shabd-logo

काबिलियत की क़ीमत।

11 जनवरी 2022

28 बार देखा गया 28
बस एक बात जो अब सता रही है कि,
काबिलियत की कीमत कम होती जा रही है।
कम होता जा रहा है नज़रिया परखने का,
देखो हीरे को भी जंग लगे जा रही है,

बस एक बात जो सता रही है,
काबिलियत की क़ीमत अब कम होती जा रही है,

Sensex भी हो गया 60000 के पार,
यहां निफ़्टी भी ठीक -ठाक ही कमा रही है,

बस एक बात जो सता रही है,
काबिलियत की कीमत कम होते जा रही है।

हिंदी लेखन...✍️

Gagan Kumar Sharma की अन्य किताबें

17
रचनाएँ
हिंदी लेखन
0.0
"हिंदी लेखन" महज एक पुस्तक नही ,यह जीवन में राहचलित गतिविधियो और संघर्षो पर लिखी की कुछ रचनाओं का संग्रह है। इस पुस्तक में लिखित अधिकतर कवितायें आपको जीवन के संघर्षो से लड़ने की हिम्मत जुटाने में निश्चित ही सहायक रहेंगी।
1

बचपन।

10 जनवरी 2022
3
2
0

वो बचपन सुहाना अब बहुत याद आता है,हर दिन नया फसाना अब बहुत याद आता है,मेले में वो पापा के कंधों का झूला,धूप में माँ के आँचल का सहारा याद आता है,वो बचपन सुहाना बहुत याद आता है,वो तरन्नुम,वो तराना अब बह

2

जनहित में जारी

10 जनवरी 2022
1
2
0

अकड़ ज़माने भर की अपने हिस्से रखने से कुछ प्राप्त नही होता,अकल कमानें भर की रखों,तो जिंदगी सँवर जाती है।गगन शर्मा...✍️हिंदी लेखन

3

गम।

10 जनवरी 2022
1
2
0

ग़मो के शहर में रहा मैं ढूंढता खुशी,ख़ुशी को थी ख़बर कि मैं ग़मो में हूँ।गगन शर्मा...✍️हिंदी लेखन।

4

त्योहार के मायने।

10 जनवरी 2022
1
2
0

क्योंकि त्योंहार का मतलब खुशियों से है...दीवाली,ईद,क्रिसमस या होली ये कुछ धार्मिक त्योहार है जो अलग - अलग धर्म के लोगों द्वारा मनाये जाते है,मगर क्या गलत है अगर दीवाली की मिठाई किसी क्रिश्चियन के घर प

5

हर तरफ था शोर सा

10 जनवरी 2022
1
1
0

हर तरफ़ था शोर सा,पर मैं रहा खामोश सा,वो सुन रहे थे अपनो की,तो मैं तो ठहरा गैर सा....सुन्न सा रहा सब सह गया,मैं कुछ हो गया मजबूत सा,वो सुन रहे थे उनकी हीतो मैं भला क्या बोलता....हर तरफ़ था शोर सापर मैं

6

मंज़िले अभी दूर है..

10 जनवरी 2022
1
2
0

मेरे हौंसलों की ख्वाहिशें ले नया कोई मोड़ ले,मंज़िले अभी दूर है , हमें तू रास्तों में रोक ले,एक बार जो निकल गयातेरे हाथ से ये आसमां(गगन)फिर हाथ में न आएगा,एक बार फिर से सोच ले,मंज़िले अभी दूर ह

7

बुलंद हौंसले...

10 जनवरी 2022
1
1
0

बुलंद हौसलें कहाँ ठहरते है , सिर्फ इतना सा पाकर,ये तो शुरुआत है,भरना अभी लम्बी उड़ान बाकी है,छोटा सा जहाँ ही आया है "गगन"हिस्से में अभी तक,ठहरना नहीं है, पाना अभी सारा आसमान बाकी है।गगन शर्मा...✍️हिंदी

8

मोहब्बत का बन्दा हूँ...

10 जनवरी 2022
1
1
0

जंग,जिद्द,जुनून सब सीने में धड़कते है यहां,बेहतर होगा कि मुझे तुम इन पर न ज्ञान दो,आमने-सामने की लड़ाई, तुम रहने दो भाई,मैं मोहब्बत का बंदा हूँअच्छा होगा कि,तुम मुझे मोहब्बत से मार दो।गगन शर्मा...✍️हिंद

9

गिरा लो मुझको

11 जनवरी 2022
1
1
0

बेशक़ फिर से गिरा लो मुझको,चलो तुम थोड़ा और सतालो मुझको,मगर मानो मैं बेफिक्र सा रहता हूँ अब,तुम चाहो तो फिर से आजमा लो मुझको।गगन शर्मा...✍️हिंदी लेखन।

10

मेरा मकान अच्छा है।

11 जनवरी 2022
1
1
0

क्या मंज़िल पाओगें तुम ये सवाल अच्छा है,मुक़ाम पाने का मेहनत सेख़्याल अच्छा है,लाखों के महलों रहते हो तुमपर बैचैन से दिखते हो,मगर मैं चैन से सोता हूँ मैं,तेरे महलो से तोमेरा मकान अच्छा है।हिंदी

11

बेसहारे को तिनके का सहारा खूब है।

11 जनवरी 2022
1
1
0

हार में भी जीत है गरयदि प्रयास भरपूर हैं,कि बे-सहारे को भी तब,तिनके का सहारा खूब है,तू ढूंढता है क्यों किनारा,जब जीवन ही मझधार है,तू अकेला है कहाँ सेये हुनर जो तेरे साथ है,छांव है कुछ दबी-दबी सीबेशक़ भ

12

संघर्ष।

11 जनवरी 2022
1
1
0

"संघर्ष करने वालो को या तो जीत मिलेगी या जीत का रास्ता, संघर्ष कभी हारता नही है।"मुश्किलें लाख रोके रास्ता भले तुम्हारा मगरकाम कोई ऐसा नही जो हौसलें कर न सकें,पथ कठिन जरूर होता है कई मर्तबा यहाँ,

13

मंज़िलो की बाते।

11 जनवरी 2022
1
1
0

मुश्किलों से बेपनाह,तुम बेवज़ह ही डरते हो,मंज़िलो की बातें ,तुम तो रास्तें में करते हो।मंजिलों की चाह रखना है बड़ा आसान सा,मंज़िलो की चाह में क्या घुट-घुटतुम भी मरते हो,मुश्किलों से बेपनाह,तुम बेवज़ह ही डर

14

काबिलियत की क़ीमत।

11 जनवरी 2022
1
1
0

बस एक बात जो अब सता रही है कि,काबिलियत की कीमत कम होती जा रही है।कम होता जा रहा है नज़रिया परखने का,देखो हीरे को भी जंग लगे जा रही है,बस एक बात जो सता रही है,काबिलियत की क़ीमत अब कम होती जा रही है,Sense

15

जज़्बा।

11 जनवरी 2022
1
1
0

हिसाब अपना तो बड़ा सीधा- सादा है,मैदान में आ अगर जंग का इरादा है,तुझे होगा गुरूर अपने रूतबे पर बेशक़,मेरा जज़्बा तेरे झूठे रुतबे से ज्यादा है।हिंदी लेखन...✍️

16

माया-मोह।

11 जनवरी 2022
1
1
0

" माया-मोह से दूर रहा जो, तन-मन से वो मोक्ष में जाये, दूर खड़ा कपि दुख भी ये सोचे, कि कैसे इससे पार अब पायें, जीवन ये अनंत तक देखो मरकर भी जीता चला जाये,

17

दिलो को जीतना।

11 जनवरी 2022
2
1
0

बहकता हूँ मैं जब-तब अब, सँभलना सीख लेता हूँ,मैं ज़रा मुस्कुराकर बस ,दिलो❤️ को जीत लेता हूँ।हिन्दी लेखन...🙏

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए