"घर बैठे -बैठे"(व्यंग्य)
"पुल बोये से शौक से
उग आयी दीवार
कैसी ये जलवायु है
हे मेरे करतार"
दुनिया को जीत लेने की रफ्तार में ,चीन ने ये क्या कर डाला ,जलवायु ने सरहद की बंदिशों को धता बताते हुए सबको घुटनों पर ला दिया है ।इस स्वास्थ्य के खतरे ने भस्मासुर की भांति सबको लपेटा और दोस्त-दुश्मन सभी का फर्क भुला दिया ।
इधर पीएम साहब ने जनता कर्फ्यू का आह्वान किया उधर कुछ लोगों ने उसका विरोध शुरू कर दिया ।भारत में विरोध आमतौर पर तार्किक नहीं बल्कि भावनात्मक होता है ,अब लोगों ने जनहित के मुद्दों पर सेलेब्रिटी लोगों के विरोध को व्यक्तिगत रूप से ले लिया और तापसी पन्नू की थप्पड़ फिल्म को थप्पड़ मारकर नकार दिया।सरकार के लोकप्रिय फैसलों के विरोध का ये नतीजा निकलेगा ये अनुभव सिन्हा के अनुभव से परे था वे ट्वीटर पर लोगों से गाली गलौज करके पूछ रहे हैं कि मेरी फिल्म को थप्पड़ क्यों मारा।हाल ही में एक अति फेमिनिज़्म की झंडाबरदार सत्यग्राही मैडम मिल गयीं आजकल फेसबुक पर थप्पड़ पर दलीलें लिख लिख कर हल्कान हुई जा रहीं हैं ,कुछ दिन पहले ही अपनी उम्रदराज नौकरानी को पटक पटक कर मारने के जुर्म में अग्रिम जमानत पाने के लिए खासी चर्चा में थीं।बेचारी परेशान हैं कि वो और उनकी सखियां-सहेलियां भी थप्पड़ को तोप का गोला बनाने पर तुली हुई हैं लेकिन जनता कर्फ्यू ने उनकी बात का तवज्जो खत्म कर दिया। सत्यग्राही मैडम का मल्टी लेवल मार्केटिंग का एक बहुत बड़ा नेटवर्क है जो अपने -अपने शहर में आउटलेट खोले बैठा है ।इस सत्याग्रही वेंचर्स प्राइवेट लिमिटेड की फ्रेंचाइजी शहरों में है जहां ये अपने जड़ें उसी तरह मजबूत कर रही हैं जिस तरह दरी लगाकर प्रदर्शन करने वाले लोग अब तख्त ले आये हैं ,खुदा जाने आगे गैस सिलिंडर ,घर -गृहस्थी और ना जाने क्या -क्या सामान दिखने लगे इन तख्तों पर ,तख्त पर बैठकर तख्तोताज को बदलने का इनका ख्वाब ऐसा ही है जैसे शेख चिल्ली के ख्वाब। वैसे भी हिंदी के एक शीर्ष साहित्यकार ने इन लोगों को धरने पर कुछ सटीक और महत्वपूर्ण घरेलू टाइप कार्य करने की सलाह दे ही डाली है ।वो दिन दूर नहीं जब आगरा का पेठा जिस तरह मशूहर है उसी तरह धरना गजक,धरना जैकेट,धरना नमकीन जैसे उत्पाद दिख सकते हैं।ऐसा ही परिवर्तन का ख्वाब सत्यग्राही मैडम की फ्रेंचाईजी लेने वाले लोग भी देख रहे हैं ।इनका सत्याग्रह पूंजी के खिलाफ है लेकिन इनके आयोजन जिस शहर में होते हैं उस शहर के दो -चार पूंजीपतियों से ही इनके काम निकलते हैं,मसलन किसी बड़े होटल वाले पूंजीपति से उसका हाल मुफ्त में मांग लेना,किसी रेस्टोरेंट वाले से जलपान स्पॉन्सर कराना ,ये सब इस बिग्रेड के बाएं हाथ का खेल है।लेकिन हाय रे कोरोना ,इन सबको भी कहीं का ना छोड़ा ,ये स्वयं घरों में कैद हैं ,महत्व की जगहों पर जा नहीं पा रही हैं ,इनकी टीम इन्फेक्शन के डर से निकल नहीं रही है ।कुछेक ने तो फेसबुक पर वीडियो डाला कि ऐसे बचें,वैसे बचें ,लेकिन फिर इन्हें याद आया कि ये सब तो सरकार के काम हैं ,इनका काम तो सिर्फ प्रतिरोध है सो कदम पीछे खींच लिए गए।ये सत्याग्रही टीम किसी ग्लैमर आइकॉन को खोज रही है जो इनका ब्रांड एम्बेसडर बन सके।उड़ती सी खबर है कि दुनिया के हर मुद्दे पर राय रखने वाली सोनम कपूर से सम्पर्क को प्रयासरत हैं ये टोली।वैसे तो सोनम कपूर भारत से थोड़ी खफा खफा रहती हैं मगर इस कोरोना क्राइसिस में भारत में हो रही तैयारियों से काफी संतुष्ट है ,पहले वो लंदन के मुकाबले भारत की स्वास्थ्य सेवाओं को कमतर बताती थीं इस बार लंदन वालों की स्वास्थ्य सेवाओं से नाखुश हैं । इस बुद्धिमान स्त्री ने लोगों को ट्वीट करके बताया है कि कि बीमारी से संक्रमित गायिका ने जब भारत में अपना कार्यक्रम दिया था तब संक्रमण उतना नहीं था और होली उसके बाद मनायी गयी थी ।इनके तर्कों से सुना है आलिया भट्ट भी सहमत हैं ,इस प्रकार की विद्वता का समर्थन ऐसे लोग ही कर सकते हैं जिनकी विद्वता स्वयं बहुत उच्च कोटि की हो।इस स्वास्थ्य के संकट ने बहुत लोगों के रोजगार के चोट तो की है मगर कुछ लोगों को रोजगार दिया है ।शूटिंग कैंसिल होने से बेरोजगार बैठे सलमान खान ने अपनी पेंटिंग के काम को दुबारा शुरू कर दिया है ।बरसों पहले अपनी पंचानबे लाख में बिकी पेटिंग से नाखुश सलमान खान हाल ही में दो करोड़ की पेंटिंग के चर्चे से खासे बाउम्मीद हो उठे और फिर से घर बैठे पेंटिंग में हाथ आजमा रहे हैं।सबसे बड़ी हैरानी तो ट्रेड पंडितों को अमिताभ बच्चन को लेकर हुई जो इस महत्वपूर्ण समय में सुरक्षा और सफाई के किसी विज्ञापन के प्रचार -प्रसार के बजाय लोगों से इस समस्या से निपटने के तरीके बताते नजर आये। सत्यग्रही टीम ने पहले सोचा था कि इस वीडियो को ही शेयर किया जाय ,लेकिन अमिताभ बच्चन की स्थायी एंग्री यंग मैन की छवि को ध्यान में रखते हुए ये विचार उन्होंने त्याग दिया ,वो ऐसा कुछ नहीं कर सकतीं जिसका क्रेडिट किसी मैन को मिले।
इस टीम का बड़ा फैंसी ध्येय वाक्य है -
"संवार नोक पलक अवरुओं में ख़म कर दे
"गिरे पड़े हुए लफ्जों को मोहतरम कर दे "
टीम सत्यग्रही घरों में कैद है ,आजकल पूरा परिवार एक दूसरे को बहुत समय दे रहा है ।लोगों के गिले -शिकवे तो मिट रहे हैं मगर इस बात को लेकर भी गृहणियाँ थोड़ी असहज हैं कि पूरे दिन परिवार के लोग घर पर जुटे रहते हैं जिससे उनकी दिनचर्या में खलल पड़ रहा है ,दो घड़ी की भी फुर्सत नहीं।बाल-गोपाल सब हर दम घेरे रहते हैं कोई कहता है ये बना दो कोई कहता है वो खिला दो ।जिन हाथों ने पिछले बहुत बरसों से सिर्फ मेमोरेंडम लिखे हों ,उन हाथों को जब कुछ घरेलू काम करने पड़े वो भी घरवालों के प्यार,मनुहार और इ सरार की वजह से तो तो काफी असहज लगा उन्हें ,आदत जो छूट गयी थी ।तब तक मोबाइल पर एक सत्यग्रही का मैसेज आया जिसमें उत्साह बढ़ाते हुए किसी ने कहा था -
"चमकने वाली है तहरीर तेरी किस्मत की
कोई चिराग की लौ को जरा कम कर दे "
ये सुनते ही सत्याग्रही मैडम ने गृहस्थन की जिम्मेदारी को धता बताते हुए अपना लम्बा चौड़ा और क्रन्तिकारी भाषण शुरू कर दिया।उनके मियां जो होली वाली बोतल लाये थे उसी में थोड़ी बची थी।दो -चार बूंद उसमें से हाथों पे लगाया और कहा-"देखा ये अल्कोहल भी सैनिटाइजर का काम कर सकता है और बाकी के दो -चार घूंट मारने के बाद नाचते हुए फगुआ गाने लगे
"हँसी ,चिकोटी ,गुदगुदी
चितवन,छुवन,लगाव
सीधे-सादे प्यार के
ये हैं मधुर पड़ाव "
सत्याग्रही मैडम हँस पड़ीं ,और फगुआ को पुरवाने लगीं।अब उन्हें जनता कर्फ्यू से कोई उज्र ना रह गया था।😊
समाप्त,
कृते-दिलीप कुमार