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जिद्दी अमरावती ने ले ली राम अमोल जी की जान

3 नवम्बर 2022

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किस्सा है अमरावती का, वैसे अमरावती अभी तो 72 वर्ष की है पर यह घटना पुरानी है। अमरावती करीब 64 वर्ष की रही होंगी | राम अमोल पाठक जी प्रकाश पब्लिकेशन में एडिटर थे, बड़े ही सज्जन और ईमानदार व्यक्ति थे सभी की नज़रों में उनका बड़ा सम्मान था परन्तु उनकी पत्नी ठीक उनके विपरीत थी | परन्तु प्रकाश पब्लिकेशन के मालिक का असमय निधन हो जाता है, उनका बेटा पब्लिकेशन सम्हाल नहीं पाता है और पब्लिकेशन हाउस पर ताला पड़ जाता है और राम अमोल पाठक जी की नौकरी चली जाती है और उनका जीवन संघर्षपूर्ण हो जाता है | राम अमोल पाठक जी के बीवी अमरावती ही उनकी मुश्किलों को कई गुना बढ़ा देती हैं | दरअसल राम अमोल पाठक जी का जब बुरा वक़्त आता है और उनकी नौकरी चली जाती है  तो उनकी बीवी अमरावती का असली व्यक्तित्व राम अमोल पाठक जी के सामने आता है | आए दिन अपने बच्चों का इस्तेमाल कर राम अमोल जी का अपमान करती, दुर्व्यवहार करती | परन्तु राम अमोल पाठक जी ज़हर का घूंट पीते रहे और अपना कर्म में लगे रहे | राम अमोल पाठक जी यूनिवर्सिटी के बच्चों को हिंदी, इंग्लिश और सोशल साइंस के विषयों का ट्यूशन देने लगे और वक़्त के साथ पैसे की समस्या दूर हो गई | आख़िरकार वो अपनी बेटी पूर्णिमा की पढ़ाई पूरी कर शादी करवाने और तीन बेटों को पैरों पर खड़ा करने और में सफल हो जाते हैं | परन्तु इसके बावजूद परिवार वालों ने उन्हें उनके हिस्से का सम्मान नहीं दिया, सिर्फ गैरों की ही उपस्थिति राम अमोल पाठक जी को सम्मान दिया जाता था | यानि राम अमोल पाठक को उनके परिवार वाले सम्मान और प्रतिष्ठा सिर्फ समाज के सामने ही देते थे | और बीतते वक़्त के साथ अपने अपमान को मज़ाक में टाल देने की कला राम अमोल पाठक जी ने सीख ली | राम अमोल पाठक जी के जीवन में इतने तकलीफें थी पर फिर भी वो हमेशा हँसते हँसते-मुस्कुराते रहते |

अमरावती को झूठ बोलने, हर किसी के लिए बुरा सोचने और हर एक पर अविश्वास करने की आदत थी | अमरावती ने अपनी  कुंठित और दूषित  विचारों का संस्कार अपने बच्चों को भी दे दिया था बस बड़े बेटे चन्दन से नाखुश रहती थीं क्योंकि चन्दन अमरावती के दुर्विचारों और दुष्कर्मों में साथ नहीं देता |

बेटी पूर्णिमा तो माँ अमरावती का ही दूसरा रूप थी, मंझला बेटा नंदन कमज़ोर व्यक्तित्व का था माँ दुर्विचारों को ही उसने परम सत्य मान लिया था, माँ जब-जब जैसा-जैसा बोलती नंदन बिलकुल वैसा करता, हर बात पर चीखता-चिल्लाता, अपशब्द बोलता और हर वो काम करता जिससे कि उसकी माँ अमरावती खुश हो जाती | अमरावती भी अपने बेटे नंदन के स्वभाव और कमजोरियों का सही समय पर सही इस्तेमाल करती, और परिस्थितियों को हमेशा अपने अनुकूल बना लेती | छोटा बेटा चम्पक वैसे अपनी  पूर्णिमा दीदी अनुयायी था पर ज्यादातर ज्यादातर चुप ही रहता |

बेटी पूर्णिमा की शादी हो चुकी थी, बड़े बेटे चन्दन की शादी हो चुकी थे, दो बच्चे थे, मंझले बेटे नंदन की भी शादी हो चुकी थी और छोटे बेटे की शादी तो नहीं हुई थी पर तीनों भाई महानगरों में रहते थे |

पूर्णिमा की शादी पास के ही शहर में हुई थी, हर दूसरे हफ्ते मायके पहुँच जाया करती |  पूर्णिमा अपनी माँ अमरावती संग मिल मोबाइल फ़ोन्स का भरपूर इस्तेमाल करती और दोनों भाभियों के जीवन में ज़हर घोलतीं |

पूर्णिमा ने अपनी बड़ी भाभी मोना के जीवन में सालों तक बहुत ज़हर घोला था जब वो सूरजगढ़ में रहा करती थी | दोनों माँ-बेटी अमरावती और पूर्णिमा ने भाभी मोना के जीवन में ज़हर घोल सालों मनोरंजन किया |

अब  दोनों माँ-बेटी अपने मनोरंजन के लिए मोबाइल फ़ोन्स का इस्तेमाल कर मंझले बेटे की बीवी ईशा जीवन में खूब ज़हर घोलती | नंदन के समझ से सही सिर्फ वो कर्म है जिस काम को करने के बाद मां और पूर्णिमा  उसकी प्रशंसा करें |  नंदन को माँ-बहन जैसा-जैसा बोलती अपनी बीवी के साथ नंदन वैसा-वैसा ही दुर्व्यवहार करता |अमरावती ने अपने छोटे बेटे चम्पक को मंझले बेटे के घर ही रखवा दिया था, चम्पक अपनी दीदी पूर्णिमा का अनुयायी था, वो भी अमरावती और पूर्णिमा के इशारे पर भाभी ईशा को परेशान करता | घर की एक बहु ईशा का जीना दुष्वार कर दिया था अमरावती और  पूर्णिमा ने, अमरावती की बुरी मंशाओं को अंजाम दे रहे थे उसके दो बेटे नंदन और चम्पक |  ये सारा तमाशा राम अमोल पाठक जी देख रहे थे, पर उनके हाथ में कुछ भी ना था, बहु की दुर्दशा पर दुखी तो थे परन्तु कुछ कर नहीं पाते क्योंकि उनकी चलती ही नहीं थी |

सूरजगढ़ में बस अमरावती और राम अमोल पाठक ही रह गए थे | इतने संघर्षपूर्ण जीवन के परिणाम स्वरुप अब राम अमोल पाठक जी की बिमारियों ने घेरना शुरू कर दिया था | अमरावती ने झूठ और फरेब कर बच्चों के मन में पिता राम अमोल पाठक जी के लिए ज़हर भर रखा था कि अगर माँ ना कहे तो बच्चे राम अमोल पाठक जी के ईलाज तक की नहीं सोचते |

उम्र के साथ जिद्दी अमरावती के तरीके बदल गए थे स्वभाव तो वो ही था बस राम अमोल पाठक जी पर अत्याचार का तरीका बदल गया था बस | अब वो वक़्त आ चूका था कि राम अमोल पाठक जी को ईलाज की ज़रूरत थी, पर अगर बच्चे राम अमोल पाठक जी के इलाज पर ध्यान देते तो अमरावती चिढ़ जाती है | चन्दन फिर भी वक़्त-वक़्त पर  राम अमोल जी का इलाज करवा देते | मंझले बेटे नंदन की अच्छी-खासी कमाई  होने लगी थी, बड़े खर्चे नंदन ही करने लगा था | जब बड़े खर्चे का जिम्मा नंदन के हाथों में गया तो अमरावती को फरेब करने के पुरे अवसर मिले और अमरावती ने राम अमोल पाठक जी का ईलाज होने ही नहीं दिया |

जब भी राम अमोल पाठक जी अमरावती को अपनी कोई तकलीफ बताते तो अमरावती को झूठ ही लगता और डॉक्टर के पास ले जाने ज़हमत तक नहीं उठाती |

एक दिन अचानक राम अमोल पाठक जी के बड़े भाई के गुज़र जाने की खबर आई | राम अमोल पाठक जी और अमरावती गांव पहुंचे | बड़े भाई के अंतिम संस्कार से लौटने के बाद राम अमोल पाठक जी बहुत विचलित थे | राम अमोल पाठक जी जब भी अपनी तकलीफ अमरावती को बताने की कोशिश करते, अमरावती बड़बड़ाने लगती और कहती कि फालतू का नाटक लगा रखा है |

एक शाम राम अमोल पाठक जी की तबियत वाकई बिगड़ गई उनके सीने में दर्द था, उन्होंने अपनी तकलीफअमरावती को बताई पर अमरावती ने राम अमोल पाठक जी  तबियत को अहमीयत नहीं दी और उल्टे नाराज़ होने लगी | आखिरकार राम अमोल पाठक जी एक मित्र शशी जो कि उनके घर दूध भी दिया करते  थे उनको ही    संग लेकर डॉक्टर के पास ईलाज के लिए पहुंचे, डॉक्टर साहब ने अस्पताल में भर्ती होने की सलाह दी | राम अमोल जी घबराए हुए घर पहुंचे और अमरावती को पूरी बताई | स्वार्थी और  निष्ठुर अमरावती ने राम अमोल जी से कहा - कुछ ना हुआ है तुम्हें, अस्पताल में भर्ती होने  ज़रूरत नहीं है बिल्कुल भी, बस गैस हो रखा है तुम्हें और कोई बात नहीं है |  खाना खाकर दवाई खाओ और सो जाओ | बिचारे अमोल पाठक जी उस रोज़ भी कुछ नहीं बोले और रात का खाना खाने लगे, खाना अभी ख़त्म भी ना हुआ था और राम अमोल पाठक जी गिर पड़े और उनकी जान चली गई |

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रचनाएँ
अमरावती के कारनामे
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किस्सा है अमरावती का, वैसे अमरावती अभी तो 72 वर्ष की है पर यह घटना पुरानी है।
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किस्सा है अमरावती का, वैसे अमरावती अभी तो 72 वर्ष की है पर यह घटना पुरानी है। अमरावती कोई बीस वर्ष की रही होगी और बिहार के एक गांव, अपने ससुराल में अपने पति राम अमोल पाठक, नवजात शिशु चन्दन और जेठानी क

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अमरावती के झूठ की सच्चाई

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जिद्दी अमरावती ने ले ली राम अमोल जी की जान

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2 मई 2023
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किस्सा कोई दो-तीन साल पुराना  है,  किस्सा है 72-73 वर्ष की अमरावती का | अमरावती के पति राम अमोल पाठक जी नहीं रहे, उनको गुजरे कोई 7-8 साल हो चुके हैं | दुनिया अमरावती को सहानुभूति की नजर से देखती है

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अमरावती का भय

3 नवम्बर 2022
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किस्सा है अमरावती का, वैसे अमरावती अभी तो 72 वर्ष की है पर यह घटना पुरानी है। अमरावती करीब 64-65  वर्ष की रही होंगी | झारखण्ड के एक छोटे से शहर सूरजगढ़ में अमरावती अपने पति राम अमोल पाठक के साथ रहती थी

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अमरावती की दी हुई सीख ही बनी उसकी सबक

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किस्सा है अमरावती का, किस्सा कोई बरसों पुराना नहीं बल्कि हाल-फ़िलहाल का है | अमरावती जो 72-73 वर्ष की हैं | अमरावती के पति राम अमोल पाठक जी प्रकाश पब्लिकेशन में एडिटर थे, बड़े ही सज्जन और ईमानदार व्यक्त

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अमरावती और उसकी ब्लू साड़ी

28 फरवरी 2024
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किस्सा है अमरावती का जो की अभी 72-73 वर्ष की है, पर यह किस्सा 2-3 साल पुराना है | किस्सा शुरू करने के पहले अमरावती छोटा सा परिचय जरूरी है | अमरावती के पति राम अमोल पाठक जी एक पब्लिकेशन हाउस के सम्पादक

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