●पापं प्रज्ञा नाशयति क्रियमाणं पुन: पुन: ।
नष्टप्रज्ञ: पापमेव नित्यमारभते नर: ॥ विदूरनीति
●बार बार पाप करने से मनुष्य की विवेक बुद्धि नष्ट होती है और जिसकी विवेक बुद्धि नष्ट हो चुकी हो , ऐसी व्यक्ति हमेशा पाप ही करता है ।।
20 जून 2016
●पापं प्रज्ञा नाशयति क्रियमाणं पुन: पुन: ।
नष्टप्रज्ञ: पापमेव नित्यमारभते नर: ॥ विदूरनीति
●बार बार पाप करने से मनुष्य की विवेक बुद्धि नष्ट होती है और जिसकी विवेक बुद्धि नष्ट हो चुकी हो , ऐसी व्यक्ति हमेशा पाप ही करता है ।।
44 फ़ॉलोअर्स
गणितज्ञ, संस्कृत एवं संस्कृति प्रेमी D
एक बात आजतक समझ में नहीं आई कि लोगों पर ...*पीर बाबा* आते है,.,*भूत* आते है,..*चुड़ैल* आती है,..पर........लोगो में *भगत सिंह* क्यों नहीं आते ?..*चंद्रशेखर आजाद* क्यों नहीं आते ?..*लक्ष्मी बाई* क्यों नहीं आती ?..*नेताजी सुभाष चन्द्र बोस* क्यों नही आते ?..*शिवाजी* और *महाराणा प्रताप* क्यों नहीं आते ?.
(महात्मा बुद्ध से इंदिरा गांधी तक)ई0पू0563 : गौतम बुद्ध का जन्म540 : महावीर का जन्म327-326 : भारत पर एलेक्जेंडर का हमला। इसने भारत और यूरोप के बीच एक भू-मार्ग खोल दिया313 : जैन परंपरा के अनुसार चंद्रगुप्त का राज्याभिषेक305 : चंद्रगुप्त मौर्य के हाथों सेल्युकस की पराजय273-232 : अशोक का शासन261
😂झूठ बोलना …बच्चों के लिए … पाप ,,कुंवारों के लिए …. अनिवार्य ,,प्रेमियों के लिए ….. कला ,,और …शादीशुदा लोगों के लिए … शान्ति से जीने का मार्ग होता है....!!""✋ये है इस हफ्ते का साप्ताहिक ज्ञान।बड़ी मुश्किल से ढूंढ़ कर निकाला है।गीता में लिखना रह गया था।
"लुब्धमर्थेन गृह्णीयात् स्तब्धमञ्जलिकर्मणा !मूर्खों छन्दानुरोधेन यथार्थत्वेन पण्डितः !!"(पञ्चतन्त्रम् )अर्थ :--- लोभी को पैसा देकर, क्रोधी को हाथ जोडकर , मूर्ख को जैसा वह कहता है वैसा ही मानकर और यथार्थ (वास्तविक ) बात को कहकर पण्डित ( विद्वान् ) को प्रसन्न करना चाहिए ! यह लोक व्यवहार है !
“आज फाँसी लगने वाली है।” भगत सिंह ने विचार किया इससे अच्छा दिन कौन-सा आयेगा। आज तो किसी महापुरुष के दर्शन करने चाहिये। कहाँ, जेल में? नहीं, वहाँ कहाँ सम्भव? “वसीयत के बहाने मुझे लेनिन की जीवनी दे जाना।” कारागार के भीतर से सरदार भगत सिंह ने अपने वकील के पास खबर भेज दी। वकील ने वह पुस्तक भगत सिंह को प
आदरणीय प्रधानमंत्री भारत सरकारश्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदीआपने अभी इलाहाबाद मे कहा कि उत्तर प्रदेश में यदि विकास ना करू तो लात मारकर भगा देना आपके दो वर्षों के कार्य देखकर तो आपको ये जवाब अभी देने का दिल कर रहा है। आपके दो सालों का रिपोर्ट कार्ड इस प्रकार है =1= सबसे पहले एफ डी आई का विरोध किया और
हर्षस्थान सहस्राणि भयस्थान शतानि च ।दिवसे दिवसे मूढं आविशन्ति न पंडितम् ॥मूर्ख मनुष्य के लिए प्रति दिन हर्ष के सौ कारण होते है तथा दु:ख के लिए सहस्र कारण | परन्तु पंडितों के मन का संतुलन ऐसे छोटे कारणों से नही बिगडता।
अगर आप एक अध्यापक हैं और जब आप मुस्कुराते हुए कक्षा में प्रवेश करेंगे तो देखिये सारे बच्चों के चेहरों पर मुस्कान छा जाएगी।....अगर आप डॉक्टर हैं और मुस्कराते हुए मरीज का इलाज करेंगे तो मरीज का आत्मविश्वासदोगुना हो जायेगा।......जब आप मुस्कुराते हुए शाम को घर में घुसेंगे तो देखना पूरे परिवार में खुशियो
महर्षि मनु कहते है :-●अधर्मेणैथते पूर्व ततो भद्राणि पश्यति ।तत: सपत्नान् जयति समूलस्तु विनश्यति ॥ मनु●कुटिलता व अधर्म से मानव क्षणिक समॄद्वि व संपन्नता पाता है ।अच्छा दैव का अनुभव भी करता है ।शत्रु को भी जीत लेता है ।परन्तुु अन्त मे उसका विनाश निश्चित है ।वह जड समेत नष्ट होता है ।
गीता में मनुष्य की तुलना एक ऐसे पीपल के वृक्ष के साथ की है जिसकी जड़ें ऊपर और शाखा, पत्ते नीचे हैं। मस्तिष्क ही जड़ है और शरीर उसका वृक्ष। वृक्ष का ऊपर वाला भाग दिखाई पड़ता है, जड़ें नीचे जमीन में दबी होने से दिखाई नहीं पड़तीं, पर वस्तुत: जड़ों की प्रतिक्रिया, छाया-प्रतिध्वनि की परिणति ही वृक्ष का द
अनेक शास्त्रं बहु वेदितव्यम् अल्पश्च कालो बहवश्च विघ्ना: यत् सारभूतं तदुपासितव्यं हंसो यथा क्षीरमिवाम्भुमध्यात् ||पढने के लिए बहुत शास्त्र हैं और ज्ञान अपरिमित है | अपने पास समय की कमी है और बाधाए बहुत है। जैसे हंस पानी मे से दूध निकाल लेता है उसी तरह उन शास्त्रों का सार समझ लेना चाहिए ।
🔵 एक बार राजा भोज की सभा में एक व्यापारी ने प्रवेश किया। राजा भोज की दृष्टि उस पर पड़ी तो उसे देखते ही अचानक उनके मन में विचार आया कि कुछ ऐसा किया जाए ताकि इस व्यापारी की सारी संपत्ति छीनकर राजकोष में जमा कर दी जाए। व्यापारी जब तक वहां रहा भोज का मन रह रहकर उसकी संपत्ति को हड़प लेने का करता। कुछ दे
(प्रश्न) मूर्त्तिपूजा कहां से चली?(उत्तर) जैनियों से(प्रश्न) जैनियों ने कहां से चलाई?(उत्तर) अपनी मूर्खता से।(प्रश्न) जैनी लोग कहते हैं कि शान्त ध्यानावस्थित बैठी हुई मूर्त्ति देख के अपने जीव का भी शुभ परिणाम वैसा ही होता है।(उत्तर) जीव चेतन और मूर्त्ति जड़। क्या मूर्त्ति के सदृश जीव भी जड़ हो जायगा?
"सानन्दं सदनं सुताश्च सुधयः कान्ता प्रियलापिनी सुधनं सन्मित्रं स्वयोषिति रतिः स्वाSSज्ञापराः सेवकाः ।आतिथ्यं शिवपूजनं प्रतिदिनं मिष्टान्नपानं गृहे साधोः सङ्गमुपासते च सततं धन्यो गृहस्थाSSश्रमः ।।"(चाण्क्य-नीतिः--12.1)जहाँ सदा आनन्द की तरंगें उठती हों, पुत्र और पुत्रियाँ बुद्धिमान् और बुद्धिमती हों,
उद्यानं ते पुरूष नावयानम् || (अथर्व• ८/१/६)हे मनुष्यो !ऊपर उठो, आगे बढ़ो, उन्नति करो, नीचे मत गिरो, पतन की ओर मत जाओ ।
● विद्वान् शब्द ``विद्`` धातु से निष्पन्न हुआ है, जो कि ज्ञान अर्थ में प्रयुक्त होता है ।सामान्य रूप में यदि हम विद्वान् शब्द के अर्थ का विचार करें तो जैसे जिस व्यक्ति के पास धन होता है उसे `धनवाला` या `धनवान्` कहते है, जिसके पास बल है उसे हम `बलवान् `कहते है ।वैसे ही जिसके पास ज्ञान है उसे हम `ज्ञा
मेरे एक दोस्त का नाम है 'दिव्यांग'।19 साल पहले उसके माता पिता को किसी ने नहीं बताया कि मोदीजी जब PM बनेंगे तो विकलांग को दिव्यांग कहेंगे...अब दिव्यांग जब भी अपना नाम किसी को बताता है तो लोग उसके हाथ पैर देखने लगते हैं..... 😂😂😂😂
रत्नैः कल्पितमासनं हिमजलैः स्नानं च दिव्याम्बरं।नाना रत्न विभूषितम् मृग मदामोदांकितम् चंदनम॥जाती चम्पक बिल्वपत्र रचितं पुष्पं च धूपं तथा।दीपं देव दयानिधे पशुपते हृत्कल्पितम् गृह्यताम्॥1॥सौवर्णे नवरत्न खंडरचिते पात्र धृतं पायसं।भक्ष्मं पंचविधं पयोदधि युतं रम्भाफलं पानकम्॥शाका नाम युतं जलं रुचिकर
आप खुद देखिये....1- नेता चाहे तो दो सीट से एक साथ चुनाव लड़ सकता है ! लेकिन....आप दो जगहों पर वोट नहीं डाल सकते,2-आप जेल मे बंद हो तो वोट नहीं डाल सकते..लेकिननेता जेल मे रहते हुए चुनाव लड सकता है.3-आप कभी जेल गये थे, तोअब आपको जिंदगी भर कोई सरकारी नौकरी नहीं मिलेगी,लेकिन……नेता चाहे जितनी बार भी हत्य
एक शरीर को त्याग कर दूसरा शरीर धारण करना ही पुनर्जन्म कहाता है।चाहे वह मनुष्य का शरीर हो या पशु,पक्षी,कीट,पतंग आदि कोई भी शरीर।यह आवागमन या पुनर्जन्म एक शाश्वत सत्य है।जो जैसे कर्म करता है,वह वैसा ही शरीर प्राप्त करता है।धनाढ़य,कंगाल,सुखी,दुःखी,ऊँच,नीच आदि अनेक प्रकार के व्यक्ति एवं अन्य प्राणियों को
गाय हमारी COW बन गयी,शर्म हया अबWOW बन गयी,काढ़ा हमारा CHAI बन गया,छोरा बेचारा GUY बन गया,योग हमारा YOGA बन गया,घर का जोगी JOGA बन गया,भोजन 100 रु. PLATE बन गया,..हमारा भारत GREAT बन गया..घर की दीवारेँWALL बन गयी,दुकानेँ SHOPING MALLबन गयीँ,गली मोहल्लाWARD बन गया,ऊपरवाला LORD बन गया,माँ हमारीMOM बन
जीवन एक विकट समस्या है इसमें न जाने कितने उतार- चढ़ाव आते हैं और स्मृति में विलीन हो जाते हैं। इनमें से कुछ ही विचार थोड़े समय के लिए हमारी स्मृति में रह पाते हैं पर उन पर भी हम सरसरी नजर भर डाल लेते हैं, गहराई से नहीं सोच पाते अन्यथा जीवन सबसे अधिक अध्ययन का विषय एवं ज्ञान का भंडार है। जीवन की प्रत
प्रत्येक क्रिया से प्रतिक्रिया की उत्पत्ति होती है। ईर्ष्या की क्रिया से मन में तथा बाह्य वातावरण में जो प्रतिक्रिया उत्पन्न होती है, वे विषैली हैं। आपकी अपवित्र भावनाएं इर्द-गिर्द के वातावरण को दूषित कर देती हैं। वातावरण विषैला होने से समाज का अपकार होता है। जो ईर्ष्या की भावनाएँ आपने दूसरों के विष
स्वस्थ और सुखी जीवन मनुष्य की प्रमुख आवश्यकता रही है ।। समाज के किसी भी स्तर में रहने वाला व्यक्ति स्वस्थ सुखी जीवन की आवश्यकता अनुभव करता ही है ।। स्वास्थ्य केवल शारीरिक ही नहीं मानसिक और आत्मिक भी होता है ।। जो लोग केवल शरीर को स्वस्थ रखकर स्वस्थ और सुखी जीवन का लाभ लेना चाहते हैं, वह सफल नहीं हो
सुखी दाम्पत्य जीवन के दो फार्मूले1* जब पत्नी बड़बड़ा रही हो तो खामोश रहें2* जब पत्नी खामोश हो तो बड़बड़ायें नहीं
✍1. *जीवन*जब तुम पैदा हुए थे तो तुम रोए थे जबकि पूरी दुनिया ने जश्न मनाया था। अपना जीवन ऐसे जियो कि तुम्हारी मौत पर पूरी दुनिया रोए और तुम जश्न मनाओ।✍2. *कठिनाइयों*जब तक आप अपनी समस्याओं एंव कठिनाइयों की वजह दूसरों को मानते है, तब तक आप अपनी समस्याओं एंव कठिनाइयों को मिटा नहीं सकते|✍3. *असंभव*इस दुन
😄 आठ ईंटो की विकेट होगी😄 पहली try ball होगी😄 जो बाऊन्डरी के बाहर ball फेकेंगा,वो खुद वापस लेके आयेगा😄 बैटिंग टीम अम्पायरींग करेगा..😄 दिवार को डायरेक्ट लगा तो सिक्स,बॉल बाहर गयी तो आऊट….😄 आखिरी वैट्समैन अकेला वैटिंग कर सकता है…😄 जो बीच मे गेम छोरेगा,उसे कल नही खिलायेंगे..😄 जो बॉल बाहर फेकेगाा
कस्यापि वस्तुन: यथार्थत: ज्ञानं विद्या इति कथ्यते।संसारे यानि धनानि सन्ति, तेषु विद्या सर्वश्रेष्ठं धनम् अस्ति।विद्यया मनुष्य: स्वकीयं कर्तव्यम् अकर्तव्यं च जानाति ।विद्यया एव मनुष्य: जानाति यत् संसारे क: धर्म:, क: अधर्म:, किं पापम् किं च पुण्यम् इति।विद्यया एव मनुष्य: सन्मार्गम् अनुसर
एक बेहतरीन जिंदगी जीने के लिए यह स्वीकार करना जरुरी हैकी ...सब कुछ सबको नहीं मिल सकता.......✍🏻
वैसे तो तलवों में जलन कभी कभार ही होता पर अगर यह हर वक्त रहे तो आपको एक्सपर्ट की सलाह जरुर लेनी चाहिये। तलवों में जलन तब होती है जब पैरों में खून का प्रवाह धीमा हो जाता है और यह तब होता है जब उम्र के साथ साथ पैरों की नसें क्षतिग्रस्त या फिर कमज़ोर हो जाती हैं।गर्मियों के दिनों में तलवों में जलन ब
अहन्यहनि भूतानि गच्छन्तहि यमालयम ।शेषा:स्थावरमिच्छ्न्ति,किमाश्चर्यमत:परम् ।।- हम देख रहे हैं कि प्रतिदिन प्राणी मृत्यु के मुख में समा रहे है जो उत्पन्न हुए हैं वे मर रहे हैं फिर भी जो शेष हैं ।वे सोचते हैं कि हम सदा जीवित रहेंगे,इससे बढ़कर और क्या आश्चर्य की बात हो सकती है।
1 - ब्रह्मा जी से मरीचि हुए,2 - मरीचि के पुत्र कश्यप हुए,3 - कश्यप के पुत्र विवस्वान थे,4 - विवस्वान के वैवस्वत मनु हुए.वैवस्वत मनु के समय जल प्रलय हुआ था,5 - वैवस्वतमनु के दस पुत्रों में से एक का नाम इक्ष्वाकु था, इक्ष्वाकु ने अयोध्या को अपनी राजधानी बनाया और इस प्रकार इक्ष्वाकु कुलकी स्थापना की |6
संध्या का समय था। सूर्य अस्ताचल को ओढ़कर अपना मुँह ढाँकने का प्रयत्न कर रहा था। मन्द-मन्द हवा बह रही थी और उसी के साथ भगवती भागीरथी का जल-कल कर बह रहा था। तट पर, एक शिला पर बैठे स्वामी दयानन्द आत्म-चिन्तन में निरत थे- परमात्मा की यह सृष्टि कितनी सुन्दर है और सर्वेश्वर की कृति आनन्दप्रद। पक्षी दिन भर
किसी अरब व्यापारी को पता चला कि इथियोपिया के लोगों के पास चाँदी बहुत अधिक है। उसे वहाँ जाकर व्यापार करने की सूझी और एक दिन सैकड़ों ऊँट प्याज लादकर वह इथियोपिया के लिये चल भी पड़ा।इथियोपिया-वासियों ने पहले कभी प्याज नहीं खाया था। प्याज खाकर वे बहुत प्रसन्न हुये। उन्होंने सब प्याज खरीद लिया और उसके बर
यथा धेनुसहस्रेषु वत्सो गच्छति मातरम्।तथा यच्च कृतं कर्म कर्त्तारमनुगच्छति।। जैसे हजारों गायों में भी बछड़ा अपनी माता को पहचानकर उसी के पास जाता है |ठीक उसी प्रकार मनुष्य जो भी कर्म करता है वह उसके पीछे-पीछे चलता है अर्थात् उसे अपने किए का फल भोगना ही पड़ता है।
आओ बच्चों तुम्हे दिखायें,शैतानी शैतान की।नेताओं से बहुत दुखी है,जनता हिन्दुस्तान की।।बड़े-बड़े नेता शामिल हैं,घोटालों की थाली में।सूटकेश भर के चलते हैं,अपने यहाँ दलाली में।।देश-धर्म की नहीं है चिंता,चिन्ता निज सन्तान की।नेताओं से बहुत दुखी है,जनता हिन्दुस्तान की।।चोर-लुटेरे भी अब देखो,सांसद और विधायक
.........................................अमेरिका के उघोगपति एंड्रयू कार्नेगी अरब पति थे। जब वह मरने को थे तो उन्होंने अपने सेक्रेटरी से पूछा - 'देख, तेरा-मेरा जिंदगी भर का साथ है। एक बात मैं बहुत दिनों से पूछना चाहता था। ईश्वर को साक्षी मानकर सच बताओ कि अगर अंत समय परमात्मा तुझसे पूछे कि तू कार्नेगी
काव्यशास्त्र विनोदेन कालो गच्छति धीमतां।व्यसनेन तु मूर्खाणां निद्रया कलहेन वा।।बुद्धिमानों का समय तलस्पर्शी ग्रन्थों की रसप्रद चर्चा के कारण व्यतीत होता है। जब कि मूर्खों का समय बुरी आदतों को पूरा करने तथा निद्रा व झगड़े में बीत जाता है।
पानी में गुड डालिए, बीत जाए जब रात!सुबह छानकर पीजिए, अच्छे हों हालात !!१!!धनिया की पत्ती मसल, बूंद नैन में डार!दुखती अँखियां ठीक हों, पल लागे दो-चार !!२!!ऊर्जा मिलती है बहुत, पिएं गुनगुना नीर!कब्ज खतम हो पेट की, मिट जाए हर पीर !!३!!प्रातः काल पानी पिएं, घूंट-घूंट कर आप!बस दो-तीन गिलास है, हर औषधि का
इन तीनों को ग्रहण कीजिए- चरित्र के उत्थान एवं आत्मिक शक्तियों के उत्थान के लिए इन तीनों सद्गुणों- होशियारी, सज्जनता और सहनशीलता-का विकास अनिवार्य है।(1) यदि आप अपने दैनिक जीवन और व्यवहार में निरन्तर जागरुक, सावधान रहें, छोटी छोटी बातों का ध्यान रखें, सतर्क रहें, तो आप अपने निश्चित ध्येय की प्राप्ति
महर्षि दयानन्द भारत की स्वाधीनता के मन्त्रदाता थे । १८५७ के संग्राम के विफल होने के पश्चात् देश में जो निराशा छा गई थी, उस वेला में देशवासियों में राष्ट्रीय स्वाभिमान एवं स्वतन्त्रता की भावना उत्पन्न करने वाला एकता का शिल्पी महापुरुष स्वामी दयानन्द सरस्वती (१८२५-१८८३) ही थे । उन्हीं के उपदेशों के फल
आप सड़कों की बात करते हैं............ ये बेटियां तो गर्भ में भी महफूज़ नहीं हैं .
अधर्मेण सह सन्धिः दुःखकर्येव |अधर्म के साथ समझौता दुःख ही देता है |
पाण्डवो का अज्ञातवाश समाप्त होने मे कुछ समय शेष रह गया था।पाँचो पाण्डव एवं द्रोपदी जंगल मे छूपने का स्थान ढूढं रहे थे,उधर शनिदेव की आकाश मंडल से पाण्डवों पर नजर पडी शनिदेव के मन मे विचार आया कि इन सब मे बुधिमान कौन है परिक्षा ली जाय।देव ने एक माया का महल बनाया कई योजन दूरी मे उस महल के चार कोने थे,
जीवन एक विकट समस्या है इसमें न जाने कितने उतार- चढ़ाव आते हैं और स्मृति में विलीन हो जाते हैं। इनमें से कुछ ही विचार थोड़े समय के लिए हमारी स्मृति में रह पाते हैं पर उन पर भी हम सरसरी नजर भर डाल लेते हैं, गहराई से नहीं सोच पाते अन्यथा जीवन सबसे अधिक अध्ययन का विषय एवं ज्ञान का भंडार है। जीवन की प्रत
पत्नी: आप मुझे छोड़ने जाओगे तो ही मैं मायके जाऊँगी...!.....पति: OK, तो फिर एक शर्त है...! मैं लेने आऊँ तो ही वापिस आओगी....!😜😂😜😂😜😂😂😂😜😂
स्थूलस्वरूपसूक्ष्मान्वयावर्थत्व सयमाद् भूतजयः।अर्थात्- ‘‘पाँचों भूतों के स्थल-स्वरूप, सूक्ष्म, अन्वय, अर्थवत्त्व में संयम करने से भूतों पर जय प्राप्त होती है। अर्थात् उस अवस्था में सभी भूततत्त्व योगी की इच्छानुसार चलते हैं।”बादलों का हटाना तो प्राणायाम को पूरी तरह सिद्ध कर लेने पर ही सम्भव हो जाता ह
इन तीनों को ग्रहण कीजिए- चरित्र के उत्थान एवं आत्मिक शक्तियों के उत्थान के लिए इन तीनों सद्गुणों- होशियारी, सज्जनता और सहनशीलता-का विकास अनिवार्य है।(1) यदि आप अपने दैनिक जीवन और व्यवहार में निरन्तर जागरुक, सावधान रहें, छोटी छोटी बातों का ध्यान रखें, सतर्क रहें, तो आप अपने निश्चित ध्येय की प्राप्ति
●पापं प्रज्ञा नाशयति क्रियमाणं पुन: पुन: ।नष्टप्रज्ञ: पापमेव नित्यमारभते नर: ॥ विदूरनीति●बार बार पाप करने से मनुष्य की विवेक बुद्धि नष्ट होती है और जिसकी विवेक बुद्धि नष्ट हो चुकी हो , ऐसी व्यक्ति हमेशा पाप ही करता है ।।
भारतवर्ष का इतिहास रहा है यहाँ हिन्दुओं पर अत्याचार करने वाले कभी बच नहीं पाए, चाहे वो यवन होंया फिर मुल्ले मुगल l धरती के सबसे क्रूर शासकों में से गिने जाने वाले औरंगजेब को भी ऐसी मौत दी गयी थी जैसे पहले सनातनी वीरों ने किसी के साथ नही किया था l14वीं और 15वीं शताब्दी में गद्दारों के कारण कई युद्धों
एक व्यक्ति के पास एक विचित्र शिकारी कुत्ता था, वो हवा में उड़ सकता था और पानी पर दौड़ सकता था। एक बार उन्होंने अपने कुत्ते की खासियत दिखाने के लिए एक मित्र को घर बुलाया, उन्होंने कुत्ते को हवा में उड़ा कर और पानी पर दौड़ा कर दिखाया। ये सब देख कर मित्र महोदय कुछ नहीं बोले चुपचाप खड़े रहे। फिर उन्होंने मित
गलती जिंदगी का एक📃पन्ना है;'रिश्ते'पूरी📙किताब हैंज़रूरत पड़ने पर'गलती'का पन्ना फाड़ देना.लेकिन 1 पन्ने के लिए पूरी किताब📚मत फाड़ना...
गुणी गुणं वेत्ति न वेत्ति निर्गुणोबली बलं वेत्ति न वेत्ति निर्बल: ।पिको वसन्तस्य गुणं न वायस:करी च सिंहस्य बलं न मूषक: ॥गुणी पुरुष ही दुसरे के गुण पहचानता है, गुणहीन पुरुष नही।बलवान पुरुष ही दुसरे का बल जानता है, बलहीन नही। वसन्त ऋतु आए तो उसे कोयल पहचानती है, कौआ नही। शेर के बल को हाथी पहचानता है,
चार बातें हमेशा यादरखोपहली बात:-हर इंसान इतना बुरा नही होता जितना वो पेन कार्ड और आधार कार्ड मैं दीखता है।और इतना अच्छा भी नही होता जितना वो फेस बुक और वाटसएप पर दिखता है।दूसरी बात:-हर आदमी इतना बुरा नही होता जितना उसकी बीबी उसको समझती है और इतना अच्छा भी नहीं होता जितना उसकी माँ उसको समझती है।तीसरी
🍃🍁🌺🌿🙏🏼👏🏼ईश्वर का, अनुभव करना ही, श्रेष्ठ, प्रार्थना है !! सबसे अच्छा और बड़ा तीर्थ, आपका, अपना मन है !! ईश्वर, हमेशा, आपके साथ हैं !! 🔱 🔱जय जय श्री राधें🌺🍁🌿🍃🙌🏼
जिस ब्रह्म को वाणी से नहीं कहा जा सकता पर जिससे यह वाणी प्रकाशित हो रही है। उस वाणी के प्रकाशक को ही तू ब्रह्म जान और उसी की उपासना कर, और उससे जो भिन्न है, वह उपासनीय नहीं।जिसे मन का सामर्थ्य नहीं जान सकता पर जो मन को जानता है, उसी को तू ब्रह्म जान और उसी की उपासना कर, और उससे जो भिन्न है, वह उपास
अविज्ञात रहस्यों से भरा-पूरा संसार यह संसार एक विचित्र रंगमंच है, जिस पर तरह-तरह के विलक्षण अजूबे देखने को मिलते हैं. वैज्ञानिक प्रयास करते हैं कि हर प्रत्यक्ष दृष्यमान वस्तु या घटनाक्रम का वे कारण बता सकें, फ़िर भी अनेकों रहस्यों का समाधान वे अपनी तर्कबुद्धि से देने में सक्षम नहीं है. ऎसी विचित्रताए
मोदी जी उस नई बहू की तरह है जो रोटी कम बेलती है चूड़ी ज्यादा खनकाती है जिससे मोहल्ले में सबको पता चल जाए कि बहू काम कर रही है 😝
👌भारत में ‘1st Class’ में पास होने वाले विद्यार्थी टेक्नीकल में प्रवेश लेते है और वो डॉक्टर या इंजिनियर बनते है👌‘2nd Class’ में पास होने वाले BA में admission लेते है और administrator/IAS IPS बनते है और 1st Class वालों को हैंडल करते है👌‘3rd Class’ पास होने वाले कही पे भी प्रवेश नहीं लेते है ।और व
कांग्रेस जो *FDI* ला रही थी वो देश के लिए नुकसानदायक थी ।।फिर मोदी सरकार आई,*FDI* को गंगाजल से धोया..अब *FDI* से देश को फायदा होगा ।।
सैर कर दुनिया की गाफिल, जिन्दगानी फिर कहा ?जिन्दगानी गर रही तो, नौजवानी फिर कहा ? ?कुछ दिन पूर्व मुझे कश्मीर जाने का मौका मिला था. यह तस्वीर यादगार है.
अस्मिन् संसारे शक्तेः महिमा सर्वत्र दृश्यते । इयं शक्तिः देवेषु, दानवेषु, मानवेषु, पशुषु, पक्षिषु, ग्रहनक्षत्रेषु च सर्वत्र वर्तते ।शक्तिं विना न सिद्ध्यति किमपि कार्यम् । पश्यतु भवान् सूर्यम् आकाशे, अयं रविः शक्त्या एव भासते तपति च । चन्द्रः अपि शक्त्या एव तमो हरति (निवारयति), लोकानां मनांसि आनन्दय
एक औरत मॉल से बिस्कुट चुराते हुए पकड़ीगयी।......जज ने कहा तुमने जो बिस्कुट का पैकेट चुराया उसमे 10 बिस्कुट थे।इसलिए तुम्हे 10 दिन की जेल की सज़ादी जाती है।...पति पीछे से चिल्लाया। जज साहब इसने एक सौंफ का पैकेटभी चुराया है।😜😜😜😜😜😜😜😜
☔कमी तो होनी ही हैपानी की शहर में ....न किसी की आँख में बचा है ,न किसी के जज़्बात मै....
1-शुद्ध शहद में नींबू की शिकंजी पीने से मोटापा दूर होता है।2-नींबू के सेवन से सूखा रोग दूर होता है।3-नींबू का रस एवं शहद एक-एक तोला लेने से दमा में आराम मिलता है।4-नींबू का छिलका पीसकर उसका लेप माथे पर लगाने से माइग्रेन ठीक होता है।5- नींबू में पिसी काली मिर्च छिड़क कर जरा सा गर्म करके चूसने से मलेर
●शास्त्राण्यधीत्यापि भवन्ति मूर्खा यस्तु क्रियावान् पुरूष: स विद्वान् ।सुचिन्तितं चौषधमातुराणां न नाममात्रेण करोत्यरोगम् ॥● शास्त्रों का अध्ययन करने के बाद भी लोग मूर्ख रहते है । परन्तु जो क्रिया शील है वही सही अर्थ से विद्वान है ।किसी रोगी के प्रति केवल अच्छी भावना से निश्चित किया गया औषध रोगी को ठ
बाबा : - तुझे क्या चाहिए ... ?😁😁,लड़का : - खूबसूरत पत्नी ...😍😍😘😘,बाबा : - अगर तू हिन्दू है तो तुझे सोनाक्षी दूंगा ....😘.😘मुस्लिम है तो कटरीना दूंगा…😎😎सिख है तो अनुष्का दूंगा…. .😙😙और क्रिस्चियन है तो जेनेलिया….😍...😣बोल तेरा नाम क्या है बालक ???😊😊....लड़का : - " मोहम्मद विजय सिंह फर्नान्
अधीत्य चतुरो वेदान् सर्वशास्त्राण्यनेकश: ।ब्रम्ह्मतत्वं न जानाति दर्वी सूपरसं यथा ॥केवल वेद तथा शास्त्रों का बार- बार अध्ययन करने से किसी को ब्रह्मतत्व का अर्थ नही होता ।जैसे जिस चम्मच से खाद्य पदार्थ परोसा जाता है उसे उस खाद्य पदार्थ का गुण तथा सुगंध प्राप्त नही होता ।
1. कंप्यूटर में इस्तेमाल के लिए सबसे अच्छी भाषा। संदर्भ: – फोर्ब्स पत्रिका 1987.2. सबसे अच्छे प्रकार का कैलेंडर जो इस्तेमाल किया जा रहा है, भारतीय विक्रम संवत कैलेंडर है (जिसमें नया साल सौर प्रणाली के भूवैज्ञानिक परिवर्तन के साथ शुरू होता है) संदर्भ: जर्मन स्टेट यूनिवर्सिटी.3. दवा के लिए सबसे उपयोगी
अज्ञेभ्यो ग्रन्थिन: श्रेष्ठा:, ग्रन्थिभ्यो धारिणो वरा:।धारिभ्यो ज्ञानिन: श्रेष्ठा:, ज्ञानिभ्यो व्यसायिन:।।अर्थात- निरक्षर लोगों से ग्रंथ पढ़ने वाले श्रेष्ठ होते हैं। उनसे भी अधिक ग्रंथ समझने वाले श्रेष्ठ होते हैं। ग्रंथ समझने वालों से भी अधिक आत्मज्ञानी श्रेष्ठ होते हैं, तथा उनसे भी अधिक ग्रंथ से प्
इन तीनों को ग्रहण कीजिए- चरित्र के उत्थान एवं आत्मिक शक्तियों के उत्थान के लिए इन तीनों सद्गुणों- होशियारी, सज्जनता और सहनशीलता-का विकास अनिवार्य है।(1) यदि आप अपने दैनिक जीवन और व्यवहार में निरन्तर जागरुक, सावधान रहें, छोटी छोटी बातों का ध्यान रखें, सतर्क रहें, तो आप अपने निश्चित ध्येय की प्राप्ति
कुर्वन्नेवेह कर्माणि जिजीविषेच्छतँ समाःएवं त्वयि नान्यथेतोऽस्ति न कर्म लिप्यते नरे ।अन्वयः - इह कर्माणि कुर्वन् एव शतम् समाः जिजीविषेत् । एवम् कर्म त्वयि नरे न लिप्यते । इतः अन्यथा न अस्ति ।सरलार्थः - अस्मिन् जगति मनुष्या: विहितकर्माणि कुर्वन्तः सन शतवर्षपर्यन्तं जीवितुमिच्छेयुः । एवं विधा कृतकर्मष
बीजापुर का सुलतान महाराज शिवाजी को फूटी आँखों से भी नहीं देखना चाहता था। इस काँटे को निकालने के लिए उसने अपने प्रधान सेनापति अफजल खाँ को पाँच हजार अश्वारोही सेना के साथ भेज दिया। अफजल रास्ते के गाँवों को लूटता खसोटता मंदिरों को गिरा-गिरा कर मस्जिदें बनाता हुआ शिवाजी के किले की तरफ बढ़ा।सुल्तान ने हु
एक बार एक किसान की घड़ी कहीं खो गयी. वैसेतो घडी कीमती नहीं थी पर किसान उससे भावनात्मक रूप सेजुड़ा हुआ था और किसी भी तरह उसे वापस पाना चाहता था.उसने खुद भी घडी खोजने का बहुत प्रयास किया, कभी कमरे मेंखोजता तो कभी बाड़े तो कभी अनाज के ढेर में ….पर तामामकोशिशों के बाद भी घड़ी नहीं मिली. उसने निश्चयकिया
1- सुबह उठ कर कैसा पानी पीना चाहिए?उत्तर: हल्का गर्म2- पानी पीने का क्या तरीका होता है?उत्तर सिप सिप करके व नीचे बैठ कर.3 -खाना कितनी बार चबाना चाहिए?उत्तर: 32 बार4- पेट भर कर खाना कब खाना चाहिए?उत्तर: सुबह.5- सुबह का खाना कब तक खा लेना चाहिए?उत्तर: सूरज निकलने के ढाई घण्टे तक.6- सुबह खाने के साथ क्
पुनरेहि वाचस्पते देवेन मनसा सह ।वसोष्पते नि रमय मय्येवास्तु मयि श्रुतम् ॥भावार्थ -- हे वाचस्पते ! धनपते ! आप हम सब पर कृपा करो , जो-जो हमें वाञ्छित फल हैं दान करो , हमारे हृदय में सदा अभिव्यक्त होकर हमें आनन्द में मग्न करो । जैसे कृपालु पिता अपने प्यारे बालक को वाञ्छित फल-फूल देकर क्रीड़ा कराता हुआ
प्रेम करके हम दुख पाते है। परन्तु दुख हमें इसलिए नहीं मिलता कि प्रेम किया है। दुख का कारण यह है कि हम प्रेम के बदले प्रेम प्राप्त करना चाहते हैं।--श्री स्वामी विवेकानन्द जी
यह अच्छी तरह अनुभव कर लिया गया है कि खिलखिलाकर हँसने से अच्छी भूख लगती है, पाचनशक्ति बढ़ती है और रक्त का संचार ठीक गति से होता है ।। क्षय जैसे भयंकर रोगों में हँसना अमृत- तुल्य गुणकारी सिद्ध हुआ है ।। खिल- खिलाकर हँसने से मुँह, गरदन, छाती और उदर के बहुत उपयोगी स्नायुओं को आवश्यकीय कसरत करनी पड़ती है,
खुशबु 😴आ रही है कहीँ से गांजे और भांग की !!! 🍯शायद खिड़की🚪 खुली रह गयी है ' मेरे_महांकाल' के दरबार की...!!
यह संसार अजूबों एवं चमत्कारों से भरा पड़ा है। विश्व के पुरातन सात अजूबे, और नवीन सात आश्चर्य माने जाते हैं। पुरातन अजूबों में आज तक विद्यमान सिर्फ मिस्र के पिरामिड हैं। बाकी लगभग समय की खाई में गर्त हो चुके हैं। बेवीलोन के झूलते बाग सूख गए, मासालेस का मकबरा-समाधिस्थ हो गए। हेलियोस की कांस्य प्रतिमा
एक पेट्रोल पंप पर एक महिला अपनी कार मेंपेट्रोल भरवा रही थी। उसी समय एक व्यक्तिने अपने को पेंटर बताते हुए परिचय दिया तथाअपना विजिटिंग कार्ड उस महिला कोदिया और कहा की कभी आवश्यकता हो तोबुला सकती है।उस महिला ने बिना कुछ सोचे वो कार्ड पकड़लिया तथा अपनी कार में बैठ गई।तब वो आदमी भी एक दूसरी कार में बैठ गय
एक बार यात्रियों से भरी एक बसकहीं जा रही थी।अचानक मौसम बदला धुलभरी आंधी के बादबारिश की बूंदे गिरने लगी बारिश तेजहोकरतूफान मे बदल चुकी थीघनघोर अंधेरा छा गया भयंकर बिजलीचमकनेलगी बिजली कडककर बस की तरफ आतीऔरवापस चली जातीऐसा कई बार हुआ सब की सांसे ऊपर कीऊपरऔर नीचे की नीचे।ड्राईवर ने आखिरकार बस को एक बडे
सत्येन धार्यते पृथ्वी सत्येन तपते रविः ।सत्येन वायवो वान्ति सर्वं सत्ये प्रतिष्ठितम् ॥सत्य ने ही इस पृथ्वी को धारण किया हुआ है, सत्य से ही सूर्य तपता है, पवन भी सत्य से ही चलता है । सबकी प्रतिष्ठा सत्य से ही है।वेद भी कहता है, "सत्येनोत्तभिता भूमिः" अर्थात यह भूमि सत्य से ही टिकी हुई है|
एक सच छुपा होता है :- जब कोई किसी को कहता है की "मज़ाक था यार"..एक फीलिंग छुपी होती है :- जब कोई कहता है "मुझे कोई फ़र्क़ नही पड़ता"..एक दर्द छुपा होता है :- जब कोई कहता है "इट्स ओक"..एक ज़रूरत छुपी होती है :- जब कोई कहता है "मुझे अकेला छोड़ दो"..एक गहरी बात छुपी होती है :- जब कोई कहता है "पता नही".
जब पृथ्वी के अन्य जीव-जन्तुओं से ही हम मनुष्यों की तुलना करते हैं तो स्पष्ट जान पड़ता है कि ज्ञान-विज्ञान का अहंकार रखने वाला मनुष्य अभी अपने सामाजिक संगठन और व्यवहार में उस स्तर तक भी नहीं पहुँचा है, जहाँ तक कि कितने ही छोटे जीव-जन्तु- कीड़े-मकोड़े लाखों वर्ष पहले पहुँच चुके हैं। चींटियों, मधुमक्खि
एक जिम्मेदार पति डॉक्टर के पास गया और कहा कि डॉक्टर साहब मेरी बीबी बहरी हो गयी है, मैं कमरे से आवाज़ लगाते रहता हूँ पर वो सुन नहीं पाती है ..!!डॉक्टर - आप उन्हें यहाँ ले आइये !पति : नहीं डॉक्टर साहब,मै उससे बहुत प्यार करता हूं और इस बारे में उसे कुछ भी नहीं बताना चाहता,आप कोई दवा दे दीजिये, जिसे मैं
आजकल तो आरती के समयभी "जय कन्हैयालाल की" बोलतेहुये डर लगने लगा है कि कहीं कोई ..........समझ गया तोह 😜😜
संस्कृत में गाली के लिए कोई गन्दा शब्द नहीं है।संस्कृत में प्रेम की भावना से सम्बंधित 96 शब्द इंग्लिश में केवल 1 Love व लैटिन में 3 शब्द।
ट्रेन में एक मुसाफिर से मेने कहा - भाई इस साल गर्मी बहुत है।भाई भड़क गया और बोला - कोंग्रेस के समय नहीं थी क्या ?? 😊😜😜😊😜😜
सार्वभौम चक्रवर्ती सम्राट् होते हुए भी महाराजा अंबरीष भौतिक सुखों से परे थे और सतोगुण के प्रतीक माने जाते थे। एक दिन वे एकादशी व्रत का पारण करने को थे कि महर्षि दुर्वास अपने शिष्यों के सहित वहां पहुंच गए। अंबरीष ने उनसे शिष्यों सहित भोजन ग्रहण करने का निमंत्रण दिया, जिसे दुर्वासा ने स्वीकार कर कहा,
◆भारत माता की जय बुलवाते रहो... सर्विस टेक्स बढ़ाते चलो! ◆भारत माता की जय बुलवाते रहो..100% तक FDI की मंजूरी देते रहो!◆भारत माता की जय बुलवाते रहो..इंश्योरेंस का प्रीमियम बढ़ाते चलो! ◆भारत माता की जय बुलवाते रहो...पेट्रोल के दाम बढ़ाते रहो! ◆भारत माता की जय बुलवाते रहो...रेल का किराया बढ़ाते चलो! ◆भ
राम-रावण के युद्ध अपने चरम पर था। रावण बड़े-बड़े योद्धा मारे जा चुके थे। वहीं रावण पुत्र मेघनाद श्रीराम की सेना पर कहर बरपा रहा था और लक्ष्मण को भी मूर्छित कर दिया था। हनुमान द्वारा संजीवनी बुटि लेकर आने के बाद लक्ष्मण की मुर्छा टूट गई और फिर से लक्ष्मण और इंद्रजीत आमने-सामने आ गए।इस बार लक्ष्मण का
वीर भडू कु देश बावन गढ़ कु देश,......गढवाल को कभी 52 गढ़ों का देश कहा जाता था। असल में तब गढ़वाल में 52 राजाओं का आधिपत्य था। उनके अलग अलग राज्य थे और वे स्वतंत्र थे। इन 52 गढ़ों के अलावा भी कुछ छोटे छोटे गढ़ थे जो सरदार या थोकदारों (तत्कालीन पदवी) के अधीन थे। चीनी यात्री ह्वेनसांग ने इनमें से कुछ क
महर्षि चरक कहते है :-सुखं शेते सत्यवक्ता सुखं शेते मितव्ययी ।हितभुक् मितभुक् चैव तथैव विजितेन्द्रिय: ॥ चरक●सत्य बोलनेवाला , मर्यादित खर्चा करनेवाला , हितकारक पदार्थ जरूरी प्रमाण मे खानेवाला , तथा जिसने इन्द्रियों पर विजय पाया है , वह चैन की नींद सोता है ।
भारतीय नारी एक साथ 10 से 15 परिवार का टेंशन लेके चलती है -.- -.- -.- एक उनका खुद का बाकि टीवी सीरियल और पडोसी का 😜😜😜
कर्म ही मनुष्य के बन्धनों का हेतु है, बन्धन दुःखों का। अस्तु ज्ञान द्वारा कर्मों को नष्ट कर दुःख से निवृत्त होकर मोक्ष रूप अक्षय आनन्द की प्राप्ति कर जीवन को सार्थक बनाना ही मनुष्य की सबसे बड़ी बुद्धिमानी है।
दो तरह के लोग पृथ्वी पर नहीं पाए जाते हैं , एक वो जिन्होंने मोदी के साथ कॉलेज में कभी पढाई की हो और दूसरे वो जिन्होंने कभी मोदी की दुकान से चाय पी हो 😁
जीवन एक विकट समस्या है इसमें न जाने कितने उतार- चढ़ाव आते हैं और स्मृति में विलीन हो जाते हैं। इनमें से कुछ ही विचार थोड़े समय के लिए हमारी स्मृति में रह पाते हैं पर उन पर भी हम सरसरी नजर भर डाल लेते हैं, गहराई से नहीं सोच पाते अन्यथा जीवन सबसे अधिक अध्ययन का विषय एवं ज्ञान का भंडार है। जीवन की प्रत
आवश्यक निर्देशचैत्र माह में नया गुड़ न खाएंबैसाख माह में नया तेल न लगाएंजेठ माह में दोपहर में नहेम चलना चाहिएअषाढ़ माह में पका बेल न खाएंसावन माह में साग न खाएंभादों माह में दही न खाएंक्वार माह में करेला न खाएंकार्तिक माह में जमीन पर न सोएंअगहन माह में जीरा न खाएंपूस माह में धनिया न खाएंमाघ माह में मि
!!!---: शश-सिंह-कथा :---!!!एकस्मिन् वने एकः भयंकरः सिंहः वसति स्म । स वने इच्छानुसारेण पशून् भोजनाय मारयति स्म । अतः सर्वे पशवः भीताः अभवन् । ते सर्वे मिलित्वा विचारम् अकुर्वन् ।प्रतिदिनम् एकैकः पशुः सिंहस्य भोजनाय स्वयं गच्छतु । स्वविचारं ते सिंहस्य समीपम् अस्थापयन् । तदा सिंहः "आम्" इति अवदत् ।एवम
धर्मतंत्र और राजतंत्र, दो ही मानव-जीवन को प्रभावित करने वाले आधार हैं। एक उमंग पैदा करता है तो दूसरा आतंक प्रस्तुत करता है। एक जन-साधारण के भौतिक जीवन को प्रभावित करता है और दूसरा अन्त:करण के मर्मस्थल को स्पर्श करके दिशा और दृष्टि का निर्धारण करता है। दोनों की शक्ति असामान्य है। दोनों का प्रभाव अपने
कोंकण रेलवे मार्ग...रेलमार्ग की कुल दूरी-760 Km, यह तीन राज्यो से होकर गुजरती है, महाराष्ट(382Km), गोवा(105km), कर्नाटक(273km) से गुजरती है|इस रेलमार्ग पर बड़े पुलो की संख्या दोस्तो- 174 है,और छोटे पुल तो इस मार्ग मे-1679 है जी हाँ,सुरंगो की संख्या भी 92 है,और सुरंगो की कुल लम्बाई- 83.60 km है,इस मा
लोग कैसे मानेंगे कि हमारी वैदिक संस्कृति महान है ?• जब हम आयुर्वेद की चरक संहिता, सुश्रुत संहिता, वागभट्ट मुनिकृत अष्टांगहृदयम् आदि ग्रन्थों से सर्जरी चिकित्सा आदि प्रक्रीयाओं का उद्धार करेंगे और समाज में पुनः प्रतिष्ठित करेंगे तब लोग मानेंगे कि वैदिक सभ्यता महान है ।• जब हम परशुराम, शिव, नकुल, इन्द
इस फेस मास्क को लगाते ही त्वचा बन जाती है 10 साल जवां –क्या आपने कभी जापानियों का चेहरा देखा है? उनकी त्वचा को देखकर उनकी उम्र का अंदाजा ही नहीं लगता। जापान की हर महिला खूबसूरत दिखने के लिये मेकअप का नहीं बल्कि चावल का प्रयोग करती है। यह घरेलू उपचार उनके दृारा कई सदियों से प्रयोग किया आता जा र
मन का मैल मन में ही दबाते चले जाने से मन विषाक्त हो जाता है। उसकी प्रतिक्रिया मनुष्य जीवन में बड़ी खराब और कुरूप होती है। क्या ही अच्छा होता यदि हमारा मन पार-दर्शक होता- शीशे की तरह आर-पार होता। यदि ऐसा होता तो हम कितने सुखी रहते, कितने निर्मल होते। क्योंकि पार दीखने वाले शीशे में मैल ज्यादा दिन तक
एक दिन एक कुत्ता जंगल में रास्ता भटक गया..तभी उसने देखा, एक शेर उसकी तरफ आ रहा है..।कुत्ते की सांस रूक गयी.."आज तो काम तमाम मेरा..!" उसने सोचा..Management ka lesson yaad aa gaya aurफिर उसने सामने कुछ सूखी हड्डियाँ पड़ी देखि..वो आते हुए शेर की तरफ पीठ कर के बैठ गया और एक सूखी हड्डी को चूसने लगा..और ज
पुण्यं प्रज्ञा वर्धयति क्रियमाणं पुन:पुन: ।वॄद्धप्रज्ञ: पुण्यमेव नित्यमारभते नर: || विदूरनीतिबार- बार पुण्य करने से मनुष्य की विवेक बुद्धि बढती है और जिसकी विवेक बुद्धि हो ऐसी व्यक्ति हमेशा पुण्य ही करती है ।
तुलसीदास बहुत ज्ञानी थे पहले ही बता गए थे"कलयुग केवल नाम अधारा"अर्थात् कलयुग में जिसका नाम आधार कार्ड में आ गया उसका जीवन सफल है.
*********************************आइन्स्टाइन कहते हैं- ‘‘पदार्थ की सूक्ष्मतर सत्ता तक जब मेरी कल्पना और अनुभव शक्ति पहुँच जाती है तो मुझे यह विश्वास-सा होने लगता है कि वहाँ पहले से ही कोई विचार और परिवर्तन करने वाली चेतन सत्ता विद्यमान् है। मैंने तो केवल उसके साथ एकाकार किया है। अब मुझे विश्वास होने
एक औरत मॉल से बिस्कुट चुराते हुए पकड़ीगयी।......जज ने कहा तुमने जो बिस्कुट का पैकेट चुराया उसमे 10 बिस्कुट थे।इसलिए तुम्हे 10 दिन की जेल की सज़ादी जाती है।...पति पीछे से चिल्लाया। जज साहब इसने एक सौंफ का पैकेटभी चुराया है।😜😜😜😜😜😜😜😜
एक चिड़ियाघर में तोते के पिंजरे के बाहर लिखा हुआ था –“इंग्लिश, हिंदी और भोजपुरी बोलने वाला तोता।”एक आदमी ने इस बात को टेस्ट करने के लिए तोते से पहले इंग्लिश में पूछा – हू आर यू ?तोता – आई एम अ पैरेट।आदमी ने अब हिंदी में पूछा – तुम कौन हो?तोता – मैं एक तोता हूूं।आदमी ने इस बार भोजपुरी में पूछा- तु के
दूरस्थोऽपि न दूरस्थो, यो यस्य मनसि स्थित:। यो यस्य हॄदये नास्ति, समीपस्थोऽपि दूरत:॥अर्थ - जो जिसके मन में बसता है वह उससे दूर होकर भी दूर नहीं होता और जिससे मन से सम्बन्ध नहीं होता वह पास होकर भी दूर ही होता है॥
"तुम जैसा करोगे वैसा फल पाओगे। कोई बाह्य शक्ति तुम्हें सुख-दुख या अच्छा बुरा फल नहीं देती। किन्तु कर्म का फल समय आने तुमको अपने आप भोगना पड़ता है। जब कोई व्यक्ति अच्छा या बुरा विचार करता है तो आस-पास परमाणु खिंच कर उसके पास आते है और वे उसकी आत्मा पर पर्दा डाल देते है- उसे अच्छा- दित कर देते है। इसे
एक आदमी की शादी को बीस साल हो गये थे। उसने कभी पत्नी के हाथों बने खाने की तारीफ नहीं की। निर्मल बाबा ने उसको सलाह दी पत्नी के खाने की तारीफ करो,कृपा होगी। बाबा की सलाह असर कर गयी। घर आते ही उसने खाना खा कर पराठों की जम कर तारीफ की। पत्नी ने बेलन उठाया और उसको जी भर कर ठोंका और बोली " बीस साल मे कभी
इसरो संस्थानस्य सर्वेभ्यः वैज्ञानिकेभ्यः कोटिशः शुभकामनाः ।इसरो वैज्ञानिकाः सफलतया विंशतिः उपग्रहाणां प्रक्षेपणं कृतवन्तः ।
बचपन की वो अमीरी न जाने कहाँ खो गयी,जब बारिश के पानी में, हमारे भी जहाज चला करते थे...
अत्रैव रामः कृष्णः विक्रमादित्यः शंकराचार्यादयः जाताः।सर्वे च ते महन्तः। अधुना अहं जातः। अहमपि महान् भवितुमिच्छामि परन्तु केवलमिच्छामि एव।अत्रैव समस्या जाता। यस्मात् अहं महान् न जातः नास्मि च। परन्तु मम मनसि किञ्चित् कर्तव्यमिति चाहनास्ति। तस्मात् चिन्तयामि आचरयिष्यामि भविष्यामि च महान् इति भूयो भूय
जटा, माला, शिखा, रेखा, ध्वजो, दण्डो, रथो, घन: । अष्टौ विकृतय: प्रोक्ता: क्रमपूर्वा मनीषिभि: ।। विकृतवल्लीजटा माला शिखा रेखा ध्वज: दण्ड: रथ: घन: एते अष्टवेदपाठविकृतय: सन्ति क्रमसंहिताया: आधारेण ।इति
गोमाता के दूध में, रुई भिगाओ आप!चूर्ण फिटकरी बांधिए, मिटे आंख का ताप!!पानी में गुड डालिए, बित जाए जब रात!सुबह छानकर पीजिए, अच्छे हों हालात!!धनिया की पत्ती मसल,बूंद नैन में डार!दुखती अँखियां ठीक हों,पल लागे दो-चार!!ऊर्जा मिलती है बहुत,पिएं गुनगुना नीर!कब्ज खतम हो, पेट की मिट जाए हर पीर!!प्रातः काल पा
है न ?
👌भारत में ‘1st Class’ में पास होने वाले विद्यार्थी टेक्नीकल में प्रवेश लेते है और वो डॉक्टर या इंजिनियर बनते है👌‘2nd Class’ में पास होने वाले BA में admission लेते है और administrator/IAS IPS बनते है और 1st Class वालों को हैंडल करते है👌‘3rd Class’ पास होने वाले कही पे भी प्रवेश नहीं लेते है ।और व
http://www.rajivdixitmp3.com/maculay-letter/मैं भारत के कोने कोने मे घूमा हूँ मुझे एक भी व्यक्ति ऐसा नहीं दिखाई दिया जो भिखारी हो चोर हो !इस देश में मैंने इतनी धन दोलत देखी है इतने ऊंचे चारित्रिक आदर्श गुणवान मनुष्य देखे हैं की मैं नहीं समझता हम इस देश को जीत पाएंगे , जब तक इसकी रीड की हड्डी को नहीं
फिल्मों के 12 ऐसे संवाद जो आपको कहीं हिम्मत नहीं हारने देंगे और सफलता पाने का जज्बा हमेशा जगाए रखेंगे -; ***1. *3 Idiots*: कामयाबी के पीछे मत भागो, काबिल बनो , कामयाबी तुम्हारे पीछे झक मार कर आएगी.2. *Dhoom 3*:जो काम दुनिया को नामुमकिन लगे, वही मौका होता है करतब दिखाने का.3. *Badmaash Company*:बड़े
एक औरत मॉल से बिस्कुट चुराते हुए पकड़ीगयी।......जज ने कहा तुमने जो बिस्कुट का पैकेट चुराया उसमे 10 बिस्कुट थे।इसलिए तुम्हे 10 दिन की जेल की सज़ादी जाती है।...पति पीछे से चिल्लाया। जज साहब इसने एक सौंफ का पैकेटभी चुराया है।😜😜😜😜😜😜😜😜
मोदीजी 18 घंटे काम करते है, दो साल में एक छुट्टी भी नहीं ली ।फिर भी न अर्थव्यवस्था के हाल अच्छे है, न देश की सीमा के, न डॉलर के मुकाबले रूपए के, न किसान के, न सेंसेक्स के, न आयात-निर्यात के, न शिक्षा के और न कानून व्यवस्था के ।
1. जिस राजा का चक्र राष्ट्रीय ध्वज में है।2. जिस राजा के चार सिंह मुखी के चिन्ह को राष्टीय मुद्रा माना जाता है।3. जिस राजा को दुनिया का सर्वोत्तम राजा माना गया।4. जिस राजा के कारण भारत का नाम पूरी दुनिया में उज्ज्वल हुआ।5. जिसके नाम से सर्वोच्च पुरुस्कार अशोक चक्र दिया जाता है।6. जिस राजा का साम्राज
😝😝😝😝😆😆😆🔫आज ही के दिन 2011 में आधी रात को बाबा रामदेव सलवार पहन कर भागे थे।।🏃🏃5 वे सलवार दिवस की समस्त भक्तो को हार्दिक बधाई।
भारत में गॉंव है, गली है, चौबारा है.इंडिया में सिटी है, मॉल है, पंचतारा है.भारत में घर है, चबूतरा है, दालान है.इंडिया में फ्लैट और मकान है.भारत में काका है, बाबा है, दादा है, दादी है.इंडिया में अंकल आंटी की आबादी है.भारत में खजूर है, जामुन है, आम है.इंडिया में मैगी, पिज्जा, माजा का नकली आम है.भारत म
एक बार भगवान राम और लक्ष्मण एक सरोवर में स्नान के लिए उतरे उतरते समय उन्होंने अपने-अपने धनुष बाहर तट पर गाड़ दिए जब वे स्नान करके बाहर निकले तो लक्ष्मण ने देखा की उनकी धनुष की नोक पर रक्त लगा हुआ था !उन्होंने भगवान राम से कहा -" भ्राता ! लगता है कि अनजाने में कोई हिंसा हो गई ।"दोनों ने मिटटी हटाकर द
"न पीडयेदिन्द्रियाणि न चैतान्यति लालयेत् !"(अष्टांग-हृदयम् २/२९)अर्थ :---- आँख, कान आदि ज्ञानेन्द्रियों को रूप, शब्द आदि अपने -अपने विषयों का उपभोग करने से न रोके, परन्तु उन-उन विषयों में अत्यन्त लोलुप भी न होने दें !!!
“कहते हैं दिल से ज्यादा महफूज जगह नहीं दूनिया में और कोई;फिर भी ना जाने क्यों सबसे ज्यादा यहीं से लोग लापता होते हैं।”
"जिस दिन हम ये समझ जायेंगे कि... सामने वाला गलत नहीं हैसिर्फउसकी सोच हमसे अलग हैउस दिन जीवन से दुःख समाप्त हो जायेंगे"
पुरातन काल से ही सभी प्रकार के ज्ञान-विज्ञान में गणित का स्थान सर्वोपरि रहा हैयथा शिखा मयूराणां , नागानां मणयो यथा ।तद् वेदांगशास्त्राणां , गणितं मूर्धनि वर्तते ॥— वेदांग ज्योतिष (यजुर्वेद, ६०० ईसा पूर्व)( जैसे मोरों में शिखा और नागों में मणि का स्थान सबसे उपर है, वैसे ही सभी वेदांग और शास्त्रों मे
"यस्य चाप्रियमिच्छेत् तस्य ब्रूयात् सदा प्रियम् ।व्याधो मृगवधं कर्तुम् गीतं गायति सुस्वरम् ।।"(चाणक्य-नीतिः--14.10)अर्थः---शत्रु को सदैव भ्रम में रखना चाहिए । जो उसका अप्रिय करना चाहते हो तो उसके साथ सदा मधुर व्यवहार करो, उसके साथ मीठा बोलो । शिकारी जब हिरण का शिकार करता है तो मधुर गीत गाकर उसे रिझा
शराब का नाम जिसने रखा है बडा सोच समझकर रखा है! !!! कैसे?ये देखो ऐसे - श - शत प्रतिशत रा - राक्षसो जैसाब - बना देने वाला पेयऔर क्या कहते है शराब को - म - मरघट दि - दिखाने वाला रा - रास्ताशराब को english में कहतेहै wineW - wideness (ज्ञान)I - income ( आमदनी )N - nature (गुण)E - end (समाप्त )🙏🙏इसलिए
यह जो चुनाव पूर्व, मोदी जी ने खुद को चाय वाला बता कर जनता की सहानुभूति बटोरी थी न, इसे ही शास्त्रों में..... .एक मिनट... .माफ़ कीजिएगा इस तरह का शास्त्रों में कोई उल्लेख नही है क्योंकि इतना चालू और धूर्त तो "शकुनी" भी नही था | 😜
दुनीया का सबसे ताकतवर पोषण पुरक आहार है सहजन (मुनगा) 300 से अधि्क रोगो मे बहोत फायदेमंद इसकी जड़ से लेकरफुल, पत्ती, फल्ली, तना, गोन्द हर चीज़ उपयोगी होती है🍀🌱🌱🌱🌱🌱🌱🌱🌱🌱🌱🌱🍀आयुर्वेद में सहजन से तीन सौ रोगों का उपचार संभव है🍀सहजन के पौष्टिक गुणों की तुलना🍀-विटामिन सी- संतरे से सात गुना👉-व
धर्म एव हतो हन्ति धर्मो रक्षति रक्षितः ।तस्माद्धर्मो न हन्तव्यो मा नो धर्मो हतोऽवाधीत् ||जो पुरुष धर्म का नाश करता है, उसी का नाश धर्म कर देता है और जो धर्म की रक्षा करता है, उसकी धर्म भी रक्षा करता है । इसलिए मारा हुआ धर्म कभी हमको न मार डाले, इस भय से धर्म का हनन अर्थात् त्याग कभी नहीं करना चाहिये
एक औरत मॉल से बिस्कुट चुराते हुए पकड़ीगयी।......जज ने कहा तुमने जो बिस्कुट का पैकेट चुराया उसमे 10 बिस्कुट थे।इसलिए तुम्हे 10 दिन की जेल की सज़ादी जाती है।...पति पीछे से चिल्लाया। जज साहब इसने एक सौंफ का पैकेटभी चुराया है।😜😜😜😜😜😜😜😜
कुछ लोगों को लगता है की सेल्फी स्मार्टफ़ोन के बाद आविष्कृत हुई लेकिन ऐसा नहीं है. सत्य कुछ और ही है जो ये तस्वीर बया कर रही है. सेल्फी का इतिहास बहुत पुराना है .
भारत के महान वैज्ञानिक
पठन्ति चतुरो वेदान् धर्मशास्त्राण्यनेकशःआत्मानं नैव जानन्ति दर्वी पाकरसं यथाचतुर व्यक्ति सारे वेदों और अनेक धर्मग्रंथोंको पढता है; परंतु उसे आत्मतत्त्वका ज्ञान नहीं हो पाता; जैसे कढ़छी जो भोजन पकानेमें सहायता करती है; उसे भोजनका स्वाद नहीं पता होता
अंग्रेज ने स्वामी विवेकानंद से पूछा-सबसे अच्छा दूधकिस जानवर का होता है ?😃,विवेकानंद जी :- भैँस का ।🐂,अंग्रेज :- परंतु आप भारतीय तोगाय को हि सर्वश्रेष्ठमानते है ना ?🐄🐮😊😊,,विवेकानंद जी ने कहा :- आपने 'दुध' के बारे मेपुछा है जनाब 'अमृत' के बारे मे नहिऔर दुसरी बात आप नेजानवर के बारे मेँ पूछा थागाय
चायना के लोगो की जितनीआँख खुलती है....उतनी आँख खोल केतो,अपने लोग, नींद में मेसेज पढ़ कर,फॉरवर्ड भी कर देते हैं
मित्रो दस साल पहले भारत से कई विश्व सुंदरियां बनी इसके पीछे विदेशी कंपनियों की सोची समझी साजिश थी .– कई प्रसाधन बनाने वाली कम्पनियां भारत में अपना मार्केट खोज रही थी . पर यहाँ अधिकतर महिलाएं ज़्यादा प्रसाधन का इस्तेमाल नहीं करती थी . इसलिए उन्होंने भारत से सुंदरियों को जीता कर लड़कियों के मन में ग्ल
भीष्म पितामह ने धर्म के दस लक्षण गिनाये :-- धैर्य- क्षमा- दम- अस्तेय- शौच- इन्द्रियनिग्रह- धी- विद्या- सत्य- अक्रोध | इन लक्षणों से युक्त होकर ही कर्म करने चाहिए, वरना कर्मों के फल बाँध लेते हैं और भविष्य में ज्ञान का मार्ग भी अवरुद्ध रहता है, संन्यास में अभिरुचि ही नहीं जागती, मोक्ष काल्पनिक बकवास
बोलो धत तेरे की…! 😛😛 नमस्कार को टाटा खा गया,नूडल खा गया आटा!! अंग्रेजी के चक्कर मेंहुआ बडा ही घाटा !!!! बोलो धत्त तेरे की !! माताजी को मम्मी खा गयीपिता को खा गया डैड!! दादाजी को ग्रैंडपा खा गये,सोचो कितना बैड !!!! बोलो धत्त तेरे की !!गुरुकुल को स्कूल खा गया,गुरु को खा गया चेला!! सरस्वती माता की प्
जुगाड़ से काम चलाना पढ़ रहा है
मदन मोहन मालवीय किसी अंग्रेजी अफसर से मिलने जा रहे थे। अभी थोड़ी ही दूर पहुँचे थे कि रास्ते में पड़ी हुई एक निर्धन स्त्री दिखाई दी। उसके पाँव में घाव हो गये थे। मक्खियाँ काट रही थीं इससे उसे असहाय वेदना हो रही थी।मालवीय जी ने अपनी घोड़ा गाड़ी रुकवाई। स्वयं उतरे और उस स्त्री का उठाकर गाड़ी में बैठा क
जिनके हृदय में दया धर्म बसते हैं, जो अमृतवाणी बोलते है और जिनके नेत्र नम्रता वश नीचे रहते हैं असल में वे ही ऊँचे है।जिसमें सत्य और सेवा पूर्ण रूप से प्रकट हो, वह संसार के हृदयों का साम्राज्य अवश्य भिगोया और अपनी मनोभिलाषा पूर्ण करेगा।जो उपकार जताने का इच्छुक है उसे द्वार खटखटाना पड़ता है, पर जिसमें
बिना ज्ञान के ही धमंड में चूर रहने वाले, दरिद्र होकर भी बड़े-बड़े मंसूबे बांधने वाले, और बिना परिश्रम के ही धनवान बनने की इच्छा रखने वालों को, बुद्धिमान लोग मूर्ख समझते हैं।जो अपना काम छोड़ कर, दूसरों के कर्त्तव्य पालन में लगा रहता हैं तथा मित्रों के साथ गलत कार्यों में संलग्न रहता है; वह मूर्ख कहलाता
पापान्निवारति योजयते हिताय, गुह्यं निगूहति गुणान्प्रकटिकरोति।आपद्गतं च न जहाति ददाति काले, सन्मित्रलक्षमिदं प्रवदन्ति सन्तः।।मित्र को पाप से हटाता है, पुण्यकर्म में युक्त करता है। मित्र की गुप्त रखने योग्य बातों को तो छिपाता है परन्तु उसके गुणों को अन्यों के सामने प्रकट करता है। संकटकाल में साथ नहीं
क्या रखा हैइस किताबी संसार में,*आओ बिना पढ़ेTop करें बिहार में . . ☺
यो नः पिता जनिता यो विधाता धामानि वेद भुवनानि विश्वा ।यो देवानां नामधाSएकSएव तँ्सम्प्रश्नं भुवना यन्त्यन्या ॥भावार्थ -- जो परमेश्वर , हम सबका रक्षक , जनक और हमारे सब कर्मों का फलदाता है , वही भगवान् , सब लोक लोकान्तरों का ज्ञाता और अग्नि , वायु , सूर्य , चन्द्र , वरुण , मित्र , वसु , यम , विष्णु , ब
1 - ब्रह्मा जी से मरीचि हुए,2 - मरीचि के पुत्र कश्यप हुए,3 - कश्यप के पुत्र विवस्वान थे,4 - विवस्वान के वैवस्वत मनु हुए.वैवस्वत मनु के समय जल प्रलय हुआ था,5 - वैवस्वतमनु के दस पुत्रों में से एक का नाम इक्ष्वाकु था, इक्ष्वाकु ने अयोध्या को अपनी राजधानी बनाया और इस प्रकार इक्ष्वाकु कुलकी स्थापना की |6
एक मेढक पेड़ की चोटी पर चढ़ने का सोचता है और आगे बढ़ता हैबाकी के सारे मेंढक शोर मचाने लगते हैं "ये असंभव है.. आज तक कोई नहीं चढ़ा.. ये असंभव है.. नहीं चढ़ पाओगे"मगर मेंढक आख़िर पेड़ की चोटी पर पहुँच ही जाता है.. जानते हैं क्यूँ?क्योंकि वो मेंढक "बहरा" होता है.. और सारे मेंढकों को चिल्लाते देख सोचता है कि स
राष्ट्रपति वाशिंगटन ठीक चार बजे भोजन करते थे। उन्होंने कांग्रेस के नये सदस्यों को एक दावत दी, सदस्य-गण कुछ मिनट बाद पहुँचे तो उन्होंने देखा कि राष्ट्रपति भोजन कर रहे हैं। उन्हें बड़ा संताप हुआ। यह देख कर वाशिंगटन ने कहा-’मेरा रसोइया आगन्तुकों की नहीं घड़ी की प्रतीक्षा करता है।’ एक बार उनके सेक्रेटरी
संसार की प्रत्येक वस्तु का कोई न कोई निर्माता होता है तभी वह बनती है। इतने बड़े विश्व का भी कोई न कोई निर्माता होना चाहिए। सृष्टि की विभिन्न वस्तुओं में से प्रत्येक में अपने-अपने नियम क्रम पाये जाते हैं। उन्हीं के आधार पर उनकी गतिविधियां संचालित होती हैं। यह नियम न होते तो सर्वत्र अस्त-व्यस्तता और अ
निर्मल बाबा एक दिन बाबा दरबार में बैठे थे और भक्त अपनी दुखभरी कहानियाँ सुनाकर बाबासे सलाह मांग रहे थे ।पप्पू : " बाबा की जय हो एक । बाबा मुझे कोई रास्ता दिखाओ , मेरी शादी तय नहीं हो रही , आपकी शरण में आया हूँ ।"निर्मल बाबा: " आप काम क्या करते हो ?"पप्पू : " शादी होने के लिए कौनसा काम करना उचित रहेग
गुणेषु क्रियतां यत्न: किमाटोपै: प्रयोजनम्। विक्रीयन्ते न घण्टाभि: गाव: क्षीरविवर्जिता:॥व्यक्ति को स्वयं मे अच्छे गुणों की वृद्धि करनी चहिए, केवल दिखावा करने से कोई लाभ नही होता। जिस प्रकार दूध न देने वाली गाय को मात्र उसके गले मे लटकी हुई सुन्दर घंटी बजाने से नही बेची जा सकती ।
आत्म कल्याण की इच्छा से महाराज अजातशत्रु ने तप करने का निश्चय किया। लोगों ने बताया इससे पूर्व कि आप कोई साधना प्रारम्भ करें एक मार्गदर्शक गुरु वरण करना आवश्यक है। बिना गुरु के साधनाएँ सफल नहीं होती। अजातशत्रु ने यह बात मान ली पर अब एक नई समस्या उठ खड़ी हुई कि गुरु किसे बनाया जाये? लोगों ने यह बताया
बौद्ध भिक्षुक किसी नदी के पनघट पर गया और पानी पीकर पत्थर पर सिर रखकर सो गया।पनघट पर पनिहारिन आती-जाती रहती हैं तो तीन-चार पनिहारिनें पानी के लिए आईं तो एक पनिहारिन ने कहा, "आहा! साधु हो गया, फिर भी तकिए का मोह नहीं गया।पत्थर का ही सही, लेकिन रखा तो है।"पनिहारिन की बात साधु ने सुन ली। उसने तुरंत पत्थ
भारतीय नारी एक साथ 10 से 15 परिवार का टेंशन लेके चलती है -.- -.- -.- एक उनका खुद का बाकि टीवी सीरियल और पडोसी का 😜😜😜
एक बार ओशो ने जानकारी दी थी कि 1937 में तिब्बत और चीन के बीच बोकाना पर्वत की एक गुफा में 716 पत्थर के रिकार्डर मिले हैं- पत्थर के। आकार में वे रिकॉर्ड हैं। महावीर से 10 हजार साल पुराने यानी आज से कोई साढ़े 13 हजार साल पुराने। ये रिकॉर्डर बड़े आश्चर्य के हैं, क्योंकि ये रिकॉर्डर ठीक वैसे ही हैं, जैसे
किसी ने मुझसे पुछा की :“तुम इतने खुश कैसेरह लेते हो…??”तो मेने कहा :-“मैनें ज़िन्दगी की गाड़ीसे वो साइड ग्लासही हटा दिया,जिसमे पीछे छूटे रास्ते नज़र आते हैं ...
पूरे देश में सामान्यत: परन्तु बंगाल में विशेषत: सती दाहप्रथा का ताण्डव भयंकर रूप में छाया हुआ था। यह 19 वींशती की घटना है। राजाराम मोहन राय ने तत्कालीन गवर्नर जनरल लार्ड विलियम बैंटिकके समय में कोलकाता उच्च न्यायालय में एक याचिका दायरकी। इसका पौराणिक पण्डितों ने तीव्र विरोध किया व सती दाहप्रथा को वे
😄 आठ ईंटो की विकेट होगी😄 पहली try ball होगी😄 जो बाऊन्डरी के बाहर ball फेकेंगा,वो खुद वापस लेके आयेगा😄 बैटिंग टीम अम्पायरींग करेगा..😄 दिवार को डायरेक्ट लगा तो सिक्स,बॉल बाहर गयी तो आऊट….😄 आखिरी वैट्समैन अकेला वैटिंग कर सकता है…😄 जो बीच मे गेम छोरेगा,उसे कल नही खिलायेंगे..😄 जो बॉल बाहर फेकेगाा
आज हमें पढ़ाया जाता है कि गुरुत्वाकर्षण का सिद्धान्त न्यूटन (1642 -1726) ने दिया. यदि विद्यार्थी संस्कृत पढेंगे तो जान जाएंगे कि यह झूठ है. ---प्राचीन भारत के एक प्रसिद्ध गणितज्ञ भास्कराचार्य (1114 – 1185) के द्वारा रचित एक मुख्य ग्रन्थ सिद्धान्त शिरोमणि है हैं।भास्कराचार्य ने अपने सिद्धान्तशिरोमणि म
धर्मेण सह यात्रां करोत्यात्मा, न बान्धवैः |आत्मा धर्माधर्मरूप कर्मों के साथ यात्रा करता है, न कि बन्धु-बान्धवों के साथ ।
*रहीम एक बहुत बड़े दानवीर थे। उनकी ये एक खास बात थी कि जब वो दान देने के लिए हाथ आगे बढ़ाते तो अपनी नज़रें नीचे झुका लेते थे।**ये बात सभी को अजीब लगती थी कि ये रहीम कैसे दानवीर हैं। ये दान भी देते हैं और इन्हें शर्म भी आती है।**ये बात जब तुलसीदासजी तक पहुँची तो उन्होंने रहीम को चार पंक्तियाँ लिख भेजीं
वड़ापाव चुराकर भागते बच्चे को जब कुछ लोग पकडकर पीटने लगे तो बच्चे के हाथ से वडापाव गिर गया जो एक अखबार के पन्ने मे लिपटा हुआ था,,बच्चे को मारपीटकर जब सब लोग चले गये तो जहां जमीन पर गिरा लहुलुहान बच्चा दर्द से तडप रहा था वहीं उसकी बगल मे गिरा वो अखबार का फटा पन्ना भी हवा से फडफडा रहा था जिसपर पर एक ख
मैं एक लड़की को बहुत दिनों सेलाइक करता था। 😋,,,,पर वो भाव नहीं देती।,,,,आज मेने उसे "I love u" बोल दिया।,,भई उसने तुरंत अपने दोनोंसेंडल फेक के मारे मुझ पर।,,वो उन सेंडलों को 5-6 दिन पहले हीपहन कर आई थी,कीमत:- Rs.880/ 😀,,जैसे ही उसने सेंडल फेंके,,मै झट से सेंडल को उठाया और भाग गया वहाँ से 🏃🏻😬,,,
स्वप्नों और अदृश्य प्रेरणाओं द्वारा जिन व्यक्तियों को किन्हीं महत्वपूर्ण विषयों की प्रेरणा प्राप्त होती है, उन सबकी यही सम्मति है कि जिन व्यक्तियों में पारस्परिक हार्दिक प्रेम, स्नेह होता है, वे दूर रहते हुए भी एक-दूसरे के सुख-दुःख की जानकारी प्राप्त कर लेते हैं। युद्ध में जो व्यक्ति मारे जाते हैं,
सत्यार्थ प्रकाश को पढकर बडे-बडे मौलवी और पादरी बदल गये, आर्य हो गये !(१.) वर्तमान में महेन्द्रपाल आर्य जो कि अमृतसरमें फारसी भाषा के विद्वान मौलवी थे ! आज जाकिर नायक भी इनसे डिबेट करने से कतराता है !(२.) जिसे पढ़ कर लाला लाजपत राय ने वकालत छोड़ भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में पूरा जीवन लगा दिया !(३.) जि
गर्मी आ गई है-देखना, अब ढाबे में बैठकर मुर्गा खाने वाले लोग।घर की छतों पर, चिड़ियों के लिए पानी रखने वाली पोस्ट करेंगे।
नारियों को वेद एवं गायत्री का अधिकार भारतवर्ष में सदा से नारियों का समुचित सम्मान रहा है। उन्हें पुरुषों की अपेक्षा अधिक पवित्र माना जाता रहा है। नारियों को बहुधा ‘देवी’ सम्बोधन से सम्बोधित किया जाता रहा है। नाम के पीछे उनकी जन्मजात उपाधि ‘देवी’ प्राय: जुड़ी रहती है। शान्ति देवी, गंगा देवी, दया देवी
सामान्यतः मनुष्यों को जल, भाफ, अग्नि, विद्युत, वायु, गैस आदि की शक्ति का तो अनुभव हुआ करता है, परन्तु ‘शब्द’ में भी कोई ऐसी शक्ति होती है, जो स्थूल पदार्थों पर प्रत्यक्ष प्रभाव डाल सके, इस पर उनको शीघ्र विश्वास नहीं होता। वे यह तो मान सकते हैं कि मधुर शब्दों से श्रोता का चित्त प्रसन्न होता है कठोर श
● अत्यारूढिर्भवति महतामप्यपभ्रंशनिष्ठा ।अत्युन्नति के बाद बड़ों का भी पतन होता है ।● संपद: साधुवृत्तानपि विक्षिपन्ति ।सम्पत्तियां सदाचारियों को भी विचलित कर देती हैं ।● एकचित्ते द्वयोरेव किमसाध्यं भवेदिह ।दो चित्तों के एक होने पर संसार में क्या असाध्य है ?● भवन्ति ते सभ्यतमा विपश्चितां मनोगतं वाचि नि
पीडीपी अफज़ल गुरु को शहीद मानती है , और बीजेपी गोडसे को... !! . राम मिलाये जोड़ी एक अँधा एक कोढ़ी... !!!
आजकल प्रतिदिन संदेश आ रहे हैं किमहादेव को दूध की कुछ बूंदें चढाकर शेष निर्धन बच्चों को दे दिया जाए। सुनने में बहुत अच्छा लगता है लेकिन हर हिन्दू त्योहार पर ऐसे संदेश पढ़कर थोड़ा दुख होता है। दीवाली पर पटाखे ना चलाएं, होली में रंग और गुलाल ना खरीदें, सावन में दूध ना चढ़ाएं, उस पैसे से गरीबों की मदद क
"महफील भले ही प्यार करने वालो की हो,उसमे "रौनक" तो "दिल टुटा हुआ शायर" ही लाता है
बचपन में अख़बार बेचने से लेकर समूचे विश्व में वैज्ञानिक और राष्ट्रपति के रूप में देश का नाम रौशन करने वाले कलाम साहब ने हमेशा सभीको प्रेरणा दी। राष्ट्रपति भवन में पहुंचने वाले एकमात्र वैज्ञानिक डॉक्टर कलाम साहब असल जिंदगी के हीरो थे। मैं जब भी उनके बारे में सोचता हूँ तो भावविभोर हो जाता हूँ।भारतीय सं
विजय माल्या वह पहला इंसान है,जिसने कर्ज चुकाने हेतु आत्महत्या नहीं की,बल्कि बैंक वालों को आत्महत्या करने पर मजबूर किया...!!
जंगल में शेर शेरनी शिकार के लिये दूर तक गये अपने बच्चों को अकेला छोडकर।देर तक नही लौटे तो बच्चे भूख से छटपटाने लगे उसी समय एक बकरी आई उसे दया आई और उन बच्चों को दूध पिलाया फिर बच्चे मस्ती करने लगे तभी शेर शेरनी आये बकरी को देख लाल पीले होकर हमला करता उससे पहले बच्चों ने कहा इसने हमें दूध पिलाकर बड़ा
बड़ी हैरानी की बात है कि 125 करोड़ की आबादी वाले देश में से अभी तक किसी एक आदमी ने भी आगे आकर ये दावा नहीं किया, कि उसने कभी मोदी के हाथ की बनी चाय पी थी ...😛😀😀😀😏😏
🌷'योगदर्शन' के तीसरे पाद में ऐसी कितनी ही सिद्धियों का वर्णन आता है जिन्हें योगी अपने शरीर के भीतर या शरीर से बाहर विभिन्न स्थानों पर ध्यान जमाने से प्राप्त अर सकता है।महर्षि पतञ्जलि कहते हैं कि धारणा,ध्यान और समाधि,तीनों के एक स्थान पर मिल जाने का नाम संयम है।तब वे कहते हैं कि धर्म,लक्षण,अवस्था और
अथ श्री किंगफिशर लोन कथा -------------------------------------------अगर एक आम आदमी को एक एयर लाइंस शुरू करने को कहा जाए तो वो घबरा जाएगा। इतना पैसा कहाँ से आएगा। लाइसेंस कैसे मिलेगा। एक हवाई जहाज ही 7-800 करोड़ का आता है।लेकिन बड़े बिजनेसमेन के लिए ये दिक्कतें मायने नहीं रखती। किंगफिशर की स्थापना 2003
धर्मेण सह यात्रां करोत्यात्मा, न बान्धवैः |आत्मा धर्माधर्मरूप कर्मों के साथ यात्रा करता है, न कि बन्धु-बान्धवों के साथ ।
पीडीपी अफज़ल गुरु को शहीद मानती है , और बीजेपी गोडसे को... !! . राम मिलाये जोड़ी एक अँधा एक कोढ़ी... !!!
एक अमेरिकी रिसर्च से पता चला है कि भारत में ज्यादातर क्यूट एंजेल नाम की प्रोफाइल के पीछे...'पापा की नन्ही परी' नहीं, मम्मी का 'निकम्मा बेटा' होता है 😄
जब एक रोटी के चार टुकङे हो औरखानेवाले पांच हो तब मुझे भूख नही है ऐसा कहनेवाला कौन है ??उत्तर -"माॅ"सुप्रभात _/\_
प्रोफेसर : "अगर तुम्हें किसी को संतरा देना हो, तो क्या बोलोगे...?छात्र : "ये संतरा लो...।प्रोफेसर : नहीं... एक वकील की तरह बोलो...।छात्र : मैं हेतराम पुत्र चेतराम निवासी गाँव शिकारपुर, यू०पी० एतद् द्वारा,अपनी पूरी रुचि व होशो-हवास में और बिना किसी के डर एवंम दबाव मेंआए इस फल, जो कि संतरा कहलाता है,औ
मां - बेटा एपल खाओगे?पप्पू - नही...मां - बेटा आम खाओगे?पप्पू - नही...मां - बेटा ऑरेंज खाओगे?पप्पू - नही...मां - "बिल्कुल बाप पर गया है,चप्पल ही खाएगा." 😜?....?😜😜😄😄😄😄😁😁😁😁😁बाप- बेटा लस्सी पीयेगा?पप्पू - नही...बाप - बेटा दूध पीयेगा?पप्पू - नही...बाप - बेटा जूस पीयेगा?पप्पू - नही...बाप - "बि
यहाँ पर सदा से यह विश्वास किया जाता है कि ‘अमृत’ का अस्तित्व एक सचाई है और जो उसे प्राप्त कर सकता हे, वह अमर हो जाता है। दूसरी विधि किसी बड़े देवी-देवता से अमरत्व का वरदान प्राप्त करना है। लोगों का कहना है कि हनुमान, अश्वत्थामा, जामवन्त, काकभुसुंडि आदि इसी प्रकार अमर-जीवन व्यतीत कर रहे हैं। इसी प्रक