वज़्न- १२२२ १२२२ १२२२ १२२२ काफ़िया-आन रदीफ़- का आरा"गज़ल"उड़ा अपना तिरंगा है लगा आसमान का तारातिरंगा शान है जिसकी वो हिंदुस्तान का प्याराकहीं भी हो किसी भी हाल में फहरा दिया झंडाजुड़ी है डोर वीरों से चलन इंसान का न्यारा।।किला है लाल वीरों का जहाँ रौनक सिपाही कीगरजता शेर के मान