साहित्य समाज से पैदा होकर समाज के विभिन्न रुपों को चित्रित कर उसे पुनः उसी को सौंपता है।इस तरह साहित्य निर्माण हो जाता है।मेरी लघुकथाओं में आपको यही दिखेगा।
मैं रंगकर्मी हूँ,आर के महिला महाविद्यालय में व्यख्याता पद पर कार्यरत हूँ।
कलम के संग मित्रता कर सम्वेदना व्यक्त कर साहित्य निर्माण में अपनी छोटी सी भूमिका अदा करता हूँ।कुछ खोरठा,भोजपुरी तथा हिंदी फिल्मों में अभिनय क्षमता का भी प्रदर्शन किया हूँ।नाटक