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अबकी बार तीन सौ पार

24 नवम्बर 2019

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अबकी बार,तीन सौ पार,(व्यंग्य)


"नहीं निगाह में मंजिल तो जुस्तजू ही सही

नहीं विसाल मयस्सर तो आरजू ही सही "


जी नहीं ये किसी हारे या हताश राजनैतिक पार्टी के कार्यकर्ता की पीड़ा या उन्माद नहीं है।बल्कि हाल के दिनों में तीन सौ शब्द काफी चर्चा में रहा।एक राजनैतिक दल ने तीन सौ की हुंकार के साथ चुनाव में हुंकार भरी और फिर अब वो समय पर अपनी छाप छोड़ रहे हैं ,धुंधली या पक्की ये तो इतिहास ही तय करेगा।तीन सौ की संख्या ने एक बार अमीरी का हब बनते जा रहे इस देश के बारे में आश्चर्यजनक आंकड़े पेश किये हैं कि इस देश में वेतनभोगी वर्ग की में सत्तर फीसदी लोगों की मासिक आमदनी दस हजार रूपये से कम है यानी करीब करीब तीन सौ रुपयों के आस पास ।दिल्ली के उच्च शिक्षा संस्थान की रिहाइश की फीस तीन सौ रूपये होने पर मीडिया में खूब हल्ला मचा तबसे लोग दिल्ली और झुमरीतलैया के मुद्रा स्फीति का आगणन कर रहे हैं।

बशीर बद्र साहब के शेर की बड़ी मशहूर लाइन है

"लोग टूट जाते हैं एक घर बनाने में "


फिर तीन सौ पार की रार सिर्फ अपने देश में ही नहीं बल्कि अपने पड़ोस पाकिस्तान में टमाटर की बढ़ती कीमतों की हुंकार है ,बाजार के विशेषज्ञ अनुमान लगा रहे हैं कि पाकिस्तान में रूपये ग्राफ गिरता जा रहा है जबकि टमाटर का श्राप बढ़ता जा रहा है ।हाल ही में एक खबर ने काफी सुर्खियां बटोरी जब पाकिस्तान की नायला इनायत नामक युवती ने अपनी शादी में जेवरात की जगह टमाटर पहने। सारे साज श्रृंगार टमाटर से लदे फंदे थे ,,,दुल्हन के सौंदर्य की लाली की तुलना टमाटर से करने वाले लोग तब पशोपेश में पड़ गए जब टमाटर जैसी उपमा के बजाय उन्हें साक्षात टमाटर ही नजर आये, दुल्हन ने बताया कि उसके वालिद ने दूल्हे को तीन पेटी टमाटर भी दिए हैं दहेज में । सुना है हाफ़िज़ सईद ने अपने जंगजू भेजे हैं कि कश्मीर के नाम पर कुछ टमाटर उस दूल्हे से सहयोग में मांगे हैं।हिंदुस्तान में तो दहेज लेना और देना प्रतिबंधित है लेकिन पाकिस्तान में दहेज खूब चलता है ।वस्तुतः जो चीज हिंदुस्तान में प्रतिबंधित हो जाती है पाकिस्तान उसे सर माथे पर चढ़ा लेता है ।अब जैसे खालिस्तान की मांग भारत में प्रतिबंधित है तो पाकिस्तान ने सबसे पहले भिंडरवाले का शिगूफा करतारपुर साहिब में छोड़ दिया ।वैष्णो देवी की यात्रा में सिद्धू की इतनी हूटिंग हुई थी कि वो पानी पानी हो गए थे ,जिस सिद्धू को टीवी चैनल वालों ने निकाल दिया ।पाकिस्तान ने सर माथे पर उसको बिठाया और तालिबान खान उर्फ़ इमरान खान नियाजी की कसीदे गढ़ने के लिए करतार पुर साहब में उसको बुला लिया ।उसने अपनी बेसुरी राग लंतरानी मुसलसल चालू रखी जिसे वो सिद्धूइज्म कहते हैं लेकिन सिद्धू की सिद्धि अब फुस्स हो गयी वो पैविलियन में हिट विकेट होकर बैठे हैं।

उस्ताद अदीब इब्न ए सफ़ी साहब ने आगाह किया था कि " पाकिस्तानियों की बात का कभी भरोसा नहीं करना चाहिए "।

अब कल तक पाकिस्तान आर्मी की विष कन्या माने जानी वाली राबी पीरजादा ने जहरीले सांप से कटवाने,अजगर और घड़ियाल से निगलवाने की धमकी भारतीय नेतृत्व को वो दे रही थीं अगर कश्मीर से 370 नहीं हटाया तो ,लेकिन उन्हें क्या इल्म था कि जुल्म की जहराब पर पला बढ़ा विश्वासघात का बिच्छु उनको ही डंक मार जायेगा।

अदाकार और गुलूकार जब नफरत की अंधी गलियों में जाकर कुत्सित योजनाओं का हिस्सा बनते हैं तब अंजाम यही होता है ,कल तक जिस राबी पीरजादा की सुरीली आवाज इंटरनेट पर कूक रही थी ,आज पाकिस्तान के कुछ नालायक लोगों की वजह से उस गुलकारा की अश्लील वीडियोज समाज में गंदगी फैलाने की बायस बन रहे हैं ,उस पर तुर्रा ये है कि कल तक खुलेआम धमकियां देने वाली , खुद चरमपंथियों की धमकी से डरी डरी है और बिलख बिलख कर माफ़ी मांग रही है और अपनी जान की अमान भी -

'किससे कहें कि छत की मुंडेरों से गिर पड़े

हमने ही तो ये पतंग उड़ायी थी शौकिया "

अब तो डिप्लोमेसी का आलम ये हो गया है कि जो काम बंदूक से निकली गोली नहीं कर पाती वो काम पड़ोसी मुल्क के सब्ज़ी की खाली होती झोली कर देती है ।भारत के टमाटरों ने पाकिस्तान ना जाकर वो तबाही मचायी कि तौबा तौबा पूछिये मत ।पाकिस्तान भारत की मिसाइलों के मुकाबले गौरी और गजनवी मिसाइलें तो बना सकता है तो मगर टमाटर पैदा नहीं कर सकता ।

यही हाल दूसरे पड़ोसी बांग्लादेश का भी है ,भले ही अपने अवैध नागरिकों को वो हमसे स्थल मार्ग से भी लेने को तैयार नहीं मगर भारत का प्याज उसने आनन फानन में हवाई मार्ग से मंगा लिया ।भारत जब उन्हें अवैध घुसपैठिये सौंपता है तब तो वो उन्हें वापस लेने में दुनियाभर की आनाकानी करते हैं और 1971 का संधिपत्र खोजने लगते हैं ,लेकिन भारत को ये उलाहना देने से बाज नहीं आते कि उसने बिना बताए प्याज की अचानक डिलीवरी रोक दी ।इन बांग्लादेशियों का रवैया भी राजधानी के एक उच्च शिक्षा संस्थान के कुछ भटके हुए नौजवानों जैसा है जिन्हें छः लाख पंचानबे हजार की प्रति विद्यार्थी की सब्सिडी कम पड़ रही है । खुद को लोकतंत्र का सजग प्रहरी कहने वालों को काश ये पता होता कि प्रति बीघे पराली जलाने के लिये सौ रूपये की सब्सिडी जुटाने को सरकार प्रयासरत है ।जहाँ कभी लाइट नहीं जाती उन्हें क्या पता कि मिट्टी के तेल की सब्सिडी बहुत कम हो गयी है जिससे इस देश के तमाम बच्चों के पढ़ने की अवधि कम हो गयी है । देश ने इन होनहारों को बड़ी उम्मीद से पढ़ने के लिये भेजा है ,गुरुओं ,शिक्षिकाओ से तू तू ,मैं मैं,झुमा झटकी करने के लिये नहीं ।सिर्फ लेनिन और चे-ग्वारा ही नहीं अपने लोगों की भी इज्जत करना सीखें ।

एक उस्ताद शायर ने शाद फरमाया है कि

"तस्वीरें तो घर में सजा लीं

और मुसव्विर दर दर हैं ,

फन की इज्जत करने वालों

कद्र करो फनकारों की "

समय का फेर है कि ममता बनर्जी ने हैदराबाद के एक फायरब्रांड नेता और खुद को कौम विशेष का ही खिदमतगार कहने वाले नेता पर अल्पसंख्यक तुष्टि करण का आरोप लगाया है ,

ये बात सच है ,चुनाव पूर्व हुए गठबंधन की कसम ।😊,

समाप्त ,कृते,,, दिलीप कुमार






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मन का रावण (व्यंग्य)हा, तुम्हारी मृदुल इच्छाहाय मेरी कटु अनिच्छा था बहुत माँगा ना तुमने ,किंतु वह भी दे ना पाया ।था मैंने तुम्हे रुलाया ,,ये एक तसल्ली भरा सन्देश है उन लोगों की तरफ से जिन्होंने इस बार मन के रावण को पुष्पित -पल्लवित नहीं होने दिया ।इस बार का दशहरा बहुत फीका फीका रहा।,फेसबुक के कॉलेज

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मेला ऑन ठेला ,(व्यंग्य)"सारी बीच नारी है ,या नारी बीच सारीसारी की ही नारी है,या नारी ही की सारी"जी नहीं ये किसी अलंकार को पता लगाने की दुविधा नहीं है ,बल्कि ये नजीर और नजरनवाज नजारा फिलहाल लिटरेरी मेले का है ।मेले में ठेला है ,ये ठेले पर मेला है ।बकौल शायर "नजर नवाज नजार

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तो क्यों धन संचय (व्यंग्य)हाल ही में एक ट्वीट ने काफी सुर्खियां बटोरी ,"पूत कपूत तो क्यों धन संचयपूत सपूत तो क्यों धन संचय"जिसमें अमिताभ बच्चन साहब ने सन्तान के लिये धन एकत्र ना करने का स दिया उपदेश दिया है लोगों ने इस वाक्य को आई ओपनर की संज्ञा दी है ।लोग बाग़ ये अनुमान लगा रहे हैं कि प्रयाग में जन्

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अबकी बार तीन सौ पार

24 नवम्बर 2019
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अबकी बार,तीन सौ पार,(व्यंग्य)"नहीं निगाह में मंजिल तो जुस्तजू ही सही नहीं विसाल मयस्सर तो आरजू ही सही "जी नहीं ये किसी हारे या हताश राजनैतिक पार्टी के कार्यकर्ता की पीड़ा या उन्माद नहीं है।बल्कि हाल के दिनों में तीन सौ शब्द काफी चर्चा में रहा।एक राजनैतिक दल ने तीन सौ की ह

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ये कैसे हुआ

30 नवम्बर 2019
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"ये कैसे हुआ" (व्यंग्य)फ़ांका मस्ती ही हम गरीबों की विमल देखभाल करती हैएक सर्कस लगा है भारत में जिसमें कुर्सी कमाल करती है "।उस्ताद शायर सुरेंद्र विमल ने जब ये पंक्तियां कहीं थी तब उन्होंने शायद ये अंदाज़ा लगा लिया था कि इस देश की जनता की साथी उसकी फांकाकशी ही रहने वाली है ।वी द पीपुल तो हमें जनता जन

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पापा नहीं मानेंगे

8 दिसम्बर 2019
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पापा नहीं मानेंगे (व्यंग्य)"खुदा करे इन हसीनों के अब्बा हमें माफ़ कर दें, हमारे वास्ते या खुदा , मैदान साफ़ कर दें ,"एक उस्ताद शायर की ये मानीखेज पंक्तियां बरसों बरस तक आशिकों के जुबानों पर दुआ बनकर आती रहीं थीं ,गोया ये बद्दुआ ही थी ।इन मरदूद आशिकों को ये इल्म नही

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कौआ कान ले गया

14 दिसम्बर 2019
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"कौआ कान ले गया "(व्यंग्य)"हुजूर ,आरिजो रुख्सार क्या तमाम बदनमेरी सुनो तो मुजस्सिम गुलाब हो जाए ,गलत कहूँ तो मेरी आकबत बिगड़ती है जो सच कहूँ तो खुदी बेनकाब हो जाए"इधर सताए हुए कुछ लोगों के जख्मों पर फाहे क्या रखे गए उधर धर्म को अफीम मानने वाले लोगों ने लोगों को राजधर्म याद

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आपको क्या तकलीफ है

21 दिसम्बर 2019
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"आपको क्या तकलीफ है " (व्यंग्य)रिपोर्टर कैमरामैन को लेकर रिपोर्टिंग करने निकला।वो कुछ डिफरेंट दिखाना चाहता था डिफरेंट एंगल से ।उसे सबसे पहले एक बच्चा मिला ।रिपोर्टर ,बच्चे से-"बेटा आपका इस कानून के बारे में क्या कहना है"?बच्चा हँसते हुये-"अच्छा है,अंकल इस ठण्ड में सुबह सुबह उठकर स्कूल नहीं जाना पड़ता

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डर दा मामला है

29 दिसम्बर 2019
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डर दा मामला है (व्यंग्य)"सबसे विकट आत्मविश्वास मूर्खता का होता है ,हमें एक उम्र से मालूम है --हरिशंकर परसाई"।फिल्मों की "द फैक्ट्री "चलाने वाले निर्देशक राम गोपाल वर्मा महोदय ने डर के लेकर दिलचस्प प्रयोग किये।वो अपनी किसी फेम फिल्म में डर फेम शाहरुख़ खान को तो नहीं ला पाये ,लेकिन डर को लेकर उन्होंने

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लोग सड़क पर

5 जनवरी 2020
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"लोग सड़क पर " ( व्यंग्य)"नानक नन्हे बने रहो, जैसे नन्ही दूबबड़े बड़े बही जात हैं दूब खूब की खूब "श्री गुरुनानक देव जी की ये बात मनुष्यता को आइना दिखाने के लिये बहुत महत्वपूर्ण है।ननकाना साहब में जिस तरह गुरूद्वारे को घेर कर सिख श्रद्धालुओं पर पत्थर बाज़ी की गयी और एक कमज़र्फ ने धमकी दी कि वो ये करेगा,

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मेरा वो मतलब नहीं था

11 जनवरी 2020
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"मेरा वो मतलब नहीं था " (व्यंग्य)"जामे जितनी बुद्धि है,तितनो देत बतायवाको बुरा ना मानिए,और कहाँ से लाय"देश में धरना -प्रदर्शन से विचलित ,और अपनी उदासीन टीआरपी से खिन्न फिल्म इंडस्ट्री के कुछ अति उत्साही लोगों ने सोचा कि तीन घण्टे की फिल्म में तो वे देश को आमूलचूल बदल ही द

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कागज़ नहीं दिखाएंगे

19 जनवरी 2020
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"कागज़ नहीं दिखाएंगे "(व्यंग्य)"युग के युवा,मत देख दाएंऔर बाएं और पीछे ,झाँक मत बगलेंन अपनी आँख कर नीचे,अगर कुछ देखना है देख अपने वे वृषभ कंधे,जिन्हें देता निमंत्रणसामने तेरे पड़ा, युग का जुआ "युग का जुआ युवाओं को अपने कंधों पर लेने की हुंकार देने वाले कविवर हरिवंश राय बच्चन अपने अध्यापन के दिनों में

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खिचड़ी बनाम बिरयानी

26 जनवरी 2020
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"खिचड़ी बनाम बिरयानी "(व्यंग्य)"मालिन का है दोष नहीं ,ये दोष है सौदागर का जो भाव पूछता गजरे का और देता दाम महावर का" ऐसा ही कुछ आजकल के धरना प्रदर्शनों का है जो किसी अन्य वजहों की वजह चर्चा में आ जाते हैं बजाय उसके जो वजह उन्होंने चुनी है ।धरना ,वैचारिक मतभेदों को लेकर है

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अंकल कम्युनलिज़्म

10 फरवरी 2020
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अंकल कम्यूनलिज्म (व्यंग्य)"वो सादगी कुछ भी ना करे तो अदा ही लगे वो भोलापन है कि बेबाकी भी हया ही लगेअजीब शख्स है नाराज हो के हँसता है मैं चाहता हूँ कि वो खफा हो तो खफा ही लगे"पोस्ट ट्रुथ के बाद ये फिलहॉल एक नया फैंसी शब्द है जो अपने को डिफेंड करते हुए बाकी सभी के ज्ञान को सतही और छिछला साबित करता है

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ब्लैक स्वान इवेंट (व्यंग्य)"तुलसी बुरा ना मानिएजौ गंवार कहि जाय जैसे घर का नरदहाभला बुरा बहि जाय "फ़िलहाल देश की आम सहनशील जनता आजकल एक दूसरे को समझाते हुये यही कहती है कि जो बहुत बोल रहे हैं ,बोलते ही जा रहे हैं ,लगातार बोलते रहने से उन्हें ये इल्हाम हो रहा है कि जब सुनें

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कर्फ्यू,(लघुकथा)शहर में कर्फ्यू लगा था।मिसेज शुक्ला काफी परेशान थीं ।बच्ची का ऑपरेशन हुआ था ओठों का।वो कुछ भी खा-पी नहीं पा रही थी ।सिर्फ चिम्मच या स्ट्रॉ से कुछ पी पाती थी खाने का तो कुछ सवाल ही नहीं पैदा होता था।सुबह

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3- नीचे का खुदादोनों सिपाहियों की ड्यूटी थी ,वो दोनों स्नाइपर थे और वो दोनों दुश्मनों के निशाने पर भी थे ।आबिद और इकबाल।वैसे इकबाल हिन्दू था और नाम था इकबाल सिंह ,जबकि आबिद का नाम आबिद पटेल था ।इकबाल को सब इकबाल कहकर ही बुलाते थे ताकि लोगों को लगे के वो मुसलमान है क्योंकि वो शक्ल सूरत और रव

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10 मार्च 2020
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वर्क फ्रॉम होम ,(व्यंग्य)आये दिन अख़बारों में इश्तहार आते रहते हैं कि घर से काम करो ,घण्टों के हिसाब से कमाओ,डॉलर,पौंड में भुगतान प्राप्त करो।जिसे देखो फेसबुक,व्हाट्सअप पर भुगतान का स्क्रीनशॉट डाल रहा है कि इतना कमाया,उतना माल अंदर किया ।महीने भर की नौकरी पर एक दिन वेतन पाने वाला फार्मूला अब आदिम लगन

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21 मार्च 2020
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मेहँदी लगा कर रखना

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पंडी आन द वे

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पंडी आन द वे (व्यंग्य) जिस प्रकार नदियों के तट पर पंडों के बिना आपको मोक्ष की प्राप्ति नहीं हो सकती, गंगा मैया आपका आचमन और सूर्य देव आपका अर्ध्य स्वीकार नहीं कर सकते जब तक उसमें किसी पण्डे का दिशा निर्देश ना टैग हो, उसी प्रकार साहित्य में पुस्तक मेलों में कोई काम संहित्यिक पंडों और पण्डियों के बिना

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10 मई 2020
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“वादा तेरा वादा” “परनिंदा जे रस ले करिहैं निसच्य ही चमगादुर बनिहैं” अर्थात जो दूसरों की निंदा करेगा वो अगले जन्म में चमगादड़ बनेगा।परनिंदा का अपना सुख है ,ये विटामिन है ,प्रोटीन डाइट है और साहित्यकार के लिये तो प्राण वायु है ।परनिंदा एक परमसत्य पर चलने वाला मार्ग है और मुफ्त का यश इसके लक्ष्य हैं।चत

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चाँद और रोटियां

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चाँद और रोटियां (व्यंग्य)प्रगतिशीलता के पुरोधा,परम्पराओं को ध्वस्त करने वाले कवि करुण कालखंडी जी देश में मजदूरों के पलायन से बहुत दुखी थे ,उन्होंने लाक डाउन के पहले दिन से बहुत मर्माहत करने वाली तस्वीरें और करुणा से ओत प्रोत कविताएं लिखी थीं ।वो सरकार पर बरसते ही रहे थे क

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