महर्षि मनु कहते है :-
●अधर्मेणैथते पूर्व ततो भद्राणि पश्यति ।
तत: सपत्नान् जयति समूलस्तु विनश्यति ॥ मनु
●कुटिलता व अधर्म से मानव क्षणिक समॄद्वि व संपन्नता पाता है ।
अच्छा दैव का अनुभव भी करता है ।
शत्रु को भी जीत लेता है ।
परन्तुु अन्त मे उसका विनाश निश्चित है ।
वह जड समेत नष्ट होता है ।