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घर बैठे बैठे

21 मार्च 2020

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"घर बैठे -बैठे"(व्यंग्य)


"पुल बोये से शौक से

उग आयी दीवार

कैसी ये जलवायु है

हे मेरे करतार"


दुनिया को जीत लेने की रफ्तार में ,चीन ने ये क्या कर डाला ,जलवायु ने सरहद की बंदिशों को धता बताते हुए सबको घुटनों पर ला दिया है ।इस स्वास्थ्य के खतरे ने भस्मासुर की भांति सबको लपेटा और दोस्त-दुश्मन सभी का फर्क भुला दिया ।

इधर पीएम साहब ने जनता कर्फ्यू का आह्वान किया उधर कुछ लोगों ने उसका विरोध शुरू कर दिया ।भारत में विरोध आमतौर पर तार्किक नहीं बल्कि भावनात्मक होता है ,अब लोगों ने जनहित के मुद्दों पर सेलेब्रिटी लोगों के विरोध को व्यक्तिगत रूप से ले लिया और तापसी पन्नू की थप्पड़ फिल्म को थप्पड़ मारकर नकार दिया।सरकार के लोकप्रिय फैसलों के विरोध का ये नतीजा निकलेगा ये अनुभव सिन्हा के अनुभव से परे था वे ट्वीटर पर लोगों से गाली गलौज करके पूछ रहे हैं कि मेरी फिल्म को थप्पड़ क्यों मारा।हाल ही में एक अति फेमिनिज़्म की झंडाबरदार सत्यग्राही मैडम मिल गयीं आजकल फेसबुक पर थप्पड़ पर दलीलें लिख लिख कर हल्कान हुई जा रहीं हैं ,कुछ दिन पहले ही अपनी उम्रदराज नौकरानी को पटक पटक कर मारने के जुर्म में अग्रिम जमानत पाने के लिए खासी चर्चा में थीं।बेचारी परेशान हैं कि वो और उनकी सखियां-सहेलियां भी थप्पड़ को तोप का गोला बनाने पर तुली हुई हैं लेकिन जनता कर्फ्यू ने उनकी बात का तवज्जो खत्म कर दिया। सत्यग्राही मैडम का मल्टी लेवल मार्केटिंग का एक बहुत बड़ा नेटवर्क है जो अपने -अपने शहर में आउटलेट खोले बैठा है ।इस सत्याग्रही वेंचर्स प्राइवेट लिमिटेड की फ्रेंचाइजी शहरों में है जहां ये अपने जड़ें उसी तरह मजबूत कर रही हैं जिस तरह दरी लगाकर प्रदर्शन करने वाले लोग अब तख्त ले आये हैं ,खुदा जाने आगे गैस सिलिंडर ,घर -गृहस्थी और ना जाने क्या -क्या सामान दिखने लगे इन तख्तों पर ,तख्त पर बैठकर तख्तोताज को बदलने का इनका ख्वाब ऐसा ही है जैसे शेख चिल्ली के ख्वाब। वैसे भी हिंदी के एक शीर्ष साहित्यकार ने इन लोगों को धरने पर कुछ सटीक और महत्वपूर्ण घरेलू टाइप कार्य करने की सलाह दे ही डाली है ।वो दिन दूर नहीं जब आगरा का पेठा जिस तरह मशूहर है उसी तरह धरना गजक,धरना जैकेट,धरना नमकीन जैसे उत्पाद दिख सकते हैं।ऐसा ही परिवर्तन का ख्वाब सत्यग्राही मैडम की फ्रेंचाईजी लेने वाले लोग भी देख रहे हैं ।इनका सत्याग्रह पूंजी के खिलाफ है लेकिन इनके आयोजन जिस शहर में होते हैं उस शहर के दो -चार पूंजीपतियों से ही इनके काम निकलते हैं,मसलन किसी बड़े होटल वाले पूंजीपति से उसका हाल मुफ्त में मांग लेना,किसी रेस्टोरेंट वाले से जलपान स्पॉन्सर कराना ,ये सब इस बिग्रेड के बाएं हाथ का खेल है।लेकिन हाय रे कोरोना ,इन सबको भी कहीं का ना छोड़ा ,ये स्वयं घरों में कैद हैं ,महत्व की जगहों पर जा नहीं पा रही हैं ,इनकी टीम इन्फेक्शन के डर से निकल नहीं रही है ।कुछेक ने तो फेसबुक पर वीडियो डाला कि ऐसे बचें,वैसे बचें ,लेकिन फिर इन्हें याद आया कि ये सब तो सरकार के काम हैं ,इनका काम तो सिर्फ प्रतिरोध है सो कदम पीछे खींच लिए गए।ये सत्याग्रही टीम किसी ग्लैमर आइकॉन को खोज रही है जो इनका ब्रांड एम्बेसडर बन सके।उड़ती सी खबर है कि दुनिया के हर मुद्दे पर राय रखने वाली सोनम कपूर से सम्पर्क को प्रयासरत हैं ये टोली।वैसे तो सोनम कपूर भारत से थोड़ी खफा खफा रहती हैं मगर इस कोरोना क्राइसिस में भारत में हो रही तैयारियों से काफी संतुष्ट है ,पहले वो लंदन के मुकाबले भारत की स्वास्थ्य सेवाओं को कमतर बताती थीं इस बार लंदन वालों की स्वास्थ्य सेवाओं से नाखुश हैं । इस बुद्धिमान स्त्री ने लोगों को ट्वीट करके बताया है कि कि बीमारी से संक्रमित गायिका ने जब भारत में अपना कार्यक्रम दिया था तब संक्रमण उतना नहीं था और होली उसके बाद मनायी गयी थी ।इनके तर्कों से सुना है आलिया भट्ट भी सहमत हैं ,इस प्रकार की विद्वता का समर्थन ऐसे लोग ही कर सकते हैं जिनकी विद्वता स्वयं बहुत उच्च कोटि की हो।इस स्वास्थ्य के संकट ने बहुत लोगों के रोजगार के चोट तो की है मगर कुछ लोगों को रोजगार दिया है ।शूटिंग कैंसिल होने से बेरोजगार बैठे सलमान खान ने अपनी पेंटिंग के काम को दुबारा शुरू कर दिया है ।बरसों पहले अपनी पंचानबे लाख में बिकी पेटिंग से नाखुश सलमान खान हाल ही में दो करोड़ की पेंटिंग के चर्चे से खासे बाउम्मीद हो उठे और फिर से घर बैठे पेंटिंग में हाथ आजमा रहे हैं।सबसे बड़ी हैरानी तो ट्रेड पंडितों को अमिताभ बच्चन को लेकर हुई जो इस महत्वपूर्ण समय में सुरक्षा और सफाई के किसी विज्ञापन के प्रचार -प्रसार के बजाय लोगों से इस समस्या से निपटने के तरीके बताते नजर आये। सत्यग्रही टीम ने पहले सोचा था कि इस वीडियो को ही शेयर किया जाय ,लेकिन अमिताभ बच्चन की स्थायी एंग्री यंग मैन की छवि को ध्यान में रखते हुए ये विचार उन्होंने त्याग दिया ,वो ऐसा कुछ नहीं कर सकतीं जिसका क्रेडिट किसी मैन को मिले।

इस टीम का बड़ा फैंसी ध्येय वाक्य है -


"संवार नोक पलक अवरुओं में ख़म कर दे

"गिरे पड़े हुए लफ्जों को मोहतरम कर दे "

टीम सत्यग्रही घरों में कैद है ,आजकल पूरा परिवार एक दूसरे को बहुत समय दे रहा है ।लोगों के गिले -शिकवे तो मिट रहे हैं मगर इस बात को लेकर भी गृहणियाँ थोड़ी असहज हैं कि पूरे दिन परिवार के लोग घर पर जुटे रहते हैं जिससे उनकी दिनचर्या में खलल पड़ रहा है ,दो घड़ी की भी फुर्सत नहीं।बाल-गोपाल सब हर दम घेरे रहते हैं कोई कहता है ये बना दो कोई कहता है वो खिला दो ।जिन हाथों ने पिछले बहुत बरसों से सिर्फ मेमोरेंडम लिखे हों ,उन हाथों को जब कुछ घरेलू काम करने पड़े वो भी घरवालों के प्यार,मनुहार और इ सरार की वजह से तो तो काफी असहज लगा उन्हें ,आदत जो छूट गयी थी ।तब तक मोबाइल पर एक सत्यग्रही का मैसेज आया जिसमें उत्साह बढ़ाते हुए किसी ने कहा था -

"चमकने वाली है तहरीर तेरी किस्मत की

कोई चिराग की लौ को जरा कम कर दे "

ये सुनते ही सत्याग्रही मैडम ने गृहस्थन की जिम्मेदारी को धता बताते हुए अपना लम्बा चौड़ा और क्रन्तिकारी भाषण शुरू कर दिया।उनके मियां जो होली वाली बोतल लाये थे उसी में थोड़ी बची थी।दो -चार बूंद उसमें से हाथों पे लगाया और कहा-"देखा ये अल्कोहल भी सैनिटाइजर का काम कर सकता है और बाकी के दो -चार घूंट मारने के बाद नाचते हुए फगुआ गाने लगे

"हँसी ,चिकोटी ,गुदगुदी

चितवन,छुवन,लगाव

सीधे-सादे प्यार के

ये हैं मधुर पड़ाव "

सत्याग्रही मैडम हँस पड़ीं ,और फगुआ को पुरवाने लगीं।अब उन्हें जनता कर्फ्यू से कोई उज्र ना रह गया था।😊

समाप्त,

कृते-दिलीप कुमार

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पानी रे पानी (व्यंग्य)"कोस कोस पर बानी बदले चार कोस पर पानी" बानी यानी बोली -भाषा तो हमारे यहाँ बदल ही जाती है। हिंदुस्तानी आदमी अपनी पूरी जिंदगी बोली सीखने में ही लगा देता है फिर भी उसे ये बात खटकती ही रहती है कि काश मुझे ये जुबान भी आती ।अंग्रेजी का स्थायी दुःख तो है ही ,प्रान्तीय भाषा सीख लेने स

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नजर लागी राजा (व्यंग्य)"नजर नवाज नजारा ना बदल जाए कहीं जरा सी बात है ,मुँह से ना निकल जाए कहीं "जी हाँ बात जरा सी थी मगर बहुत सुर्खियां बटोर लायी है ।रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने राफेल पर नींबू की नजर क्या उतारी ,सोशल मीडिया में एक से एक तमाशे शुरू हो गए।राजनाथ सिंह को लोगो

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"गोली नेकी वाली (व्यंग्य)"ये दौरे सियासत भी क्या दौरे सियासत है चुप हूँ तो नदामत है ,बोलूँ तो बगावत है" आम वोटर चुनाव के वक्त ऐसे ही सोचता है कि वो क्या बोले ,सब कुछ तो बोल दिया है नेताजी ने।नेताजी जवान हैं ,स्टाइलिश कपड़े पहनते हैं ,कभी मीडिया के लाडले हुआ करते थे ,सबको कान के नीचे बजाने की घुड़की दि

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27 अक्टूबर 2019
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मन का रावण (व्यंग्य)हा, तुम्हारी मृदुल इच्छाहाय मेरी कटु अनिच्छा था बहुत माँगा ना तुमने ,किंतु वह भी दे ना पाया ।था मैंने तुम्हे रुलाया ,,ये एक तसल्ली भरा सन्देश है उन लोगों की तरफ से जिन्होंने इस बार मन के रावण को पुष्पित -पल्लवित नहीं होने दिया ।इस बार का दशहरा बहुत फीका फीका रहा।,फेसबुक के कॉलेज

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"हैप्पी बर्थ डे ",,(व्यंग्य)"बड़ा शोर सुनते थे पहलू में दिल का जो काटा तो कतरा ए लहू तक ना निकला "ऐसा ही कुछ रहा ,इस हफ्ते,,जब कश्मीर का नया जन्म हुआ ।धमकी,ब्लैकमेलिंग,और सुविधा की राजनीति करके उसे इंसानियत,कश्मीरियत,जम्हूरियत का मुलम्मा चढ़ाने वालों के दिन अब लद गये।अब अल

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मेला आन ठेला

9 नवम्बर 2019
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मेला ऑन ठेला ,(व्यंग्य)"सारी बीच नारी है ,या नारी बीच सारीसारी की ही नारी है,या नारी ही की सारी"जी नहीं ये किसी अलंकार को पता लगाने की दुविधा नहीं है ,बल्कि ये नजीर और नजरनवाज नजारा फिलहाल लिटरेरी मेले का है ।मेले में ठेला है ,ये ठेले पर मेला है ।बकौल शायर "नजर नवाज नजार

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तो क्यों धन संचय

16 नवम्बर 2019
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तो क्यों धन संचय (व्यंग्य)हाल ही में एक ट्वीट ने काफी सुर्खियां बटोरी ,"पूत कपूत तो क्यों धन संचयपूत सपूत तो क्यों धन संचय"जिसमें अमिताभ बच्चन साहब ने सन्तान के लिये धन एकत्र ना करने का स दिया उपदेश दिया है लोगों ने इस वाक्य को आई ओपनर की संज्ञा दी है ।लोग बाग़ ये अनुमान लगा रहे हैं कि प्रयाग में जन्

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अबकी बार तीन सौ पार

24 नवम्बर 2019
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अबकी बार,तीन सौ पार,(व्यंग्य)"नहीं निगाह में मंजिल तो जुस्तजू ही सही नहीं विसाल मयस्सर तो आरजू ही सही "जी नहीं ये किसी हारे या हताश राजनैतिक पार्टी के कार्यकर्ता की पीड़ा या उन्माद नहीं है।बल्कि हाल के दिनों में तीन सौ शब्द काफी चर्चा में रहा।एक राजनैतिक दल ने तीन सौ की ह

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ये कैसे हुआ

30 नवम्बर 2019
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"ये कैसे हुआ" (व्यंग्य)फ़ांका मस्ती ही हम गरीबों की विमल देखभाल करती हैएक सर्कस लगा है भारत में जिसमें कुर्सी कमाल करती है "।उस्ताद शायर सुरेंद्र विमल ने जब ये पंक्तियां कहीं थी तब उन्होंने शायद ये अंदाज़ा लगा लिया था कि इस देश की जनता की साथी उसकी फांकाकशी ही रहने वाली है ।वी द पीपुल तो हमें जनता जन

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पापा नहीं मानेंगे

8 दिसम्बर 2019
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पापा नहीं मानेंगे (व्यंग्य)"खुदा करे इन हसीनों के अब्बा हमें माफ़ कर दें, हमारे वास्ते या खुदा , मैदान साफ़ कर दें ,"एक उस्ताद शायर की ये मानीखेज पंक्तियां बरसों बरस तक आशिकों के जुबानों पर दुआ बनकर आती रहीं थीं ,गोया ये बद्दुआ ही थी ।इन मरदूद आशिकों को ये इल्म नही

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कौआ कान ले गया

14 दिसम्बर 2019
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"कौआ कान ले गया "(व्यंग्य)"हुजूर ,आरिजो रुख्सार क्या तमाम बदनमेरी सुनो तो मुजस्सिम गुलाब हो जाए ,गलत कहूँ तो मेरी आकबत बिगड़ती है जो सच कहूँ तो खुदी बेनकाब हो जाए"इधर सताए हुए कुछ लोगों के जख्मों पर फाहे क्या रखे गए उधर धर्म को अफीम मानने वाले लोगों ने लोगों को राजधर्म याद

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आपको क्या तकलीफ है

21 दिसम्बर 2019
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"आपको क्या तकलीफ है " (व्यंग्य)रिपोर्टर कैमरामैन को लेकर रिपोर्टिंग करने निकला।वो कुछ डिफरेंट दिखाना चाहता था डिफरेंट एंगल से ।उसे सबसे पहले एक बच्चा मिला ।रिपोर्टर ,बच्चे से-"बेटा आपका इस कानून के बारे में क्या कहना है"?बच्चा हँसते हुये-"अच्छा है,अंकल इस ठण्ड में सुबह सुबह उठकर स्कूल नहीं जाना पड़ता

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डर दा मामला है

29 दिसम्बर 2019
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डर दा मामला है (व्यंग्य)"सबसे विकट आत्मविश्वास मूर्खता का होता है ,हमें एक उम्र से मालूम है --हरिशंकर परसाई"।फिल्मों की "द फैक्ट्री "चलाने वाले निर्देशक राम गोपाल वर्मा महोदय ने डर के लेकर दिलचस्प प्रयोग किये।वो अपनी किसी फेम फिल्म में डर फेम शाहरुख़ खान को तो नहीं ला पाये ,लेकिन डर को लेकर उन्होंने

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लोग सड़क पर

5 जनवरी 2020
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"लोग सड़क पर " ( व्यंग्य)"नानक नन्हे बने रहो, जैसे नन्ही दूबबड़े बड़े बही जात हैं दूब खूब की खूब "श्री गुरुनानक देव जी की ये बात मनुष्यता को आइना दिखाने के लिये बहुत महत्वपूर्ण है।ननकाना साहब में जिस तरह गुरूद्वारे को घेर कर सिख श्रद्धालुओं पर पत्थर बाज़ी की गयी और एक कमज़र्फ ने धमकी दी कि वो ये करेगा,

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मेरा वो मतलब नहीं था

11 जनवरी 2020
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"मेरा वो मतलब नहीं था " (व्यंग्य)"जामे जितनी बुद्धि है,तितनो देत बतायवाको बुरा ना मानिए,और कहाँ से लाय"देश में धरना -प्रदर्शन से विचलित ,और अपनी उदासीन टीआरपी से खिन्न फिल्म इंडस्ट्री के कुछ अति उत्साही लोगों ने सोचा कि तीन घण्टे की फिल्म में तो वे देश को आमूलचूल बदल ही द

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कागज़ नहीं दिखाएंगे

19 जनवरी 2020
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"कागज़ नहीं दिखाएंगे "(व्यंग्य)"युग के युवा,मत देख दाएंऔर बाएं और पीछे ,झाँक मत बगलेंन अपनी आँख कर नीचे,अगर कुछ देखना है देख अपने वे वृषभ कंधे,जिन्हें देता निमंत्रणसामने तेरे पड़ा, युग का जुआ "युग का जुआ युवाओं को अपने कंधों पर लेने की हुंकार देने वाले कविवर हरिवंश राय बच्चन अपने अध्यापन के दिनों में

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खिचड़ी बनाम बिरयानी

26 जनवरी 2020
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"खिचड़ी बनाम बिरयानी "(व्यंग्य)"मालिन का है दोष नहीं ,ये दोष है सौदागर का जो भाव पूछता गजरे का और देता दाम महावर का" ऐसा ही कुछ आजकल के धरना प्रदर्शनों का है जो किसी अन्य वजहों की वजह चर्चा में आ जाते हैं बजाय उसके जो वजह उन्होंने चुनी है ।धरना ,वैचारिक मतभेदों को लेकर है

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अंकल कम्युनलिज़्म

10 फरवरी 2020
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अंकल कम्यूनलिज्म (व्यंग्य)"वो सादगी कुछ भी ना करे तो अदा ही लगे वो भोलापन है कि बेबाकी भी हया ही लगेअजीब शख्स है नाराज हो के हँसता है मैं चाहता हूँ कि वो खफा हो तो खफा ही लगे"पोस्ट ट्रुथ के बाद ये फिलहॉल एक नया फैंसी शब्द है जो अपने को डिफेंड करते हुए बाकी सभी के ज्ञान को सतही और छिछला साबित करता है

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ब्लैक स्वान इवेंट

22 फरवरी 2020
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ब्लैक स्वान इवेंट (व्यंग्य)"तुलसी बुरा ना मानिएजौ गंवार कहि जाय जैसे घर का नरदहाभला बुरा बहि जाय "फ़िलहाल देश की आम सहनशील जनता आजकल एक दूसरे को समझाते हुये यही कहती है कि जो बहुत बोल रहे हैं ,बोलते ही जा रहे हैं ,लगातार बोलते रहने से उन्हें ये इल्हाम हो रहा है कि जब सुनें

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कर्फ्यू

27 फरवरी 2020
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कर्फ्यू,(लघुकथा)शहर में कर्फ्यू लगा था।मिसेज शुक्ला काफी परेशान थीं ।बच्ची का ऑपरेशन हुआ था ओठों का।वो कुछ भी खा-पी नहीं पा रही थी ।सिर्फ चिम्मच या स्ट्रॉ से कुछ पी पाती थी खाने का तो कुछ सवाल ही नहीं पैदा होता था।सुबह

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नीचे का खुदा

3 मार्च 2020
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3- नीचे का खुदादोनों सिपाहियों की ड्यूटी थी ,वो दोनों स्नाइपर थे और वो दोनों दुश्मनों के निशाने पर भी थे ।आबिद और इकबाल।वैसे इकबाल हिन्दू था और नाम था इकबाल सिंह ,जबकि आबिद का नाम आबिद पटेल था ।इकबाल को सब इकबाल कहकर ही बुलाते थे ताकि लोगों को लगे के वो मुसलमान है क्योंकि वो शक्ल सूरत और रव

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वर्क फ्रॉम होम

10 मार्च 2020
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वर्क फ्रॉम होम ,(व्यंग्य)आये दिन अख़बारों में इश्तहार आते रहते हैं कि घर से काम करो ,घण्टों के हिसाब से कमाओ,डॉलर,पौंड में भुगतान प्राप्त करो।जिसे देखो फेसबुक,व्हाट्सअप पर भुगतान का स्क्रीनशॉट डाल रहा है कि इतना कमाया,उतना माल अंदर किया ।महीने भर की नौकरी पर एक दिन वेतन पाने वाला फार्मूला अब आदिम लगन

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घर बैठे बैठे

21 मार्च 2020
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"घर बैठे -बैठे"(व्यंग्य)"पुल बोये से शौक से उग आयी दीवारकैसी ये जलवायु है हे मेरे करतार"दुनिया को जीत लेने की रफ्तार में ,चीन ने ये क्या कर डाला ,जलवायु ने सरहद की बंदिशों को धता बताते हुए सबको घुटनों पर ला दिया है ।इस स्वास्थ्य के खतरे ने भस्मासुर की भांति सबको लपेटा और

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मेहँदी लगा कर रखना

4 अप्रैल 2020
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" मेहँदी लगा कर रखना" (व्यंग्य )"मैं इसे शोहरत कहूँ,या अपनी रुस्वाई कहूँ,मुझसे पहले उस गली में ,मेरे अफसाने गये" अपनी तारीफ सुनने से वंचित और और अति व्यस्त रहने वाली नये वाले लिटरैचर विधा की मशहूर भौजी ने खाली बैठे बैठे उकताकर अपनी पुरानी ,विधाबदलू ननदी को फोन लगाया ,भौजी का फोन देखकर ननद रॉनी

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पंडी आन द वे

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पंडी आन द वे (व्यंग्य) जिस प्रकार नदियों के तट पर पंडों के बिना आपको मोक्ष की प्राप्ति नहीं हो सकती, गंगा मैया आपका आचमन और सूर्य देव आपका अर्ध्य स्वीकार नहीं कर सकते जब तक उसमें किसी पण्डे का दिशा निर्देश ना टैग हो, उसी प्रकार साहित्य में पुस्तक मेलों में कोई काम संहित्यिक पंडों और पण्डियों के बिना

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वादा तेरा वादा

10 मई 2020
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“वादा तेरा वादा” “परनिंदा जे रस ले करिहैं निसच्य ही चमगादुर बनिहैं” अर्थात जो दूसरों की निंदा करेगा वो अगले जन्म में चमगादड़ बनेगा।परनिंदा का अपना सुख है ,ये विटामिन है ,प्रोटीन डाइट है और साहित्यकार के लिये तो प्राण वायु है ।परनिंदा एक परमसत्य पर चलने वाला मार्ग है और मुफ्त का यश इसके लक्ष्य हैं।चत

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चाँद और रोटियां

14 जून 2020
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चाँद और रोटियां (व्यंग्य)प्रगतिशीलता के पुरोधा,परम्पराओं को ध्वस्त करने वाले कवि करुण कालखंडी जी देश में मजदूरों के पलायन से बहुत दुखी थे ,उन्होंने लाक डाउन के पहले दिन से बहुत मर्माहत करने वाली तस्वीरें और करुणा से ओत प्रोत कविताएं लिखी थीं ।वो सरकार पर बरसते ही रहे थे क

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