महर्षि चरक कहते है :-
सुखं शेते सत्यवक्ता सुखं शेते मितव्ययी ।
हितभुक् मितभुक् चैव तथैव विजितेन्द्रिय: ॥ चरक
●सत्य बोलनेवाला , मर्यादित खर्चा करनेवाला , हितकारक पदार्थ जरूरी प्रमाण मे खानेवाला , तथा जिसने इन्द्रियों पर विजय पाया है , वह चैन की नींद सोता है ।