सुनते सुनते कहानिया सब लगती पुरानी सी लेकिन फिर भी कुछ तो होगी बात इस मे लोग सुनते और पड़ते है,,,
एक गांव था उस गाँव मे सरन और रीता रहते थे ।।
वो कहते है ना ज़िन्दगी में हमे वो ही पसन्द आता है जो मिलना मुश्किल होता है इन दोनों के जीवन मे ऐसा ही हुआ
पचपन के खिंचा तानी लड़ाई में कब प्यार हो गया पता ही ना चला दोनो को ।
प्यार तो हो गया था मगर अब इसका परिणाम क्या होने वाला है कोई नही जानता था क्योंकि दोनों अलग अलग समाज के थे। एक नेपालीऔर दूसरा आदिवासी ।।
आजकल सब कहते है नई सोच नई है रीति रिवाज मगर कोई नही अपनाता खुद पे तो हुई बात ये की
प्यार किया कोई बड़ी बात तो नही थी मगर गाँव है ना यहां
समाजका डर लोग क्या कहेंगे ये डर लोगो सत्ता हर पल
ये ही एक कारण बना इन दोनों की प्यार में भी
दोनो में प्यार इतना बढ़ गया कि दोनों जी नही पाते एक दूजे को देखे बिना ।
कोई ना कोई बहाना मिल ही जाता दोनो को साथ मे समय बिताने का हमेशा प्यार से रहेंगे ये दोनों ने किया था वादा
कई दिन तो ऐसा ही गुजरा मगर वो कहते है ना वक्त हमेशा एक सा नही रहता चाहे जितना भी अच्छा हो या चाहे कितना भी बुरा हो बदल ही जाता है ।
रीता और सरन के ज़िन्दगी में कुछ बदलाव आनेको था मगर बेखबर पंछी सा वो उड़ रहे थे प्यार के सफर में
एक दिन रीता की माँ ने दिनों को साथ मे देखा उसको बहुत गुस्सा आया उस वक्त तो कुछ ना कहा उन्होंने मगर गुस्सा का जाहिर करने का तरीका एक ही था कि अपनी बेटी से बात करके उससे समझा कर ही ।
माँ ने समझाया वो दूसरे जाट के है और दुश्मन भी (क्योंकि बहुत पहले ही रीता की माँ से सरन ने लड़ाई की थी किसी छोटी सी बात को लेकर बहुत बड़ी लड़ाई हुई थी)और तुम उसी से प्यार करती हो अगर तुमने उस से शादी की तो हमारी इज्जत मान समान सब चली जायेगी सब कहकर समझाया बहुत मगर प्यार कुछ नही जाता कहते है ना यहां भी वो ही हुआ रीता ने बात नही मानी और कुछ और दिन बिता गया प्यार और गहरा बनता गया एक दिन ऐसा भी आया कि वो भाग चली थी दिल्ली मगर उसकी माँ पिता ने ढूढ़ निकला और घर लेके आए।
फिर ज़िन्दगी के परिस्थितियों से और समाज अपने सब से लड़ती रही अपने प्यार के लिए पहले पहले ते साथ देता गया मगर सफर में जितनी मुस्किले आ रही थी वैसे वैसे वो
रीता साथ छोड़ता गया छोड़ता गया अब रीता क्या करेगी जिसके लिए इतना लड़ाई की जिसके लिए अपनो से बगावत की वो ही साथ नही दे रहा था दूर दूर हो रहा था
उससे लगा इससे अच्छा की मैं मर जाऊ ये सोच वो हर दिन घुट घुट कर जी रही थी ।।
मगर एक दिन तो हत ही हो गयी उसने शादी कर ली और
उसको छोड़ गया ।
रीता को बहुत बुरा लगा इतनी बदनामी इतनी नफरत सहरहि थी जिसके लिए वो ही निकला बेवफा और उसने जो अपने माता पिता के साथ किया वो सोच कर उसने अपने आपको मार डालने के बारे में सोचा और अपनी जान दे दी ज़िन्दगी से मोह मोड़ लिया ।।।