काव्यशास्त्र विनोदेन कालो गच्छति धीमतां।
व्यसनेन तु मूर्खाणां निद्रया कलहेन वा।।
बुद्धिमानों का समय तलस्पर्शी ग्रन्थों की रसप्रद चर्चा के कारण व्यतीत होता है। जब कि मूर्खों का समय बुरी आदतों को पूरा करने तथा निद्रा व झगड़े में बीत जाता है।
18 जून 2016
काव्यशास्त्र विनोदेन कालो गच्छति धीमतां।
व्यसनेन तु मूर्खाणां निद्रया कलहेन वा।।
बुद्धिमानों का समय तलस्पर्शी ग्रन्थों की रसप्रद चर्चा के कारण व्यतीत होता है। जब कि मूर्खों का समय बुरी आदतों को पूरा करने तथा निद्रा व झगड़े में बीत जाता है।