अब आपके मन में अनेक विचारों ने जन्म ले लिया होगा कि आपको वह लड़की सिर्फ चेहरे से सुंदर लगी या किन्हीं अन्य कारणों से। तो शायद मेरे विचार से मुझे उसे देखे हुए दो या तीन दिन हुए थे। तो भला मैं उसके चरित्र को कैसे पहचान पाता। स्पष्ट है कि उसकी सुंदरता को ही देखकर मैंने उसे अच्छा कहा।
इसी प्रकार कुछ दिन व्यतीत हुए और लगातार मैने उसका कुछ दिनों तक पीछा किया। मेरा तात्पर्य ये नही है कि मैंने उसका पीछा अन्य कारणों से किया, बल्कि मैं उसे देखना चाहता था इसलिए मैंने उसका पीछा किया।
वक्त बीतता गया और मेरी दिनचर्या कुछ इसी प्रकार बीतती गई। लेकिन जब उसे देखने के लिए मेरी उत्सुकता और अधिक बढ़ी तो मानों वह सपनों की भांति लुप्त हो गई। और इस समय मेरा दिन कुछ इस प्रकार कटा। मैं हर रोज शाम सात बजे से आठ बजे तक उसके घर के सामने बाहर सड़क के किनारे एक कुआं था जिस पर मैं बैठकर उसका इन्तजार किया करता था कि शायद वह बाहर आएगी परंतु लगभग आठ से दस दिनों तक वह दिखाई ही नहीं पड़ी। मैने सोचा शायद वह बीमार होगी या अपने अन्य संबंधियों के यहां चली गई होगी। इसी कारण वह नहीं दिख रही है।