालत काफी दिलचस्प हो गयी है ,उसने इंतिहाई तरक्की की है ,गधों,बछड़ों और कट्टों के बाद उसने देसी कुत्तों का व्यापार करना शुरू कर दिया।गधों की आबादी का तीसरा सबसे बड़ा मुल्क बनने के बाद अब पाकिस्तान की नजर देसी आवारा कुत्तों पर है ।हाल ही में भारत से हुए तनाव के बाद पाकिस्तान अब उन्हें ऑफिसियली देसी कुत्ता ही कहेगा,भारतीय अभिनेता राजकपूर की आवारा फिल्म के विरोध स्वरूप पाकिस्तान ने देसी कुत्तों को पकड़ कर चीन और फिलीपीन्स भेजेगा ,इन मुल्कों के लिए देसी कुत्ता,देसी मुर्गे जैसा लजीज माना जाता है ,तो इस तरह संभल रही है पाकिस्तान की इकोनॉमी।उनके मिनिस्टर शेख रशीद ,जो नमाज भले ही दिन में पांचो बार की मिस कर जाते हैं ,मगर भारत पर परमाणु हमले की धमकी जरूर देते हैं ,वो जैसे ही परमाणु हमले की धमकी देते हैं ,ट्विटर पर कुछ उत्साही लड़के तुरंत उन्हें सनी देओल की फिल्म का वीडियो टैग कर देते हैं कि -

"सिर पर तिरपाल रखने की औकात नहीं,गोली बारी की बातें करते हैं "।

शेख रशीद तिरपाल का जुगाड़ करने विलायत गये थे ,वहां पर पाकिस्तानी मूल के लोगों ने उन पर अंडे और टमाटर फेंके ।ब्रिटेन में अंडे फेंकना ,संसदीय विरोध माना जाता है ।शेख रशीद इससे निहाल हो गए ।अंडे तो फूट चुके थे रशीद भिखारी ये देखकर ये रो पड़ा ,मगर उसने टमाटर इकठ्ठा कर लिए ,उन्हें कलेजे से लगाकर जार जार रोया और सुना है उसे वो अपने पाकिस्तान में अपने दफ्तर में नुमाइश के तौर पर रख लिए हैं और कहते हैं कि देखो इंडिया वालों हमारे पास भी टमाटर है और मुस्करा कर फरमाते हैं-

"लोग कहते हैं कि हम मुस्कराते बहुत हैं

और हम थक गए अपने दर्द छुपाते छुपाते "


पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति इतनी ज्यादा ख़राब है कि वो जेलों को बंद करने की सोच रहा है ,क्योंकि जेल के कैदियों को खाना देना उसके लिये अब सम्भव नहीं रह गया है ।उधर कर्जा देने वाले मुल्क सख्ती कर रहे हैं कि आतंकवादियों को जेल में डालो,पाकिस्तान ने एक बीच का रास्ता निकाला है कि जो जहां पर रहता है वहीं उस जगह को कानूनी रूप से जेल मान लिया है ,इसके दोहरे फायदे हैं कि बन्दे को जेल भी नहीं जाना पड़ता और कर्जा मांगने वाले को बता देते हैं कि हमने आतंकवादियों को "हाउस अरेस्ट"कर दिया है ।अब देखिये ,हाफ़िज़ सईद और मसूद अजहर अपने अपने हेडक्वार्टर से दुनिया भर में आतंक फैला रहे हैं ,और पाकिस्तान कानूनी रूप से उन्हें हाउस अरेस्ट कह कर कर्जे की अगली किश्त चुकाने के लिए कर्जा मांग रहा है ,ये तो वही नजीर है कि

"मैं अपने चश्मे को चश्मा लगाकर ढूंढ़ता हूँ "।

पाकिस्तान के आर्थिक विपन्नता की आंच भारत तक पहुंच रही है ,इधर खबरें आईं हैं कि पाकिस्तान ,इंडिया में भेजे गए आतंकवादियों को खाने तक का पैसा नहीं दे पा रहा है ,आतंकवादियों ने अपने सारे कारतूस और बारूद बेचकर अपने खाने पीने का इंतजाम किया ,और अब इंतजार कर रहे हैं कोई उनकी बंदूकें भी खरीद ले,कुपोषण और भुखमरी का ये आलम है कि धड़ाधड़ आतंकवादी सरेंडर कर रहे हैं ताकि भारतीय जेलों में उन्हें भरपेट भोजन और सोने की छत मिल सके ,कब तक जंगल में सोयेंगे ।पाकिस्तान के भुगतान का असंतुलन इतना बिगड़ गया कि भारत में कुछ लोगों का मानसिक संतुलन बिगड़ जाने का डर है ।पत्थरबाजों के कई महीनों से भुगतान बन्द हैं ,भटके हुए मासूम घरों में आराम फरमा रहे हैं। प्गकिस्तान की तरफ से भुगतान समय से ना होने के कारण राजधानी में "भारत तेरे टुकड़े होंगे ", "भारत की बर्बादी की जंग रहेगी"जैसे नारे अब इतिहास में दफ्न होने के कगार पर हैं ।इंडो -पाक मुशायरे में लाहौर जाकर नली नहारी खाने वाले लोग परेशान हैं कि उनके अमन के गीतों पर लोग हमारे सैनिकों के बलिदान के गीतों को तरजीह दे रहे हैं।कल्चर से अमन की रबड़ी मलाई वाले डेलीगेशन अब नहीं जा पा रहे हैं और ना ही उस पार से तोहफे पा रहे हैं।उर्दू के अजीम लेखक इब्न -ए-सफी साहब ने फरमाया था कि "

चीनियों के बाप और पाकिस्तानियों की बात का कभी भरोसा नहीं करना चाहिए ।ये बात भारत की एक मशहूर अंग्रेजी लेखिका नहीं समझ सकीं ,उन्होंने आतंक के पोस्टर बॉय ,बुरहान वानी के खूब कसीदे गढ़े ,अब एक पाकिस्तानी डिप्लोमेट ने ये कहकर स्कैंडल खड़ा कर दिया कि वानी की ये ब्रांडिंग भारतीय मीडिया में भुगतान से प्रेरित थी और अब हम ऐसे भुगतान कर पाने में असमर्थ हैं ।अब सच क्या है ये तो समय ही बताएगा लेकिन हिलेरी क्लिंटन की पाकिस्तान के संदर्भ में कही गयी एक बात बड़ी मौजू हो चली है कि

"आप अपने आँगन में सांप पालें और ये उम्मीद करें कि वो सिर्फ आपके पड़ोसियों को काटें ,ये हमेशा नहीं हो सकता "।

हिंदूस्तान में जिनके भुगतान रुके हैं वो अपने मुल्क में ही मांग खाकर जी सकते हैं,उन्हें ये बात याद रखनी चाहिये थी कि भिखारियों से भुगतान नहीं मिला करते-


"इस दिल के दरीदा दामन को,देखो तो सही ,सोचो तो सही

जिस झोली में सौ छेद हुए,उस झोली को फैलाना क्या"

क्योंकि बात लोहे टू लोहे की है।

😊,समाप्त ,कृते,,, दिलीप कुमार


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24 नवम्बर 2019
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अबकी बार,तीन सौ पार,(व्यंग्य)"नहीं निगाह में मंजिल तो जुस्तजू ही सही नहीं विसाल मयस्सर तो आरजू ही सही "जी नहीं ये किसी हारे या हताश राजनैतिक पार्टी के कार्यकर्ता की पीड़ा या उन्माद नहीं है।बल्कि हाल के दिनों में तीन सौ शब्द काफी चर्चा में रहा।एक राजनैतिक दल ने तीन सौ की ह

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ये कैसे हुआ

30 नवम्बर 2019
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"ये कैसे हुआ" (व्यंग्य)फ़ांका मस्ती ही हम गरीबों की विमल देखभाल करती हैएक सर्कस लगा है भारत में जिसमें कुर्सी कमाल करती है "।उस्ताद शायर सुरेंद्र विमल ने जब ये पंक्तियां कहीं थी तब उन्होंने शायद ये अंदाज़ा लगा लिया था कि इस देश की जनता की साथी उसकी फांकाकशी ही रहने वाली है ।वी द पीपुल तो हमें जनता जन

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8 दिसम्बर 2019
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पापा नहीं मानेंगे (व्यंग्य)"खुदा करे इन हसीनों के अब्बा हमें माफ़ कर दें, हमारे वास्ते या खुदा , मैदान साफ़ कर दें ,"एक उस्ताद शायर की ये मानीखेज पंक्तियां बरसों बरस तक आशिकों के जुबानों पर दुआ बनकर आती रहीं थीं ,गोया ये बद्दुआ ही थी ।इन मरदूद आशिकों को ये इल्म नही

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14 दिसम्बर 2019
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"कौआ कान ले गया "(व्यंग्य)"हुजूर ,आरिजो रुख्सार क्या तमाम बदनमेरी सुनो तो मुजस्सिम गुलाब हो जाए ,गलत कहूँ तो मेरी आकबत बिगड़ती है जो सच कहूँ तो खुदी बेनकाब हो जाए"इधर सताए हुए कुछ लोगों के जख्मों पर फाहे क्या रखे गए उधर धर्म को अफीम मानने वाले लोगों ने लोगों को राजधर्म याद

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21 दिसम्बर 2019
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"आपको क्या तकलीफ है " (व्यंग्य)रिपोर्टर कैमरामैन को लेकर रिपोर्टिंग करने निकला।वो कुछ डिफरेंट दिखाना चाहता था डिफरेंट एंगल से ।उसे सबसे पहले एक बच्चा मिला ।रिपोर्टर ,बच्चे से-"बेटा आपका इस कानून के बारे में क्या कहना है"?बच्चा हँसते हुये-"अच्छा है,अंकल इस ठण्ड में सुबह सुबह उठकर स्कूल नहीं जाना पड़ता

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29 दिसम्बर 2019
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5 जनवरी 2020
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मेरा वो मतलब नहीं था

11 जनवरी 2020
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"मेरा वो मतलब नहीं था " (व्यंग्य)"जामे जितनी बुद्धि है,तितनो देत बतायवाको बुरा ना मानिए,और कहाँ से लाय"देश में धरना -प्रदर्शन से विचलित ,और अपनी उदासीन टीआरपी से खिन्न फिल्म इंडस्ट्री के कुछ अति उत्साही लोगों ने सोचा कि तीन घण्टे की फिल्म में तो वे देश को आमूलचूल बदल ही द

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कागज़ नहीं दिखाएंगे

19 जनवरी 2020
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"कागज़ नहीं दिखाएंगे "(व्यंग्य)"युग के युवा,मत देख दाएंऔर बाएं और पीछे ,झाँक मत बगलेंन अपनी आँख कर नीचे,अगर कुछ देखना है देख अपने वे वृषभ कंधे,जिन्हें देता निमंत्रणसामने तेरे पड़ा, युग का जुआ "युग का जुआ युवाओं को अपने कंधों पर लेने की हुंकार देने वाले कविवर हरिवंश राय बच्चन अपने अध्यापन के दिनों में

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खिचड़ी बनाम बिरयानी

26 जनवरी 2020
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"खिचड़ी बनाम बिरयानी "(व्यंग्य)"मालिन का है दोष नहीं ,ये दोष है सौदागर का जो भाव पूछता गजरे का और देता दाम महावर का" ऐसा ही कुछ आजकल के धरना प्रदर्शनों का है जो किसी अन्य वजहों की वजह चर्चा में आ जाते हैं बजाय उसके जो वजह उन्होंने चुनी है ।धरना ,वैचारिक मतभेदों को लेकर है

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अंकल कम्युनलिज़्म

10 फरवरी 2020
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अंकल कम्यूनलिज्म (व्यंग्य)"वो सादगी कुछ भी ना करे तो अदा ही लगे वो भोलापन है कि बेबाकी भी हया ही लगेअजीब शख्स है नाराज हो के हँसता है मैं चाहता हूँ कि वो खफा हो तो खफा ही लगे"पोस्ट ट्रुथ के बाद ये फिलहॉल एक नया फैंसी शब्द है जो अपने को डिफेंड करते हुए बाकी सभी के ज्ञान को सतही और छिछला साबित करता है

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ब्लैक स्वान इवेंट

22 फरवरी 2020
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ब्लैक स्वान इवेंट (व्यंग्य)"तुलसी बुरा ना मानिएजौ गंवार कहि जाय जैसे घर का नरदहाभला बुरा बहि जाय "फ़िलहाल देश की आम सहनशील जनता आजकल एक दूसरे को समझाते हुये यही कहती है कि जो बहुत बोल रहे हैं ,बोलते ही जा रहे हैं ,लगातार बोलते रहने से उन्हें ये इल्हाम हो रहा है कि जब सुनें

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27 फरवरी 2020
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कर्फ्यू,(लघुकथा)शहर में कर्फ्यू लगा था।मिसेज शुक्ला काफी परेशान थीं ।बच्ची का ऑपरेशन हुआ था ओठों का।वो कुछ भी खा-पी नहीं पा रही थी ।सिर्फ चिम्मच या स्ट्रॉ से कुछ पी पाती थी खाने का तो कुछ सवाल ही नहीं पैदा होता था।सुबह

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3 मार्च 2020
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3- नीचे का खुदादोनों सिपाहियों की ड्यूटी थी ,वो दोनों स्नाइपर थे और वो दोनों दुश्मनों के निशाने पर भी थे ।आबिद और इकबाल।वैसे इकबाल हिन्दू था और नाम था इकबाल सिंह ,जबकि आबिद का नाम आबिद पटेल था ।इकबाल को सब इकबाल कहकर ही बुलाते थे ताकि लोगों को लगे के वो मुसलमान है क्योंकि वो शक्ल सूरत और रव

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वर्क फ्रॉम होम

10 मार्च 2020
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वर्क फ्रॉम होम ,(व्यंग्य)आये दिन अख़बारों में इश्तहार आते रहते हैं कि घर से काम करो ,घण्टों के हिसाब से कमाओ,डॉलर,पौंड में भुगतान प्राप्त करो।जिसे देखो फेसबुक,व्हाट्सअप पर भुगतान का स्क्रीनशॉट डाल रहा है कि इतना कमाया,उतना माल अंदर किया ।महीने भर की नौकरी पर एक दिन वेतन पाने वाला फार्मूला अब आदिम लगन

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घर बैठे बैठे

21 मार्च 2020
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"घर बैठे -बैठे"(व्यंग्य)"पुल बोये से शौक से उग आयी दीवारकैसी ये जलवायु है हे मेरे करतार"दुनिया को जीत लेने की रफ्तार में ,चीन ने ये क्या कर डाला ,जलवायु ने सरहद की बंदिशों को धता बताते हुए सबको घुटनों पर ला दिया है ।इस स्वास्थ्य के खतरे ने भस्मासुर की भांति सबको लपेटा और

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मेहँदी लगा कर रखना

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" मेहँदी लगा कर रखना" (व्यंग्य )"मैं इसे शोहरत कहूँ,या अपनी रुस्वाई कहूँ,मुझसे पहले उस गली में ,मेरे अफसाने गये" अपनी तारीफ सुनने से वंचित और और अति व्यस्त रहने वाली नये वाले लिटरैचर विधा की मशहूर भौजी ने खाली बैठे बैठे उकताकर अपनी पुरानी ,विधाबदलू ननदी को फोन लगाया ,भौजी का फोन देखकर ननद रॉनी

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पंडी आन द वे

25 अप्रैल 2020
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पंडी आन द वे (व्यंग्य) जिस प्रकार नदियों के तट पर पंडों के बिना आपको मोक्ष की प्राप्ति नहीं हो सकती, गंगा मैया आपका आचमन और सूर्य देव आपका अर्ध्य स्वीकार नहीं कर सकते जब तक उसमें किसी पण्डे का दिशा निर्देश ना टैग हो, उसी प्रकार साहित्य में पुस्तक मेलों में कोई काम संहित्यिक पंडों और पण्डियों के बिना

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वादा तेरा वादा

10 मई 2020
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“वादा तेरा वादा” “परनिंदा जे रस ले करिहैं निसच्य ही चमगादुर बनिहैं” अर्थात जो दूसरों की निंदा करेगा वो अगले जन्म में चमगादड़ बनेगा।परनिंदा का अपना सुख है ,ये विटामिन है ,प्रोटीन डाइट है और साहित्यकार के लिये तो प्राण वायु है ।परनिंदा एक परमसत्य पर चलने वाला मार्ग है और मुफ्त का यश इसके लक्ष्य हैं।चत

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चाँद और रोटियां

14 जून 2020
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चाँद और रोटियां (व्यंग्य)प्रगतिशीलता के पुरोधा,परम्पराओं को ध्वस्त करने वाले कवि करुण कालखंडी जी देश में मजदूरों के पलायन से बहुत दुखी थे ,उन्होंने लाक डाउन के पहले दिन से बहुत मर्माहत करने वाली तस्वीरें और करुणा से ओत प्रोत कविताएं लिखी थीं ।वो सरकार पर बरसते ही रहे थे क

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