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अमरावती और उसकी ब्लू साड़ी

28 फरवरी 2024

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किस्सा है अमरावती का जो की अभी 72-73 वर्ष की है, पर यह किस्सा 2-3 साल पुराना है | किस्सा शुरू करने के पहले अमरावती छोटा सा परिचय जरूरी है | अमरावती के पति राम अमोल पाठक जी एक पब्लिकेशन हाउस के सम्पादक थे और आज से कोई 8-10 साल पहले गुज़र गए | अमरावती की एक बेटी है जो पास के शहर में रहती और और तीन बेटे मेट्रो सिटीज़ में रहते हैं पर अमरावती सूरजगढ़ में अकेली ही रहती है क्योंकि वो आजाद ख़यालों वाली है | 

अमरावती का ये किस्सा कोई 2 -3 साल पुराना है | अमरावती को खुली हवा बहुत पसंद थी इसलिए कैंपस के गेट के बाहर अपनी कुर्सी लगा कर बैठा करती थी, उस शाम भी अमरावती गेट के बाहर कुर्सी लगाकर बैठी थी | ये वो दौर था जब कोरोना अपना कहर बरपाने के बाद धीरे-धीरे कमज़ोर हो रहा था | अमरावती का मंझला बेटा भी उस दौर में अपनी नौकरी छोड़ घर लौट था | 

उस शाम अमरावती की मंझली बहु चाय लेकर आई, उस रोज़  ठंडी-ठंडी हवा चल रही थी | अमरावती ठंडी हवा में  चाय की चुस्कियों का मज़ा थी तभी उसकी नज़र उसकी पक्की सहेली कमला पर पड़ी और ख़ुशी से उसकी आँखों में चमक आ गई | 

अमरावती ने अपनी बहु को आवाज़ देते हुए कहा | 

अमरावती ( ईशा से ) - (खुश होकर ) ईशा एक कुर्सी और लाकर देना कमला चाची आई है | 

ईशा ने कुर्सी लाकर दिया और फिर एक और कप चाय भी दी | 

अब दोनों सहेलियों ने गप्पें-सप्पे शुरू कीं | कमला अभी-अभी अपनी बहन के  बेटे की  लौटी थी और उसने अपने फ़ोन में शादी की फोटोज़ दिखाई जिसमें उसने ब्लू रंग साडी पहन रखी थी | 

अमरावती ने कमला की उस साड़ी की बहुत तारीफ़ की और कमला की वो साड़ी अमरावती के आँखों में छप सी गई | 

अमरावती(कमला से) - कमला तुम्हारी साड़ी तो बड़ी कमाल की है, कहाँ से खरीदी ये साड़ी तुमने ??

कमला ( अमरावती से ) - ये साड़ी तो यहाँ की नहीं है ,  कलकत्ता से ख़रीदवाई है मैंने अपने बेटे से | दीदी तुम्हें 
                                   भी तो अपनी भतीजी की शादी में जाना है तुम्हार बेटा  भी तो आ गया है, बढ़िया सी साड़ी 
                                   लिवा लो | 

अमरावती(कमला से) - (दर्द भरे आवाज़ में ) अरी कमला ! इनके जाने के बाद ( यानि  राम अमोल पाठक जी के  
                                 गुजरने के बाद ) थोड़ा सुख मिला था जीवन में वो भी छीन लिया इस कोरोना ने | 

कमला ( अमरावती से ) - क्यों क्या हो गया दीदी  ? 

अमरावती(कमला से) - मंझला बेटा नंदन नौकरी छोड़ यहां वापस आ गया है, वक़्त बस मुझे रोक-टोकता
                                रहता है | 

कमला ( अमरावती से ) - (मुस्कुराकर) अमरावती दीदी तुम कौन सा मानने वाली हो ?

अमरावती(कमला से) - (नाराज़गी दिखाते हुए ) हां मानूंगी तो नहीं, पर मैंने सोचा था कि अगर बहू जाएगी शादी में  
                                   तो बेटा भी जाएगा और बेटा जाएगा तो गाड़ी  भी जाएगी और मैं  मजे से गाड़ी में जाऊंगी 
                                   पर बहू उसमें भी टांग अड़ा रही है | पर मेरी होशियार बहु  कह रही है कि हम 
                                   ज्यादा पार्टी वियर के कपड़े लेकर नहीं  आए है और इनकी नौकरी भी नहीं है तो अभी 
                                   हम शादी में जाएंगे तो बहुत खर्च हो जाएगा  जो कि अभी ठीक नहीं होगा | 

कमला ( अमरावती से ) - मैं तो कहती हूँ कि गाड़ी की मोह-माया छोड़ो, बढ़िया सी साड़ी खरीदो और मजे करो 
                                   शादी में | 

अमरावती(कमला से) - (मुस्कुराकर) तुम सही कह रही हो | 

कमला की ब्लू साड़ी तो अमरावती के आंखों में चुभ सी गई थी, अब हर हाल में अमरावती को ब्लू रंग की साड़ी लेनी ही थी | 

कमला चली जाती है और अमरावती अपनी परम सहायक अपनी बेटी पूर्णिमा को फोन मिलाती है | 

अमरावती ( बेटी पूर्णिमा से) - हेलो पूर्णिमा हां बता कैसी है तू ?

पूर्णिमा ( अमरावती से ) - मैं ठीक हूं मां तुम बताओ ?

अमरावती ( बेटी पूर्णिमा से) - मुझे अच्छी सी ब्लू साड़ी लेनी है भतीजी की शादी में जाने के लिए, बता मैं क्या करूं? 

पूर्णिमा ( अमरावती से ) -इसमें सोचना क्या है एक ब्लू साड़ी के लिए,  नंदन (मंझले बेटा)  तो आया ही हुआ है उस 
                                  से ख़रीदवाओ इतना नहीं करेगा | 

अमरावती ( बेटी पूर्णिमा से) - चल में अभी फ़ोन रखती हूँ | 

 तभी अमरावती का मंझला बेटा मुँह में पान दबाए बाहर की ओर चला जाता है | और जाते हुए भारी से आवाज़ में कहता है ए माँ ! आ रहा हूँ थोड़ा घूम फिर के | 

और अब शुरू करती है अमरावती  की मिशन ब्लू साड़ी 

अमरावती अपनी मंझली बहु ईशा को आवाज़ देती है | 

अमरावती ( ईशा से ) - ईशा इंटरनेट पर एक बालू साड़ी ढूंढ़ कर एक अच्छी सी साड़ी आर्डर करो तो मुझे अपनी 
                                भतीजी की शादी में पहननी है | 

ईशा अमेज़न पर एक अच्छी सी साड़ी ढूंढने में लग जाती है | 

अमरावती अब अपने छोटे बेटे चम्पक को फ़ोन मिलाती है | 

अमरावती (चम्पक से) - हेलो ! 

चंपक (अमरावती से ) - हाँ माँ समाचार बताओ कैसी हो ? 

अमरावती (चम्पक से) - क्या बताऊँ ? नंदन और ईशा ने मेरा जीना हराम कर के रख दिया है | ईशा तो मुझे एक 
                                 कप चाय तक नहीं देती एक तुम ही तो हो जो मेरा ध्यान रखते हो ? बोला था मैंने नंदन से 
                                 साड़ी लाने को  पर ईशा ने मना कर दिया और नंदन ने मुझे 10 बातें सूना दी अलग से | 

चंपक (अमरावती से ) - इनलोगों को तो मैं मज़ा चखाऊंगा, तुम चिंता ना करो तुम्हारे अकाउंट में 5000 डाल रूपए  
                                 रहा हूँ तुम जा के अपनी साड़ी खरीद लो | 


अमरावती ने फिर से ईशा को आवाज़ दी | 

अमरावती ( ईशा से ) - ईशा ज़रा एक कप चाय बना दो | 

ईशा चाय बना कर लाती है और रात के खाने की तैयारी में जुट जाती है | 

अमरावती फिर अपने बड़े बेटे चन्दन को फ़ोन मिलाती है | 

अमरावती (चन्दन से ) - हेलो ! 

चन्दन ( अमरावती से ) - हेलो ! माँ कैसी हो ?

अमरावती (चन्दन से ) - क्या कहूँ नंदन और ईशा से परेशान हूँ | ईशा एक काम नहीं करती और नंदन रोज़ मुझसे 
                                 नए-नए खाने की डिमांड करता रहता है | इस बुढ़ापे में काम होता है क्या ? शादी की लिए 
                                  मेरी साड़ी तक नहीं खरीदी उसने | 

चन्दन ( अमरावती से ) - ( नाराज़गी जताते हुए ) ये तो बहुत गलत बात है | 

तभी अमरावती का मंझला बेटा घर आता है | 

नंदन ( अमरावती से ) - क्या माँ ! क्या हो रहा है ? 

अमरावती ( नंदन से ) - कल थोड़ा बाजार लेते चलो शादी के लिए साड़ी लेनी है | 

नंदन ( अमरावती से ) - ईशा के साथ जाकर ले लो साड़ी | 

ईशा खाना लगाती है, रात के खाने के बाद सभी सोने चले जाते हैं पर अमरावती को नींद तो आती है पर थोड़ी ही  वो बहुत खुश होकर चौंक कर उठती है क्योंकि अमरावती ने अपने सपने ब्लू रंग की साड़ी पहन रखी  थी | 


अगली सुबह ईशा अमरावती और नंनंदन को अमेज़न पर ब्लू साड़ी दिखाकर पसंद करवाती है और और्डर कर देती है | 

तीन दिनों के बाद साड़ी की डिलीवरी होती है ईशा साड़ी अमरावती को दिखाती है | साड़ी देखकर अमरावती का चेहरा उतर जाता है क्योनी साड़ी नेवी ब्लू थी जबकि अमरावती को डक-डक ब्लू साड़ी चाहिए थी | 

अमरावती ( अपने आप में बड़बड़ाते हुए) - ये साड़ी तो बड़ी बेकार है, लगता है चम्पक के भेजे पैसे निकालने पड़ेंगे | 

अमरावती फिर से अपनी बेटी पूर्णिमा को फ़ोन मिलाती है | 


अमरावती ( पूर्णिमा से ) - हेलो !


पूर्णिमा ( अमरावती से ) - हाँ  माँ ! साड़ी आ गई तुम्हारी ? कैसी है साड़ी ? 


अमरावती ( पूर्णिमा से ) - एकदम बकवास | 


पूर्णिमा ( अमरावती से ) - माँ ! कोई हाल में छोड़ना मत, बढ़िया सी साड़ी निकलवाओ नंदन और ईशा से | 


अमरावती ( पूर्णिमा से ) - हाँ तू सही कह रही है |  तू बस अब देखती जा | 


अमरावती फ़ोन रख देती है और अमरावती ईशा को आवाज़ देती है | 


अमरावती ( ईशा से ) - ईशा साड़ी लाकर दो ज़रा ! टेलर को फॉल, पिको के लिए दूँगी और और ब्लाउज भी सिलने 
                                दूंगी | 

ईशा साड़ी लाकर देती है और अमरावती साड़ी लेकर बाजार चली जाती है | 

दो दिनों के बाद जब टेलर साड़ी लेकर आता और अमरावती साड़ी पहन कर देखती है तो साड़ी तो बहुत छोटी थी | 

अमरावती टेढ़ी से मुस्कान देते  हुए मुस्कुराती है और कहती है - ईशा ऑनलाइन वालों ने ठग दिया तुम्हें | 

अमरावती का तिकड़मबाज़ी तो ईशा बखूबी समझ जाती है क्योंकि टेलर को भेजने के पहले ईशा ने साड़ी इंच टेप से नापी थी पुरे साढ़े पाँच मीटर थी |  पर ईशा अमरावती से कुछ कहती नहीं  है | 

तभी नंदन भी कहीं बाहर से घर आता है | 

अमरावती ( नंदन से ) - नंदन !  साड़ी तो बहुत छोटी है, ऑनलाइन वालों ने तो ठग दिया ईशा को तो अब मैं भतीजी 
                                 की शादी में पहनूंगी क्या भला ?

नंदन ( अमरावती से ) - क्यों कोई और साड़ी नहीं है तुम्हारे पास ?


अमरावती ( अपने आप से बड़बड़ाते हुए ) - एक साड़ी ही तो मंगाने को कहा, कौन सा नौलखा हार मांग लिया  | 


ईशा ( नंदन से ) - ( समझाते हुए ) कोई शादी लायक साड़ी नहीं होगी माँ के पास, बाज़ार ले जाइये और उनके 
                          पसंद की साड़ी दिलवा दीजिए | 


अमरावती अपने मंझले बेटे नंदन के साथ बाज़ार जाती है और डक-डक ब्लू साड़ी खरीदकर लाती है | टेलर को देकर बढ़िया ही डिज़ाइन वाली ब्लाउज बनवाती है और भतीजी की शादी में चली जाती है | 


इस तरह से अमरावती का मिशन ब्लू साड़ी पूरा होता है | 


अमरावती अपनी भतीजी की शादी से लौटती और अपनी पक्की सहेली कमला के घर जाती है और अपने ब्लू साड़ी की शानदार फोटोज़ कमला को दिखाती है | कमला अमरावती के फोटोज़ की और ब्लू साड़ी की बहुत तारीफ़ करती है और कहती है | 


कमला ( अमरावती से ) - दीदी बड़ी सूंदर साड़ी है तुम्हारी | मैं पड़ोस वाली जया से एक छोटी सी बोतल में कम्फर्ट     
                                    यानि कपड़ों का कंडीशनर लाई हूँ, उससे मेरी साड़ी बड़ी चमकदार हो गई है | थोड़े 
                                    बचे हैं तुम भी ले जाना अपनी साड़ी में डालने को |  


अमरावती जब जाने लगती है तो कमला गलती से कम्फर्ट की बजाय ब्लिचिंग की बोतल अमरावती को पकड़ा देती है | 


अमरावती ने पहली फुरसत में उस बोतल को खोलकर एक बाल्टी में डाला और फिर उसी बाल्टी में अपनी प्यारी ब्लू साड़ी को | बस वो ही हुआ जो नहीं होना चाहिए था, पूरी साड़ी का रंग फेड हो गया, पूरी साड़ी में धब्बे हो गए, कहीं नेवी ब्लू धब्बे, कहीं हलके ब्लू धब्बे तो कहीं डक-डक ब्लू धब्बे | अपने प्यारी ब्लू साड़ी पर रंगीन धब्बों को देखकर अमरावती के चेहरे की हवाइयां उड़ गईं |
प्रभा मिश्रा 'नूतन'

प्रभा मिश्रा 'नूतन'

बहुत बेहतरीन लिखा है आपने बहन 😊🙏

2 मार्च 2024

मीनू द्विवेदी वैदेही

मीनू द्विवेदी वैदेही

बहुत सुंदर लिखा है आपने 👌👌 आप मेरी कहानी प्रतिउतर और प्यार का प्रतिशोध पर अपनी समीक्षा जरूर दें 🙏🙏

29 फरवरी 2024

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