"लुब्धमर्थेन गृह्णीयात् स्तब्धमञ्जलिकर्मणा !
मूर्खों छन्दानुरोधेन यथार्थत्वेन पण्डितः !!"
(पञ्चतन्त्रम् )
अर्थ :--- लोभी को पैसा देकर, क्रोधी को हाथ जोडकर , मूर्ख को जैसा वह कहता है वैसा ही मानकर और यथार्थ (वास्तविक ) बात को कहकर पण्डित ( विद्वान् ) को प्रसन्न करना चाहिए ! यह लोक व्यवहार है !