जिनके हृदय में दया धर्म बसते हैं, जो अमृतवाणी बोलते है और जिनके नेत्र नम्रता वश नीचे रहते हैं असल में वे ही ऊँचे है।
जिसमें सत्य और सेवा पूर्ण रूप से प्रकट हो, वह संसार के हृदयों का साम्राज्य अवश्य भिगोया और अपनी मनोभिलाषा पूर्ण करेगा।
जो उपकार जताने का इच्छुक है उसे द्वार खटखटाना पड़ता है, पर जिसमें प्रेम है उसके लिये द्वार खुला है।