यह संसार अजूबों एवं चमत्कारों से भरा पड़ा है। विश्व के पुरातन सात अजूबे, और नवीन सात आश्चर्य माने जाते हैं। पुरातन अजूबों में आज तक विद्यमान सिर्फ मिस्र के पिरामिड हैं। बाकी लगभग समय की खाई में गर्त हो चुके हैं। बेवीलोन के झूलते बाग सूख गए, मासालेस का मकबरा-समाधिस्थ हो गए। हेलियोस की कांस्य प्रतिमा अरबवासियों द्वारा लूट ली गई। इसका पीतल 900 ऊंटों पर लादकर ले गए। जीयस का देवता नहीं रहा। फैरो के प्रकाश स्तम्भ बुझ गए।
प्राचीन मिस्र में मनुष्य को जलाने की प्रथा नहीं थी। वहां मानव शव को मसाला भरकर कब्र में सुरक्षित रखने का रिवाज था। वे हजारों वर्षों तक सुरक्षित रह सकते थे। आज तक वैज्ञानिक खोज न कर सके जो वे प्रयोग करते थे। इस प्रकार सुरक्षित शव को ममी कहा जाता जिस पर पिरामिड का बड़ा भवन बनाया जाता।
मिस्रवासी मानते थे कि आत्मा के पंख होते हैं जो पुन: शरीर में प्रवेश करती है। वे मानते थे कि जीवन मरने के पश्चात भी चलता रहता है। इंसान मर कर भी जिंदा रहता है। आज भी आत्मा का अस्तित्व माना जाता है। आज पुर्नजन्म माना जाता है परन्तु पांच हजार वर्ष पहले म्रिसवासी मानते थे कि आत्मा पुन: उसी शरीर में प्रवेश करती है जिसे छोड़ती है।
मिस्र में शव को रेत में गाड़ दिया जाता। मांस गल कर ढांचा बन जाता। शव इस प्रकार भी सुरक्षित रखे जाते थे। दूसरा उपाय-मानव की आंतडिय़ां निकाल लेते, फिर मसाले भर कर ममी बना देते उसकी आत्मा को संतुष्ट रखने को उस शव के पास खाने-पीने एवं नित्य प्रयोग का सामान रख देते। कब्र में जानवरों का मांस भी भक्षण के लिए रख देते। शराब, जल, सुगन्धित पदार्थ रख देते।
वे मानते हैं कि एन्यूविस शमशान देवता, सेत देवता एवं इसिस देवता ममी की रक्षा करते हैं। इतिहासकार मानते हैं कि ईसा के 1300 वर्ष पहले भी यह प्रथा प्रचलित थी। इससे भी पुरातन अवशेष पुरातत्ववेत्ताओं ने खोजे हैं।
शवों को बाई करवट लिटाकर लकडी के बक्से में रख देते। मसाले लगाकर ऊपर पट्टियां बांध देते। कफन में रख कर पिरामिड में रख देते थे।
पहले केवल राजाओं के शव ही ममी बनाए जाते थे। कब्र के नीचे जमीन में बड़ा कमरा बनाकर सम्राट के शव को रखा जाता। साथ में मूल्यवान वस्तुएं रख देते। यहां कि संगीत यंत्र, मूल्यवान पुस्तकें फर्नीचर सोना चांदी रख देते। चोर डाकू उनको लूटने में कसर न छोड़ते। ममी के मसाले चोरी होने लगे जो असाध्य रोगियों की दवा में प्रयोग होते। शवों का चूर्ण बनाकर दवा के रूप में बिेकने लगा। ममी शव भी चोरी होने
लगे।
सबसे प्रसिद्ध राजा खुफू की कब्र एवं पिरामिड माना जाता है। इस पिरामिड को तीन लाख लोगों ने बनाया माना जाता है। 100 वर्ष तक निर्माण कार्य चलता रहा। 13 एकड क्षेत्र में लाल ग्रेनाईट एवं चूने के पत्थर द्वारा निर्मित 481 फुट ऊंचा बना। इसकी झुकी त्रिकोणी दीवारें जमीन से 52 अंश का कोण बनाती। इसका पेंट बड़ा विचित्र था जो दूर से शीशे के समान चमकता था। कमरे इस कुशलता से बने थे कि अन्दर जाने का कोई रास्ता न था। दो तीन खिड़कियां हवा के आवागमन के लिए बनाते जो बाहर से नजर न आती थी। 75 पिरामिड विशेष अजूबा हैं। वे शिल्पकला का नमूना प्रस्तुत करते
है।
मिस्र की राजधानी थिवस में प्राचीन सम्राट तूतन खामने की ममी सोने के सिंहासन पर विराजमान थी। सोने का रथ, जूते, हाथी दांत की वस्तुएं मिली जो संग्रहालयों में सुरक्षित हैं। यह कहा जाता है कि तूतन खामन एवं फराओं की ममियों की खोज में लगभग दो दर्जन पुरातत्व वेत्ताओं को अपनी जान से हाथ धोने पड़े। यह शव चार हजार वर्ष पुराना था। इस पर सोने का मुकुट गंजे सर को ठांपे हुए था। हाथों की उंगलियों में कीमती अगूठियां थी। राजा की उम्र 18 वर्ष थी। पुरातत्व वेत्ता मि? कार्टर को तूतन की ममी खोजने का श्रेय प्राप्त है।
डिस्कवरी चैनल में कभी-कभी ममी की डाकूमेंटरी देखने को मिल जाती है जो काफी ज्ञानवर्धक है। हॉलीवुड ने ’ममीज‘ सीरीज की तीन फिल्में बनाई हैं वे भी दर्शनीय हैं परन्तु काल्पनिक हैं। काल्पनिक संसार को देखने से दुर्भावनाएं एवं चित-विचलित तो होता है, मनोरंजन भी होता है।
मिस्र की ममियों एवं पिरामिडों में छिपे रहस्यों की खोज चलती रहती है। श्योप्स जगत में पिरामिड के छिद्र में से 12 सेमीं. शेवर-राबोट पिरामिड में दाखिल किया गया। 17 सितबर 2002 को-दो घंटे तक रोबोट अन्दर की तस्वीरें बाहर मोनिटर पर भेजता रहा। यह 65 मीटर भीतर तक घूमा। इन चित्रों का सीधा प्रसारण सेटेलाइट द्वारा किया गया। गीजा में तीन बड़े पिरामिडों में एक पिरामिड में रोबोट शेवर घुसा। काफूराजा ने गिजा में इनको बनाया। आज 4500 वर्ष से वे सुरक्षित हैं।
भविष्य में ममीज द्वारा नए प्रयोग करना सम्भव है। 2090 तक मृत्योपरांत जीवन की अवधारणा, प्राण प्रवर्तन की आशाएं होगी। मृतमानव में जीवन का पुन: संचार करना सम्भव होगा।