स्थूलस्वरूपसूक्ष्मान्वयावर्थत्व सयमाद् भूतजयः।
अर्थात्- ‘‘पाँचों भूतों के स्थल-स्वरूप, सूक्ष्म, अन्वय, अर्थवत्त्व में संयम करने से भूतों पर जय प्राप्त होती है। अर्थात् उस अवस्था में सभी भूततत्त्व योगी की इच्छानुसार चलते हैं।”
बादलों का हटाना तो प्राणायाम को पूरी तरह सिद्ध कर लेने पर ही सम्भव हो जाता है। ऐसी स्थिति में यदि महायोगी भगवान् कृष्ण ने अवसर आने पर दस-पाँव मिनट के लिये सूर्य के सम्मुख कृत्रिम (मायामय) बादल उत्पन्न करके उसके अस्त हो जाने का भ्रम उत्पन्न कर दिया हो, तो इसमें कोई असम्भव बात नहीं। पर भारतीय प्रणाली की मुख्य विशेषता यही है कि उसका लक्ष्य आध्यात्मिक रहा है। ऐसी चमत्कारी शक्तियों की प्राप्ति होने पर भी साधकों के लिये यह स्पष्ट आदेश दे दिया जाता है कि उनका उपयोग स्वार्थ के लिये न करके परमार्थ संबन्धी कार्यों के लिये ही किया जाय।