shabd-logo

चाँद और रोटियां

14 जून 2020

335 बार देखा गया 335




चाँद और रोटियां (व्यंग्य)


प्रगतिशीलता के पुरोधा,परम्पराओं को ध्वस्त करने वाले कवि करुण कालखंडी जी देश में मजदूरों के पलायन से बहुत दुखी थे ,उन्होंने लाक डाउन के पहले दिन से बहुत मर्माहत करने वाली तस्वीरें और करुणा से ओत प्रोत कविताएं लिखी थीं ।वो सरकार पर बरसते ही रहे थे कि सरकार ने ऐसा क्यों किया ?कोई अगर भूले भटके उनसे पूछ लेता उनकी फ़ेसबुक वाल पर तो उसे वे तुरन्त ब्लॉक कर देते थे।सड़क पर चल रहे मजदूरों की व्यथा से विकल उन्होंने समान धर्मा लोगों की एक मीटिंग बुलायी।

मीटिंग लॉक डाउन का लिहाज करके दिन में तीन बजे खत्म कर देने का उनके इसरार पर दोस्तों ने इकरार कर के हामी दी।

तय शुदा वक्त पर उनकी मंडली पहुंची ।उनके नौकर ने स्टार्टर रख दिया ।फिर मुर्ग मुसल्लम,मटन से कमरे में खुशबू भर गयी ,उन्होंने खाना शुरू करने से पहले तंदूरी रोटी को देखा और मोबाइल पर गीत लगा दिया

"इक बगल में चाँद होगा ,एक बगल में रोटियां "।

रोटियों के गीत सुनकर और तंदूरी रोटी की खुश्बू से उनकी मंडली खाने पर टूट पड़ने वाली थी कि उन्होंने वोदका पेश कर दी ।मंडली के चेहरे निहाल हो उठे,।डफली बजाकर सड़कों पर गीत गाने वाले रोटी मैन के नाम से मशहूर मजहर साहब ने पाये का टुकड़ा मुंह में डालते हुए कहा -

"कहाँ से मिली आपको ,इस बंदी में भी।लास्ट टाइम जब हम फ़र्टिलाइज़र फैक्ट्री के खिलाफ स्ट्रीट प्ले और प्रोटेस्ट कर रहे थे ,तब ऱाइवल कम्पनी ने पूरा क्रेट वोदका हम लोगों को दिया था ,लेकिन कमीने ने फाइनल पेमेंट के टाइम वोदका की हर बोतल के पैसे काट लिए थे ,देखो अब ऐसे बेहतरीन ऑफर वाले प्रोटेस्ट करने के मौके दुबारा मिलें या न मिलें "ये कहते हुए वोदका का पूरा गिलास गटक लिया उन्होंने और गुनगुनाने लगे

"इंकलाब लाना है साथी इंकलाब लाना है "।

मुर्गे के लेग पीस को दांतों से खींचकर उसे सटकने के बाद हल्की सी सिप लेते हुए गिलास को बगल में रखकर संध्या वादिनी जी बोलीं -

"आपके कहने पर ये लेग पेस खा लिया मैंने।शहर के सारे जानवर मर रहे हैं ,खास तौर से पोल्ट्री ।अब ये मर रहे हैं तो इनको मरना ही है ।हमारी गोवरर्नमेंट इंसानों को ही बचाने में उलझी है ।यू नो एनिमल्स डोंट कास्ट देअर वोट्स ।हे भगवान इन पोल्ट्री की रक्षा करना ।मैं तो एक प्रार्थनासभा भी करूंगी इन बेजुबानों के लिये।हमारी एनजीओ की फेसबुक पेज पर फोटो देखकर ऑस्ट्रेलिया से हमको एक ग्रांट मिली थी । कुछ महीने पहले ऑस्ट्रेलिया के जंगलों में जो आग लगो थी ,उस पर हमने यहां कितनी रैली,सांग,स्लोगन किये थे।किसी कम्बख्त ने ऑस्ट्रेलियन एनजीओ को मेल कर दिया कि हमारी एनजीओं को गवर्नमेंट ने ब्लैक लिस्ट में डाल दिया था।अब ये बंदी के दिन बीत जाएँ तो किसी अफसर से कह सुन कर मुझे ब्लैक लिस्ट से निकलवायें।करुण जी आप तो कवि हैं मिनिस्ट्री में बहुत से कवि हैं।कवियों के बड़े कॉन्टेक्ट्स होते हैं ।प्लीज डु समथिंग करुण जी यू हैव टू हिल्प मी ,आई विल गिव यू टेन परसेंट ऑफ़ ग्रांट ,यू नो इन डॉलर ।हे भगवान मैं जब पोल्ट्री प्रोडक्ट्स के लिये प्रार्थना सभा करूंगी तो आपको टैग भी करूंगी ।बाद में आप भी इसे अपने फेसबुक पेज पर शेयर कर दीजियेगा तो मेरी एनजीओ का इमेज मेकओवर हो जायेगा।आप रिटायर हैं तो क्या थे तो बहुत बड़े अफसर।बेचारे इनोसेंट बर्ड्स"ये कहकर वो सुबकने लगीं ।वो सुबकते सुबकते उठा कर एक लेग पीस मुंह में रख लेतीं और फिर पोल्ट्री उत्पादों के बारे में सोचकर सिहर उठातीं और फिर सुबकने लगतीं।

कुमार कालजयी साहब अब तक तीन पैग नीट पी चुके थे ।कुमार कालजयी साहब बहुधन्धी व्यक्ति थे।लेकिन फिलहाल वो खुद को जन्मजात चित्रकार बताते थे मगर इस वक्त चाइल्ड राईट एक्टिविस्ट के तौर पर चांदी कूट रहे थे ।उन्हें दुनिया भर के बच्चों की बेहद फ़िक्र थी ,अपने व्हाट्सअप और फेसबुक पेज पर अयलान की डीपी लगा रखी थी ।जब से देश -दुनिया में बंदी का माहौल शुरू हुआ है तब से वो लोगों के फेसबुक पेज पर से यात्रा कर रहे बच्चों की तस्वीरें उठा लेते हैं उनमें थोड़ा बहुत रद्दोबदल करके उसका स्केच बनाकर रंग भरते हैं और उन्हें दुनिया भर की वेबसाइट्स पर बेचने की कोशिश करते हैं जिसमें वो फिलहॉल विफल हैं ।उन्हें बच्चों से इतना ज्यादा प्रेम है मगर न जाने क्यों अपने बच्चों को अपने पास नहीं रखते और उनके पालन पोषण की जिम्मेदारी सुदूर गांव में अपने माँ -बाप को दे रखी है ।उन्होंने चौथा पैग नीट भरा और बोले "अब दुनिया भर की वेबसाइट्स बच्चों के अधिकारों को लेकर संवेदनहीन हो गयी हैं।एक भी पेंटिंग नहीं ली किसी ने बच्चों की।अब ग्राउंड जीरो पर भी बच्चों के लिये काम करने की गुंजाइश नहीं दिख रही ।अरे जब दुकानों ,कारखानों में बच्चे काम नहीं करेंगे तो उनकी रिलीज और रिहैब के लिये हमें ग्रांट कौन देगा इस बंदी में मेरा भी नौकर भाग गया।पिपलोनिया की ग्लास इंडस्ट्री में सोलह नाबालिग थे ।मैंने पुलिस के साथ रेड में कोऑपरेशन किया था ।पिपलोनिया ने पुलिस को क्या लिया दिया,उसका तो पता नहीं ।मगर उस सोलह नाबालिगों में से एक लड़का मेरे घर काम करने को भेज दिया।काम वो मेरे घर करता था ,तनख्वाह पिपलोनिया देता था ।इस बंदी में पिपलोनिया के सारे नौकर भागे तो मेरे यहां वाला लड़का भी भाग गया।अब मेरी वाइफ को घर का सारा काम करना पड़ता है ,और वो मेरा काम तमाम करने को आमादा है।अब कौन देगा हमें मुफ्त का नौकर ,हे भगवान "ये कहते हुए उसने चौथा पैग नीट पी लिया।

"सेम हियर ,कुमार डियर "ये करुण स्वर किरणमयी आनंदी मैडम का था।उन्होंने शीशे के गिलास पर सिप करने से शराब के जाम पर इंपोर्टेड लिपस्टिक के निशान दिख रहे थे ।उन्होंने उस निशान को पेपर से पोंछा और मटन का पीस खाने लगीं।वे स्त्रियों के पश्चिमी सौंदर्य उत्पादों के उपयोग के खिलाफ एक अभियान बरसों से चला रहीं हैं।वो स्त्रियों को पश्चिमी सौंदर्य प्रसाधनों के दुरूपयोगों के बारे में बताने के लिये आन लाइन मुहिम चला रही थीं जिससे वे काफी पापुलर हो गयी थीं ।किसी भी बिंदी कार्नर,,ब्यूटी पार्लर पर वो छापा मार देती थीं और उन्हें केमिकल से बने पश्चमी उत्पादों के प्रयोग से आगाह करतीं।उनसे सब डरते थें।उनकी स्वदेशी की चेन और मुल्ती लेवल मार्केटिंग शुरू ही होने वाली थी कि ये बंदी आ गयी।संकटकाल में सौंदर्य की किसे सुधि,स्त्री हो या पुरुष।गले में फंसे मटन को वोदका से नीचे उतार कर वे बोलीं "-

"कितने बरसों से मुझे अपना कोई निजी जरूरत का कोई सामान नहीं खरीदना पड़ा।हर इम्पोर्टेड ब्रांड सबसे पहले मेरे घर भिजवा देते थे ये ब्यूटी पार्लर वाले और बिंदी कार्नर वाले।मुझे देख कर कांपते थे ये लोग।कोई भी ब्यूटी प्रोडक्ट हमारे इलाके में मुझसे बात किये बिना नहीं बिक सकता था ।मेरी स्वदेशी ब्यूटी प्रोडक्ट चेन शुरू ही होने वाली थी कि ये बंदी आ गयी ।अब क्या होगा ?करुण सर आप मेरा कुछ स्वदेशी प्रोडक्ट किसी गवर्नमेंट सप्लाई में लगवा दीजिये ना "ये कहकर शीशे के गिलास में उन्होंने अपने चेहरे के पीओपी को दुरुस्त किया जो इम्पोर्टेड क्रीम से लिपा पुता उनकी उम्र की सिलवटों को ढके था।

"ओके एन्जॉय द पार्टी।आइ विल सी ।गवर्नमेंट इस बंदी पर मेरी कवितओं और स्टेटमेंट्स से काफी परेशान है।कल मुझे बुलाया गया है ,मैं देखता हूँ कि तुम लोगों की क्या मदद कर सकता हूँ।लेट्स एन्जॉय,चीयर्स"करुण साहब ने हर्ष के अतिरेक में कहा।

खा पीकर सब चलने लगे तो करुण जी ने मजहर को वोदका,सन्ध्यवादिनी को टिफ़िन भर के मटन,दिया और गिरते पड़ते उलटी करते कुमार कालजयी को अपने बारह साल के नौकर को गाड़ी में बैठाने को कहा ।वो सब गाड़ी में बैठ गए तब उन्होंने किरणमयी आनंदी को एक इम्पोर्टेड मेकअप किट गिफ्ट की ।वो जब अपनी बीएमडब्लू में अपने मित्रों को छोड़ कर लौटे तो उनके दरवाजे पर कुछ लोग खड़े थे ।

करुण जी ने दरयाफ्त की तो पता लगा कि ये लोग मोहल्ले के दूसरे छोर पर मोहल्ले वालों की मदद से एक लंगर चला रहे हैं जो पैदल जा रहे मजदूरों को खाना पानी आदि देते हैं ।करुण जी मोहल्ले के सबसे रईस आदमी थे उनके पास सबसे बड़ी उम्मीद से आये थे ।करुण जी ने उनकी बात को ध्यान से सुना फिर करुणा मिश्रित स्वर में बोले -

"आपकी बात तो ठीक है ,लेकिन इन मजदूरों की मदद करने का काम सरकार का है ।आप लोग अगर इनकी मदद करना चाहते हैं तो इनको अगले नुक्कड़ पर जो स्कूल है वहां भेज दें ।मैं फोन कर दूंगा ,इनकी मदद हो जायेगी"।

",जी इन्हें रहना नहीं है ,बस हम रास्ते में मजदूरों को खाना दे रहे हैं ।आप कुछ अनाज या पैसों से मदद कर देते तो ",भीड़ से एक उम्मीद भरी आवाज़ निकली ।

"बोला ना ये काम गवर्नमेंट का है।फिर मैं तो पेंशनर हूँ ।मैं कहाँ से मदद कर पाउँगा।सरकार ने खुद मेरी सुधि नहीं ली है एक सीनियर सिटीजन किस हाल में है।लेकिन मैं इस मुद्दे को आज अपनी फेसबुक पर उठाऊंगा जरूर और प्रसाशन पर दबाव बनाऊंगा।देखना आप लोग ।अब जाइये आप लोग ,अगर आपके पास कोई फोटो या वीडियो होगा इस इवेंट का तो मुझे भेजना ।सरकार पर दबाव बनाने के काम आएगा"ये कहते हुए उन्होंने गेट बंद कर लिया ।जो लोग दरवाजे पर खड़े थे उनको एक गीत सुनायी दे रहा था

"इक बगल में चाँद होगा ,इक बगल में रोटियां "।

समाप्त

कृते दिलीप कुमार


दिलीप कुमार की अन्य किताबें

1

जूतों के अच्छे दिन

29 नवम्बर 2018
0
0
0

2

ऊँची नाक का सवाल (व्यंग्य)

24 जुलाई 2019
0
4
4

इस दौर में जब देश में बाढ़ का प्रकोप है तो नाक से सांस लेने वाले प्राणियों में नाक एक लक्ष्मण रेखा बन गयी है ,पानी अगर नाक तक ना पहुंचा तो मनुष्य के जीवित रहने की संभावना कुछ दिनों तक बनी रहती है,बाकी फसल और घर बार उजड़ जाने के बाद आदमी कितने दिन जीवित रहेगा ये उतना ही बड़ा सवाल है जितनी कि हमारे देश म

3

डाल डाल की दाल (व्यंग्य)

28 जुलाई 2019
0
1
0

"दाल रोटी खाओ प्रभु के गुण गाओ "बहुत बहुत वर्षों से ये वाक्य दोहरा कर सो जाने वाले भारतीयों का ये कहना अब नयी और मध्य वय की पीढ़ी को रास नहीं आ रहा है।दाल की वैसे डाल नहीं होती लेकिन ना जाने क्यों फीकी और भाग्य से प्राप्त चीजों की तुलना लोग दाल से ही करते हैं और अप्रा

4

डाल डाल की दाल (व्यंग्य)

28 जुलाई 2019
0
3
2

"दाल रोटी खाओ प्रभु के गुण गाओ "बहुत बहुत वर्षों से ये वाक्य दोहरा कर सो जाने वाले भारतीयों का ये कहना अब नयी और मध्य वय की पीढ़ी को रास नहीं आ रहा है।दाल की वैसे डाल नहीं होती लेकिन ना जाने क्यों फीकी और भाग्य से प्राप्त चीजों की तुलना

5

अदीब@मेला

30 जुलाई 2019
0
2
3

पुस्तक मेले में सब हमारी किताबें लपक रहदिल्ली में हर बार की भाँति पुस्तक मेला लगा, दिल्ली देश का दिल है ,अवार्ड वापसी वाले लेखक बहुत परेशान हैं कि जितनी ख्याति उनको अवार्ड लौटाकर नहीं मिली थी उससे ज्यादा प्रचार-प्रसार तो इस मेले में लेखकों का हो रहा है। एक अनुमान के तौर पर सिक्किम की आबादी के जितनी

6

हम हिन्दीवाले

4 अगस्त 2019
0
0
0

हम हिन्दीवाले (व्यंग्य )अपने कुनबे में हमने ही ये नई विधा इजाद की है ।एकदम आमिर खान की मानिंद "परफेक्शनिस्ट",नहीं,नहीं भाई कम्युनिस्ट मत समझिये।भई कम्युनिस्ट से जब जनता का वोट और सहयोग कम होता जा रहा है तब हम जैसा जनता के सरोकारों से जुड़ा साहित्यकार कैसे उनसे आसक्ति रख सकता है ।एक उस्ताद शायर फरमा ग

7

अब आगे क्या

11 अगस्त 2019
0
1
1

"अब आगे क्या "(व्यंग्य) तड़ाक,तड़ाक,तड़ाक ,ये थप्पड़ नहीं एक आवाज है जो कहीं कहीं सुनायी पड़ रहा है। जैैसे हवा भी होती है पर दिखती नहीं है।पिछले हफ्ते देश में पहले तो तीन तलाक पर ये तड़ाक का साया पड़ा और अब जम्मू कश्मीर में ,370,35-A, और स्पेशल स्टेटस

8

तब क्यों नहीं

18 अगस्त 2019
0
1
0

तब क्यों नहीं ,(व्यंग्य)"ये जमीं तब भी निगल लेने को आमादा थीपाँव जब जलती हुई शाखों से उतारे हमने इन मकानों को खबर है ना मकीनों को खबर उन दिनों की जो गुफाओं में गुजारे हमने "ये सुनाते हुए उस कश्मीरी विस्थापित के आँसूं निकल पड़े जो अपने घर वापसी के लिये दिल्ली से जम्मू की ट्

9

लोहा टू लोहा

25 अगस्त 2019
0
0
0

लोहा टू लोहा (व्यंग्य )आजकल देश में मोटा भाई कहने का चलन बहुत बढ़ गया है।माना जाता है कि बंधुत्व और दोस्ती का ये रिश्ता लोहे की मानिंद सॉलिड है। पहले ये शब्द भैया कहा जाता था ,लेकिन जब से अमर सिंह ने अमिताभ बच्च्न को भैया कहने के बाद हुए अपने हादसे का दर्द बयान किया तब से लोग भैया के बजाय मोटा भाई ही

10

नाट आउट @हंड्रेड

8 सितम्बर 2019
0
0
0

नॉट आउट @हंड्रेड (व्यंग्य)"ख्वाबों,बागों ,और नवाबों के शहर लखनऊ में आपका स्वागत है" यही वो इश्तहार है जो उन लोगों ने देेखा था जब लखनऊ की सरजमीं पर पहुंचे थे। ये देखकर वो खासे मुतमइन हुए थे । फिर जब जगह जगह उन लोगो ने ये देखा कि "मुस्कराइए आप लखनऊ में हैं "तो उनकी दिलफ़रेब मुस्कराहटें कान कान

11

हैप्पी हिंदी डे

15 सितम्बर 2019
0
0
0

"हैप्पी हिन्दी डे " (व्यंग्य )हे कूल डूड ऑफ़ हिंदी ,टुडे इज द बर्थडे ऑफ़ हिंदी ,ईट्स आवर मदर टँग एन प्राइड आलसो ,सो लेटस सेलेब्रेट ।यू आर कॉर्डियाली इनवाटेड।लेट्स मीट एट 8 पीएम ,इंडीड देअर विल भी 8 पीएम,वेन्यू,,ब्लैक डॉग हैंग आउट कैफे, ब्लैक डॉग ,,,योर फेवरेट ब्रो "मोबाईल पर ये खबर मिली ज

12

तब्दीली आयी रे

22 सितम्बर 2019
0
0
0

"तब्दीली आयी रे " (व्यंग्य)"हजारों साल नर्गिस अपनी बेनूरी पे रोती है तब कहीं जाकर होता चमन में एक बिदनवार पैदा" यही शेर आजकल पाकिस्तान में बच्चा बच्चा कह रहा है क्योंकि जो ऊपर वाले ने ऐसा छप्पर फाड़ कर दिया कि पाकिस्तानियों को अपनी खुशकिस्मती पर यकीन नहीं हो रहा है कि "या इलाही ये माजरा क्या है

13

बोलो मियां नियाजी

29 सितम्बर 2019
0
1
0

"बोलो मियां नियाजी " (व्यंग्य)"ख्वाबे गफलत में सोये हुए मोमिनों ऐशो इशरत बढ़ाने से क्या फायदा आँख खोलो याद रब को करो उम्र यूँ ही गंवाने का क्या फायदा "अल्लामा इक़बाल का ये शिकवा आजकल जनाब इमरान खान नियाजी साहब पर खूब सूट करता है जो यूनाइटेड नेशन के मंच से दुनिया भर के लोगों का आह्वन कर रहे हैं कि य

14

पानी रे पानी

6 अक्टूबर 2019
0
0
0

पानी रे पानी (व्यंग्य)"कोस कोस पर बानी बदले चार कोस पर पानी" बानी यानी बोली -भाषा तो हमारे यहाँ बदल ही जाती है। हिंदुस्तानी आदमी अपनी पूरी जिंदगी बोली सीखने में ही लगा देता है फिर भी उसे ये बात खटकती ही रहती है कि काश मुझे ये जुबान भी आती ।अंग्रेजी का स्थायी दुःख तो है ही ,प्रान्तीय भाषा सीख लेने स

15

नजर लागी रे

13 अक्टूबर 2019
0
0
0

नजर लागी राजा (व्यंग्य)"नजर नवाज नजारा ना बदल जाए कहीं जरा सी बात है ,मुँह से ना निकल जाए कहीं "जी हाँ बात जरा सी थी मगर बहुत सुर्खियां बटोर लायी है ।रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने राफेल पर नींबू की नजर क्या उतारी ,सोशल मीडिया में एक से एक तमाशे शुरू हो गए।राजनाथ सिंह को लोगो

16

गोली नेकी की

20 अक्टूबर 2019
0
0
0

"गोली नेकी वाली (व्यंग्य)"ये दौरे सियासत भी क्या दौरे सियासत है चुप हूँ तो नदामत है ,बोलूँ तो बगावत है" आम वोटर चुनाव के वक्त ऐसे ही सोचता है कि वो क्या बोले ,सब कुछ तो बोल दिया है नेताजी ने।नेताजी जवान हैं ,स्टाइलिश कपड़े पहनते हैं ,कभी मीडिया के लाडले हुआ करते थे ,सबको कान के नीचे बजाने की घुड़की दि

17

मन का रावण

27 अक्टूबर 2019
0
0
0

मन का रावण (व्यंग्य)हा, तुम्हारी मृदुल इच्छाहाय मेरी कटु अनिच्छा था बहुत माँगा ना तुमने ,किंतु वह भी दे ना पाया ।था मैंने तुम्हे रुलाया ,,ये एक तसल्ली भरा सन्देश है उन लोगों की तरफ से जिन्होंने इस बार मन के रावण को पुष्पित -पल्लवित नहीं होने दिया ।इस बार का दशहरा बहुत फीका फीका रहा।,फेसबुक के कॉलेज

18

हैप्पी बर्थ डे

3 नवम्बर 2019
0
1
0

"हैप्पी बर्थ डे ",,(व्यंग्य)"बड़ा शोर सुनते थे पहलू में दिल का जो काटा तो कतरा ए लहू तक ना निकला "ऐसा ही कुछ रहा ,इस हफ्ते,,जब कश्मीर का नया जन्म हुआ ।धमकी,ब्लैकमेलिंग,और सुविधा की राजनीति करके उसे इंसानियत,कश्मीरियत,जम्हूरियत का मुलम्मा चढ़ाने वालों के दिन अब लद गये।अब अल

19

मेला आन ठेला

9 नवम्बर 2019
0
1
0

मेला ऑन ठेला ,(व्यंग्य)"सारी बीच नारी है ,या नारी बीच सारीसारी की ही नारी है,या नारी ही की सारी"जी नहीं ये किसी अलंकार को पता लगाने की दुविधा नहीं है ,बल्कि ये नजीर और नजरनवाज नजारा फिलहाल लिटरेरी मेले का है ।मेले में ठेला है ,ये ठेले पर मेला है ।बकौल शायर "नजर नवाज नजार

20

तो क्यों धन संचय

16 नवम्बर 2019
0
2
0

तो क्यों धन संचय (व्यंग्य)हाल ही में एक ट्वीट ने काफी सुर्खियां बटोरी ,"पूत कपूत तो क्यों धन संचयपूत सपूत तो क्यों धन संचय"जिसमें अमिताभ बच्चन साहब ने सन्तान के लिये धन एकत्र ना करने का स दिया उपदेश दिया है लोगों ने इस वाक्य को आई ओपनर की संज्ञा दी है ।लोग बाग़ ये अनुमान लगा रहे हैं कि प्रयाग में जन्

21

अबकी बार तीन सौ पार

24 नवम्बर 2019
0
1
0

अबकी बार,तीन सौ पार,(व्यंग्य)"नहीं निगाह में मंजिल तो जुस्तजू ही सही नहीं विसाल मयस्सर तो आरजू ही सही "जी नहीं ये किसी हारे या हताश राजनैतिक पार्टी के कार्यकर्ता की पीड़ा या उन्माद नहीं है।बल्कि हाल के दिनों में तीन सौ शब्द काफी चर्चा में रहा।एक राजनैतिक दल ने तीन सौ की ह

22

ये कैसे हुआ

30 नवम्बर 2019
0
1
0

"ये कैसे हुआ" (व्यंग्य)फ़ांका मस्ती ही हम गरीबों की विमल देखभाल करती हैएक सर्कस लगा है भारत में जिसमें कुर्सी कमाल करती है "।उस्ताद शायर सुरेंद्र विमल ने जब ये पंक्तियां कहीं थी तब उन्होंने शायद ये अंदाज़ा लगा लिया था कि इस देश की जनता की साथी उसकी फांकाकशी ही रहने वाली है ।वी द पीपुल तो हमें जनता जन

23

पापा नहीं मानेंगे

8 दिसम्बर 2019
0
1
0

पापा नहीं मानेंगे (व्यंग्य)"खुदा करे इन हसीनों के अब्बा हमें माफ़ कर दें, हमारे वास्ते या खुदा , मैदान साफ़ कर दें ,"एक उस्ताद शायर की ये मानीखेज पंक्तियां बरसों बरस तक आशिकों के जुबानों पर दुआ बनकर आती रहीं थीं ,गोया ये बद्दुआ ही थी ।इन मरदूद आशिकों को ये इल्म नही

24

कौआ कान ले गया

14 दिसम्बर 2019
0
0
0

"कौआ कान ले गया "(व्यंग्य)"हुजूर ,आरिजो रुख्सार क्या तमाम बदनमेरी सुनो तो मुजस्सिम गुलाब हो जाए ,गलत कहूँ तो मेरी आकबत बिगड़ती है जो सच कहूँ तो खुदी बेनकाब हो जाए"इधर सताए हुए कुछ लोगों के जख्मों पर फाहे क्या रखे गए उधर धर्म को अफीम मानने वाले लोगों ने लोगों को राजधर्म याद

25

आपको क्या तकलीफ है

21 दिसम्बर 2019
0
1
1

"आपको क्या तकलीफ है " (व्यंग्य)रिपोर्टर कैमरामैन को लेकर रिपोर्टिंग करने निकला।वो कुछ डिफरेंट दिखाना चाहता था डिफरेंट एंगल से ।उसे सबसे पहले एक बच्चा मिला ।रिपोर्टर ,बच्चे से-"बेटा आपका इस कानून के बारे में क्या कहना है"?बच्चा हँसते हुये-"अच्छा है,अंकल इस ठण्ड में सुबह सुबह उठकर स्कूल नहीं जाना पड़ता

26

डर दा मामला है

29 दिसम्बर 2019
0
0
0

डर दा मामला है (व्यंग्य)"सबसे विकट आत्मविश्वास मूर्खता का होता है ,हमें एक उम्र से मालूम है --हरिशंकर परसाई"।फिल्मों की "द फैक्ट्री "चलाने वाले निर्देशक राम गोपाल वर्मा महोदय ने डर के लेकर दिलचस्प प्रयोग किये।वो अपनी किसी फेम फिल्म में डर फेम शाहरुख़ खान को तो नहीं ला पाये ,लेकिन डर को लेकर उन्होंने

27

लोग सड़क पर

5 जनवरी 2020
0
1
0

"लोग सड़क पर " ( व्यंग्य)"नानक नन्हे बने रहो, जैसे नन्ही दूबबड़े बड़े बही जात हैं दूब खूब की खूब "श्री गुरुनानक देव जी की ये बात मनुष्यता को आइना दिखाने के लिये बहुत महत्वपूर्ण है।ननकाना साहब में जिस तरह गुरूद्वारे को घेर कर सिख श्रद्धालुओं पर पत्थर बाज़ी की गयी और एक कमज़र्फ ने धमकी दी कि वो ये करेगा,

28

मेरा वो मतलब नहीं था

11 जनवरी 2020
0
0
0

"मेरा वो मतलब नहीं था " (व्यंग्य)"जामे जितनी बुद्धि है,तितनो देत बतायवाको बुरा ना मानिए,और कहाँ से लाय"देश में धरना -प्रदर्शन से विचलित ,और अपनी उदासीन टीआरपी से खिन्न फिल्म इंडस्ट्री के कुछ अति उत्साही लोगों ने सोचा कि तीन घण्टे की फिल्म में तो वे देश को आमूलचूल बदल ही द

29

कागज़ नहीं दिखाएंगे

19 जनवरी 2020
0
2
0

"कागज़ नहीं दिखाएंगे "(व्यंग्य)"युग के युवा,मत देख दाएंऔर बाएं और पीछे ,झाँक मत बगलेंन अपनी आँख कर नीचे,अगर कुछ देखना है देख अपने वे वृषभ कंधे,जिन्हें देता निमंत्रणसामने तेरे पड़ा, युग का जुआ "युग का जुआ युवाओं को अपने कंधों पर लेने की हुंकार देने वाले कविवर हरिवंश राय बच्चन अपने अध्यापन के दिनों में

30

खिचड़ी बनाम बिरयानी

26 जनवरी 2020
0
1
1

"खिचड़ी बनाम बिरयानी "(व्यंग्य)"मालिन का है दोष नहीं ,ये दोष है सौदागर का जो भाव पूछता गजरे का और देता दाम महावर का" ऐसा ही कुछ आजकल के धरना प्रदर्शनों का है जो किसी अन्य वजहों की वजह चर्चा में आ जाते हैं बजाय उसके जो वजह उन्होंने चुनी है ।धरना ,वैचारिक मतभेदों को लेकर है

31

अंकल कम्युनलिज़्म

10 फरवरी 2020
0
1
0

अंकल कम्यूनलिज्म (व्यंग्य)"वो सादगी कुछ भी ना करे तो अदा ही लगे वो भोलापन है कि बेबाकी भी हया ही लगेअजीब शख्स है नाराज हो के हँसता है मैं चाहता हूँ कि वो खफा हो तो खफा ही लगे"पोस्ट ट्रुथ के बाद ये फिलहॉल एक नया फैंसी शब्द है जो अपने को डिफेंड करते हुए बाकी सभी के ज्ञान को सतही और छिछला साबित करता है

32

ब्लैक स्वान इवेंट

22 फरवरी 2020
0
1
0

ब्लैक स्वान इवेंट (व्यंग्य)"तुलसी बुरा ना मानिएजौ गंवार कहि जाय जैसे घर का नरदहाभला बुरा बहि जाय "फ़िलहाल देश की आम सहनशील जनता आजकल एक दूसरे को समझाते हुये यही कहती है कि जो बहुत बोल रहे हैं ,बोलते ही जा रहे हैं ,लगातार बोलते रहने से उन्हें ये इल्हाम हो रहा है कि जब सुनें

33

कर्फ्यू

27 फरवरी 2020
0
2
0

कर्फ्यू,(लघुकथा)शहर में कर्फ्यू लगा था।मिसेज शुक्ला काफी परेशान थीं ।बच्ची का ऑपरेशन हुआ था ओठों का।वो कुछ भी खा-पी नहीं पा रही थी ।सिर्फ चिम्मच या स्ट्रॉ से कुछ पी पाती थी खाने का तो कुछ सवाल ही नहीं पैदा होता था।सुबह

34

नीचे का खुदा

3 मार्च 2020
0
2
0

3- नीचे का खुदादोनों सिपाहियों की ड्यूटी थी ,वो दोनों स्नाइपर थे और वो दोनों दुश्मनों के निशाने पर भी थे ।आबिद और इकबाल।वैसे इकबाल हिन्दू था और नाम था इकबाल सिंह ,जबकि आबिद का नाम आबिद पटेल था ।इकबाल को सब इकबाल कहकर ही बुलाते थे ताकि लोगों को लगे के वो मुसलमान है क्योंकि वो शक्ल सूरत और रव

35

वर्क फ्रॉम होम

10 मार्च 2020
0
1
0

वर्क फ्रॉम होम ,(व्यंग्य)आये दिन अख़बारों में इश्तहार आते रहते हैं कि घर से काम करो ,घण्टों के हिसाब से कमाओ,डॉलर,पौंड में भुगतान प्राप्त करो।जिसे देखो फेसबुक,व्हाट्सअप पर भुगतान का स्क्रीनशॉट डाल रहा है कि इतना कमाया,उतना माल अंदर किया ।महीने भर की नौकरी पर एक दिन वेतन पाने वाला फार्मूला अब आदिम लगन

36

घर बैठे बैठे

21 मार्च 2020
0
0
0

"घर बैठे -बैठे"(व्यंग्य)"पुल बोये से शौक से उग आयी दीवारकैसी ये जलवायु है हे मेरे करतार"दुनिया को जीत लेने की रफ्तार में ,चीन ने ये क्या कर डाला ,जलवायु ने सरहद की बंदिशों को धता बताते हुए सबको घुटनों पर ला दिया है ।इस स्वास्थ्य के खतरे ने भस्मासुर की भांति सबको लपेटा और

37

मेहँदी लगा कर रखना

4 अप्रैल 2020
0
0
0

" मेहँदी लगा कर रखना" (व्यंग्य )"मैं इसे शोहरत कहूँ,या अपनी रुस्वाई कहूँ,मुझसे पहले उस गली में ,मेरे अफसाने गये" अपनी तारीफ सुनने से वंचित और और अति व्यस्त रहने वाली नये वाले लिटरैचर विधा की मशहूर भौजी ने खाली बैठे बैठे उकताकर अपनी पुरानी ,विधाबदलू ननदी को फोन लगाया ,भौजी का फोन देखकर ननद रॉनी

38

पंडी आन द वे

25 अप्रैल 2020
0
0
0

पंडी आन द वे (व्यंग्य) जिस प्रकार नदियों के तट पर पंडों के बिना आपको मोक्ष की प्राप्ति नहीं हो सकती, गंगा मैया आपका आचमन और सूर्य देव आपका अर्ध्य स्वीकार नहीं कर सकते जब तक उसमें किसी पण्डे का दिशा निर्देश ना टैग हो, उसी प्रकार साहित्य में पुस्तक मेलों में कोई काम संहित्यिक पंडों और पण्डियों के बिना

39

वादा तेरा वादा

10 मई 2020
0
1
0

“वादा तेरा वादा” “परनिंदा जे रस ले करिहैं निसच्य ही चमगादुर बनिहैं” अर्थात जो दूसरों की निंदा करेगा वो अगले जन्म में चमगादड़ बनेगा।परनिंदा का अपना सुख है ,ये विटामिन है ,प्रोटीन डाइट है और साहित्यकार के लिये तो प्राण वायु है ।परनिंदा एक परमसत्य पर चलने वाला मार्ग है और मुफ्त का यश इसके लक्ष्य हैं।चत

40

चाँद और रोटियां

14 जून 2020
0
1
0

चाँद और रोटियां (व्यंग्य)प्रगतिशीलता के पुरोधा,परम्पराओं को ध्वस्त करने वाले कवि करुण कालखंडी जी देश में मजदूरों के पलायन से बहुत दुखी थे ,उन्होंने लाक डाउन के पहले दिन से बहुत मर्माहत करने वाली तस्वीरें और करुणा से ओत प्रोत कविताएं लिखी थीं ।वो सरकार पर बरसते ही रहे थे क

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए